किडनी रोगों में कोदो नशा जब करे, देसी बूटियों से काट तब करें

किडनी रोगों में कोदो नशा जब करे,  देसी बूटियों से काट तब करें

पंकज अवधिया

हाँ मुझे याद आ गया. आपने दो साल पहले टेलीफोन पर चर्चा की थी. आपकी दोनों किडनी फेल होने के कगार पर थी और आप व्यापारिक व्यस्तताओं के चलते डायलीसिस के चक्कर में नही पड़ना चाहते थे. किडनी की समस्या के कारण आपके शरीर में फोड़े हो रहे थे और आपके चिकित्सक आपको लगातार डायलीसिस करवाने पर जोर दे रहे थे.

मुझे यह भी याद आता है कि आपने पहले दिन चार घंटे तक फोन में बात करने का समय लिया था फिर दूसरे दिन आपने कांफ्रेंसिंग के जरिये मुम्बई के पांच नेफ्रोलाजिस्ट से बात करवाई थी जो आपलो देख रहे थे. हमने आपसी सहमती से आपको कोदो (Kodo Millet) पर आधारित नुस्खा लेने का सुझाव दिया था. आपको इस नुस्खे को पूरा करने के लिए मणिपुर से लेकर केरल और छत्तीसगढ़ से घटकों का प्रबंध करना पड़ा.

आपने बताया था कि वस्त्र उद्योग से जुड़े हुए हैं और दुनिया भर के बड़े निर्यातकों में से एक है. आपने फिर दो वर्षों तक सम्पर्क नही किया. अब आप बता रहे थे हैं कि दोनों किडनी अभी तक ठीक से काम कर रही है. फोड़े ठीक हो गये हैं और डायलीसिस की जरुरुत नही पडी. आप दो वर्षों से उसी नुस्खे का प्रयोग कर रहे हैं. यह अच्छी खबर है पर यदि आपने बीच में सम्पर्क किया होता तो नुस्खे को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ उपाय करता.

अब आप की समस्या कुछ दूसरी है.  आपने बताया कि अब कोदो के प्रयोग से आपको नशा होने जैसा लगता है जिससे आप नुस्खे की पूरी अनुमोदित मात्रा नही ले पाते हैं.

आप महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों से कोदो लेकर उपयोग करते रहे हैं. आपको ज्ञात होगा कि पिछले वर्ष बहुत सूखा पड़ा था. यूं तो कोदो की फसल बिना  अधिक देखभाल के हो जाती है पर बहुत अधिक सूखा सहन करने के कारण कोदो में एक विशेष रसायन की मात्रा बढ़ जाती है.
ऐसे कोदो को प्रयोग करने से नशा होने की अनुभूति होती है और अधिक मात्रा में ऐसे कोदो को खाने से जान पर भी बन आती है. आप इसे उगाने वाले किसान से पूछेंगे तो वे बीजों को देखकर और चखकर ही इस बात की पुष्टि कर सकते हैं.

आपने कूष्माण्ड या पेठे का नाम तो सुना ही होगा. हमारे पारम्परिक चिकित्सक बताते हैं कि इसका रस यदि आप लेंगे दिन में एक बार तो आपको तुरंत ही कोदो की विषाक्तता से मुक्ति मिल सकती है. आप डायबीटीक हैं इसलिए मैं आपको आगरे के पेठे खाने की सलाह नही दे रहा हूँ. हां, एक बात और जोड़ना चाहूंगा, पेठे का स्वरस आपकी किडनी के लिए भी उपयोगी है पर लम्बे समय तक इसका प्रयोग न करे.

आपकी फ्लाईट का समय हो रहा है. समय मिले तो “गढ़ कलेवा” से होकर जाइए. आपको वहां छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व्यंजनों का स्वाद मिल जाएगा और आपकी तबियत हरी हो जायेगी. मैं आपके ड्रायवर को पता दे देता हूँ.   


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