Consultation in Corona Period-32

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"थाईलैंड के एक सुनसान बीच में एक 20 वर्षीय युवती की लाश मिली है। उसके शरीर पर एक भी कपड़े नहीं थे और उसके साथ कई बार बलात्कार किए जाने के निशान हैं। 


उसने बहुत अधिक मात्रा में शराब पी रखी थी। हमारी पुलिस इस घटना की जांच कर रही है।


 मुझे बतौर विशेषज्ञ नियुक्त किया गया है। आपको फिर एक बेटी की मदद करनी है। एक बेटी की मदद तो आप पहले ही कर चुके हैं।" 


थाईलैंड के पुलिस जासूस का यह संदेश मुझे जब मिला तो मै हमेशा की तरह परामर्श में व्यस्त था। 


मैंने सब काम छोड़ कर उस संदेश का जवाब दिया कि मैं इस केस में थाईलैंड पुलिस की मदद करने के लिए तैयार हूं। मुझे विस्तार से इस बारे में बताया जाए। 


थाईलैंड के पुलिस विभाग के जासूस के लिए मैं यहां "जासूस मित्र" शब्द का प्रयोग करूंगा क्योंकि बहुत साल पहले वे अपनी छोटी बेटी को भारत लेकर आए थे। उनकी बेटी को दिमाग की बीमारी थी। 


मैं उन्हें लेकर पारंपरिक चिकित्सक के पास गया था और बाद में जब उन्हें लाभ नहीं हुआ तो मेरे ज्ञान के माध्यम से बेटी को राहत मिली थी। तब से उनसे लगातार संपर्क होता रहता है। 


पहली बार जब वे आये थे तो मैंने फीस ली थी पर उसके बाद से इतनी घनिष्ठता हो गई कि अब उनसे फीस लेने का मन नहीं करता है।


 यह केस थाईलैंड पुलिस का था इसलिए मुझे फीस लेनी चाहिए थी पर अगर यह केस सुलझ जाता तो मेरे जासूस मित्र को ही लाभ होता इसलिए मैंने फीस की बात नहीं की। 


मुझे मालूम था कि एक बार सफलता मिलने पर जासूस मित्र कुछ न कुछ प्रबंध अवश्य कर देंगे।


 बहरहाल केस पर वापस आते हैं।


 20 वर्षीय युवती का मामला हत्या का मामला दिखता था। जासूस मित्र ने बताया कि इस प्रकार की हत्या थाईलैंड में सामान्य घटना है पर उन्हें लगता है कि इस घटना में मौत का कारण मारपीट या बलात्कार न होकर शराब में मिलाई गई कोई जहरीली सामग्री है इसलिए उन्होंने मेरी सेवा लेने का निश्चय किया। 


वे चाहते थे कि मैं उन्हें जल्दी से जल्दी कुछ वनस्पतियों के नाम बताऊँ ताकि वे पोस्टमार्टम प्रक्रिया के दौरान सैंपल लेने में कहीं चूक न जाए।


 मैंने लाश का वीडियो मंगाया और उसका अध्ययन किया। लाश औंधे मुंह पड़ी हुई थी। 


शरीर में ऐसी कोई विशेष निशान नहीं दिखते थे जिससे बताया जा सके कि किस वनस्पति के कारण शरीर में ये लक्षण आए हैं।


 मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे जीभ की फोटो भेजने का कष्ट करें। जीभ की दोनों सतहों की तस्वीर और वीडियो मेरे पास आ गए।


 मैंने उन्हें बताया कि जीभ के पैटर्न को देखकर लगता है कि तीन प्रकार की वनस्पतियों के विष के कारण ऐसा हुआ होगा।


ये तीनों प्रकार की वनस्पतियां थाईलैंड में नहीं पाई जाती है बल्कि भारत में पाई जाती है। यह बात अलग है कि इन्हें हत्या के उद्देश्य से थाईलैंड ले जाया गया हो। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या जीभ में किसी तरह का रसायन लगाकर एक छोटा सा परीक्षण किया जा सकता है? क्या इसकी अनुमति है? 


तो उन्होंने कहा हां, इसकी अनुमति है। मैंने उन्हें पांच जड़ी बूटियों का एक मिश्रण बताया जो कि थाईलैंड में उपलब्ध था। 


उनसे अनुरोध किया कि इन जड़ी-बूटियों को दूध में मिलाकर जीभ में लगाएं और 5 मिनट में होने वाली प्रतिक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग कर मुझे भेजें। 


जब उनका वीडियो आया तो सारी बात साफ हो चुकी थी। 


मैंने उन्हें बताया है कि थाईलैंड के दलदली इलाकों में होने वाली एक वनस्पति का प्रयोग किया गया है इस हत्या के लिए। पहले भी इसका प्रयोग होता रहा है।


 इस वनस्पति की जड़ का प्रयोग होता है और ताजी जड़ का रस शराब में मिलाकर पिला दिया जाता है।


 इसका असर 2 से 3 घंटे बाद होता है और रस की कुछ बूंदे ही काम तमाम करने के लिए पर्याप्त होती हैं। 


जासूस मित्र को सूत्र मिल गया था। उन्होंने ताबड़तोड़ छापे मारे उन स्थानों पर जहां जहां रात को यह युवती गई थी और जल्दी ही उन्हें एक बार में वह वनस्पति मिल गई। 


उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस वनस्पति का पहले भी प्रयोग किया गया है और इससे बहुत सारी पुरानी अनसुलझी गुत्थियों के सुलझने का अनुमान है। 


मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि पोस्टमार्टम में किन अंगों के नमूने लेने से प्रयोगशाला में आसानी से इस विष को पहचाना जा सकता है और फिर अदालत में हत्या की असली वजह को प्रमाणित किया जा सकता है। 


युवती का चेहरा दिन भर मेरे दिलो-दिमाग पर घूमता रहा और मैं सोचता रहा कि अगर मेरी कोई बेटी होती तो शायद इसी उम्र की होती। मन आक्रोश से भर गया।


यहां मैं बताना चाहूंगा कि दुनिया भर में बलात्कार की बढ़ती हुई घटना के मद्देनजर हम लोगों ने एक रसायन विकसित किया था जो इन बच्चियों के बहुत काम आ सकता था विशेषकर बलात्कार से बचने के लिए। 


यदि गलती से भी वह केमिकल मानव लिंग में लग जाता था तो तुरंत ही वह निस्तेज होकर शांत हो जाता था। वह व्यक्ति एक महीने के लिए पूरी तरह से नपुंसक हो जाता था।


 एक महीने में वह इसका उपचार नहीं कराता था तो फिर वह आजीवन नपुंसक रहता था। इसका एंटीडोट भी हमने विकसित किया था। 


इस रसायन को इतना अधिक सुरक्षित बनाया था कि इसे योनि में लगाने पर उसके उत्तकों को किसी भी प्रकार की क्षति न हो अर्थात बच्चियां सुरक्षित रहें और कामुक व्यक्ति जरा से स्पर्श से ही सारा आवेश खो बैठे। 


हम अब इसके पेटेंट की तैयारी कर रहे हैं। जान पहचान के बहुत सारे लोगों को इसे आजमाने को हमने दिया और इसके बड़े अच्छे परिणाम निकले।


 पहले हमने इसमें तेज गंध का प्रयोग किया जिससे कि कामुक व्यक्ति अपने आप ही इस अंग से दूर हो जाए पर बाद में हमने गंध के स्थान पर सुगंध का प्रयोग किया ताकि कामुक व्यक्ति को किसी भी प्रकार का शक न हो। 


हमने ज्यादा इस बारे में प्रचार नहीं किया क्योंकि अगर यह किसी अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति के हाथ लग जाता तो इसका दुरुपयोग भी होने की संभावना थी और अगर प्रभावित व्यक्ति एक महीने के अंदर इसका एंटीडोट नहीं लेता तो उसके जिंदगी भर नपुंसक हो जाने की संभावना थी। इस कारण कई मासूम जिंदगियाँ बर्बाद हो सकती थी। 


यहां पर मुझे The Legend of Vagina dentata की भी याद आ रही है। 


गुलाम भारत मे दशकों पहले अंग्रेज शोधकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में आकर एक ऐसे अजीबोगरीब केस के बारे में लिखा था। 


इसमें किसी महिला के वजाइना में दांत का जिक्र किया गया था। पहले पहल इसे अंधविश्वास माना गया पर बाद में विज्ञान ने इसे सिद्ध किया कि यह एक मेडिकल कंडीशन (Para Vaginal Dermoid Cyst) है।


 ऐसा दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में देखा गया है और यह संसार मे पुरुषों में स्त्रियों के प्रति डर का प्रतीक है। 


यह एक दुर्लभ घटना है पर यह अंधविश्वास नहीं है।


 मैंने इस पर विस्तार से बहुत शोध किया है और यदि आप इंटरनेट पर Vagina Dentata और Pankaj Oudhia खोजेंगे तो आपको इस बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। 


छोटी बच्चियों पर हो रहे अत्याचार को देखकर मुझे बार-बार यही लगता है कि मेडिकल साइंस यदि अपनी किसी नई तकनीक से वेजाइना में दांत उगाने का सुरक्षित प्रयास कर सकता है तो अवश्य करें ताकि बलात्कारी को तगड़ा सबक उसी समय सिखाया जा सके।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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