Consultation in Corona Period-172

 Consultation in Corona Period-172

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"25 साल पहले जब आपने मेरे पिताजी के कार्यों के बारे में स्थानीय अखबारों में एक लेख लिखा और फिर उस लेख को इंटरनेट पर डाला तो सारी दुनिया को मेरे पिताजी के महान कार्यों के बारे में जानकारी हुई। 

उसके बाद में वे पूरी दुनिया में कैंसर विशेषज्ञ के रूप में लोकप्रिय हो गए और दूर-दूर से लोग लिवर के कैंसर की चिकित्सा के लिए पिताजी के पास आने लगे। हमारे तो जैसे दिन ही बदल गए।

 पिताजी को सम्मानित करने के लिए अहमदाबाद बुलाया गया और फिर उसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी उन्हें सम्मानित किया। उन्हें कैंसर से संबंधित ज्ञान अपने पिताजी से मिला था और यह पीढ़ियों पुराना हमारा पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है।

 उस समय आप पिताजी के लगातार संपर्क में थे और उन्हें चेताया करते थे कि जब भी वे विदेश जाएं तो किसी भारतीय को साथ लेकर जाएं या भारतीय दूतावास के सीधे संपर्क में रहें अन्यथा मुश्किल में पड़ सकते हैं। ऐसा कई बार हुआ भी। एक बार तो लंदन में उन्हें बंधक बना लिया गया और इस शर्त पर छोड़ा गया कि वह वापस जाकर फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी साथ गए व्यक्ति को देंगे।

 मुझे इस पारंपरिक चिकित्सा में जरा भी मन नहीं लगता था इसलिए मैंने पिताजी का सहयोग तो किया पर उनसे किसी भी प्रकार का ज्ञान प्राप्त नहीं किया। मेरी अरुचि देखकर पिताजी ने भी अपने ज्ञान के बारे में मुझे किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी।

 मृत्यु के समय उन्होंने मुझे अपने पास बिठाकर रखा और कैंसर के कुछ नुस्खों के बारे में विस्तार से समझाया। मुझे उन्हें समझने में किसी भी प्रकार की दिक्कत इसलिए नहीं हुई क्योंकि सभी फ़ार्मूलेशन्स के लिए बूटियों का प्रबंध मैं करता था और मेरी ही निगरानी में इन दवाओं का निर्माण होता था। उनकी मृत्यु के बाद समाज के लोगों ने कहा कि कैंसर की चिकित्सा का पवित्र काम मुझे करना चाहिए तब मुझे लगा कि मुझे पहले ही पिताजी से सब कुछ सीख लेना चाहिए था पर जितना भी ज्ञान था उसके सहारे मैंने पारम्परिक चिकित्सा शुरू कर दी और पिताजी के फार्मूले को उसी रूप में उपयोग करने लगा पर धीरे-धीरे अजीब से परिणाम आने लगे। 

जहां पांच खुराक के बाद पिताजी की दवा से कैंसर के रोगी आराम महसूस करने लगते थे वही 10 से 15 खुराक के बाद भी मेरी दवा से कम लोगों को ही लाभ होता था और अधिकतर मामलों में कैंसर कम होने की बजाय और अधिक उग्रता से फैलने लग जाता था। यह बात मेरी समझ से परे थी। 

मैंने अपनी माता जी से भी इस बारे में पूछा। उन्होंने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया इसलिए उनकी ओर से कोई मदद नहीं मिली। जब मैंने निश्चय किया कि मैं अब इस फार्मूले का उपयोग नहीं करूंगा तब मां ने कहा कि वह इस काम को छोड़ने से पहले एक बार आपसे मुलाकात कर ले और फार्मूले के दोषों के बारे में विस्तार से बता दे। मां को उम्मीद थी कि इससे कुछ राह निकल सकती है इसलिए मैं इतनी लंबी यात्रा करके आपके पास आया हूं और आपकी फीस जमा करने के बाद ही आपसे परामर्श ले रहा हूं।" सुदूर वन्य क्षेत्र से आए एक युवा पारंपरिक चिकित्सक को अपने सामने बैठा देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई। मैंने उसे संदर्भों के आधार पर पहचान लिया और उसके द्वारा दी गई फीस वापस कर दी। 

मैंने उससे पूछा कि क्या उसने अधिक शराब सेवन की आदत से अपने आप को दूर कर लिया है या वह अभी भी बड़ी मात्रा में शराब का सेवन करता है? 

मुझे याद आता है कि कुछ सालों पहले जब मेरी मुलाकात उन पारंपरिक चिकित्सक से हुई थी तब उन्होंने बताया था कि उनके बेटे को उनके कार्य में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं है। वह दिन भर शराब पीता रहता है और सभी को परेशान करता रहता है। युवा पारंपरिक चिकित्सक ने कुछ सकुचाते हुए कहा कि उसने शराब पर अब थोड़ा नियंत्रण कर लिया है। जब से मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है तब से उसको शराब की लत कम होती दिखाई पड़ रही है। केवल विशेष अवसरों पर ही वह अधिक मात्रा में इसका सेवन करता है पर उत्पात मचाने की बजाय चुपचाप घर में आकर सो जाता है।

 मैंने युवा पारंपरिक चिकित्सक से कहा कि तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी मेरे डेटाबेस में है। इस फार्मूले का जब प्रयोग किया जाता है तो 75 से अधिक प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग किसी भी रूप में वर्जित होता है। संभवत: तुम्हारे मरीज इस बारे में जानकारी नहीं रखते हैं इसीलिए वे इन वनस्पतियों का प्रयोग कर लेते होंगे जिससे उनका कैंसर ठीक होने की बजाय बहुत अधिक उग्र हो जाता होगा। ऐसा कहकर मैंने उन 75 वनस्पतियों की सूची बनाकर उस युवा पारंपरिक चिकित्सक को सौंप दी। उसकी आंखों में चमक आ गई और उसने कहा कि इस बात की तो मुझे बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। अब मुझे अपने फार्मूले की असफल होने का राज खुलता नजर आ रहा है।

 मैंने उससे कहा कि वह अपने पिताजी की तरह ही पूरे मन से पारंपरिक चिकित्सा करें। ईश्वर उसे सफलता अवश्य प्रदान करेंगे। मैंने उससे यह भी कहा कि वह जब भी किसी भी तरह की समस्या महसूस करे तो मुझसे बेधड़क संपर्क कर ले ताकि उसे किसी भी प्रकार की रुकावट न हो। उसने धन्यवाद दिया और भोजन कर वापस लौट गया।

 1 साल बाद उसने फिर से संपर्क किया और बताया कि अब उसके फार्मूले से बहुत कम लोगों को समस्या हो रही है और उसे कैंसर से जीतने का राज पूरी तरह से पता चल गया है। मैंने उसे शुभकामनाएं दी। 

उसने कहा कि केवल एक मामले में उसे बहुत अधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह लिवर कैंसर की अंतिम अवस्था का केस है पर इस केस में उसकी दवा बिल्कुल भी असर नहीं कर रही है इसलिए उसने अनुरोध किया कि यदि संभव हो तो वह रायपुर आ जाएगा और फिर मेरे साथ उस मरीज तक जाएगा ताकि मैं उस मरीज को देखकर यह बता सकूं कि उसके फार्मूले में कहां चूक हो रही है। 

मैंने उसे समय दे दिया और नियत समय पर हम उस मरीज के पास पहुंच गए। मरीज को सभी ओर से निराशा का सामना करना पड़ रहा था। वह गांव आ गया था शहर को छोड़कर और मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था ऐसा प्रतीत होता था।

मरीज ने बताया कि वह देशभर में कई प्रकार के हेल्थ रिसॉर्ट का मालिक है जहां पर दुनिया भर से आने वाले लोगों की चिकित्सा की जाती है। जब उसे लिवर के कैंसर का पता चला तो उसने पहले आधुनिक चिकित्सा पद्धति का सहारा लिया पर जब धीरे-धीरे सारे दरवाजे बंद होते गए तो उसने पारंपरिक चिकित्सा का सहारा लिया। 

उसने बताया कि पहले इस युवा पारंपरिक चिकित्सक के पिता ने उसकी चिकित्सा की और वह एक सफल चिकित्सक थे। कुछ वर्षों बाद जब कैंसर ने फिर से उसे अपने आगोश में ले लिया तब वह फिर से उन्ही पारंपरिक चिकित्सक के पास गया तो उसे पता चला कि उनकी तो मृत्यु हो चुकी है और उनका बेटा अब उनके स्थान पर दवाएं देता है। 

उनके बेटे की दवा लेने पर पहले दिन से ही उन्हें समस्याएं होने लगी और उसका कैंसर कम होने की बजाय उग्र रूप धारण करके फैलने लगा। मरीज ने यह भी बताया कि उसने गांव में ही एक रिसोर्ट बनाने की योजना बनाई है और इसके लिए वह कई प्रकार की झोपड़ियों का निर्माण कर रहा है। वह जिस स्थान पर लेटा हुआ था वह भी झोपड़ीनुमा घर था। सारी सुविधाओं से सुसज्जित था पर उसे बनाने के लिए जंगल की लकड़ियों का प्रयोग किया गया था।

 जब मैंने उन लकड़ियों को ध्यान से देखना शुरू किया और साथ ही उन्हें पहचानना शुरू किया तो समस्या का समाधान होता नजर आया। मैंने युवा पारंपरिक चिकित्सक से कहा कि मैंने तुम्हें जो सूची दी थी वनस्पतियों की उसका तुमने क्या ठीक से अध्ययन नहीं किया तब उस युवा पारंपरिक चिकित्सक ने कहा कि उन सभी वनस्पतियों के नाम मेरी जुबान पर है। मैं उन्हें सुबह-शाम रटता रहता हूं ताकि किसी भी तरह से उन्हें न भूलूँ।

 मैंने उसे बताया कि जिस झोपड़ीनुमा घर में मरीज को रखा गया है वहां बहुत अधिक मात्रा में एक जंगली वृक्ष कर्रा की लकड़ियों का प्रयोग किया गया है। यह एक बहुत उपयोगी वृक्ष है पर यह भी एक नग्न सत्य है कि यह एक बहुत ही अधिक जहरीली वनस्पति है। कुछ मात्रा में छतों के निर्माण के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है पर जिस मात्रा में सभी लकड़ियों के विकल्प के रूप में इस लकड़ी का उपयोग इन सज्जन ने किया है उससे युवा पारंपरिक चिकित्सक की दवा की विपरीत प्रतिक्रिया होने की पूरी संभावना है। 

मैंने आगे कहा कि तुम्हारे फार्मूले में परसा मूसली को एक अहम घटक के रूप में डाला गया है जिसकी कि कर्रा से जानलेवा विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

 मुझे लगता है कि इसी कारण तुम्हारे फार्मूले के प्रयोग से इनका कैंसर ठीक होने की बजाय और अधिक तेजी से फैलने लगा है। तुम इन सज्जन से अनुरोध करो कि वे साधारण घर में चले जाएं और 10 दिनों तक दवाओं का प्रयोग करके फिर परिणाम बताएं। 

थोड़ा सा असहज होते हुए युवा पारंपरिक चिकित्सक ने कहा कि मुझे लगा कि जिन 75 वनस्पतियों का नाम आपने दिया है उन्हें मुंह से लेने से उसकी विपरीत प्रतिक्रिया मेरे फार्मूले के साथ होती है पर मुझे यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि उन वनस्पतियों के सानिध्य में रहने से भी फार्मूले पर विपरीत असर पड़ता है। 

मैंने कहा कि तुमने बिलकुल ठीक समझा। 

वे सज्जन हमारी बातों को सुन रहे थे और उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने सभी हेल्थ रिसॉर्ट में इसी तरह की झोपड़ियों का निर्माण किया है और उसमे बहुत अधिक मात्रा में इसी तरह से कर्रा की लकड़ी का प्रयोग किया है। मैंने उससे कहा कि कर्रा की लकड़ी का इतनी अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए विशेषकर ऐसे स्थान पर जहां पर दिन का अधिकतर समय गुजारना होता है। यह बात भारत के पारंपरिक चिकित्सक जानते हैं पर आम लोग नहीं जानते हैं इसलिए अक्सर उन्हें परेशानी हो जाती है।

 मैंने उनसे कहा कि यदि वे चाहे तो मैं उनके लिए स्वास्थ के दृष्टिकोण से अनुकूल झोपड़ियों की डिजाइनिंग कर दूंगा ताकि उसमें रहने वाले किसी भी तरह के रोग से प्रभावित व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। उसने धन्यवाद दिया और वह अपने पुराने मकान में रहने के लिए चला गया। 

हम वापस लौट आए। कुछ दिनों बाद युवा पारंपरिक चिकित्सक का फिर से फोन आया कि अब उसका फार्मूला कैंसर पर किसी चमत्कार की तरह काम कर रहा है। उसने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 मैंने उसे सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


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