Consultation in Corona Period-35

Consultation in Corona Period-35



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"क्या आपके पास धतूरे के विष का एंटीडोट है? एक केस में आपकी मदद की जरूरत है।"


ऐसा फोन मुंबई के एक अस्पताल से आया और उन्होंने पूछा कि आपकी फीस क्या है?


मैंने कहा कि मेरी फीस के बारे में विस्तार से मैं आपको बता देता हूं। आप जब भी मुझसे बात करना चाहे मेरी फीस जमा कर दें फिर 20, 40 या 60 मिनट का समय ले ले और मुझसे बात कर ले। 


उन्होंने अपनी सहमति जताई और मुझे केस के बारे में विस्तार से बताया।


 उन्होंने बताया कि स्थानीय व्यापारी की 25 वर्ष की लड़की पिछले कई हफ्तों से कोमा में है। उसके पिता उसकी शादी कहीं और कराना चाहते थे पर यह लड़की उसके लिए तैयार नहीं थी तब पिता ने किसी तांत्रिक का सहारा लिया और उसे विष दे दिया ताकि उसकी मृत्यु हो जाए और पिता की साख पर कोई धब्बा न लगे।


 जब अर्धमूर्छित अवस्था में लड़की को हमारे पास लाया गया तो हमें यह तो पता लग गया था कि इसे जहर दिया गया है।


 हमने पूरे शरीर की सफाई की। उसके बाद लड़की अचेत हो गई और अब अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। 


यह एक पुलिस केस है।


 हम तांत्रिक का इंतजार कर रहे हैं जोकि फरार हो गया है। उसी से पता चल सकता है कि उसने उसे कौन सा विष दिया था और उसी आधार पर फिर उपचार किया जा सकता है। 


उसके पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है पर उसे यह नहीं मालूम कि कौन सा विष दिया गया है। 


वह बार-बार कह रहा है कि यह धतूरे का विष है। हमने धतूरे के विष को खत्म करने के सारे उपाय कर लिए हैं पर किसी की तरह से लाभ नहीं हो रहा है इसलिए हमने आपसे संपर्क किया है। 


शायद आप बता सके कि धतूरे का बीज अगर अधिक मात्रा में शरीर मे जाए तो उसे कैसे निष्प्रभावी किया जा सकता है। 


मैंने पूरी रिपोर्ट मंगाई और विस्तार से अध्ययन किया। 


लड़की का वीडियो भी मंगाया और उसकी चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों से विस्तार से बात की। 


मैंने उन्हें बताया कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में जयंती नामक मेडिसिनल राइस का प्रयोग ऐसी अवस्था में किया जाता है और यह मेडिसिनल राइस आपको दक्षिण भारत में मिल जाएगा। आप उस का प्रबंध कर लें। 


मैं आपको इसके उपयोग की विधि विस्तार से बता देता हूं। मुझे उम्मीद है यदि यह धतूरे का विष होगा तो एक हफ्ते के अंदर पूरी तरह से शरीर से निकल जाएगा और लड़की की हालत में सुधार होगा। 


जैसा कि आपको पता है कि मैं चिकित्सक नहीं हूं। शोधकर्ता हूं। इसलिए इस विषय में कुछ भी फैसला लेने से पहले आप अच्छे से विचार कर ले और उसके बाद ही फैसला लें।


 तीन-चार दिनों बाद उनका फोन आया है कि उन्होंने बहुत कोशिश की पर दक्षिण भारत से इस मेडिसिनल राइस की उपलब्धता नहीं हो रही है तब मैंने उनसे कहा कि वे नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, कटक में संपर्क करें। 


हो सकता है कि उनके पास ये राइस हो।



 उन्होंने वहां संपर्क किया तो वहां से जवाब मिला कि इस नाम का मेडिसिनल राइस उनके पास नहीं है। मैंने अपने वैज्ञानिक मित्र से बात की जो कि उस संस्थान से जुड़े हुए हैं। 


उन्होंने कहा कि सचमुच इस नाम का मेडिसिनल राइस यहां उपलब्ध नहीं है तब मैंने उन्हें देश के विभिन्न भागों में इस मेडिसिनल राइस के 16 प्रचलित नामों की सूची भेजी। 


उनमें से एक नाम उनके डेटाबेस से मैच कर गया और उन्होंने कहा कि यह राइस उनके पास है पर इतनी अधिक मात्रा में नहीं है कि उसे वे किसी को दे सकें। 


मैंने अपने किसानों से बात की। उत्तर भारत के एक किसान के पास थोड़ी मात्रा में वह चावल उपलब्ध था और अच्छी बात यह थी कि वह इसे देने के लिए तैयार हो गया। 


इस तरह कोमा में पड़ी लड़की की चिकित्सा शुरू हो गई।


 एक हफ्ते बाद डॉक्टरों ने बताया कि लड़की की हालत में जरा भी सुधार नहीं हुआ है तब मैंने कहा कि अगर धतूरे का विष होगा तो यह मेडिसनल राइस अवश्य काम करेगा पर अगर यह धतूरे का विष नहीं होगा तो इसका कोई असर नहीं होगा। 


अगर आप चाहे तो पारंपरिक विधि से इस बात का परीक्षण किया जा सकता है कि इस लड़की को कौन सा विष दिया गया है। 


वे इस बात के लिए तैयार हो गए।


 मैंने उन्हें बताया कि जिस तरह के लक्षण आपने बताएं हैं वैसे लक्षण 35 प्रकार के विषों के कारण आते हैं। मैं आपके लिए 35 प्रकार के लेप बनाकर तैयार कर देता हूं।


 प्रतिदिन दो लेप को आप पैरों में लगाकर लक्षण देखें और उसके आधार पर निश्चय करें कि कौन सा विष इस लड़की को दिया गया है।


 यह एक लंबी प्रक्रिया थी।


 लेप बनाने में एक हफ्ते की कड़ी मेहनत लग गई और साथ ही इसका परीक्षण किया गया तो 20 दिनों का समय लग गया। 


अच्छी बात यह रही कि तीन प्रकार के विष की पहचान हुई। इन्हें मिलाकर लड़की को दिया गया था।


ये विष नर्वस सिस्टम को बुरी तरह से खराब करते हैं और बहुत कम मामलों में रिकवरी हो पाती है। इससे लगता है कि तांत्रिक बड़ा खुराफाती रहा होगा। 


डॉक्टरों ने अपने संदर्भ साहित्य का सहारा लिया और दुनिया भर में अपने संपर्कों से कहा कि इन तीन प्रकार के विषों को कैसे समाप्त किया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से बताएं।


 जितनी जानकारी उन्हें मिली है उसके आधार पर चिकित्सा करना संभव नहीं था। मेरे डेटाबेस में भी इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।


 मैंने पारंपरिक चिकित्सकों से परामर्श लेना ही उचित समझा। बहुत से पारंपरिक चिकित्सकों ने बताया कि दक्षिण भारत में एक वयोवृद्ध पारंपरिक चिकित्सक हैं जो इस प्रकार के विष की चिकित्सा करते हैं। 


कुछ ने आशंका जाहिर की कि वे शायद अब दुनिया में नहीं है पर फार्मूला आपको उनके लड़के के पास से मिल जाएगा। संभवत: वह आपको जानता हो इसलिए आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।


पारम्परिक चिकित्सक के लड़के से संपर्क किया और उसने खुशी खुशी वह फार्मूला मुझे दे दिया। यह बड़े आश्चर्य की बात थी क्योंकि उस फार्मूले को बनाने में 10 वर्षों की मेहनत लगती है। यह गुप्त ज्ञान है और पारंपरिक चिकित्सक बड़ी मुश्किल से इसे किसी को देते हैं। 


मुश्किल से देने का कारण यह भी है कि इसे एक विशेष प्रकार की विधि से दिया जाता है जिसके बारे में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान बहुत कम जानकारी रखता है। 


इस विधि के अलावा इसे दूसरी विधि से देने का कोई विकल्प नहीं है और इसका प्रयोग केवल ऊपर वर्णित तीन प्रकार के विष की चिकित्सा के लिए ही किया जाता है। 


Vaginal Drug Delivery आधुनिक मेडिकल साइंस के लिए टेढ़ी खीर है । पारंपरिक चिकित्सा में पीढ़ियों से इसका प्रयोग होता रहा है। इस विधि में वजाइना की सहायता से दवा शरीर के अंदर पहुंचाई जाती है। 


इससे नैनो विज्ञान भी जुड़ा हुआ है। इसी विज्ञान के कारण इस फार्मूले को बनाने में बहुत मेहनत लगती है और 10 वर्षों का लंबा समय लगता है पर यह फार्मूला सटीक होता है और बेहद कारगर होता है। 


मैंने डॉक्टरों को इस बारे में विस्तार से बताया। उन्हें आश्चर्य हुआ कि Vaginal Drug Delivery का यह गूढ़ विज्ञान हमारे देश में जाने कब से उपयोग किया जा रहा है। वे इस विधि को अपनाने के लिए तैयार हो गए। 


उपचार शुरू हुआ और जल्दी ही सुधार के लक्षण दिखने लगे।


जब लड़की को होश आया तो उसे इस बात का विश्वास ही नहीं हुआ कि उसके पिता ने ही उसे मारने की कोशिश की थी।


 अभी उसने इस संसार को जाना ही कितना था।


सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)