Consultation in Corona Period-37

Consultation in Corona Period-37



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"मैं एक मोटिवेशनल स्पीकर हूं और अपने शिष्यों को दुनिया भर में ब्रह्मचर्य का पालन करने की शिक्षा देता हूं।


जब उन्हें पता चलेगा कि मुझे पेनाइल कैंसर हो गया है तो कितनी शर्म की बात होगी।


 वे तरह-तरह की बातें करेंगे और कहेंगे कि खुद तो ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं और दूसरों को ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह देते हैं।


 यह कैंसर इतना अधिक बढ़ गया है कि अब डॉक्टर सर्जरी करने की बात कर रहे हैं।


 मेरे लिंग का 75% हिस्सा काट दिया जाएगा क्योंकि कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगा है। 


अभी तक के ये बात मैंने दूसरों से छुपा कर रखी थी पर अगर ऑपरेशन हुआ तो यह सब को पता चल जाएगा। 


क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं? क्या इसे आप पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं?"


 जब यह फोन मेरे पास आया तो मैंने उनसे कहा कि आप प्रक्रिया का पालन करें और फीस जमा करके कुछ समय लेकर बात करें। 


उन्होंने 10 मिनट के अंदर ही फीस जमा करके उसी दिन का समय मांगा। 


मैंने उनसे कहा कि आप अपनी सारी रिपोर्ट भेजें। मैं उनका अध्ययन करूंगा। उसके बाद ही आपको बता पाऊंगा कि मैं आपकी किस तरह से मदद कर सकता हूं।


 आप यह भी बताएं कि आप कौन कौन सी दवा ले रहे हैं और आपने इसका उपचार कहां कहां कराया है और यह कैंसर आपको कब से है? 


पहली बार इसके बारे में कब पता चला? 


उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं। किसी भी सेक्सुअल एक्टिविटी में भाग नहीं लेते हैं।


 परिवार से दूर रहते हैं और चौबीसों घंटे अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य का पालन करने की शिक्षा देते हैं। 


उन्होंने बताया कि पांच वर्ष पूर्व लिंग में गठान हो गई। इसे सेक्सुअल डिजीज कहकर चिकित्सक इलाज करते रहे।


 जब यह लाइलाज हो गया तब उन्होंने कैंसर की जांच कराने को कहा। तब तक कैंसर बहुत अधिक फैल चुका था। 


मुझे बार-बार यही कहा गया कि परस्त्री गमन के कारण आपको यह रोग हुआ है जो कि बाद में कैंसर में परिवर्तित हो गया है।


 10 वर्ष पूर्व मैं गृहस्थ हुआ करता था पर परस्त्री गमन मैंने कभी नहीं किया। डॉक्टर यह मानने को तैयार नहीं है।


 उन्होंने बताया कि उन्हें डायबिटीज है और कभी-कभी रक्तचाप की समस्या भी होती है। 


थायराइड की समस्या थी जो पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। वे नियमित जीवन जीते हैं।


 रात को उन्हें अच्छी नींद आती है पर लिंग में दर्द के कारण ठीक से नहीं सो पाते हैं।


 बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि वे सफेद मूसली पर आधारित एक फार्मूला ले रहे हैं जिसमें 14 प्रकार की दूसरी जड़ी बूटियां भी है पर सबसे अधिक मात्रा में सफेद मूसली ही है।


 मैंने उनसे प्रश्न किया कि जब आप ब्रम्हचर्य का पालन कर रहे हैं तो पिछले बीस सालों से सफेद मूसली का नियमित सेवन क्यों कर रहे हैं? 


उन्होंने कहा कि भले ही मैं ब्रह्मचारी हूं पर मेरे सेक्स पावर का बना रहना जरूरी है ताकि शरीर के दूसरे अंग ठीक से काम कर सके। 


इसलिए मैं पिछले बीस वर्षों से इस फॉर्मूलेशन का प्रयोग कर रहा हूं और अपने आप को बहुत फिट महसूस करता हूं। 


उनकी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद मैंने उनसे कहा कि मामला बहुत गंभीर है और डॉक्टर ठीक कह रहे हैं कि आपको सर्जरी की आवश्यकता है अन्यथा यह कैंसर पूरे शरीर में फैल जाएगा और आपकी मौत भी हो सकती है।



आप सफेद मूसली का जो फॉर्मूलेशन उपयोग कर रहे हैं उसके बारे में मुझे  विस्तार से जानकारी दीजिए।


 उन्होंने बताया कि यह बाजार में उपलब्ध है और इसकी बाजार में जबरदस्त मांग भी है।


 मैंने बताया कि मैं चिकित्सक नहीं हूं। कैंसर की बढ़ी हुई अवस्था की चिकित्सा नहीं कर सकता। हां, यदि आप चाहे तो मैं इस कैंसर को फैलने से रोक सकता हूं।


 मैंने उन्हें परामर्श दिया कि वे सफेद मूसली के फार्मूलेशन का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक दें। उसके बाद फिर से जांच करवाएं तो उन्हें पता चलेगा कि कैंसर का फैलाव पूरी तरह से रुक गया है। 


उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि सफेद मूसली जिसे पीढ़ियों से रसायन के रूप में जाना जाता है, के कारण क्यों उनका कैंसर फैल रहा है।


 मैंने उन्हें समझाया कि जंगल में होने वाली सफेद मूसली सबसे अच्छी गुणवत्ता की होती है पर जंगल में उगने वाली सफेद मूसली के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब उसकी पत्तियां झड़ जाती है तो वह जंगल में कहां पर उपस्थित है इसका पता नहीं लगता है।


इसलिए आदिवासी इसे उस समय एकत्र कर लेते हैं जबकि इसमें पत्तियां लगी रहती है। फिर उसे पास की दुकानों में बेच देते हैं और उसके बदले में राशन ले लेते हैं।


 इस अवस्था में मूसली कच्ची अवस्था में रहती है जो कि बहुत नुकसानदायक है। उसमें वे गुण नहीं पाए जाते हैं जो कि पकी मूसली में पाए जाते हैं। 


अधपकी मूसली के लगातार उपयोग से गम्भीर प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिसमें कई प्रकार के कैंसर भी सम्मिलित है। लिंग के कैंसर को तो यह विशेष तौर पर तेजी से फैलने में मदद करती है।


 इसमें प्राकृतिक रूप से सैपोनिन पाया जाता है। इसका लम्बे समय तक प्रयोग शरीर में कई तरह के विकार उत्पन्न करता है। 


सैपोनिन की देसी और विदेशी दवाओं के साथ विपरीत प्रतिक्रिया होती है और तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं इसलिए इस तरह की मूसली का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक बिल्कुल ही मना कर देते हैं। 


वे जब अपनी चिकित्सा में मूसली का प्रयोग करते हैं तो जंगल में जिन स्थानों पर सफेद मूसली उग रही होती है वहां पर वे निशान लगा देते हैं और फिर जब पत्तियां झड़ जाती और कंद पूरी तरह से पक जाते हैं तब उसे जाकर एकत्र कर लेते हैं। 


उन्हें इस बात में ज्यादा दिक्कत नहीं होती क्योंकि उन्हें कम मात्रा में इसकी आवश्यकता होती है और कम मात्रा में सफेद मूसली को एकत्र करने के लिए जंगल में निशान लगाये जा सकते हैं पर यदि आपको ट्रकों सफेद मूसली का एकत्रण करना हो तो निशान लगाना संभव नहीं है।


 सफेद मूसली से दवा निर्माण करने वाली कंपनियां पारंपरिक चिकित्सकों से सफेद मूसली नही खरीदती है बल्कि उन लोगों से खरीदती है जिनको यह नहीं मालूम कि कच्ची मूसली नुकसानदायक होती है। 


जब सफेद मूसली की खेती की जाती है तो इससे अच्छे से पकी हुई मूसली प्राप्त होती है। पर खेती से सफेद मूसली की गुणवत्ता बहुत कम हो जाती है और इसकी कीमत बहुत बढ़ जाती है जिसके कारण व्यापारी इसे खरीदना पसंद नहीं करते हैं। 


सफेद मूसली का प्रयोग हमेशा दवा के रूप में करना चाहिए न कि भोजन के रूप में।


 यदि आपको सेक्स से संबंधी कोई समस्या आती है तो आप 10 से 15 दिन या ज्यादा से ज्यादा 20 दिन तक इसका उपयोग कर सकते हैं।


 उसके बाद समस्या में सुधार हो तो इसका उपयोग बंद कर दें न कि उसे सालों तक लगातार लेते रहते हैं और अगर लाभ नहीं हो तो फिर इसका प्रयोग नहीं करें। 


भोजन की तरह से लंबे समय तक प्रयोग करने से आपके शरीर को बहुत क्षति हुई होगी और इसी कारण आपका यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता जा रहा है ऐसा प्रतीत होता है।


यह अच्छी बात है कि देश के पारंपरिक चिकित्सकों के पास ऐसे सैकड़ों फार्मूलेशन हैं जिनका प्रयोग कच्ची सफेद मूसली से होने वाले नुकसान से बचाने में समर्थ है।


मैं आपको सलाह दे रहा हूं कि आप इसका प्रयोग रोक दें।


 मैंने हजारों ऐसे मामले देखे हैं जिसमें कच्ची सफेद मूसली के कारण कैंसर का तेजी से फैलाव होता है और स्थिति हाथ से निकल जाती है।


बीस दिनों के बाद जब उन्होंने मुझसे फिर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि अब कैंसर का फैलाव बहुत कम हो गया है और शरीर में बल बहुत बढ़ गया है।


 उन्हें ऐसा लगता है कि उनका शरीर अब कैंसर से ज्यादा प्रभावी तरीके से लड़ सकता है।


 डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी है कि सर्जरी के लिए कुछ समय तक रुक सकते हैं। उन्होंने 3 महीनों का समय दिया है।


 मैंने उन्हें परामर्श दिया कि वे झारखंड में मेरे किसान के पास जाएं और वहां से भागीरथी भोग नामक मेडिसनल राइस लेकर आएं।


 भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में इस मेडिसनल राइस का प्रयोग लिंग कैंसर के फैलाव को रोकने के लिए किया जाता है। 


यद्यपि इसका प्रयोग कैंसर की आरंभिक अवस्था में किया जाता है पर मुझे लगता है कि अंतिम अवस्था में भी इसका कुछ तो असर होता है। 


जब आप उन किसान के पास जाएंगे तो वे आपको गांव के पारंपरिक चिकित्सक के पास लेकर जाएंगे। 


वे आपको एक लकड़ी की बनी प्याली देंगे।


 उसे भी आप ले आइयेगा।


 उस प्याली में रोज आपको रात को पानी  डालकर रखना है और सुबह उस पानी को पीना है। इससे उस मेडिसिनल राइस का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाएगा।


 मैंने उनसे कहा कि डरने की जरूरत नहीं है। 


 यदि आप से कोई पूछे कि आपको यह कैंसर क्यों हो गया तो आप बताइएगा कि मेरी गलती से यह हुआ है। 


मैं बिना किसी की सलाह से अपने मन से अधपकी सफेद मूसली का प्रयोग कर रहा था जिसके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई। 


इसका परस्त्री गमन से कोई लेना देना नहीं है।


 उन्होंने धन्यवाद दिया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)