Consultation in Corona Period-175

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"कनाडा के एक बड़े अस्पताल में मैं 20 सालों तक वरिष्ठ सर्जन के रूप में काम करता रहा पर अब मैं नाम का ही सर्जन रह गया हूं क्योंकि पिछले 1 साल से मैंने किसी भी प्रकार की सर्जरी नहीं की है। 1 साल पहले मुझे हृदय की समस्या होनी शुरू हुई जो अब तक जारी है। मेरे हृदय की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ जाती है और बहुत समय के बाद और बहुत कोशिशों के बाद सामान्य अवस्था में आती है। मैंने अपने अस्पताल में ही सभी तरह के परीक्षण करवाए और दुनिया भर के लोग विशेषकर हृदय रोगी हमारे ही अस्पताल में जिन चिकित्सकों से मिलने लंबी यात्रा करके आते हैं उनसे मैं भी मिला। वे सभी मेरे सहकर्मी थे और सभी ने सलाह दी कि यह एक तरह का एंग्जाइटी डिसऑर्डर है और मुझे लंबे समय तक आराम की आवश्यकता है पर मुझे नहीं लगता कि यह किसी तरह का एंग्जाइटी डिसऑर्डर है क्योंकि बाकी सब काम मैं बिना किसी परेशानी से कर लेता हूं।

 मैं किसी से डरता नहीं हूं और किसी से उलझता भी नहीं हूं। मेरी पारिवारिक जिंदगी बेहद शांतिपूर्ण है और मुझे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं है। मैं आधुनिक दवाओं का प्रयोग भी नहीं करता हूं और प्राकृतिक जीवन जीने की कोशिश करता हूं। मैंने एक पहाड़ के ऊपर अपना घर लिया है जहां चारों ओर जंगल है। अस्पताल से अपनी ड्यूटी से लौटने के बाद मैं अपना पूरा समय इसी घर में बिताता हूं। मेरा खानपान बहुत सीधा-सादा है। मैं शराब का प्रयोग नहीं करता हूं और शाकाहारी होने का प्रयास करता हूं। 20 सालों के लंबे कैरियर में एक भी केस मुझसे नहीं बिगड़ा और यही कारण है कि दुनिया भर में मुझे मेरे कार्यों के कारण जाना जाता है। मैं नियमित रूप से योगाभ्यास करता हूं और तरह-तरह की एक्सरसाइज करता हूं।

 सप्ताहांत में मैं टेनिस खेलने जाता हूं फिर इतनी सब सावधानियों के बाद हृदय की गति असामान्य हो जाने की बीमारी मुझे होना आश्चर्य का विषय लगता है। अब तो अपने सहकर्मियों पर ही विश्वास किया जा सकता है जो कि अक्सर कहते हैं कि यह जेनेटिक प्रॉब्लम हो सकता है पर जहां तक मुझे याद है मेरे पिता अंतिम समय तक सक्रिय रहे और हमारे लिए उस दिन भी ताजे फल लेकर आए जिस शाम उनकी मृत्यु हुई। मेरी माता जी अभी जीवित है और उन्हें किसी भी प्रकार का ह्रदय रोग नहीं है।" कनाडा के एक प्रसिद्ध सर्जन ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 वे ऐसे मेडिसिनल राइस के बारे में जानना चाहते थे जिससे उनकी इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सके। उड़ीसा के किसी वैद्य ने उनको ऐसे मेडिसिनल राइस के बारे में बताया था पर वे पूरी जानकारी नहीं दे पाए थे। सर्जन ने बातों ही बातों में बताया कि पिछले 1 साल से वे भारत में रह रहे हैं। उन्होंने अपना जॉब छोड़ दिया है और अपने हृदय की चिकित्सा की तलाश में वे भारत में जगह-जगह पर घूम रहे हैं और लोगों की सलाह ले रहे हैं। उन्होंने बहुत सारे नुस्खे अपनाए, बहुत सारे पारंपरिक चिकित्सकों से मुलाकात की पर उनकी समस्या का किसी भी तरह से समाधान नहीं हुआ। 

मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने बताया कि वे कनाडा के एक आयुर्वेद चिकित्सक से जो कि उनके ही अस्पताल में सेवाएं देते हैं, से कपिकच्छु पर आधारित एक फार्मूला ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे इस फार्मूले का प्रयोग लंबे समय से कर रहे हैं। इस फार्मूले का मुख्य उद्देश्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। 

उन्होंने बताया कि इस फार्मूले में कुल 3 घटक है और इस फार्मूले से उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि आप चाहे तो कनाडा के उस आयुर्वेद चिकित्सक से भी बात कर सकते हैं। 

मैंने जब कनाडा के आयुर्वेद चिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि यह बहुत ही साधारण फार्मूला है और उन्होंने बिना किसी हिचक के पूरी जानकारी मुझे दे दी। मुझे उस फार्मूले में किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया। सर्जन ने यह भी बताया कि वे अश्वगंधा पर आधारित एक और फार्मूला ले रहे हैं जो उन्हें अच्छी नींद लाता है। इस फार्मूले के बारे में भी जब मैंने जानकारी हासिल की तो मुझे इसमें भी किसी प्रकार का कोई दोष नजर नहीं आया। 

जब मैंने उनके खान-पान पर ध्यान दिया तो मुझे पता चला कि वे बड़ी मात्रा में रोजाना फलों का सेवन करते हैं। यह फल ताजे होते हैं और वैदिक विधि से उगाए गए होते हैं। उनकी फलों की लंबी सूची पर मैंने एक सरसरी निगाह डाली और मुझे जल्दी ही समस्या का कारण दिखने लगा। यह संभावित कारण था जिसकी पुष्टि करना जरूरी था। 

जब उन्होंने अगली बार संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि आप केले का प्रयोग अधिक मात्रा में क्यों करते हैं तब उन्होंने कहा कि केला हार्ट के लिए वरदान है। यह हम सब जानते हैं इसीलिए पोटेशियम के प्राकृतिक स्रोत के रूप में केले का प्रयोग पिछले 20 सालों से कर रहा हूं। लोग कहते हैं कि केले के लगातार प्रयोग से कब्जियत की शिकायत हो जाती है पर मुझे इस तरह की कोई शिकायत नहीं हुई।

 मैंने उनसे पूछा कि क्या आप कपिकच्छु पर आधारित फार्मूले का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक सकते हैं तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि एक-दो महीने तक इसका प्रयोग करने के बाद इसके प्रयोग को रोका जा सकता है क्योंकि इसके प्रयोग की अवधि इस कालखंड में खत्म हो जाएगी। 

मैंने सर्जन महोदय को सलाह दी कि वे कुछ समय तक केले का प्रयोग किसी भी रूप में न करें और फिर दो सप्ताह बाद मुझे बताएं। उन्होंने कहा कि मैं आपसे मेडिसिनल रईस के बारे में जानकारी चाहता हूं जो कि मेरी इस समस्या को पूरी तरह से ठीक कर सके। 

मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि आप 15 दिनों तक केले का प्रयोग बंद करके देखें। यदि आप की हालत में किसी तरह का सुधार होता है तो फिर मैं आपको उपयुक्त मेडिसिनल राइस दे पाऊंगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और 10 दिनों के अंदर ही उन्होंने फिर से संपर्क किया और बताया कि अब उनके हृदय की असामान्य गति वाली समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है 

। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि केले के कारण क्या उन्हें यह परेशानी हो रही थी? यदि हां तो वे इतने लंबे समय से केले का प्रयोग कर रहे हैं उन्हें पहले इस तरह की समस्या क्यों नहीं हुई? उन्होंने आधुनिक मेडिकल साइंस के साहित्य का संदर्भ देते हुए कहा कि इसमें कहीं भी नहीं लिखा है कि केले का प्रयोग करने से हृदय की गति असामान्य हो जाती है या इस तरह का कोई रोग हो जाता है। 

मैंने उनके प्रश्नों का अधिक विस्तार से जवाब नहीं दिया और उनसे कहा कि जब आपकी कपिकच्छु वाली दवाई पूरी तरह से बंद हो जाए तब आप मुझसे फिर से संपर्क करिएगा। 

जब 2 महीनों के बाद उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया और वे संतुष्ट हो गए। साथ ही उस समय जब कपिकच्छु के फार्मूले का प्रयोग पूरी तरह से बंद हो गया तब उन्होंने फिर से परामर्श के लिए समय मांगा। मैंने उनसे कहा कि अब आप केले का प्रयोग फिर से शुरू कर सकते हैं। अब इससे आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।

 उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि जिस केले के कारण मुझे समस्या हो रही थी आप कह रहे हैं कि मैं फिर से उसी केले का प्रयोग करना शुरु कर दूं। यह कैसी अटपटी सलाह है? 

मैंने उन्हें अब विस्तार से बताया कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में जब कपिकच्छु के नुस्खे का प्रयोग किया जाता है विशेषकर ऐसे नुस्खों का जिसमें कि कपिकच्छु बहुत अधिक मात्रा में डाला गया हो उस समय पारंपरिक चिकित्सक साफ शब्दों में रोगियों को कह देते हैं कि वे किसी भी हालत में केले का प्रयोग न करें। केले के अलावा भी 10 प्रकार की दूसरी वनस्पतियों के प्रयोग को पूरी तरह से बंद करने की सलाह देते हैं। यह सही है कि आयुर्वेद के ग्रंथों में इस बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है पर पारंपरिक चिकित्सक अपने अनुभव से इस बात को जानते हैं और मैंने उनके इस ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन किया है। इसी आधार पर मैंने केले का प्रयोग पूरी तरह से बंद करवा दिया। इससे आपकी समस्या का समाधान हो गया। 

अब जब आप कपिकच्छु का किसी भी तरह से प्रयोग नहीं कर रहे हैं तब आप फिर केले का प्रयोग शुरू कर सकते हैं। इससे आपको किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।

मैंने उनसे यह भी कहा कि अब आपको किसी तरह के मेडिसिनल राइस की जरूरत नहीं है। आप पूरी तरह से फिट है और वापस जाकर अपना जॉब फिर से ज्वाइन कर सकते हैं।

 मुझे विश्वास है कि आपको सर्जरी करने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी। आपके मरीज बड़ी संख्या में आपका इंतजार कर रहे होंगे। अब समय आ गया है कि आप उन्हें अपनी सेवाएं दें निर्बाध रूप से।

 उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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