Consultation in Corona Period-146

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"ठेकेदारी का काम हो और धूप में खड़ा न होना पड़े ऐसा कैसे हो सकता है। मुझे ठेकेदारी के अलावा और कोई काम नहीं आता है।

 फिर कोई अगर मुझसे कहे कि आप अपनी स्वास्थ समस्या के कारण ठेकेदारी का व्यवसाय बंद कर दें और दूसरा व्यवसाय शुरू कर दे। 

अब उम्र के इस पड़ाव में यह तो संभव नहीं है पर मजबूरीवश मैंने अपना व्यवसाय बंद कर दिया है और अब पूरे समय घर पर ही रहता हूं। मेरी समस्या 5 वर्ष पुरानी है, जब मुझे धूप में जाने पर बहुत अधिक सिर दर्द होने लगा था। ऐसा लगता था जैसे कोई हथौड़ी से मेरे सिर को पीट रहा हो। 

शुरू में तो मैंने पेन किलर का प्रयोग किया पर जब पेन किलर का प्रयोग बढ़ता गया तो मेरे डॉक्टरों ने साफ-साफ कहा कि इससे आपके स्वास्थ को स्थाई नुकसान हो सकता है इसलिए आप इनका प्रयोग अधिक मात्रा में और अधिक समय तक नहीं करें। 

मुझे रोज ठेकेदारी के काम के लिए धूप में खड़ा होना पड़ता था घंटों के लिए और जैसे ही मैं धूप में पहुंचता था 5 मिनट के अंदर मेरे सिर में भयानक दर्द होने लग जाता था।

 जब मैंने इसकी चिकित्सा के प्रयास शुरू किए और दिल्ली के एक बड़े अस्पताल की शरण ली तो उन्होंने बताया कि कान के पास नसों के मकड़जाल में कुछ समस्या है जिसके कारण जरा सी भी गर्मी लगने पर बहुत अधिक सिर दर्द होने लग जाता है। उन्होंने बताया कि यह अनुवांशिक समस्या है और इसका किसी भी तरह से समाधान नहीं किया जा सकता है। 

इस अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर मुंबई के एक सर्जन ने सलाह दी कि आप चाहे तो आप की एक छोटी सी सर्जरी की जा सकती है। इसमें कान की नसों को ठीक किया जा सकता है अर्थात उनके मकड़जाल को सुलझाया जा सकता है ताकि अगली बार जब आप धूप में जाएं तो आपको इस तरह का सिर दर्द न हो। 

मैं इस सर्जरी के लिए तैयार हो गया। यह सर्जरी कहने को तो बहुत छोटी सी थी पर इसने समस्या को कम करने की बजाय बढ़ा दिया। इस पर मुंबई के अस्पताल ने कहा कि आप अगर चाहे तो एक बार फिर से सर्जरी की जा सकती है पर मैंने साफ मना कर दिया। 

मेरी समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती गई। इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वैद्य ने मेरी जांच करने के बाद कहा कि यह दिमाग में ट्यूमर होने के कारण हो सकता है। उन्होंने ट्यूमर के लिए बहुत सारी दवाएं दी पर सिर दर्द किसी भी तरह से ठीक नहीं हुआ। 

जब मैंने आधुनिक चिकित्सकों की सहायता से अपने दिमाग का परीक्षण करवाया तो पता चला कि उसमें किसी भी प्रकार का ट्यूमर नहीं है। इसका मतलब यह था कि वैध जी हवा में तीर चला रहे थे। किसी ने सलाह दी कि मैं होम्योपैथी दवाई लेना शुरू करूं। मेरे शहर के ही एक चिकित्सक मुझे कई महीनों तक Glonoine नामक एक दवा देते रहें और कहते रहे कि इससे सूर्य में जाने से होने वाला सिरदर्द हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो जाएगा पर उनकी दवा से भी लाभ नहीं हुआ। 

सिर दर्द इतना असहनीय हो गया कि मुझे घर से ही सब काम देखना पड़ा। इससे धीरे-धीरे मेरी काम से दूरी बढ़ती गई और आखिर में थक हार कर मैं घर में बैठ गया। मेरा सारा धंधा चौपट हो गया। पिछले साल मैंने थक हार कर सभी तरह के इलाज बंद कर दिए और अब मैं धूप में जाने से पूरी तरह से बचता हूं।" कानपुर से आए 40 वर्षीय एक सज्जन ने मुझे अपनी समस्या बताई। 

उन्होंने फेसबुक में मेरे द्वारा लिखे जा रहे लेखों को पढ़ा और फिर परामर्श का समय लेकर मुझसे मिलने रायपुर आ गए। मैंने उनकी सारी रिपोर्ट पढ़ी। उन सर्जन से भी बात की जिन्होंने इसे कान के पास की नसों की समस्या बताकर सर्जरी की थी। 

फिर इतने सालों में उन सज्जन द्वारा ली जा रही दवाओं के बारे में जानकारी एकत्र की। सज्जन से पूछा कि आप किस तरह की भोजन सामग्रियों का प्रयोग करते हैं। इसके बाद मैंने जड़ी बूटियों का एक लेप तैयार किया फिर उनके पैरों पर लगाया। 

7 मिनट के अंदर ही कई तरह की प्रतिक्रियाएं दिखने लगी। उस आधार पर मैंने उनसे कहा कि मैं आपको एक तरह के हलवा बनाने की विधि बता रहा हूं। 

आप इस हलवे को अपनी पत्नी से बनवाएं और 7 दिनों तक सोने के 1 घंटे पहले थोड़ी मात्रा में इसका प्रयोग करें। यह किसी प्रकार की चिकित्सा नहीं है बल्कि एक छोटा सा प्रयास है यह जानने के लिए कि आपकी समस्या का मूल कारण क्या है।

 इसे बनाना बहुत आसान है और यह बहुत स्वादिष्ट होता है। 7 दिनों बाद आप मुझसे फिर से संपर्क करें। उन्होंने धन्यवाद दिया और बताया कि उनका रायपुर में लगातार काम चलता रहता है इसलिए वे 7 दिनों बाद फोन पर बात न करके मुझसे मिलने रायपुर आ सकते हैं। 

मैंने कहा कि यह तो और भी अच्छी बात होगी। 7 दिनों के बाद वे जब आये तो उनके कुछ कहने से पहले मैंने उनसे कहा कि आपको इस नींद लाने वाले हलवा के प्रयोग से नींद तो बिल्कुल भी नहीं आई होगी बल्कि जितनी नींद आती थी वह भी गायब हो गई होगी। उन्होंने कहा कि बिल्कुल ऐसा ही हुआ। सात रातों से मैं बिल्कुल भी नहीं सोया हूं। वे थोड़े आवेश में दिखाई दे रहे थे। मैंने उनसे कहा कि इतना असीम धैर्य दिखाने के लिए मैं आपका आभारी हूं। अब आपकी समस्या का मूल कारण पता चल गया है। 

आपने विस्तार से जब अपने खानपान के बारे में मुझे बताया तो आपने यह बिल्कुल भी नहीं बताया कि आप अधिक मात्रा में लहसुन का प्रयोग कर रहे हैं और यह प्रयोग आप बहुत बरसों से कर रहे हैं। 

मुझे नहीं मालूम कि आपको किसने इतनी अधिक मात्रा में लहसुन खाने की सलाह दी पर जिसने भी यह सलाह आपको दी है उसे लहसुन से होने वाले नुकसानों के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। इतनी अधिक मात्रा में लहसुन खाने पर सूर्य की गर्मी से पूरी तरह बचने की सलाह दी जाती है और कहा जाता है कि पूरे दिन अंधेरे कमरे में रहा जाए। 

साथ ही इतनी अधिक मात्रा में लहसुन का प्रयोग करने से पहले उसका शोधन किया जाता है ताकि उसके इस तरह के लक्षण पैदा करने वाले प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो जाएं।

 मैंने खुलासा किया कि मैंने आपको जो हलवा दिया था वह इस बात की पुष्टि के लिए दिया था कि आप लहसुन या उसी वर्ग की किसी वनस्पति का अधिक मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं या नहीं। 

यदि आप इस तरह की वनस्पति का प्रयोग नहीं कर रहे होते तो आपको इस हलवे से बहुत गहरी नींद आती और आपकी सारी थकान पूरी तरह से ठीक हो जाती पर इसके प्रयोग से आपको बिल्कुल भी नींद नहीं आई। इससे इस पारंपरिक वैज्ञानिक परीक्षण से यह सिद्ध हो गया कि आप लहसुन और उसके जैसी किसी वनस्पति का अधिक मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं। अब आप बताएं कि क्या मेरा यह परीक्षण और यह निष्कर्ष सही दिशा में है। 

उन्होंने कहा कि बिल्कुल सही दिशा में है। आपका कहना सही है कि मैं बहुत लंबे समय से अधिक मात्रा में लहसुन का प्रयोग कर रहा हूं। मैंने इंटरनेट पर पढ़ा था कि अधिक मात्रा में लहसुन का प्रयोग करने से मोटापा नियंत्रण में रहता है।

 मुझे डॉक्टर ने कहा था कि आप अपने खानपान में सुधार करें और अपने मोटापे को कम करने की अभी से कोशिश करें अन्यथा बाद में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। मैंने एक न्यूज़ वेबसाइट से लहसुन से दुबले होने की बात पढ़ी थी। उसमें तो यह बिल्कुल भी नहीं बताया गया था कि इतनी मात्रा में लहसुन का प्रयोग करने से मुझे धूप से पूरी तरह से बचना है और उसमें शोधन की किसी विधि के बारे में नहीं बताया गया था। अगर मुझे पहले से यह जानकारी होती तो मुझे इतना अधिक भटकना नहीं पड़ता और मेरे इतने सारे पैसे बर्बाद नहीं होते। न ही मेरे व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ता।

 मैंने उनसे कहा कि अब आप लहसुन का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें और फिर 15 दिनों के बाद मुझे बताएं कि धूप में जाने से आपको किसी तरह की समस्या तो नहीं हो रही है। 

मैंने उनको एक विशेष प्रकार का मेडिसिनल राइस भी दिया और उनसे कहा कि वे इसका चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार लें। पारंपरिक चिकित्सा में इस देसी चावल का उपयोग लहसुन की अधिकता से उत्पन्न होने वाले लक्षणों को ठीक करने के लिए पीढ़ियों से होता आया है। 

उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। कुछ दिनों बाद उनका फोन आया कि अब वे फिर से साइट में जाने लगे हैं और उनके ठेकेदारी का व्यवसाय फिर से फलने-फूलने लगा है।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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