जो स्वस्थ जीवन शैली से करे प्यार वो मीठे से कैसे करे इनकार

जो स्वस्थ जीवन शैली से करे प्यार वो मीठे से कैसे करे इनकार

पंकज अवधिया

आम का शानदार मौसम निकल गया और तुम कहते हो कि एक भी आम नही खाया. हाँ मुझे पता है कि जब से तुम्हे अमीरों वाली बीमारी यानी शुगर की बीमारी हुयी है तुमने मीठा खाना एकदम बंद कर दिया है. मीठे से इतना अधिक बचना आरम्भ कर दिया है कि अब तुन मीठा भी न के बराबर बोलते हो. आशा है मीठे पर इस प्रतिबन्ध से तुम्हारी शुगर की बीमारी ठीक हो गयी होगी.

तुमने बताया कि तुम रात को घबराकर बैठ जाते हो. तुम्हे लगता है कि हृदय बराबर काम नही कर रहा है. आखिर रात में इतनी बार घबराकर उठना भला किसे रास आयेगा. फिर दिन भर की व्यापारिक व्यस्तता और फिर व्हाट्सएप पर इतनी सारी जानकारियों को पहले से ही भरकर छलक रहे दिमाग में भरना कोई आसान तो है नही. डाक्टर भी तुम्हारा मर्ज नही पकड़ पा रहे हैं.

तुमने यह भी बताया था कि बचपन में हुआ खुजली वाला रोग फिर से बढ़ गया है. फुल शर्ट पहननी पडती है भरी गर्मी में ताकि कोई जान न ले कि खुजली है. पीठ पर तो खुजली करते करते रिमोट के अक्षर मिटने लगे हैं. मुझे तुम्हारे साथ सहानुभूति है पर मित्र तुम डायबीटीज से इतनी मजबूती से लड़ते हो पर इस हृदय रोग और त्वचा रोग के लिए कुछ नही करते हो.  या शायद करते हो पर इलाज कारगर साबित नही होते हैं. तुमने स्टीराइड के इस्तमाल की बात मुझे बताई थी.

देखों मित्र हमारे प्राचीन ग्रन्थ कहते हैं कि रोज के खाने में कडवा, मीठा, नमकीन सभी होना चाहिए. मीठा पित्त का शमन करता है वही पित्त जिसके कुपित होने के कारण तुम्हे त्वचा रोग हो गया है. मीठा वात को भी शांत करता है जिसके कुपित होने से रात को हृदय की धडकन अनियमित होके तुम्हारी नींद में बाधा डालती है.  मित्र मीठा कफ को बदाता है पर यदि तुन उसे आवश्यक्ता से अधिक खाओगे तब.

मुझे याद है तुम्हारी बात कि तुम मीठे में शक्कर की जगह स्टीविया खाते हो और दावे के साथ कहते हो कि स्टीविया के बारे में आयुर्वेद में कुछ भी बुरा नही लिखा है. मैं तुम्हारी बात से पूरी तरह सहमत हूँ और एक कदम आगे बढकर कहना चाहता हूँ कि स्टीविया के बारे में आयुर्वेद में कुछ बुरा क्या कुछ भी नही लिखा है क्योंकि यह तो पराग्वे की वनस्पति है. आयुर्वेद में केबल भारत की वनस्पतियों के बारे में लिखा है.

आयुर्वेद संयमित मात्रा में गन्ने से बने गुड़ के गुणों का गुणगान करता है जिससे शक्कर बनती है . पर तुम तो स्टीविया के बाजारी नाम मीठी तुलसी को सही मानकर इसे तुलसी की तरह खा रहे हो. स्टीविया का प्रयोग पराग्वे के लोग संभल कर करते है क्योकि उन्हें मालूम है कि किस हद को पार करने के बाद यह जानलेवा साबित होती है.

गन्ने से बने गुड और शक्कर से तुम बचते हो कि इससे डायबीटीज में नुक्सान होगा और फिर विदेशी वनस्पति का विज्ञापन देखकर झट से आँखे बंदकर इसे खा जाते हो. तुम्हारी विद्वता को नमन है मित्र.  

मुझे मालूम है कि तुम आर्टिफिशियल स्वीटनर की बात करोगे जिसके बारे में अब आधुनिक चिकित्सक भी कहने लगे हैं कि इन रसायनों की जगह एक चम्मच शक्कर खा लेना ही सही है.
तो मित्र थोड़ा मीठा खाओ और ज्यादा मीठा बोलो यही अच्छे  स्वास्थ का मन्त्र है डायबीटीज के रोगियों के लिए.    


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