Consultation in Corona Period-153

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"तेल के प्रयोग से मेरे कर्मचारी सांप से तो पूरी तरह बचे रहे पर धीरे-धीरे उनके स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा। पहले मुझे लगा कि मौसम बदलने के कारण मेरे कर्मचारी एक के बाद एक बीमार पड़ते जा रहे हैं पर जब वे बहुत अधिक कमजोर होने लगे तो मुझे उस तेल पर शक हुआ। 

मैंने तेल जिससे खरीदा था उससे बात की तो उसने कहा कि उसके द्वारा दिए गए तेल के प्रयोग से ऐसे लक्षण नहीं आते हैं। ये लक्षण किसी और कारण से आ रहे होंगे।

 कुछ दिनों बाद मुझे ऐसा लगा कि मुझे आपसे मिलना चाहिए क्योंकि आपने सांपों पर बहुत अधिक शोध किया है विशेषकर ऐसी जड़ी बूटियों पर जो कि सांपों को दूर रखने में सक्षम है। इसलिए परामर्श का समय लेकर मैं आपसे मिलने आया हूं।" 

उड़ीसा से आए एक सज्जन मुझे अपनी व्यथा बता रहे थे। उन्होंने बताया कि वे ठेकेदार हैं और उनका काम तिरुमला के जंगलों में चल रहा है जहां 70 से अधिक उनके कर्मचारी जंगलों में काम कर रहे हैं। उन्हें लगातार सांपों की समस्या हो रही है। सर्पदंश के कारण वे जंगल में घुसने से डर रहे हैं। यह बरसात का समय है और ऐसे में कोई भी जंगल में जाना पसंद नहीं करता है।

 सर्पदंश से हमारे 2 कर्मचारी मारे गए हैं। हमने अपने साथ एंटी वेनम रखा है और एक चिकित्सक को भी बता कर रखा है कि जब भी जरूरत पड़े तो हम आपको बुला सकते हैं पर फिर भी यदि आपके पास ऐसी कोई जड़ी बूटी हो जिससे कि बरसात के दिनों में भी हम जंगलों में बिना किसी समस्या के काम कर सके तो बहुत मेहरबानी होगी।

 जब मैंने उन सज्जन से उस तेल के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उड़ीसा के ही एक तांत्रिक से उन्होंने यह तेल लिया था। इस तेल को काम में जाने से पहले पूरे शरीर में अच्छे से लगाना होता है और उसके बाद फिर बेधड़क जंगल में जाया जा सकता है। 

इस तेल में इतनी अधिक बदबू आती है कि साँप दूर रहना ही पसंद करते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इस तेल के गुणों को सुनकर कर्मचारी विशेष आत्मविश्वास से भर जाते हैं और दुगने उत्साह से जंगल में घुस जाते हैं।

 अपने इतने कर्मचारियों के लिए जब मैंने तेल की कीमत पूछी तो तांत्रिक ने बताया कि साढ़े 5 लाख में वह बड़ी मात्रा में इस तेल को तैयार करके दे सकता है। मैं इस तेल का सैंपल आपके लिए लेकर आया हूं। आप इसकी जांच कर बताएं कि क्या मेरे कर्मचारी इसी तेल के कारण लगातार बीमार पड़ रहे हैं या इसका कोई और कारण है।

 जब मैंने तेल को सूंघा तो मुझे उसके बारे में सारी कहानी पता चल गई। मैंने उनसे कहा कि तांत्रिक ने आपसे एक महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई।

 इस तेल का प्रयोग एक दो बार तो किया जा सकता है पर बहुत अधिक समय तक इसका प्रयोग यदि किया जाता है तो शरीर में बहुत अधिक कमजोरी उत्पन्न हो जाती है। उस कमजोरी को तो एक बार दूर किया जा सकता है पर इसका उपयोग जो लंबे समय तक करता है वह जीवन भर यौन सुख नहीं ले पाता है अर्थात वह पूरी तरह से नपुंसक हो जाता है। 

इस बात को जानकर सज्जन बहुत नाराज हुए। उन्होंने कहा कि उनकी टीम में अधिकतर सदस्य नवविवाहित है या युवा है। यदि उनको इस तरह का नुकसान हुआ तो उनका जीवन पूरी तरह से अभिशाप बन जाएगा। उन्होंने मुझसे अनुमति लेकर तुरंत ही अपने कर्मचारियों को फोन लगाया और कहा कि उस तेल का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें। 

मैंने उनसे आगे कहा कि मेरे ख्याल से बहुत अधिक देर हो चुकी है और यह प्रक्रिया वापस नहीं हो सकती है अर्थात एक बार जब नपुंसकता विकसित हो जाती है और फिर से ठीक नहीं हो पाती है। आपको ऐसे तेल का उपयोग करने से पहले किसी विशेषज्ञ से पूछना चाहिए था। कोई भी पारंपरिक चिकित्सक इसके बारे में आपको साफ-साफ बता देते कि इसका प्रयोग बिल्कुल भी न करें। आपके इतने सारे पैसे भी गए और आपके कर्मचारियों का जीवन भी बर्बाद हो गया।

 मुझसे फिर अनुमति लेकर उन सज्जन ने किसी को फोन लगाया और उन्हें उड़िया में भद्दी-भद्दी गालियां दी। मैं समझ गया कि यह फोन तांत्रिक को लगाया गया था। तांत्रिक अभी भी इस बात में अड़ा हुआ था कि उसके तेल से इस तरह का कोई असर नहीं होता है। इस पर सज्जन ने उससे कहा कि अभी मैं तुम्हारे घर आता हूं और फिर 1 हफ्ते तक रुकूंगा और चौबीसों घंटे तुम्हारे शरीर में तेल को लगाऊंगा फिर तुम बताना कि इससे किसी प्रकार का नुकसान होता है कि नहीं। 

सज्जन ने मुझे धन्यवाद दिया और मुझे अपने झोले में रखी बहुत तरह की लकड़ियों को दिखाया और बताया कि सांप पकड़ने वाले लोगों से उन्होंने ये लकड़ियां खरीदी हैं पर एक भी लकड़ी कारगर सिद्ध नहीं हुई है। इन लकड़ियों को एकत्र करने में मैंने लाखों रुपए खर्च कर दिए ताकि मेरे कर्मचारी पूरी तरह से सांपों से बचे रहें पर मुझे असफलता ही मिली।

 मैंने सभी लकड़ियों को ध्यान से देखा फिर मजाकिया लहजे में कहा कि ये लकड़ियां तभी प्रभावी होती है जब सांप को भी इस बारे में पता हो कि इन लकड़ियों से डरना है। यदि साँप को इस बारे में जानकारी नहीं होगी और उसने इंटरनेट में इसके बारे में नहीं पढ़ा होगा तो उस पर इनका किसी भी प्रकार का असर नहीं होगा। वे मेरी बात को अच्छे से समझ गए। 

मैंने उन्हें बताया कि छत्तीसगढ़ में बहुत से जड़ी-बूटी विक्रेता सांप को भगाने वाली लकड़ियों और विशेष तरह की जंगली फलों का अनुमोदन करते हैं। लोग उनकी बातों पर विश्वास करके घर में इन लकड़ियों को रख लेते हैं। इसके लिए जड़ी-बूटी विक्रेता बहुत अधिक पैसे लेते हैं पर आज के इस विज्ञान के युग में कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि क्या वास्तव में ये लकड़ियां कारगर है?

 साल के अंत में इन लकड़ियों को फेंक दिया जाता है और अगले साल फिर जब अखबारों में छपता है कि सांप को फलाँ लकड़ी की सहायता से रोका जा सकता है तो फिर एक बार इन लकड़ियों को खरीद कर घर में रख लिया जाता है। साँप बदस्तूर आते रहते हैं। उन पर इनका कोई असर नहीं पड़ता है। 

हां, इस तरह अधिक मात्रा में जंगली फलों और लकड़ियों को एकत्र करने से जंगल में दुर्लभ वृक्ष और वनस्पतियां तेजी से खत्म होती जा रही हैं। इन वनस्पतियों से बहुत तरह के रोगों की चिकित्सा की जाती है और पारंपरिक चिकित्सक अधिकतर शिकायत करते हैं कि सांप के नाम पर एकत्र की जा रही इन जड़ी-बूटियों के कारण उन्हें दवा बनाने के लिए जड़ी बूटियां नहीं मिल रही है। प्रशासन भी आंखें मूंदे बैठा रहता है और वह भी मान लेता है कि लकड़ियों से सांप दूर रहेंगे।

 मैंने उन सज्जन से कुछ समय मांगा और अपना डेटाबेस खंगाला। मुझे एक विशेष प्रकार का नुस्खा दिखाई दिया जिसका प्रयोग मुझे बिहार के पारंपरिक चिकित्सकों ने बताया था। उन्हें तांत्रिक द्वारा दिए गए तेल के विषय में जानकारी थी और बातों ही बातों में उन्होंने कहा था कि यदि इस नुस्खे का प्रयोग किया जाए तो इस तेल से जो स्थाई नुकसान होता है उसको काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 इसका मतलब यह था कि जिन युवाओं ने इस तेल को लगाकर अपने जीवन को अभिशाप बना लिया है उनकी स्थिति में धीरे-धीरे ही सही पर सुधार हो सकता है। मैंने उन सज्जन को इस बारे में बताया तो उनके चेहरे पर प्रसन्नता दिखने लगी। 

उन्होंने कहा कि वे एक बहुत बड़े पाप से बच गए क्योंकि सांप भगाने वाले तेल का प्रयोग उन्होंने ही अपने कर्मचारियों को करने को कहा था। इसमें कर्मचारियों की बिल्कुल भी गलती नहीं थी। वे निर्दोष है। 

मैंने उनसे कहा कि आप 1 सप्ताह बाद मुझसे फिर से संपर्क करें। मैं पारंपरिक चिकित्सकों की सहायता से उस नुस्खे को तैयार करता हूं फिर आपको वह नुस्खा दे दूंगा जिसे आप अपने कर्मचारियों पर विधि अनुसार प्रयोग कर सकेंगे। 

मैंने उन्हें यह भी बताया कि जब हम जंगल में जड़ी बूटियों को एकत्र करने जाते हैं विशेषकर बरसात के मौसम में तो एक विशेष प्रकार के टिंचर का उपयोग करते हैं। इस टिंचर से हम अपने मोजों को पूरी तरह से भिगो लेते हैं और फिर सुखा लेते हैं। ऐसा करने से हमें सांपों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही जहरीले कीड़े मकोड़े भी हमसे दूर रहते हैं पर हमारे साथ जो पारंपरिक चिकित्सक जंगल में जाते हैं वे तो किसी भी प्रकार के जूते या मोजे का प्रयोग नहीं करते हैं। वे नंगे पांव जाते हैं फिर भी उनको किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं होता है। न सांपों से और न ही जहरीले कीड़े मकोड़ों से। 

छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा में एक स्वादिष्ट व्यंजन का प्रयोग होता है जिसके बारे में आम लोग अब भूल चुके हैं। इस व्यंजन को बरसात में होने वाली बीमारियों से रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। इस व्यंजन का एक गुण यह भी है कि वह शरीर के अंदर एक विशेष तरह की गंध उत्पन्न कर देता है जिससे कि जहरीले जीव-जंतु शरीर से दूर रहना ही पसंद करते हैं। इस गंध को मनुष्य की नाक पकड़ नहीं पाती है इसलिए लोगों के बीच रहने से इस व्यंजन का प्रयोग किया जा रहा है यह पता नहीं चलता और कोई भी आपत्ति नहीं उठाता है। 

पारंपरिक चिकित्सक अभी भी इस व्यंजन का प्रयोग पूरी बरसात में करते हैं और यही कारण है कि वे जहरीले जीव जंतुओं से बचे रहते हैं। वे बड़ी मुश्किल से इसके बारे में बताते हैं। आमतौर पर वे कह देते हैं कि वे कई तरह के मंत्रों के बारे में जानते हैं जिसके कारण सांप वहीं के वहीं रुक जाते हैं और उनकी ओर नहीं बढ़ते हैं पर मैंने अपने अनुभव से जाना है कि मंत्रों से ज्यादा प्रभाव इस पारंपरिक व्यंजन का होता है जिसका प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक लंबे समय तक करते रहते हैं।

 मैंने उन सज्जन से कहा कि यदि आप चाहें तो मैं आपको इस पारंपरिक व्यंजन के बारे में जानकारी दे सकता हूं पर मुझे पहले उन पारंपरिक चिकित्सकों से पूछना होगा जिनसे मुझे यह ज्ञान मिला है। 

वे इस बात के लिए तैयार हो गए और जब मैंने पारंपरिक चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने कहा कि पारंपरिक व्यंजन की पूरी जानकारी देने की बजाय मैं उन्हें कुछ महीनों के लिए पारंपरिक व्यंजन तैयार करके दे दूं जिसका प्रयोग वे अपने कर्मचारियों पर कर सके। मैंने उनसे कहा कि उनके कर्मचारी बड़ी संख्या में है और इतनी अधिक मात्रा में व्यंजन तैयार करना संभव नहीं होगा।

 पारंपरिक चिकित्सकों ने एक और रास्ता निकाला और उन्होंने कहा कि उनका एक शिष्य अगर चाहे तो सज्जन के साथ तिरुमला के जंगलों में जा सकता है और वहां उनके लिए रोजाना इस व्यंजन को बनाकर दे सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बहुत सारे शिष्य देशभर में ऐसी सेवाएं दे रहे हैं। वे सज्जन इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत खुशी होगी यदि किसी पारंपरिक चिकित्सक का शिष्य उनकी सेवा के लिए उनके साथ जंगल में रहेगा। वे पूरी तरह से खर्च उठाने को तैयार हैं।

 इस तरह उनकी एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान के कारण। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 

मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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