Consultation in Corona Period-40

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"मेरे बाएं हाथ का दर्द बहुत बढ़ गया है। बहुत अधिक सूजन हो गई है और अब पेन किलर दवायें भी काम नहीं कर रही है।


 पिछले 10 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ। पता नहीं क्यों मेरा कैंसर इतनी तेजी से फैलता जा रहा है। आप ही कोई उपाय बताइए।"



 स्वाति का फोन जब मुझे आया तो मुझे भी आश्चर्य हुआ कि उनकी तकलीफ अचानक से क्यों बढ़ गई है।


 स्वाति पिछले 10 वर्षों से ब्रेस्ट कैंसर की मरीज हैं पर उन्होंने आधुनिक चिकित्सा का सहारा कभी नहीं लिया। 


मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि 10 वर्षों तक कैंसर की तथाकथित अंतिम अवस्था में वे रही और अच्छे से जीवन जीती रहीं। 


उनके चिकित्सक भी उनकी इस स्थिति पर आश्चर्य करते थे। कैंसर का पता चलने पर सबसे पहले उन्होंने अपने जीवन में सुधार किया और अपनी बुरी आदतों को छोड़ा। 


इसके साथ ही उन्हें दक्षिण के एक वैद्य का साथ मिल गया जिसके कारण कैंसर का फैलाव रुक गया और वे कैंसर के साथ में जीने लगीं। 


5 वर्ष पूर्व उन्होंने जब मुझसे संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि अब वैद्य जी की दवा भी काम नहीं कर रही है और कैंसर ने फिर से फैलना शुरू कर दिया है।


 मैं उनसे मिलने गया। उनकी स्थिति और रिपोर्ट देखी।


फिर मैंने कहा कि मैं चिकित्सक नहीं हूं पर अगर आप चाहे तो मैं आपके वैद्य से बात कर सकता हूं और उन्हें सलाह दे सकता हूं कि वे अपने फार्मूले में किस तरह सुधार करें जिससे कि उनका फार्मूला फिर से कारगर हो जाए।


 उनके वैद्य ने पहले मुझसे फोन से बात की। उसके बाद फिर हम आपस में मिले और उनसे अच्छी पटरी बैठ गई। 


वे मेरी सलाह मानने को तैयार हो गए और उन्होंने फार्मूले में तीन और जड़ी बूटियां मिला दी। 


इससे स्वाति की स्थिति फिर से स्थिर हो गई और वह अपने रोजमर्रा के कार्यों में व्यस्त हो गई। 


वैद्य ने मुझसे कहा कि आप अपना मेडिसिनल राइस चाहें तो उन्हें दे सकते हैं।  इसकी मेरी दवाओं के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। आप इसे देंगे तो निश्चित ही उन्हें लाभ होगा।


 उस समय से उनको हर महीने मेडिसिनल राइस भिजवाने का कार्यक्रम चलता रहा जो आज तक जारी है।


 कुछ समय पहले स्वाति का फिर से फोन आया तो मैंने उनके वैद्य से उनकी बिगड़ती हालत के बारे मे बात की।


 उनको भी इस बात का आश्चर्य था कि अचानक से यह कैंसर कैसे तेजी से फैल रहा है। हम लोगों ने बहुत विचार मंथन किया पर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सके। 


अंत में यही सुझाव दिया कि उन्हें अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। 


अगर विश्वास हो तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर विश्वास कर लेना चाहिए। स्वाति इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।


 कुछ महीने पहले जब मैं उन्हें मेडिसिनल राइस का पार्सल भेज रहा था तब उनके बदले हुए पते को देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। जब फोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने घर बदल लिया है।


 पहले वह किराए के मकान पर थी अब यह उनका अपना घर है। 


मैंने अपने मैप में उनके घर का लोकेशन देखा और आसपास का जायजा लिया तो मुझे कैंसर के तेजी से बढ़ने का कारण मिल गया।


उन्होंने जिस इलाके में नया घर लिया था वह वास्तव में ग्रेनाइट हब था। चारों ओर ग्रेनाइट और मार्बल की दुकानें थी और वही इनकी कटाई छटाई भी होती थी।


 आधुनिक विज्ञान इस बात को सिद्ध करता है कि ग्रेनाइट से निकलने वाली गैस जो कि वास्तव में ग्रेनाइट के अपरदन से निकलती है बहुत तरह के कैंसर को फैलने में मदद करती है इसलिए हमेशा ग्रेनाइट हब शहर से बाहर बनाए जाते हैं।


पर इसमें हब की क्या गलती जो शहर फैलते फैलते उनके पास तक आ जाते हैं। 


जब मैंने यह बात स्वाति को बताई तो उन्होंने बताया कि उनके पति ग्रेनाइट और मार्बल के फैन हैं और घर भर में भी उन्होंने इन्हें लगाया है।


 यह तो गरीबी में आटा गीला वाली बात थी।


 मैंने उन्हें सलाह दी कि वे 10-15 दिनों के लिए अपने ग्रेनाइट के ताबूत से बाहर निकल जाए तो इससे निश्चित ही उनकी स्थिति में सुधार होगा और कैंसर का फैलाव रुकेगा।


 स्वाति ने बताया कि हम लोग पास की पहाड़ियों में समय बिताने के लिए जा रहे हैं और फिर देखते हैं कि आपकी बात कहां तक सही निकलती है। 


इस बीच लॉक डाउन हो गया और स्वाति अपने घर में ही फंसी रह गयी। 


एक बात अच्छी हुई।


 लाकडाउन होने से हब पूरी तरह से बंद हो गया। अब उन्हें बाहर से कोई खतरा नहीं था। 


घर में फैल रही गैस उनके लिए हानिकारक हो सकती थी। 


मैंने यह बात उनके वैद्य को बताई और हम लोगों ने मिलकर एक नया फार्मूला बनाया जो कि इस तरह की गैसों से होने वाले नुकसान से शरीर को बचाता है। 


स्वाति को यह भी बताया कि वह उन कमरों में किस तरह से प्रकाश की व्यवस्था करें और हवा का संचरण बनाएं जिन कमरों में ग्रेनाइट और मार्बल का प्रयोग किया गया है। 


हमारी सलाह रंग लाई और उनकी तकलीफों में काफी कमी आ गई। 


हाथ की सूजन और हाथ का दर्द दोनों ही पूरी तरह से ठीक होने लगे पर यह समस्या का स्थाई समाधान नहीं था क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से ग्रेनाइट हब खुल जाएगा और वहां आसपास रहने वाले कैंसर के रोगियों की जान पर बन आएगी।


 ग्रेनाइट और मार्बल से कैंसर के फैलाव की घटनाओं पर मैंने कई बार अलग-अलग माध्यमों से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं पर फिर भी किसी पर इसका असर होता दिखता नहीं है। 


पूरे के पूरे ग्रेनाइट हब को हटाना किसी भी स्थान से संभव नहीं है इसलिए बेहतर होगा कि कैंसर के मरीज जिन्हें ग्रेनाइट और मार्बल से समस्या हो रही है उन्हें उस स्थान से तुरंत ही हट जाना चाहिए। 


इसी में उनकी भलाई है। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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