Consultation in Corona Period-143

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"दिसंबर 2019 में मेरी शादी हुई। शादी के लिए मैं सिंगापुर से भारत आया और शादी के बाद नए साल की शुरुआत में हम वापस सिंगापुर चले गए। 

सिंगापुर जाने से पहले हम दोनों ने अपने स्वास्थ की पूरी तरह से जांच कराई क्योंकि उस समय चीन में एक रहस्यमय बीमारी फैली हुई थी। बाद में उसे बीमारी का नाम कोविड-19 रखा गया। 

हमारी रिपोर्ट बिल्कुल ठीक थी। हमें किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं थी और हम पूरी तरह से ठीक थे। जैसे ही हम सिंगापुर में पहुंचे और अपने फ्लैट में रहने लगे। 2 दिनों के अंदर मेरी तबीयत बिगड़ने लगी। 

सांस लेने में तकलीफ होने लगी और तेज बुखार आने लगा। मुझे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां जांच के बाद पता चला कि चीन में फैली रहस्यमय बीमारी ने मुझे भी जकड़ लिया है। मेरी स्थिति बहुत बिगड़ी।

 मुझे वेंटिलेटर पर रखा गया पर यह अच्छी बात है कि मेरी जान बच गई और मुझे पूरी तरह से स्वस्थ होने में 1 महीने का समय लग गया। 

फरवरी के अंत तक मैं पूरी तरह से ठीक हो गया और फिर हमने अपने निजी चिकित्सक की अनुमति के बाद संतानोत्पत्ति के प्रयास करने शुरू किए। 

2 महीने के असफल प्रयास से हम बहुत निराश हो गए और हमने फिर से अपने निजी चिकित्सक से सलाह ली। उन्होंने जब हमारी अच्छे से जांच की और रिपोर्ट आई तो पता चला कि मेरे सीमेन में शुक्राणुओं की संख्या बहुत अधिक घट गई है। इतनी अधिक कि निजी चिकित्सक भी हैरान थे। 

उन्होंने कई तरह की दवायें दी और कहा कि चीन की रहस्यमय बीमारी के बाद ऐसा उन्होंने बहुत से मरीजों में देखा है और उन्हें लगता है कि मैं कभी भी अब बाप नहीं बन पाऊंगा।

 मैंने उनकी बात को अनसुना करके और भी दूसरे चिकित्सकों से बात की पर उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद ऐसा ही होता है और ऐसा केवल सिंगापुर में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में देखा जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि आप शुक्र मनाइए कि आपकी जान बच गई है। अगर आप संतानोत्पत्ति में अक्षम हो गए हैं तो आप किसी बच्चे को गोद ले लीजिए या वैकल्पिक उपायों पर ध्यान दीजिए। 

मैंने भारत के आयुर्वेदिक चिकित्सकों से संपर्क किया और बहुत सारे वैद्यों से भी। उस समय भारत में लॉकडाउन लगा था इसलिए भारत आना संभव ही नहीं था। सिंगापुर में भी लगभग यही स्थिति थी। 

फिर भी स्थानीय आयुर्वेदिक दुकानों से मैंने वैद्यों द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित सेवन करना शुरू किया पर शुक्राणुओं की संख्या किसी भी उपाय से बढ़ नहीं रही थी। हमने इंटरनेट पर आपके लेख पढ़ें और कोरोना पर आपका शोध देखा। 

हम यह जानना चाहते हैं कि क्या मेरी स्थिति में सुधार हो सकता है? क्या आपके पास कोई ऐसा फार्मूला है जो कि शुक्राणुओं की संख्या को फिर से सामान्य कर दें और हमें संतान उत्पत्ति में मदद मिले?" सिंगापुर से जब यह संदेश आया तो मैंने उस युवक से कहा कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा।

 मैंने उससे कहा कि संतानोत्पत्ति की इतनी हड़बड़ी क्यों है? वह कुछ समय रुक सकता है। जब कोरोनावायरस का संक्रमण पूरे विश्व में शांत हो जाए उसके बाद वह वैद्यों द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन करके फिर से सामान्य स्थिति में आ सकता है।

 मैंने उससे यह भी कहा कि वह अगर भारत आ सकता है तो आ जाए ताकि मैं उसके पैरों पर जड़ी बूटियों का लेप लगाकर कुछ परीक्षण कर सकूं और उसकी समस्या का मूल कारण जान सकूं। 

उसने कहा कि यह तो अभी 1 साल तक संभव नहीं है। एक बार इस वायरस का संक्रमण हो जाने के बाद डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कहा है कि अब आपको बहुत बचकर रहना होगा। यदि दोबारा संक्रमण हुआ तो आपका बचना बहुत मुश्किल हो जाएगा इसलिए मैं बिल्कुल भी यात्रा नहीं कर रहा हूं और सिंगापुर में ही घर में बैठकर काम कर रहा हूं।

 उसके इस जवाब को सुनकर मैंने उससे पूछा कि क्या यह संभव है कि वह अपने द्वारा 24 घंटे तक पहने गए कपड़ों को पार्सल के माध्यम से भारत भिजवा सकता है ताकि मैं उसकी सहायता से उसके रोग का कारण पता लगा सकूं तो उसने इस दिशा में प्रयास किया पर बाद में उसका संदेश आया कि यह संभव नहीं है।

 मैंने उससे कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं है। वह मेरी बात अगर अपने निजी चिकित्सक से करा सकता है तो अवश्य कराए। हो सकता है उससे कुछ सूत्र मिल जाए। 

जब मैंने उसके निजी चिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि इस युवक को कोरोनावायरस का गंभीर संक्रमण हुआ था और इसकी जान मुश्किल में पड़ गई थी। इसके बहुत सारे अंग इससे प्रभावित हुए हैं और अभी भी सांस लेने में तकलीफ होती है। 

उनका कहना था कि शुक्राणुओं की कमी कोरोनावायरस के कारण है और यह स्थाई रहेगा। अगर बहुत प्रयास किए जाए तो इसे सामान्य स्थिति में आने में 8 से 10 वर्षों का समय लगेगा पर इस बारे में कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा जा सकता है। 

मैंने उस युवक से पूछा कि कोरोना का संक्रमण होने के बाद उसने किन-किन दवाओं का प्रयोग किया है और कितनी मात्रा में- उसकी पूरी जानकारी मुझे भेजे और अपना भी एक छोटा सा वीडियो बनाकर भेजें। यह अगस्त की शुरूआत की बात है।

 सिंगापुर में अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उसे जो जो दवाएं दी गई थी उसके बारे में मैंने अपने डेटाबेस को खंगाला और ड्रग इंटरेक्शन के बारे में विस्तार से अध्ययन किया तो स्थिति कुछ-कुछ साफ होने लगी। 15 अगस्त को जब उसका फोन आया तो मैंने उससे कहा कि क्या वह अभी भी हाइड्रोक्लोरोक्वीन का उपयोग कर रहा है तो उसने कहा कि कोरोनावायरस  से उबरने के बाद से ही वह लगातार चिकित्सकों के परामर्श पर इस दवा का प्रयोग कर रहा है बिना किसी अंतराल के। 

मैंने उसे परामर्श दिया कि वह अपने चिकित्सक से एक बार फिर से मिले और उनसे पूछे कि क्या अभी भी हाइड्रोक्लोरोक्वीन को लेना जरूरी है?

 जब उसने अपने चिकित्सक से बात की तो चिकित्सक उससे नाराज हुए और कहा कि इतने लंबे समय तक इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए और उन्होंने सलाह दी कि वह इसका प्रयोग अब रोक सकता है। 

मैंने उससे कहा कि वह सिंगापुर में एक भारतीय हर्बलिस्ट को खोजें फिर मेरा संपर्क उनसे कराए। मैंने भारतीय हर्बलिस्ट से कुछ जड़ी बूटियों की जानकारी मांगी फिर उनसे अनुरोध किया है कि आप इन जड़ी-बूटियों को मिश्रण के रूप में इस युवक को दे दे। 

मैंने उस युवक से कहा कि वह 2 महीने तक इस दवा का प्रयोग करें और उसके बाद फिर से अपनी जांच करवाए। मुझे उम्मीद है कि इससे उसकी स्थिति में सुधार होगा। 

हाइड्रोक्लोरोक्वीन को बंद करने के बाद और मेरे द्वारा दिए गए मिश्रण का प्रयोग करने के 2 महीने के अंदर ही उसकी स्थिति में सुधार होने लगा और पिछले ही हफ्ते उसने अपनी रिपोर्ट भेजी जिसमें बताया गया था कि शुक्राणुओं की संख्या फिर से सामान्य हो गई है। 

मैंने उससे कहा कि अब वह मिश्रण का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दे। अब उसे इसकी आवश्यकता नहीं है। उसने आशंका व्यक्त की कि अगर वह इसका प्रयोग बंद कर देगा तो फिर से उसकी स्थिति बिगड़ जाएगी। मैंने उसे विस्तार से समझाया कि मेडिकल साइंस कहता है कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन का अधिक मात्रा में अधिक समय तक प्रयोग करने से शुक्राणु पूरी तरह से मारे जाते हैं और बहुत तरह की स्वास्थ समस्याएं हो जाती हैं। तुम्हारी समस्या का कारण कोरोनावायरस नही बल्कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन का लंबे समय तक प्रयोग था। मैंने तुम्हें जो मिश्रण दिया है वह इसका एंटीडोट था। इसने बखूबी काम किया और 2 महीने के अंदर में हाइड्रोक्लोरोक्वीन का बुरा असर पूरी तरह से समाप्त हो गया। 

मैंने उससे पूछा कि तुम इतने लंबे समय से हाइड्रोक्लोरोक्वीन का प्रयोग कर रहे हो क्या तुम्हारी आंखों में भी किसी तरह की समस्या हुई है तो उसने कहा कि उसे देखने में तकलीफ हो रही है और जब उसने नेत्र चिकित्सक से इसकी जांच कराई तो पता चला कि रेटिना को किसी तरह का नुकसान हुआ है। मैंने उसे बताया कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन का लंबे समय तक प्रयोग करने से रेटीना को स्थाई रूप से हानि होती है और बहुत से मामलों में आंखों की रोशनी भी स्थाई रूप से चली जाती है इसलिए हाइड्रोक्लोरोक्वीन का प्रयोग बहुत संभलकर करना चाहिए और चिकित्सकों के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए। 

उसे यह जानकर खुशी भी हुई और दुख भी हुआ कि उसकी आंखों की समस्या का कारण भी हाइड्रोक्लोरोक्वीन है। मैंने उससे कहा कि उसने मिश्रण का प्रयोग 2 महीने तक किया है और हाइड्रोक्लोरोक्वीन का प्रयोग पूरी तरह से रोक दिया है उसे अब फिर से अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि उसकी आंखों की स्थिति में काफी सुधार हो गया होगा। 

उसने मुझे धन्यवाद दिया और जल्दी ही अपनी आंखों की जांच करवाकर रिपोर्ट भेजने का आश्वासन दिया।

 मैंने उसे शुभकामनाएं दी।


 सर्वाधिकार सुरक्षित

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