Consultation in Corona Period-163

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"आप हमें गे कपल मान सकते हैं पर हमें इस बात की पूरी जानकारी है कि यह पूरी तरह से अप्राकृतिक प्रक्रिया है इसलिए हम दोनों अपने स्वास्थ का बहुत ध्यान रखते हैं। हर महीने हम दोनों डॉक्टर से जांच करवाते हैं कि हमें किसी भी प्रकार की सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज तो नहीं है। हम पूरी तरह से हाइजीन रखते हैं और जब हम सेक्स करते हैं तो कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि जब हम ओरल सेक्स करते हैं तो ओरल डैम का उपयोग करते हैं। 

इसके अलावा हम एक दूसरे के प्रति पूरी तरह से समर्पित है और हमारी जोड़ी की मिसाल पूरे बॉलीवुड में दी जाती है। हमने किसी और से कभी भी कोई संबंध नहीं बनाया है। उसके बाद भी एनल कैंसर होने की बात हमें किसी भी तरह से पच नहीं रही है इसलिए हमने आपसे परामर्श लेने का मन बनाया है ताकि आप जड़ी बूटियों का लेप लगाकर हमें यह बता सके कि हमें क्या वास्तव में एनल कैंसर है या नही। 

अभी तो आधुनिक मशीनें कुछ साफ बता नहीं पा रही हैं और चिकित्सक कह रहे हैं कि यह कैंसर हो सकता है पर निश्चित तौर पर वे भी कुछ नहीं कह पा रहे हैं। हम डरे हुए हैं और बहुत असमंजस की स्थिति में है। 

हमें पहले एनल रीजन में बहुत अधिक खुजली का एहसास हुआ। हमने सोचा कि यह किसी तरह का इन्फेक्शन होगा और हमारे चिकित्सक ने भी जांच करने के बाद कहा कि यह हो सकता है कि फंगल इंफेक्शन हो। 

उन्होंने 3 महीने तक 2-3 दवाएं दी पर तथाकथित फंगल इनफेक्शन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। उसके बाद यह आशंका जताई गई कि यह बैक्टीरिया के कारण हो सकता है इसलिए लंबे समय तक एंटीबायोटिक का प्रयोग हम लोगों ने किया पर धीरे-धीरे यह खुजली बढ़ती गई और उस क्षेत्र में बहुत अधिक दर्द होने लगा।

 हमने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी डॉक्टरों से भी जांच कराई और यह भी सुनिश्चित किया कि हमें एड्स की बीमारी तो नहीं हो गई है या किसी प्रकार का वायरल इनफेक्शन तो नहीं हो गया है। डॉक्टरों ने अच्छे से परीक्षण किया और इस बात की हरी झंडी दिखाई कि उन्हें किसी भी तरह का इन्फेक्शन नहीं है पर जब यह मर्ज बढ़ता गया तो डॉक्टरों को लगने लगा कि यह किसी प्रकार का कैंसर हो सकता है जो कि इस अप्राकृतिक क्रिया के कारण हो गया है।" पश्चिमी भारत से आए एक गे कपल ने मुझसे परामर्श के लिए समय लिया। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 जब मैंने पारंपरिक विधि से जड़ी बूटियों की सहायता से उनके पैरों में लेप लगाया और उनके शरीर में होने वाली प्रतिक्रियाओं को देखने लगा तो कुछ ही समय में यह स्पष्ट हो गया कि यह किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं है। जब उन्होंने उस क्षेत्र के फोटोग्राफ दिखाए और अपनी सारी रिपोर्ट दिखाई तो मुझे लगा कि यह किसी तरह का ड्रग इंटरेक्शन हो सकता है इसलिए मैंने उनसे विस्तार से यह जानकारी मांगी कि वे इतने लंबे समय से किन-किन दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं और जब से यह समस्या शुरू हुई है तब से किन दवाओं को लगातार ले रहे हैं।

 जब उन्होंने अपने रहन-सहन के बारे में बताया तो मुझे इस बात की तसल्ली हो गई कि आपसी संपर्क से इस तरह के लक्षण नहीं आ रहे हैं। मैंने उनके खान-पान के बारे में भी विस्तार से पूछा। उनका खानपान आधुनिक तो था पर असंतुलित नहीं था। उन्हें किसी भी प्रकार की दूसरी स्वास्थ समस्याएं नहीं थी।

 उन्होंने बताया कि वे अधिक मात्रा में शराब पी लेते हैं विशेषकर पार्टियों में इसलिए लिवर की सुरक्षा के लिए वे छत्तीसगढ़ के एक पारंपरिक चिकित्सक से एक नुस्खा ले रहे हैं जो कि वे बहुत लंबे समय से ले रहे हैं। इस नुस्खे के बारे में पारंपरिक चिकित्सक ने बताया है कि इससे शराब पीने के बाद भी लिवर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा पर बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन कभी भी नहीं करना चाहिए।

 ये पारंपरिक चिकित्सक पहली बार हमें मुंबई में एक मेले में मिले जहां वन विभाग की तरफ से उन्हें बुलाया गया था। उसके बाद वे लगातार मुंबई आते हैं और हम उनसे मिलकर दवा लेते रहते हैं। 

मैंने उन पारंपरिक चिकित्सक का नाम पूछा और फिर उनके बारे में अपने डेटाबेस में खोजा तो मुझे उनके और उनके फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी मिल गई। उनका फार्मूला पीढ़ियों से परखा हुआ था और पूरी तरह से दोषमुक्त था। 

हालांकि शराब के विरुद्ध इतना अधिक प्रभावकारी नहीं था पर फिर भी इस फार्मूले के नाम पर उनकी बहुत अधिक लोकप्रियता थी और पारंपरिक चिकित्सकों के बीच में उनका विशेष स्थान था।

 मैंने उन लोगों से कहा कि आपने सही पारंपरिक चिकित्सक का चुनाव किया है और वे एक जांची परखी दवा का उपयोग कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इसका आपकी समस्या से किसी प्रकार का संबंध है। 

मैंने उन्हें यह भी बताया कि मोटे तौर पर दो तरह के पारंपरिक चिकित्सक होते हैं। एक तरह के पारंपरिक चिकित्सक हमेशा सरकारी समारोह विशेषकर वन विभाग के समारोह में दिखते हैं। उन्हें उपस्थिति दर्ज कराने के नाम पर बुलाया जाता है और भत्ता दिया जाता है जबकि दूसरी श्रेणी के पारंपरिक चिकित्सक वे हैं जो कि आजीवन काम में लगे रहते हैं। उन्हें इस तरह के समारोह में जाने की फुर्सत नहीं रहती है और उनके पास हमेशा मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है। मैं दूसरी श्रेणी के पारंपरिक चिकित्सकों के साथ काम करना पसंद करता हूं और मैंने उन्हीं के पारंपरिक ज्ञान का डाक्यूमेंटेशन किया है।

 जब मैं अपने डेटाबेस को बड़े ध्यान से देख रहा था तो मुझे एक लंबी सूची प्राप्त हुई जिसमें ऐसी वनस्पतियों का जिक्र किया गया था जिनका प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक के फार्मूले के साथ नहीं करना था। मैंने उन लोगों से पूछा कि क्या आप इस फार्मूले के अलावा किसी भी प्रकार की वनस्पति का प्रयोग दवा के रूप में कर रहे हैं। मैंने स्पष्ट किया कि यदि वे अश्वगंधा या गिलोय या ऐसी कोई भी वनस्पति का प्रयोग कर रहे हो जो उन्हें उतनी महत्वपूर्ण न लगती हो फिर भी उसके बारे में मुझे पूरी तरह से जानकारी दें।

 उन्होंने बताया कि वह एक वैद्य से एक और फार्मूला ले रहे हैं जिसका प्रयोग फेफड़ों के संबंधित रोगों के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि उन दोनों को बहुत पहले टीबी की समस्या हुई थी। टीबी की आधुनिक चिकित्सा करने के बाद उन्होंने इन वैद्य से दवा लेनी शुरू की थी ताकि फेफड़े की स्थिति फिर से पुरानी जैसी हो जाए। 

मैंने उनसे कहा कि वे उस वैद्य के फार्मूले के बारे में मुझे विस्तार से बताएं। उन्होंने झट से कागज निकाला और उन जड़ी बूटियों की सूची मुझे दे दी जोकि वैद्य के फार्मूले में उपस्थित थी। उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटियां हमें खरीदनी पड़ती है फिर इन जड़ी-बूटियों से फार्मूला बनाकर वे हमें वापस दे देते हैं। जब मैंने इन घटकों के बारे में विस्तार से अध्ययन किया तो उसमें मुझे रक्तचंदन दिखाई दिया जिसे कि मुख्य घटक के रूप में इस फार्मूले में डाला गया था। अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी थी। 

मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक शराब के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जिस फार्मूले का उपयोग करते हैं उस फार्मूले के साथ में कभी भी रक्त चंदन का प्रयोग नहीं किया जाता है। जब रक्त चंदन का प्रयोग किया जाता है विशेषकर लंबे समय तक के तो इसी प्रकार के लक्षण आते हैं जैसे कि आपको आ रहे हैं। 

आप दोनों में से एक फार्मूले का उपयोग करना बंद कर देंगे तो 15 से 20 दिनों में आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि केवल इसी तरह की जानकारी की उम्मीद से वे लोग इतनी दूर से आए हैं। वापस जाकर उन्होंने रक्त चंदन युक्त फार्मूला लेना बंद कर दिया।

15 से 20 दिनों में तो नहीं पर 1 महीने के बाद उनके लक्षण धीरे-धीरे गायब होने लगे और उनका एनल रीजन फिर से दुरुस्त हो गया।

 उन्होंने एक बार फिर से मुझे धन्यवाद दिया।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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