Consultation in Corona Period-167

 Consultation in Corona Period-167

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"कल रात को ही मैं इसे थाने से वापस लेकर आया हूं। इसने वहां थानेदार से इतनी अच्छी फर्राटेदार अंग्रेजी में बात की कि वे बहुत प्रभावित हुए और मुझे डांटते हुए कहा कि यह जवानी का जोश है। आप इसे संभाल कर रखिये। यह बहुत ही विद्वान लड़का है। इसे गलत हाथों में मत जाने दीजिए। 

यह एक हफ्ते में दूसरी बार थाना जाना हुआ। मामला लड़कियों से छेड़छाड़ का था। मेरा बेटा लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करता है और उसके बाद अपने ही कार्यों पर दुखी होकर उनके सामने घंटों बैठकर रोता रहता है। सब इसे नाटक समझते हैं और बहुत से लोग कहते हैं कि यह एक तरह का मानसिक रोग है और इसके लिए मानसिक रोगों के विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।

 मेरे बेटे की उम्र मात्र 19 वर्ष है। वह देखने में खूबसूरत है। अपनी मां पर गया है। पढ़ाई में अव्वल आता है। खेलकूद में बढ़-चढ़कर भाग लेता है लेकिन बस इसकी इसी आदत ने उसके जीवन को खतरे में डाल दिया है। हमने उसे ऐसी करतूतों से बचाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए जो कि कई मायनों में सही भी नहीं थे। इतने बड़े बच्चे को मारना कहां तक तक ठीक है पर अपने मित्रों की सलाह पर मैंने उसकी पिटाई भी की। उसके दोस्तों की संगति छुड़वाई। उसकी बाइक को लॉक करके घर पर रख दिया लेकिन फिर भी उसकी अश्लील हरकतें किसी भी तरह से थम नहीं रही हैं। मनोचिकित्सक ने कहा कि इस उम्र में हार्मोन के प्रभाव से ऐसा होता है। उन्होंने बहुत सारी दवाएं दी पर इससे उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। 

वह बहुत जल्दी आवेश में आ जाता है और बहुत उग्र हो जाता है पर उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाता है। हमने न चाहते हुए भी झाड़-फूंक का सहारा लिया जब लोगों ने कहा कि बाहरी हवा के कारण वह ऐसी हरकतें कर रहा है पर इसका भी उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अभी तक जो घटनाएं उसने की है उनके कारण उसे किसी प्रकार की सजा नहीं मिली और न ही किसी प्रकार की रिपोर्ट उसके खिलाफ दर्ज की गई पर हमें डर लगता है कि अगर उससे कोई गंभीर घटना हो गई तो फिर पूरा समाज बिना रुके फांसी फांसी चिल्लाने लगेगा और मेरे बेटे का भविष्य पूरी तरह से चौपट हो जाएगा। अब हम उसे दिन भर अपने घर में रखकर चौबीसों घंटे निगरानी तो नहीं कर सकते। उसे पढ़ाई के लिए जाना ही है। ट्यूशन के लिए भी जाना है और इस बीच वह ऐसी हरकत कर बैठे तो हम उसे कहां-कहां तक रोकते रहेंगे। 

हमने आपके बारे में इंटरनेट पर पढ़ा। मेरी पत्नी ने कहा कि हमें एक बार आपसे मिलना चाहिए। हो सकता है कि आप समाधान बता सके।" एक सज्जन ने जब मुझसे अपनी व्यथा कहीं तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा। 

आप मुझे यह बताइए कि क्या वह फास्ट फूड का बहुत शौकीन है तो उन्होंने कहा कि हां, फास्ट फूड अगर उसे भोजन के रूप में मिले तो वह घर का सामान्य भोजन नहीं करेगा। 

मैंने पूछा कि क्या उसे मसालों में बहुत रुचि है और वह नमक का बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग करता है तो सज्जन ने कहा कि हां, ऐसा है। 

मैंने फिर उनसे पूछा कि क्या उसे फास्ट फूड में पिज़्ज़ा बहुत अधिक पसंद है तो उन्होंने कहा कि आपका कहना सही है उसे पिज़्ज़ा बहुत पसंद है। 

उन्होंने यह भी बताया कि वह नंग धड़ंग रहना ज्यादा पसंद करता है। घर में भी वह ऐसे ही रहता है और बाहर भी। बात बिना बात के अपनी शर्ट उतारने लग जाता है। घर में वह काफी हद तक संतुलित रहता है। उसे हम दोनों से बहुत प्रेम है और हम लोगों की सेवा के लिए वह अपनी जान देने को तैयार रहता है पर पता नहीं अचानक उसे क्या हो जाता है जो वह लड़कियों से अश्लील हरकतें करने लग जाता है। 

इतनी घिनौनी कि हमें इसके बारे में सुनकर ही घृणा उत्पन्न हो जाती है। हमने तो उसे बहुत अच्छे संस्कार दिए पर कैसे उसमें यह दोष उत्पन्न हो गया यह हमारी समझ से परे है। 

उन्होंने अपने बेटे की सारी रिपोर्ट मुझे दिखाई और एक छोटा सा वीडियो भी बना कर उन्होंने दिखाया। उन्होंने यह भी बताया कि अपनी इस समस्या के बारे में वह नहीं चाहता कि हम अलग-अलग डॉक्टरों से परामर्श लें और बार-बार डॉक्टर उसे डांटे या समझाएं इसलिए वह जल्दी से किसी भी नए चिकित्सक से मिलने को तैयार नहीं होता है।

 मैंने उन सज्जन से कहा कि आप अपने बेटे को बताइए कि मैं आपका बचपन का मित्र हूं और जड़ी बूटियों पर शोध करता हूं। आप मेरे काम के बारे में उसे बताइए। मेरी थोड़ी तारीफ भी कीजिए और बातों बातों में ही उससे कहिए कि यह वाले अंकल अगले रविवार को पारंपरिक सर्प विशेषज्ञों से मिलने जा रहे हैं। तुम चाहो तो उनके साथ जा सकते हो। अगर वह इस बात के लिए तैयार होता है तो मुझे इस बात की खुशी होगी कि वह मेरे साथ उन विशेषज्ञों के पास चलेगा। उसका मन बदलेगा और बातों ही बातों में मैं उसकी समस्या का समाधान करने की कोशिश करूंगा। 

सज्जन ने धन्यवाद दिया और वे वापस चले गए। कुछ समय बाद उनका फोन आया कि उनका बेटा मेरे साथ जाने के लिए तैयार है। मैंने उन्हें समय बता दिया। 

ठीक समय पर उनका बेटा मेरे घर पर पहुंच गया और हम लोग पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ से मिलने निकल पड़े। रास्ते में अभनपुर में मैंने बड़ी मात्रा में लास्ता खरीदा और एक डब्बा उनके बेटे के लिए भी बनवाया। जब उसने इस मिठाई को चखा तो उसकी आंखें चौड़ी हो गई और उसने कहा कि उसने अपने जीवन में कभी भी ऐसी मिठाई नहीं खाई है। 

मैंने कहा कि लास्ता छत्तीसगढ़ के कुछ ही शहरों में मिलता है और यह एक बहुत स्वादिष्ट व्यंजन है। रायपुर में ही बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। 

जब हम पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ के गांव में पहुंचे तो वहां मेला लगा हुआ था। यह उनके चेलों की परीक्षा का दिन था। वे चेले जो उनके साथ कई महीनों से रह रहे थे और अब उन्हें परीक्षा देनी थी कि वे अपने फन में माहिर हुए कि नहीं। परीक्षा के एक भाग में उन्हें नंगे बदन एक बड़े से कमरे में लिटा दिया जाता है और फिर उनके आसपास जहरीले सांपों को छोड़ दिया जाता है। सांप उनके आसपास घूमते रहते हैं और वे निर्जीव होकर पड़े रहते हैं। साँप उनके ऊपर से भी गुजर जाते हैं पर वे किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। यह प्रक्रिया कई घंटों तक चलती है और इस आधार पर ही उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण किया जाता है। 

सज्जन के बेटे ने इस प्रक्रिया को ध्यान से देखा और बड़ा ही उत्साहित हुआ। उसने अनुरोध किया कि वह भी नंगे बदन सांपों के बीच लेट जाएगा। मैंने उसे समझाया कि यह एक कठिन प्रक्रिया है जो कि लंबे प्रशिक्षण के बाद ही संभव हो पाती है। 

उसके उत्साह को देखकर पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ ने कहा कि वह चाहे तो सांपों के बीच लेट सकता है। अगर कुछ ऊंच-नीच हुई तो वे स्थिति को संभालने में सक्षम है। आश्चर्यजनक रूप से उनके बेटे ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और उसके आत्मविश्वास को देखकर पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ भी हैरान थे। उन्होंने कहा कि यह हीरा है। इसे संभाल कर रखने की जरूरत है।

 जब हम वापस लौटने लगे तो रास्ते में उसने अपने आप ही अपनी समस्या के बारे में बताना शुरू किया। मैंने उसकी बातों पर ध्यान न देने का अभिनय किया। उसने कहा कि उसे ऐसी हरकत करने का बिल्कुल भी मन नहीं करता है पर शरीर में ऐसा आवेग आता है जो कि उससे पूरी तरह से संभलता नहीं है और वह ऐसी हरकतों को कर बैठता है। जब आवेग समाप्त हो जाता है तब उसे बहुत दुख होता है इसलिए वह घंटों तक रोता रहता है जिसे कि लोग नाटक समझते हैं। 

जब उसने बताया कि इस आवेग के खत्म हो जाने के बाद उसके टॉन्सिल में समस्या शुरू हो जाती है विशेषकर दाहिने टॉन्सिल में तब मैंने उसकी बातों में रूचि ली और कहा कि यदि वह चाहे तो मैं इस टॉन्सिल की समस्या का समाधान बता सकता हूं ताकि आवेग के बाद उसे इस तरह की कोई समस्या न हो। वह खुशी-खुशी इस बात के लिए तैयार हो गया। मैंने उससे कहा कि जब वह फास्ट फूड का प्रयोग करता है विशेषकर पिज़्ज़ा का तो मसाले के रूप में वह भूल कर भी Oregano का प्रयोग न करें। इससे आवेग के बाद टॉन्सिल होने की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

इस तरह हमारी यात्रा खत्म हुई और वह अपने घर चला गया। मैंने उन सज्जन को पूरी बात बताई और उन्हें बताया कि मैं उसकी टांसिल की समस्या को दूर करने का प्रयास कर रहा हूं ऐसा उसे बताया है पर वास्तव में मैं उसकी मूलभूत समस्या को हल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं।

 10 दिनों के बाद सज्जन ने तो संपर्क नहीं किया पर उनके बेटे ने संपर्क किया और बताया कि इस बीच उसे एक बार आवेग आया। वह कम समय का था। यह आवेग उसके नियंत्रण में था और उसने अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया। 

उसने यह भी बताया कि इस आवेग के समाप्त हो जाने के बाद उसे टॉन्सिल की किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई। ऐसा कई सालों के बाद पहली बार हुआ। उसने कहा कि अगर और किसी प्रकार की सलाह देना चाहते हैं तो दे सकते हैं।

 अपने ऊपर विश्वास जमता देख कर मैंने उससे कहा कि जिन पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ के पास हम लोग गए थे वे पारंपरिक सर्प विशेषज्ञ एक विशेष तरह के Leaf platters का उपयोग करते हैं। यदि तुम उनके पास जाकर 1 हफ्ते के लिए 7 Leaf platters लेकर आ जाओ तो मैं तुम्हें ऐसे मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी दे सकता हूं जिसे उन Leaf platters में डालकर खाने से तुम्हारी यह समस्या कुछ ही दिनों में पूरी तरह से ठीक हो सकती है। उसने मेरी बात को अच्छे से समझा और फिर गांव जाकर Leaf platters ले आया। उसमें मेरे द्वारा बताए गए चावल का सेवन करने लगा।

 एक महीने बाद वे सज्जन फिर से मुझसे मिलने आए और उन्होंने बताया कि अचानक से ही उसके व्यवहार में बहुत अधिक परिवर्तन हो गया है। अब पिछले 1 महीने से उसकी कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आई है। अब वह पूरे समय केवल अपनी पढ़ाई की और अपनी भविष्य की बात करता रहता है।

हां, उसे सांपों में विशेष रूचि हो गई है और वह सांपो के विषय में ही बात करता रहता है। उसने सांपों को पकड़ने में भी दक्षता हासिल की है और सांप भी उसकी पकड़ में आते ही अचानक ही शांत हो जाते हैं। उन सज्जन ने धन्यवाद दिया। फिर उनके बेटे से किसी भी तरह से संपर्क नहीं रहा। 1 महीने तक मेडिसिनल राइस का प्रयोग करने के बाद उसने उसका प्रयोग बंद कर दिया जैसा कि उसे बताया गया था। अब मेरी भूमिका पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी।

 इस घटना के बहुत सालों के बाद अचानक ही यात्रा के दौरान उन सज्जन से मुलाकात हुई। उन्होंने नमस्कार किया और बताया कि वे ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं जहां उनका बेटा वैज्ञानिक है और वह दुनिया का जाना माना सर्प विशेषज्ञ बन गया है। 

ऑस्ट्रेलिया में वह एक दुर्लभ प्रजाति के साँप को बचाने में जी जान से जुटा हुआ है। यह सुकून भरा समाचार था।

 मैंने उन सज्जन के माध्यम से उनके बेटे को शुभकामनाएं दी। 


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