Consultation in Corona Period-151

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"आपने तो कहा था कि आपके सेठ जी मुझसे मिलना चाहते हैं पर यह तो कषाय वस्त्र में कोई स्वामी जी नजर आते हैं।" मैंने मैनेजर से कहा जिसने कि परामर्श के लिए मुझसे समय लिया था और मेरी फीस दी थी। मैनेजर ने कहा कि यह मेरे सेठ जी ही है पर पिछले कुछ सालों से उन्होंने संन्यास ले लिया है और वह स्वामी बन गए हैं। 

मैंने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति कार से उतर रहे है और अपने गनमैन पर बुरी तरह से खीझे हुए है।  पास आने पर उन्होंने मुझे प्रणाम किया और अपने मैनेजर से नाराज हो गए कि वह उन्हें कार तक लेने नहीं आया। उन्होंने मैनेजर को खूब डाँटा और उसके बाद फिर घर में प्रवेश किया। मुझे बताया गया था कि इन सज्जन को बहुत अधिक कमजोरी है और वह मुझसे मिलकर इस कमजोरी का राज जानना चाहते हैं। वे जड़ी बूटियों के परीक्षण के लिए मेरे पास आए थे। उनकी सभी तरह से जांच हुई थी। उसकी रिपोर्ट भी उन्होंने आने से पहले मेरे पास भेज दी थी। रिपोर्ट में कुछ खास नहीं था। 

उन्हें बहुत सारी बलवर्धक दवाएं दी गई थी पर उनका कहना था इससे उनकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं हो रही है। वे दिन भर चिड़चिड़ाते रहते हैं और अपने आसपास के लोगों को परेशान करते रहते हैं। उनकी आयु 55 वर्ष थी। उनके बारे में यह भी बताया गया था कि 3 साल पहले उन्होंने सन्यास ले लिया था। इस सन्यास में वे बंगले के अंदर ही एक कुटिया बनाकर रहने लग गए थे। यह कुटिया सर्व सुविधाओं से युक्त थी। वहीं से वे अपना बिजनेस संभालते थे। पत्नी से उनका संबंध पूरी तरह से विच्छेद हो गया था। उन्होंने कषाय वस्त्र धारण कर लिए थे।

 सुबह शाम वे अपने नौकर चाकरों को इकट्ठा करके प्रवचन भी दिया करते थे। वे सभी को सात्विक भोजन करने की सलाह देते थे पर उनका भोजन तामसिक हुआ करता था। 

घर के अंदर आने के बाद उन्होंने कहा कि उन्हें सफेद मूसली पर आधारित ऐसा नुस्खा चाहिए जो कि उनकी कमजोरी को पूरी तरह से ठीक कर दे। मैंने उनसे कहा कि मुझे पहले जड़ी बूटियों का परीक्षण कर लेने दीजिए उसके बाद ही मैं बता पाऊंगा कि आपकी समस्या का मूल कारण क्या है। मैंने जड़ी बूटियों का लेप पहले से तैयार करके रखा हुआ था। 

उनके आते ही मैंने उनके दोनों तलवों पर इन लेपों को लगा दिया और प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा। मैंने देखा कि वे बार-बार अपने शरीर में इत्र का प्रयोग करते हैं। मैंने उनसे पूछा कि जब तक जड़ी बूटियों का परीक्षण हो रहा है तब तक क्या आप इस इत्र को डालने से परहेज कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि ये इत्र शुद्ध फूलों से बने हुए हैं और इसकी महक से सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है इसलिए वे इसका लगातार प्रयोग करते रहते हैं। 

उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप चाहे तो मैं कुछ समय के लिए इसका प्रयोग बंद कर सकता हूं। ऐसा कहकर उन्होंने इत्र की शीशी अपने मैनेजर को दे दी। जड़ी बूटियों के परीक्षण से यह साफ नजर आया है कि वे मूलाधार की समस्या से जूझ रहे थे और अगर वे अपनी अपान वायु को ठीक करते तो उनकी समस्या का जड़ से इलाज हो जाता। उनको किसी भी तरह के टॉनिक की आवश्यकता नहीं थी। अपान वायु का दोष है इसीलिए किसी भी तरह का टॉनिक उन पर असर नहीं कर रहा था और एक नए टॉनिक की तलाश में वे मेरे पास आए थे। 

मैंने उन्हें साफ-साफ सब कुछ बता दिया। वे अपान वायु के बारे में काफी कुछ जानते थे। उन्होंने कहा कि उनको अपान वायु की किसी भी तरह की समस्या नहीं है। उनका पेट नियमित रूप से साफ होता है और नाभि के नीचे के कोई भी रोग उनको नहीं है। जब उन्होंने ऐसा कहा तो मैंने एक और तरह का परीक्षण किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें प्रोस्टेट की समस्या है। 

मैंने जब उनसे पूछा कि आपको प्रोस्टेट की किसी प्रकार की समस्या है तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया और कहा कि वे प्रोस्टेट की देखभाल के लिए उचित प्रयास करते हैं और उन्हें प्रोस्टेट की समस्या कभी भी नहीं हो सकती है। 

मेरे द्वारा किया गया परीक्षण इसी ओर इशारा कर रहा था और जब उन्होंने इस बात से इनकार किया तो मैंने जोर डालना ठीक नहीं समझा। मैंने उन्हें एक पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया। उनसे कहा कि वे उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलकर टॉनिक ले सकते हैं। हो सकता है कि इससे उन्हें कुछ लाभ हो। पर वे इस बात पर अड़े रहे कि टॉनिक वे मुझसे ही लेंगे और वह भी सफेद मूसली पर आधारित। 

इस बीच उन्होंने अनुमति मांगी कि वे वॉशरूम का उपयोग करना चाहते हैं। मैंने उन्हें वॉशरूम का रास्ता दिखा दिया और उनका मैनेजर उनको वॉशरूम में छोड़ कर आ गया। 5 मिनट बीते, 10 मिनट बीते पर वे वापस नहीं आए। मेरी बेसब्री देखकर मैनेजर ने कहा कि उन्हें कम से कम आधे घंटे का समय लगेगा। 

उन्हें पूरे शरीर की सफाई करनी होती है क्योंकि मल उनके शरीर में टिकता नहीं है और रिसता रहता है। वे डायपर का प्रयोग करते हैं पर डायपर भी अधिक कारगर नहीं होता है और उन्हें पेशाब करने में भी बहुत समय लगता है। कई बार तो वे बाथरूम में 2 घंटे तक केवल पेशाब के निकलने के इंतजार में बैठे रहते हैं। मैनेजर की बात मेरे द्वारा किए गए परीक्षण के परिणामों की पुष्टि कर रही थी। और सेठ जी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थे। अब सारी स्थिति स्पष्ट हो रही थी। 

मैंने मैनेजर को सब कुछ साफ-साफ बताने के लिए धन्यवाद दिया। मेरे उत्साहवर्धन से प्रसन्न होकर मैनेजर ने कहा कि मुझे आपको एक काम की चीज दिखानी है जिसका प्रयोग सेठ जी अक्सर करते हैं। वह दौड़ कर गया और कार से एक डब्बा उठाकर ले आया। 

डब्बे को खोला तो उसमें एक खिलौना था जिसे कि तकनीकी भाषा में Anal vibrator कहा जाता है। इस बीच सेठ जी भी आ गए।

मुझे अपने हाथ में उनके खिलौने को देखकर वे बड़े नाराज हुए। उन्होंने मैनेजर को खूब खरी-खोटी सुनाई। मैंने उन्हें शांत किया और बात बदलते हुए कहा कि आपने संन्यास की दीक्षा किनसे ली है तो उन्होंने कहा कि उन्होंने दीक्षा किसी से नहीं ली है। बस उन्होंने अपने आप ही कषाय वस्त्रों को धारण कर लिया है और सन्यासी हो गए हैं। 

जब वे थोड़े शांत हुए तो मैंने पूछा कि आप इस वाइब्रेटर का उपयोग क्यों करते हैं तो उन्होंने कहा कि उन्हें किसी डॉक्टर ने बताया है कि इससे प्रोस्टेट का मसाज होता है और यही कारण है कि मैं आपसे कह रहा था कि मुझे प्रोस्टेट की समस्या कभी भी नहीं हो सकती है। 

मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि कोई डॉक्टर आपको इसके उपयोग की सलाह नहीं दे सकता है। यह आपने किसी से सुना होगा या खुद इंटरनेट पर पढ़कर इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया होगा।

 मैंने कहा कि अब आपकी समस्या का कारण पता चल रहा है। आप कितने वर्षों से इस वाइब्रेटर का उपयोग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वे पिछले 8 वर्षों से इस वाइब्रेटर का उपयोग कर रहे हैं। मैंने उनसे यह पूछा कि वे सप्ताह में कितने दिन इसका उपयोग करते हैं और इसका उपयोग करने से क्या उन्हें किसी प्रकार का दर्द होता है तो उन्होंने बताया कि वे दिन में 3 बार इस वाइब्रेटर का प्रयोग करते हैं। इससे उनको राहत तो नहीं मिलती है बल्कि रात को काफी दर्द होता है जिसके लिए वे अक्सर दर्दनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं। मैंने उन्हें समझाते हुए कहा कि इस तरह के वाइब्रेटर का इतने लंबे समय तक प्रयोग करने से कई तरह की जटिल समस्याएं हो जाती हैं। इससे यौन सुख तो मिलता है पर प्रोस्टेट का किसी भी तरह से मसाज नहीं होता है।

 यह बात बिल्कुल सच है कि गुदाद्वार से किसी भी प्रकार की बाहरी चीज डालने से अंदर के उत्तकों को स्थाई नुकसान होता है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं है। इसका एक सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मल के विसर्जन में इसका प्रयोग करने वाले व्यक्ति का नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त हो जाता है और उसे अनजान में ही मल निकल जाता है। इससे प्रोस्टेट को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है और जितने समय से आप इसका प्रयोग कर रहे हैं अगर उतने समय तक कोई इसका प्रयोग करें तो उसे प्रोस्टेट के कैंसर होने की संभावना भी रहती है।

 दुनिया भर में इन वाइब्रेटर्स के विरुद्ध काफी आवाजें बुलंद हुई हैं। बहुत सारे शोधकर्ताओं ने आम जनता को चेतावनी देने की कोशिश की है कि वह इसका प्रयोग बिल्कुल भी न करें पर मार्केटिंग के चलते सर्च इंजन इन सब परिणामों को पीछे डाल दे रहे हैं ताकि इस तरह के खिलौने बिकते रहे और इस तरह के खिलौने बनाने वाली कंपनियों को किसी भी प्रकार का आर्थिक नुकसान न हो। सर्च इंजन को तो अपने मुनाफे से मतलब है। जनस्वास्थ से उनका सरोकार कहां है। 

सेठ जी बड़े ध्यान से मेरी बात सुनते रहे और उन्होंने कहा कि प्रोस्टेट मसाज के नाम पर ही वे लंबे समय से इसका प्रयोग करते रहे हैं। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि उन्हें इससे बहुत अधिक यौन सुख मिलता था इसलिए वे इसका प्रयोग रोकने के लिए तैयार नहीं हुए। 

मैंने उनसे कहा कि जैसा कि परीक्षण बता रहे हैं कि सारी समस्या अपान वायु की है। अब तो यह बात सिद्ध हो गई है। मैं आपको सलाह दूंगा कि आप मेरे मित्र चिकित्सक से मिले और अपने प्रोस्टेट की पूरी तरह से जांच कराएं जिससे यह पता चल सके कि इसको कितना अधिक नुकसान हुआ है और यह अब कैसी स्थिति में है।

 वे इस बात के लिए तैयार हो गए और अपॉइंटमेंट लेकर मेरे चिकित्सक मित्र के पास तुरंत ही चले गए। चिकित्सक मित्र ने जब जांच की तो पाया कि प्रोस्टेट का आकार बहुत बढ़ा हुआ है और उसमें जख्म हो गया है जिसमें कि मवाद भर गया है। उन्होंने कई तरह के परीक्षण कराने का सुझाव सेठ जी को दिया। सेठ जी रायपुर में ही रुक गए और जब परीक्षण के परिणाम आए तो पता चला कि उन्हें तीसरी अवस्था का प्रोस्टेट कैंसर है और यह लगभग लाइलाज हो चुका है। 

मेरे चिकित्सक मित्र ने उन्हें यथोचित परामर्श दिया और इस अवस्था के कैंसर के लिए उपयोगी दवाओं के बारे में बताया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वे आगे से वाइब्रेटर का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। इससे उनकी समस्या और जटिल नहीं होगी।

 जब वे मेरे पास वापस आए तो उन्होंने कहा कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई। उन्होंने इसका प्रयोग करने से पहले किसी से सलाह नहीं ली बस इंटरनेट पर पोर्न वेबसाइट में इसके बारे में विज्ञापन देखा और इसका प्रयोग करने लगे। यदि मैंने उस समय आपसे परामर्श लिया होता या किसी चिकित्सक से इस बारे में पूछा होता तो आज मुझे मौत के द्वार पर खड़ा नहीं होना पड़ता। 

उन्होंने आगे कहा कि कैंसर की चिकित्सा के लिए वे आधुनिक दवाओं का प्रयोग करेंगे। उन्होंने मुझसे उम्मीद की कि मैं उन्हें कुछ Functional foods के बारे में जानकारी दूँ जो कि इस कैंसर को फैलने से रोके। मैंने उनको विस्तार से इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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