Consultation in Corona Period-42

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"इसको गले में पहनने से दूसरों के मन में क्या चल रहा है यह पता चल जाता है। 


यह भी पता चल जाता है कि आगे कौन सी अनहोनी होने वाली है और इसकी सहायता से उस अनहोनी से बचने के उपाय भी किए जा सकते हैं।


 ऐसा हमारे गुरु महाराज ने कहा है इसलिए मैं उनकी बात मान कर इसे हमेशा अपने गले से बांधे रखती हूं।


मैं एक पचास वर्षीय महिला से बात कर रहा था जिन्हें कि Anaplastic Thyroid Carcinoma हुआ था और डॉक्टरों ने कह दिया था कि अब वह कुछ महीनों की मेहमान है। 


उनके पति हर संभव कोशिश कर रहे थे कि उनकी जान बच जाए।


 इसी क्रम में उन्होंने मुझसे भी संपर्क किया और अनुरोध किया है कि इस कोरोनावायरस काल में यदि मुंबई आना संभव नहीं है तो आप वीडियो चैट से बात कर लीजिए और एक बार मरीज को अच्छे से देख लीजिए ताकि आप उन्हें कोई कारगर उपाय सुझा सकें। 


मैंने उनकी बात मानी और उस महिला से विस्तार से बात करके उनकी हालत के बारे में जानकारी ली। 


वीडियो चैट के दौरान मेरा ध्यान बार-बार उनके गले में लटके एक पत्थर की ओर जाता था। आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया। 


मैंने उनसे पूछा कि यह किस तरह का पत्थर है तो उन्होंने कहा कि यह मंगल रत्न है जो उनके गुरु महाराज ने उनको दिया है और इसी की तारीफ में वे उपरोक्त बातें कह रही थी।


महिला के पति से मैंने कहा कि कैंसर बहुत अधिक फैल गया है। इस समय जो उनकी इच्छा है उसको ही पूरा किया जाए। 


अब इलाज की संभावना बहुत कम बची है। डॉक्टर सही कह रहे हैं कि अब उनके पास कुछ ही महीने बाकी हैं।


 मैंने उनके पति से अनुरोध किया कि मुझे उस पत्थर में रुचि है। वह पत्थर कहां मिलेगा? 


उन्होंने कहा कि यह मंगल रत्न उनके गुरु महाराज ने दिया है और वह अपने समीप के सभी शिष्यों को यह रत्न देते हैं। 


इसकी कीमत करोड़ों में है। 


उनकी पत्नी जब गुरु महाराज की प्रिय शिष्या बन गई तब गुरु महाराज ने उन्हें यह पत्थर दिया और कहा कि इसे पूजा और ध्यान के समय पहना करें।


जब उस महिला को कैंसर का पता चला तो गुरु महाराज ने पुरानी माला वापस रख ली और उसके बदले एक नई माला उसी पत्थर की दी जिसमें पत्थर का आकार बड़ा था और कहा  कि इसे चौबीसों घंटे पहने रखें। 


इससे उनका कैंसर पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।


 पत्थर के बारे में चमत्कारी बातें सुनकर मैंने उनके पति से पूछा कि मुझे भी अगर यह चाहिए तो क्या करना होगा?


 उन्होंने कहा कि गुरु महाराज इसे ब्राजील से मंगाते हैं और यह नहीं बताते हैं कि यह बाजार में कहां मिलेगा? 


मैंने अपने जेमस्टोन स्पेशलिस्ट मित्र से कहा कि वह अस्पताल में जाए और जरा जांच करें कि वह कौन सा पत्थर है जिसकी इतनी महत्ता बताई जा रही है।


 मित्र अस्पताल पहुंचा और उसने उस पत्थर का अध्ययन किया।

 


उसने बताया कि यह एक प्रसिद्ध जेमस्टोन है जिसका दुनिया भर में प्रयोग होता है।


 जितनी कीमत बताई जा रही है यह इतना कीमती नहीं है। 


वह एक दिन के लिए उस पत्थर को घर ले जाना चाहता था ताकि अपनी प्रयोगशाला में उसे जांच सके पर महिला इस बात के लिए तैयार नहीं थी। 


जब मैंने उनके पति से कहा कि इस पत्थर का संबंध कैंसर से हो सकता है तो वे झट से तैयार हो गए और मित्र को एक दिन के लिए वह माला दे दी। 


मित्र ने दूसरे दिन ही फोन करके बताया कि यह Phenacite है। 


Phenacite सुनते ही मेरा माथा ठनका और ऐसे सैकड़ों मामले दिमाग में घूमने लगे जोकि इस रत्न के कारण होने वाले कैंसर से संबंधित थे और जिनकी चिकित्सा मैंने पिछले 20 वर्षों में की थी। 


Phenacite के कार्सिनोजेनिक होने के बारे में इंटरनेट में जानकारियां भरी पड़ी है और अब विज्ञान इसे सिद्ध कर चुका है कि यह कई प्रकार के कैंसर को बढ़ावा देता है परंतु फिर भी रत्नों के बाजार में इसे खुलेआम बेचा जाता है और गुरु महाराज जैसे लोग अपने शिष्यों को इसे दे कर यह बताते हैं कि इससे दूसरे की मन की बात पता चल सकती है।


 पर यह भूल जाते हैं कि इससे उनके शिष्यों को कैंसर जैसे घातक रोग हो सकते है जिससे बचना मुश्किल है। 


मित्र ने बताया कि वह महिला इसे चौबीसों घंटे पहनती है। इसके कारण पत्थर में कई तरह के चोट के निशान है जोकि इस विष को और अधिक फैलने में मदद करते हैं। 


अर्थात गले में बंधे पत्थर का अपरदन हो रहा था जो कि मूल पत्थर से ज्यादा खतरनाक था। 


मैंने उनके पति को विस्तार से यह बात बताई और इंटरनेट में उपलब्ध साहित्य को दिखाया तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ।


 वे आग बबूला हो गए और कहा कि मैं अभी गुरु महाराज को खरी खोटी सुनाता हूं।


 मैंने उनसे कहा कि अभी इसे छोड़िए। अगर आप सहमत हों तो अपनी पत्नी को इस बारे में बताएं ताकि वे इसे तुरंत अपने गले से निकाल सके।


 इससे हो सकता है कि उनके कैंसर का फैलाव तुरंत रुक जाए और स्थिति ज्यादा न बिगड़े। 


महिला पहले तो तैयार नहीं हुई पर बाद में उन्होंने इस बात को मान लिया और अपने गले से इसे निकाल दिया। 


मैंने विस्तार से बताया कि मैं इस पत्थर को भारतीयों के गले में अक्सर देखता हूं चाहे वे गरीब हो या अमीर। 


यह रत्न इतना अधिक खतरनाक है कि इसे बेचने वाले भी इससे बच नहीं पाते हैं और उनके परिवार में किसी न किसी को घातक कैंसर हो जाता है और बहुत लोगों की मृत्यु हो चुकी होती है। 


उन्हें यह नहीं पता चलता है कि यह सब इस रत्न के कारण हो रहा है। 


इंटरनेट पर रत्न का नाम खोजने पर इसके कैंसर पैदा करने वाले गुणों की जानकारी कम मिलती है और उसके बाजार में उपलब्ध होने और उससे जुड़ी चमत्कारी बातों की जानकारी अधिक होती है। 


यह बहुत सस्ते में बाजार में उपलब्ध है पर जिन्हें जानकारी नहीं है उन्हें इसे करोड़ों में बेचा जाता है। 


दुनिया में जितने लोग भी रत्न खरीदते हैं वे रत्न बेचने वालों पर आंख मूंदकर विश्वास करते हैं इसीलिए विभिन्न संकटों में फंस जाते हैं। 


उन्हें पहले इसकी जांच करानी चाहिए और पता करना चाहिए कि उन्हें वही रत्न दिया जा रहा है या कोई दूसरा रत्न दिया जा रहा है और उस रत्न को पहनने से क्या किसी प्रकार का नुकसान शरीर को होता है या नहीं। 


आमतौर पर मीडिया में यह प्रचारित किया जाता है कि रत्न रोगों से बचाते हैं पर यह एक नंगा सत्य है कि रत्नों से बहुत बड़ी संख्या में लोग घातक बीमारियों से प्रभावित होकर बेमौत मारे जाते हैं।


 पत्थर को हटाने के बाद जब उनके कैंसर का फैलाव कम होना शुरू हुआ तो मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने चिकित्सक से फिर से मिले और कैंसर की विधिवत चिकित्सा आरंभ करें।



 मैंने उनके चिकित्सक से भी बात की और कहा कि अगर वह अनुमति दें तो मैं उनकी दवा के साथ में अपना मेडिसिनल राइस भी देना चाहूंगा ताकि उनको जल्दी से जल्दी आराम मिल सके। 


चिकित्सक ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।


 उन्होंने कीमोथेरेपी ड्रग का नाम मुझे बताया और मैंने अपने डेटाबेस में चेक किया तो पता चला कि यह कीमोथेरेपी ड्रग मेडिसिनल राइस से विपरीत प्रतिक्रिया नहीं करती है। 


अब हमारा मार्ग प्रशस्त हो गया था और इस तरह महिला का फिर से उपचार शुरू हो गया।


 मैंने देश के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किए गए 25 प्रकार के ब्लैक राइस को मिलाकर एक फार्मूले के रूप में उन्हें देना शुरू किया और इस तरह समन्वित प्रयास से उनकी स्थिति में तेजी से सुधार होने लगा।


 बहुत दिनों बाद उनके गुरु महाराज का फोन मेरे पास आया।


 उन्होंने बताया कि वे जानबूझकर ऐसा पत्थर किसी को नहीं दे रहे थे। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाज नहीं था कि इससे गले का कैंसर या किसी और प्रकार का कैंसर होता है और तेजी से फैलता है। 


अब उन्होंने अपने सभी शिष्यों से माफी मांग ली है और पत्थर बेचना बंद कर दिया है। 


वे जानना चाहते थे कि उन्हें जो प्रोस्टेट का कैंसर हुआ है क्या वह इसी रत्न को अपने कमरे में रखने के कारण हुआ है?


 मैंने कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा पर पहले आप प्रक्रिया का पालन करें और फीस जमा कर मुझसे विस्तार से इस बारे में चर्चा करें।


 वे इस बात के लिए तैयार हो गए।


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