Consultation in Corona Period-174

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"लिंग में टेढ़ापन- सड़क के किनारे नीम हकीमों के डेरों में जब भी मैं इस पंक्ति को पढ़ा करता था तो मुझे बड़ा आश्चर्य होता था कि क्या सचमुच यह एक बड़ी समस्या है? 

हमारे शोध संस्थान में एक सज्जन आए जिन्होंने इस पर विशेष काम किया था और जब उन्होंने हमारे संस्थान के अस्पताल में इस तरह की सर्जरी करनी शुरू की जिससे कि लिंग का टेढ़ापन पूरी तरह से दूर हो जाता है तो हमारे यहां रोगियों की बाढ़ आ गई। 

पिछले कुछ सालों में हजारों मामले हमारे पास आए और लगातार आते जा रहे हैं तब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि नीम-हकीमों के डेरों में यह पंक्ति सबसे ऊपर क्यों लिखी रहती है? 

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर पहले तो हमने एक अलग से टीम बनाई फिर उसके बाद हमें एक अलग विभाग खोलना पड़ा जहां अब इस तरह के मरीज ही देखे जाते हैं। इस तरह के मरीजों में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। हमारे सामने सर्जरी का विकल्प होता है। हम पहले उनकी काउंसलिंग करते हैं। उसके बाद फिर सर्जरी करते हैं पर हमने अपने अनुभव से जाना है कि सर्जरी इसका अंतिम विकल्प नहीं है। सर्जरी हर मामले में सफल नहीं होती है और कई बार दो से तीन सर्जरी कराने से लिंग ठीक से काम करना बंद कर देता है। हमारे शोध दल ने अपने अनुभव से यह भी जाना है कि बहुत से मामलों में यह समस्या बाद में लिंग के कैंसर के रूप में विकसित हो जाती है और सर्जरी से भी किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं होता है। इसकी सर्जरी बहुत महंगी होती है और विषय विशेषज्ञ ही इस सर्जरी को कर पाते हैं। 

पेनिस कर्वेचर के कारण होने वाले कैंसर पर हमने एक बड़ी सी शोध टीम बनाई है जिसमें हम आपको बतौर विशेषज्ञ रखना चाहते हैं। हम इस विषय पर भी शोध कर रहे हैं कि क्या ड्रग इंटरेक्शन के कारण भी यह समस्या होती है और यदि हां तो किस तरह की ड्रग का उपयोग करने से इस तरह की समस्या आती है?

अभी मैंने आपसे इसलिए संपर्क किया है क्योंकि मेरे पास दो ऐसे रोगी है जो कि दो बार सर्जरी करवा चुके हैं पर उनकी लिंग की समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हुआ है और उनमें कैंसर जैसे लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं। आप यदि इन रोगियों का पारंपरिक विधि से परीक्षण कर सकें और रोग का कारण बता सके तो यह हमारे लिए एक तकनीकी मार्गदर्शन की तरह होगा। हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

 हम उन दोनों युवकों की रिपोर्ट आपके पास भेज रहे हैं। आप चाहे तो हमारे सर्जन से सीधे बात कर सकते हैं।" उत्तर भारत के एक शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने जब इस समस्या के लिए मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि शायद आप peyronie's disease की बात कर रहे हैं। आपका कहना सही है कि इस रोग के रोगियों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। मेरे पास भी लगभग रोज ही एक केस आता है जो कि इस रोग से संबंधित होता है। 

मेरे पास बहुत से स्पोर्ट्स पर्सन आते हैं विशेषकर एथलीट जिन्हें यह समस्या होती है। उन्होंने अपने शरीर के साथ ज्यादती की होती है और उनके ये विशेषांग बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। उन्हें इस बात की खबर नहीं होती कि बहुत अधिक खेल से इस तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। 

मेरे पास थाईलैंड से भी बहुत सारे मामले आते हैं विशेषकर थाईलैंड से लौटे भारतीयों के। आपको तो मालूम ही होगा कि थाईलैंड में सेक्स वर्कर ओक गाल का प्रयोग करते हैं टाइट वेजाइना के लिए। जब ऐसे सेक्स वर्कर से लंबे समय तक सेक्स किया जाता है तो पेनाइल कर्वेचर की समस्या हो जाती है। 

विज्ञान भी इस बात को मानता है कि pubic bone के दबाव से भी यह समस्या होती है। पर मेरे पास ज्यादातर मामले ऐसे युवाओं के आते हैं जो कि शराब पीने के बाद सेक्स करते हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता है कि इस नाजुक अंग पर क्या गुजर रही है और एक बार चोट लगने से उनके लिंग में हमेशा के लिए स्कार बन जाता है। बाद में उन्हें सेक्स करने में दिक्कत होने लग जाती है और यह प्रक्रिया कष्टप्रद हो जाती है। जिन नीम- हकीमो की बात आपने की ऐसे युवक इनके चक्कर में पड़ जाते हैं और फिर आजीवन उन्हें अपनी समस्या का समाधान नहीं मिलता है।

 ईश्वर ने इस नाजुक अंग को संतानोत्पत्ति के लिए बनाया है पर आज के इस युग में इस प्रक्रिया को इतना ज्यादा मनोरंजक रंग दे दिया गया है कि अत्यधिक तनाव से ग्रस्त यह अंग विशेष रूप से प्रभावित होता है और समस्या पूरी तरह से स्थाई हो जाती है।

 मैंने जिस बीमारी का जिक्र ऊपर किया उस पर मैंने एक बुक लिखी है जिसमें ऐसे सात हजार से भी अधिक मामलों के बारे में लिखा है जिनकी सफल चिकित्सा भारतीय पारंपरिक चिकित्सकों ने की है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में इस विषय में बहुत विस्तार से लिखा गया है पर यह ज्ञान अभी तक किसी भी काम का नहीं था क्योंकि यह समस्या बहुत अधिक सामान्य नहीं थी। 

आपने कहा कि भारतीय युवाओं में यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है पर मेरा अनुभव है कि यह समस्या पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है और यह लिंग के बहुत अधिक उपयोग करने के कारण हो रहा है। लिंग में किसी भी तरह की चोट चाहे वह पैंट की जिप बंद करते समय ही क्यों न लगी हो कालांतर में इस बीमारी के रूप में परिवर्तित हो सकती है और सही जानकारी न होने की वजह से युवा इससे छुटकारा नहीं पाते हैं। मुझे यह भी लगता है कि इस बीमारी के बारे में आम लोगों में जागरूकता नहीं है। इसके बारे में इंटरनेट पर बहुत ज्यादा नहीं लिखा गया है।

 मेरी बात सुनकर वरिष्ठ वैज्ञानिक बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि वे इस बुक में रुचि रखते हैं और जल्दी ही इसे खरीदना चाहेंगे। 

मैंने उनके द्वारा भेजे गए दोनों रोगियों की रिपोर्ट को अच्छे से पढ़ा। उसमें यह बताया गया था कि लिंग में टेढ़ापन तो आया है पर उसके कारणों का जिक्र नहीं किया गया था। जब मैंने उन दोनों रोगियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उन्हें भी यह नहीं मालूम कि उनकी समस्या का कारण क्या है। मैंने उनके खानपान के बारे में विस्तार से जानकारी ली फिर उनके रहन-सहन के बारे में भी। 

यह भी जाना कि उनकी दिनचर्या कैसी रहती है? वे शराब का कितनी मात्रा में प्रयोग करते हैं और क्या शराब पीने के बाद सेक्स करते हैं?

 उन्होंने बताया कि वे शराब का प्रयोग कम ही करते हैं और शराब के बाद सेक्स नहीं करते हैं क्योंकि उनके साथी इसके लिए तैयार नहीं होते हैं फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप किसी प्रकार के कामोत्तेजक तेल का उपयोग करते हैं सेक्स करने से पहले तो उनमें से एक युवक ने कहा कि वह हिमाचल के एक वैद्य से एक विशेष तरह का तेल लेता हैं जो कि विशेष तरह के कीड़े मकोड़ों से बनाया जाता है। इसका प्रयोग वह सेक्स के पहले करता हैं। इससे उसकी शक्ति बहुत बढ़ जाती है और लंबे समय तक वह इस प्रक्रिया में भाग ले पाता है। मैंने अपना ध्यान इसी बात पर केंद्रित किया और उससे उन वैद्य द्वारा दिए गए फार्मूले के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की। मुझे वैद्य के द्वारा दिए गए फार्मूले में दोष नजर आया। मैंने उसी वक्त पूछा कि क्या वैद्य ने कहा है कि इसका प्रयोग कभी कभार ही करना है, लगातार नहीं करना है तो उस युवक ने यह माना कि वैद्य ने ऐसा कहा था पर उसने वैद्य की बातों को अनदेखा करके इस फार्मूले का लंबे समय तक प्रयोग किया और आज भी कर रहा है।

 उसका कहना था कि इस फार्मूले की आदत हो गई है और इसके बिना उसके लिंग में किसी भी प्रकार की प्रक्रिया नहीं होती है। उसने बताया कि वह इस तेल पर हर महीने तीस हजार से अधिक खर्च करता है। उसने दूसरे बहुत सारे सस्ते और महंगे तेल अपनाएं पर उनसे किसी भी तरह का फायदा नहीं हुआ।

 मैंने उससे पूछा कि क्या लिंग में टेढ़ापन पहले से था या इस तेल के लगाने के बाद से शुरू हुआ, वह ध्यान से सोच कर बताएं। उसने याद करके बताया कि टेढ़ापन शुरू से नहीं था, बाद में हुआ है। यह महत्वपूर्ण जानकारी थी। 

मैंने सीधे ही वरिष्ठ वैज्ञानिक से बात की और उन्हें इस बात की पूरी जानकारी दी। उन्हें बताया कि यह युवक जिस फार्मूले का उपयोग कर रहा है उसमें दोष है और यदि वह इस दोष को दूर कर ले और फिर तेल का प्रयोग करें तो उसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा पर अब जब लिंग में कैंसर जैसे लक्षण आ रहे हैं तब उसे इस प्रकार के तेलों से बचना चाहिए क्योंकि इसमें बहुत सारे ऐसे घटक हैं जो कि इस कैंसर को फैलने में मदद कर सकते हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने धन्यवाद दिया और कहा कि यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है उनकी पूरी टीम के लिए।

 दूसरे युवक के मामले में मैंने उस युवक को रायपुर बुलवा लिया और साथ में उसकी पत्नी को भी फिर एक महिला पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजा जिन्होंने जांच करके बताया कि जन्म से ही उसकी पत्नी की प्यूबिक बोन बहुत ज्यादा दबाव बनाने में सक्षम है और इससे युवक के लिंग पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। मैंने एक हड्डी रोग विशेषज्ञ से भी मुलाकात की और उन्हें इस बारे में जांच करने के लिए कहा। उन्होंने आधुनिक तरीके से उस महिला की जांच की और बताया कि इसमें महिला का किसी भी प्रकार का दोष नहीं है। यह जन्म से ही है।

 उसके बाद एक बार और पुष्टि के लिए मैंने स्त्री रोग चिकित्सक से परामर्श लिया। उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की। मैंने बिना किसी देरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक को समस्या का मूल कारण बता दिया। 

उन्होंने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसे मामलों के बारे में पढ़ा है और सुना है पर ऐसा मामला उनके सामने कभी भी नहीं आया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आगे से वे इस पहलू पर भी विशेष ध्यान देंगे। इस तरह दो जटिल मामलों का समाधान हुआ पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की सहायता से।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


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