Consultation in Corona Period-142

Consultation in Corona Period-142



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"बोल बच्चा तुझे क्या चाहिए? जो भी चाहिए मैं तुझे दूंगी।"

 मैंने कहा कि मुझे वट्टा काका की जड़ चाहिए।

 उसने कहा "क्या? किसकी जड़?"

 मैंने फिर से कहा "वट्टा काका की जड़ चाहिए।"

 यह शब्द उसके दिमाग की डिक्शनरी के लिए नया था।

 दिमाग उसमें उलझ गया और उसका उन्माद जाता रहा।

 मैं एक एनजीओ के साथ कोलकाता के एक तांत्रिक के पास था जहां मस्ती में झूमती हुई एक 35 वर्षीय युवती मुझसे मनचाहा वरदान मांगने को कह रही थी। 

उस युवती की सहेली की शिकायत के आधार पर एनजीओ ने मुझसे संपर्क किया था और पूछा था कि क्या इस युवती को तांत्रिक के चंगुल से बचाया जा सकता है? क्या इसकी दशा का किसी तरह का कोई उपचार है? 

इसमें जो भी खर्च आएगा हम वहन करने को तैयार हैं। आप बिना देरी के कोलकाता आ जाइए और एक बार उस युवती की हालत अपनी आंखों से देख लीजिए। 

मैंने उन्हें अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का पता दिया और कहा कि उनसे अगर संपर्क करें तो वे बेहतर तरीके से ऐसे मामलों से निपटना जानते हैं पर संस्था के लोग इस बात पर अड़े रहे कि मैं ही एक बार कोलकाता आकर उस युवती की हालत देखूँ और फिर बताऊं कि उसकी चिकित्सा हो सकती है कि नहीं। 

जब हम वापस अपने होटल लौटे तो मैंने संस्था के सदस्यों से कहा कि आप उस युवती को तांत्रिक के चंगुल से बचाएं और संभव हो तो मेरे पास उसे उसकी सहेली के साथ रायपुर भेजें ताकि मैं विस्तार से पूरी स्थिति की जानकारी ले सकूं। 

मुझे उस युवती से कुछ निजी प्रश्न भी पूछने होंगे और यदि उसको इस बात की परेशानी होगी तो जब मैं उससे रायपुर में बात करूंगा तो मेरी माता जी भी साथ बैठी होंगी ताकि उसे किसी भी प्रकार का संकोच न रहे। 

संस्था के सदस्यों ने विचार विमर्श किया और उसके बाद फिर उन्होंने उस युवती और उसकी सहेली को मुझसे मिलने के लिए रायपुर भेज दिया। उसकी सहेली ने मुझे बताया कि यह युवती विवाहित है और उसके पति ने ही उसे तांत्रिक के पास उपचार के लिए भेजा है।

दरअसल कुछ वर्षों पहले इन दोनों की शादी हुई और शुरू में सब कुछ ठीक रहा पर बाद में पति शिकायत करने लगे कि जब भी मैं पत्नी के कमरे में प्रवेश करता हूं उसकी हालत वैसी ही हो जाती है जैसे कि आपने तांत्रिक के पास उसकी हालत देखी थी।

 ऐसा किसी पति को कैसे सहन होगा। उसने पहले मनोचिकित्सक से दवा करानी शुरू की। उसे लगता था कि यह किसी भूत वूत का चक्कर है इसलिए उसने तांत्रिक का सहारा लिया और तांत्रिक ने उसे आश्वस्त किया कि कुछ ही महीनों में उसकी पत्नी फिर से पहले की तरह ठीक हो जाएगी। 

उस युवती का पति बहुत निराश हो चुका है और वह तलाक लेने की तैयारी कर रहा है। युवती की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

 जब से उसे तांत्रिक के पास लाया गया है तब से तो उसकी हालत बद से बदतर हो गई है। उसकी हालत में किसी भी तरह का सुधार नहीं हो रहा है। उसका खाना पीना छूट गया है और धीरे-धीरे उसकी मति भी भ्रष्ट होती जा रही है ऐसा प्रतीत होता है।

रायपुर में युवती मेरी माता जी से मिली तो बहुत ही अधिक सहज हो गई और उसने अपने साथ बीती सारी घटनाओं के बारे में धीरे-धीरे बताना शुरू कर दिया। उसने बताया कि 5 वर्ष की अबोध उम्र में उसके चाचा जो कि उसके घर पर ही रहते थे, ने उसके साथ बलात्कार किया था और उसे बहुत अधिक मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ा था। 

उसने जब घर में इसकी शिकायत की तो उसे ही डांट डपट कर चुप करा दिया गया क्योंकि चाचा का बहुत ज्यादा घर में प्रभाव था। 5 वर्षीय बालिका पूरी तरह से टूट गई और उसका किसी भी तरह से मानसिक उपचार नहीं किया गया। वह गुमसुम रहने लगी। 

जब वह बड़ी हुई तो उसने उच्च शिक्षा ग्रहण करने का मन बनाया और घरवालों को साफ शब्दों में कह दिया कि वह किसी भी हालत में विवाह करने के लिए तैयार नहीं है पर घरवाले लगातार दबाव बनाए हुए थे क्योंकि उसके बाद उसकी दो छोटी बहनें भी थी। जिनका विवाह बड़ी बहन के विवाह न होने के कारण रुका हुआ था। 

मनमसोसकर उसने विवाह करने का फैसला किया और यह भी फैसला किया कि वह पहले ही दिन अपने पति को बता देगी कि उसके साथ बचपन में क्या हुआ और उसे इस प्रक्रिया से पूरी तरह से नफरत है। 

जब उसने अपने गुरु से इस बारे में बात की तो उनके गुरु ने साफ शब्दों में कह दिया कि ऐसी बात पति को बताना ठीक नहीं होगा।

 इससे पारिवारिक जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो सकता है। 

उसने अपने बारे में बताना जारी रखा। उसने बताया कि शादी के बाद उसे एक बहुत अच्छे पति मिले जो कि हर तरह से उसका ख्याल रखते थे और उसके मानसिक आघात को इस तरह से मलहम मिलना शुरू हो गई। पर उनमें एक ही दोष था कि वे बिस्तर पर बहुत अधिक कामुक थे। इतने अधिक कामुक कि मुझे बार-बार अपने चाचा की याद आ जाती थी और मैं डिप्रेशन में चली जाती थी। 

इसमें उनकी गलती नहीं थी पर मेरी हालत खराब थी और मैं मानसिक रूप से इस प्रक्रिया के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। मैं अपनी बात किसी से भी नहीं कह सकती थी। 

मैंने अपनी सहेली को बताया पर उसने कहा कि अब तो विवाह हो गया है इसलिए अब इस संबंध को निभाना होगा। पति की कामुकता का डर इतना बढ़ने लगा कि उनकी गाड़ी नीचे रुकते ही मुझे वैसे ही लक्षण आने लगे जिन लक्षणों में आपने मुझे देखा था। 

चिकित्सकों ने बताया कि यह हिस्टीरिया की समस्या है और बचपन में किसी गंभीर घटना के कारण मन पर गहरा आघात हुआ है जिसके कारण यह सब हो रहा है। उन्होंने कई तरह की दवाएं दी जिनमें नींद की दवायें प्रमुखता से थी। वह अपने पति को खुलकर सब कुछ नहीं बता पाई।

पति अपनी भूमिका प्राकृतिक रूप से निभाते रहे पर हर बार पति को कमरे के अंदर आता देख कर युवती की हालत बुरी तरह से बिगड़ जाती थी और रात भर वह उसी स्थिति में रहती थी। थक हार कर उसके पति ने उसे तांत्रिक के पास भेजा। 

जब वह युवती तांत्रिक के पास रहने लगी तो वह तांत्रिक भी चाचा की तरह ही निकला और उसे शारीरिक और मानसिक यंत्रणा देने लगा। यही कारण था कि तांत्रिक के पास जाने के बाद उसकी स्थिति बद से बदतर हो गई। अपनी आपबीती बताकर वह युवती चुप हो गई। 

उस युवती की सहेली ने मुझसे कहा कि क्या आपके पास कोई ऐसी दवा है जिससे इसे इस तरह के लक्षण आने बंद हो जाए और वह फिर से सामान्य जीवन जीने लगे। 

मैंने उनसे कहा कि मेरे पास इससे भी एक अच्छा उपाय है जो सारी समस्याओं को पूरी तरह से प्रभावी रूप से ठीक कर देगा।

 मैंने युवती को सात तरह की बूटियों का एक मिश्रण दिया और उसे बताया कि वह पति के कमरे में आने के एक घंटे पहले इस मिश्रण को दूध में घोलकर अपने एक हाथ में लगा ले। हाथ में विशेषकर अपने पंजे में और फिर उसे सूखने दें।

 जब पति इस प्रक्रिया में पूरी तरह से व्यस्त हो जाएं और इससे उस युवती को समस्या होने लगे तो वह बिना किसी हड़बड़ी के बड़े आराम से जड़ी बूटी के लेप लगे पंजे को उनके प्राइवेट पार्ट पर रख दे। इससे 10 सेकंड की अवधि के अंदर उसके पति स्खलित हो जाएंगे और उन्हें इसका बिल्कुल भी आभास नहीं होगा कि यह सब किसी बूटी के प्रभाव से हो रहा है।

 बस उसको सामान्य रहने की आवश्यकता है। उसे भूलकर भी इस बूटी के बारे में अपने पति को या घर के किसी सदस्य को जानकारी नहीं देनी है कि वह इस तरह से असर करती है। इससे उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा। उसके पति भी खुश रहेंगे। उसकी हिस्टिरिया जैसी समस्या भी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। 

उसे इस पर एकाएक विश्वास नहीं हुआ। मैंने उसे थोड़ी मात्रा में मिश्रण दिया और कहा कि वह वापस जाकर इसका प्रयोग देखें और अगर वह इसमें सफल होती है तो फिर मैं बड़ी मात्रा में साल भर के लिए उसे इस मिश्रण को दे दूंगा।

 युवती और उसकी सहेली वापस लौट गए फिर बहुत समय तक उनका किसी भी तरह का फोन नहीं आया और न ही किसी प्रकार का संपर्क हुआ। 

6 महीनों बाद युवती ने बताया कि अब उसकी समस्या का समाधान हो गया है और उसे अधिक मात्रा में इस मिश्रण की आवश्यकता है। मैंने कुरियर से वह मिश्रण उसके पास भिजवा दिया।

 इतने वर्षों बाद पिछले महीने उस युवती का एक संदेश आया जिसमें उसने कहा था कि उसने और उसके पति ने मिलकर एक नए होटल की शुरुआत की है। यह सात सितारा होटल है और वह इस होटल की एमडी है। होटल के उद्घाटन के अवसर पर पहले उस युवती ने मुझे आमंत्रित किया फिर फोन पर उसके पति आए जिन्होंने मुझे विशेष धन्यवाद दिया। 

उन्हें इस बात की जरा भी खबर नहीं थी कि बिना किसी आंतरिक दवा के उनका वैवाहिक जीवन फिर से सुखी हो गया था।

 यह सारा कमाल भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का था।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)