Consultation in Corona Period-116

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"पत्नी के कैंसर के लिए मैंने 30 लाख रुपये से अधिक  खर्च कर दिए पर फिर भी किसी तरह का लाभ नहीं हुआ। 


हमने इंटरनेट पर आपके बहुत सारे वीडियो देखे और कैंसर पर आपके शोध पत्र देखे। फिर हमें किसी ने सलाह दी कि हम आपसे एक बार मिल लें इसलिए हमने आपसे परामर्श के लिए समय मांगा है।"


 मध्य प्रदेश के एक सज्जन मुझसे फोन पर बात कर रहे थे। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 


पहले आप अपनी समस्या के बारे में विस्तार से बताएं। उन्होंने बताया कि चार साल पहले उनकी पत्नी को सिर के पिछले हिस्से में एक गठान हो गई। 


हमने अपने खानदानी वैद्य से मदद लेने की योजना बनाई। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारा परिवार पीढ़ियों से आधुनिक दवओं का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करता है। हमें केवल पारंपरिक चिकित्सा में विश्वास है और वह भी एक वैद्य पर जो कि हमारे परिवार से कई पीढ़ियों से जुड़े हुए हैं। 


अभी उनके परिवार के एक युवा वैद्य मोर्चा संभाले हुए हैं और अपनी खानदानी परंपरा को जारी रखे हुए हैं। 


जब हमने उन्हें पत्नी की समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने सिर को कई जगहों से दबाकर देखा। 


गठान पर एक विशेष तरह का लेप लगाकर देखा और फिर कहा कि यह कैंसर के लक्षण है और यह अच्छा हुआ कि आपने जल्दी ही मुझसे संपर्क कर लिया अन्यथा यह कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता और कुछ ही महीनों में इनकी मृत्यु हो जाती।


 हम बहुत घबरा गए और हमने उनका शुक्रिया अदा किया कि आपने समय रहते इस मर्ज को पकड़ लिया। हम पूरी तरह से उनकी शरण में आ गए और उन्होंने इसकी चिकित्सा करनी शुरू कर दी।


 उन्होंने पांच प्रकार की अलग-अलग दवाएं दी जिन्हें सुबह-शाम नियमित रूप से लेना था। उन्होंने कहा कि इस समस्या को पूरी तरह से ठीक होने में 5 से 6 वर्षों का समय लग सकता है पर इस बात की गारंटी है कि यह कैंसर इस स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं फैलेगा। 


उन्होंने यह भी कहा कि यह इलाज बहुत अधिक महंगा होगा। यदि यह आपके बजट में है तो आप इसे करवाइए अन्यथा अभी से इंकार कर दीजिए। 


इस केस में बहुत ही दुर्लभ जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाएगा जो कि बहुत महंगी मिलती हैं।


 हम शुरू से आर्थिक रूप से संपन्न है इसलिए हमने तुरंत इस बात की मंजूरी दे दी कि वे जिस प्रकार का फार्मूला प्रयोग करना चाहते हैं बेधड़क होकर करें। पैसे की चिंता बिल्कुल न करें। 


उन्होंने उपचार शुरू किया और जैसा कि उन्होंने कहा था कि यह उपचार बहुत अधिक महंगा है उनकी बात बिल्कुल सही थी।


 उन्होंने हमें तेलिया कंद नामक एक कन्द दिया और कहा कि इसे एक विशेष विधि से लगातार बिना किसी अंतराल के उपयोग करना है। हम पिछले कई सालों से कन्द का लगातार उपयोग कर रहे हैं और इसी कंद के ऊपर हमारे 22 लाख से अधिक रुपए खर्च हो चुके हैं। 


इसके अलावा वे नारायणी मूसली नामक एक विशेष तरह की मूसली भी देते हैं जिस पर हमने इन वर्षों में आठ लाख से अधिक रुपए खर्च कर दिए हैं। 


चिकित्सा के इतने वर्षों बाद भी गठान वैसी की वैसी है और हमारे वैद्य कहते हैं कि यह उनकी दवा के कारण हैं। 


यदि उनकी दवा नहीं ली जाती तो यह गठान बहुत बढ़ जाती और कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता।


 जब चिकित्सा का खर्च 30 लाख से अधिक हो गया और गठान पर किसी भी तरह का असर नहीं दिखा तब हमने अपने पारिवारिक मित्रों की सलाह पर दूसरे विकल्पों की तलाश शुरू की। 


मैंने उन सज्जन की बात बड़े गौर से सुनी फिर उनसे कहा कि वे तेलिया कंद और नारायणी मूसली का सैंपल मुझे भेजें ताकि मैं उनकी जांच कर यह बता सकूं कि उनमें किसी प्रकार का दोष तो नहीं है।


 उन्होंने जल्दी ही दोनों तरह के सैंपल मुझे भेज दिए और जब मैंने उन्हें देखा तो मुझे सारी बातें स्पष्ट हो गई। 


मैंने उनसे कहा कि फोन पर बात करने से काम नहीं चलेगा। आप समय निकालकर रायपुर आयें और रायपुर आकर विस्तार से बात करें। मैं आपकी समस्या का समाधान करने की कोशिश करूंगा।


 वे जब रायपुर आए तो मैंने जड़ी बूटियों की सहायता से एक छोटा सा परीक्षण किया। इस परीक्षण के परिणाम बहुत ही चौंकाने वाले थे। 


सिर की जिस गठान को उनके वैद्य कैंसर कह रहे थे दरअसल वह कैंसर नहीं था। उनके साथ धोखा किया गया था। यह हो सकता था कि उस वैद्य को इस बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी न हो। 


मैंने उन सज्जन को विस्तार से इसके बारे में बताया तो वे बुरी तरह से चौक गए। उनके बेटे ने तो वैद्य का पक्ष लेना शुरू कर दिया और बताया कि वे हमारे साथ किसी भी प्रकार का धोखा नहीं कर सकते हैं। 


मैंने उनसे कहा कि आप आधुनिक चिकित्सा का लाभ उठाएं और इस गठान की जांच कराएं। वे भी आपको बताएंगे कि यह कैंसर नहीं है। 


आधुनिक चिकित्सा का नाम सुनते ही वे आग बबूला हो गए और उन्होंने कहा कि वे पीढ़ियों से आधुनिक चिकित्सा का प्रयोग नहीं कर रहे हैं और न ही पीढ़ियों तक इसका प्रयोग करेंगे। 


मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि अगर आधुनिक चिकित्सा पारंपरिक चिकित्सा के बिना अधूरी है तो पारंपरिक चिकित्सा भी आधुनिक चिकित्सा के बिना अधूरी है। जब दोनों मिलकर काम करते हैं तो किसी भी प्रकार का जटिल रोग चुटकियों में सुलझ जाता है। 


कैंसर की पहचान करने में यद्यपि बहुत सी पारंपरिक विधियां कारगर है पर इनका आधुनिक चिकित्सा की विधियों से किसी भी तरह का कोई मुकाबला नहीं है। 


मैंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उनसे पूछा कि क्या उनकी पत्नी को वैद्य की चिकित्सा शुरू करने के बाद फेफड़े की समस्या होनी शुरू हो गई है और साथ में लीवर भी ठीक से काम नहीं कर रहा है तो उन्होंने कहा कि हां, ऐसा तो हो रहा है पर उनके वैद्य कहते हैं कि ऐसा कैंसर के फैलने की वजह से हो रहा है।


 मैंने उन्हें बताया है कि वैद्य जिस कंद को तेलिया कंद बता कर दे रहे हैं वह वास्तव में तेलिया कंद न होकर भस्म कन्द है जिसे कि लंबे समय तक यदि किसी को दिया जाए तो उसके फेफड़े पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लीवर की कार्यक्षमता भी बुरी तरह से प्रभावित होती है। 


तेलिया कंद बहुत अधिक सस्ते में उपलब्ध हो जाता है पर इसे दुर्लभ बताकर वैद्य और उनके साथी बहुत अधिक कीमत पर बेचते हैं। आपके साथ ठगी हुई है। 


एक तो आपको गलत तेलिया कंद दिया गया और उसके लिए 22 लाख रुपए वसूल लिए गए। तिस पर तेलिया कंद के स्थान पर एक ऐसा कंद दिया गया जिसने कि आपकी पत्नी के शरीर को स्थाई रूप से नुकसान पहुंचाया है। 


वैद्य द्वारा की गई इस ठगी के बारे में सुनकर उनका पुत्र तुरंत ही घर से बाहर निकल गया और वहां से कहने लगा कि आप हमारे वैद्य के पीछे पड़े हुए हैं जबकि वे बड़े सज्जन पुरुष हैं और वे हमारे साथ कभी ऐसा नहीं कर सकते।


 मैंने उन सज्जन से कहा कि आपने 22 लाख रुपए जिस कंद पर खर्च किए हैं वह आपको मुश्किल से 100 रूपयों में मिल जाता कई सालों के लिए। 


हो सकता है कि यदि आप सही पारंपरिक चिकित्सक के पास जाते तो वे आपको इसे मुफ्त में भी दे देते।


 मैंने उन्हें यह भी बताया कि जब आपकी पत्नी इस कन्द का प्रयोग करती होगी तो उन्हें बहुत ज्यादा उल्टी होती होगी और बड़ी मुश्किल से वे इसका प्रयोग कर पाती होंगी। 


उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी को इस कन्द से पहले दिन से ही बहुत समस्या होती है इसलिए हम पूरे परिवार के लोग उनके हाथ पैर पकड़कर जबरदस्ती इस कन्द को खिलाते हैं। 


हमें वैद्य ने कहा है कि किसी भी हालत में लगातार इस कन्द को खिलाना है। 1 दिन का भी अंतराल करना कैंसर को बढ़ा सकता है।


 मेरी इस बात को सुनकर उनकी पत्नी रोने लगी और रो -रो कर उन्होंने बताया कि यह कंद उन्हें जहर के समान लगता था। 


पिछले कई सालों से परिवार वालों के दबाव में वे इसे ले रही है और उनकी सुनने वाला परिवार में कोई भी नहीं है। 


सज्जन इन बातों को बड़े गौर से सुन रहे थे और उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके साथ इतनी बड़ी धोखाघड़ी हुई है। 


मैंने उन्हें आगे बताया कि आपके साथ नारायणी मूसली को भी लेकर धोखाधड़ी की गई है। मैंने जब इस मूसली का परीक्षण किया तो मुझे पता चला कि यह साधारण सी काली मूसली है जिसे कि नारायणी मूसली बताकर आप को दिया जा रहा है।


 फिर मैंने उनकी पत्नी से पूछा कि क्या आपको इसके प्रयोग से बहुत अधिक पेशाब होती है तो उन्होंने कहा कि हां, रात भर मुझे जागकर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।


 मैंने कहा कि यह काली मूसली का गुण है। विशेषकर ऐसी काली मूसली का जिसमे दोष हो। नारायणी मूसली के प्रयोग से इस तरह के लक्षण नहीं आते हैं। 


जिस काली मूसली को आपको दिया है वह भी मुफ्त में मिलती है और ज्यादा हुआ तो कुछ सौ देकर आप इसे लंबे समय के लिए प्राप्त कर सकते हैं। 


आपने बताया कि इस मूसली के लिए आपसे आठ लाख से अधिक वसूले गए हैं। आप बुरा न माने पर मुझे लगता है कि आपके खानदानी वैद्य वास्तव में खानदानी लुटेरे हैं जिन्होंने आप को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 


सज्जन के बेटे ने मुझे चैलेंज करते हुए कहा कि हम आधुनिक चिकित्सा विधियों से अपनी मां की जांच करवाएंगे और यदि यह कैंसर नहीं निकला तो हम आपसे क्षमा मांगेंगे और अगर यह कैंसर निकला तो आप समझ लीजिए कि आपकी खैर नहीं। 


मैंने उस युवक से कहा कि वह अपनी भाषा पर ध्यान दें। उन सज्जन ने भी युवक को बहुत डांट लगाई और मुझसे कहा कि वे जल्दी ही आधुनिक चिकित्सक से मिलकर इस गठान की जांच करवाएंगे। 


अगली बार जब उन्होंने मुझसे परामर्श का समय लिया तो उन्होंने बताया कि आधुनिक चिकित्सकों ने साफ शब्दों में कहा है कि यह कैंसर नहीं है और न ही यह भविष्य में कैंसर का स्रोत हो सकता है। 


उन्होंने यह भी कहा है कि साधारण-सी सर्जरी से इस गठान को निकाला जा सकता है पर उनमें से ज्यादातर चिकित्सकों ने कहा है कि इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए और अभी किसी भी तरह से छेड़ा न जाए। 


यह गठान ताउम्र रहेगी और हो सकता है कि उम्र बढ़ने पर यह अपने आप खत्म हो जाए। 


उन सज्जन और उनके बेटे ने मुझसे क्षमा मांगी। 


मैंने उन्हें परामर्श दिया है कि आप इस पूरी घटना की शिकायत पुलिस से करें। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके खानदानी वैद्य बिना किसी देरी के आपके आधे से ज्यादा पैसे तुरंत ही लौटा देंगे। 


यदि पुलिस को किसी तकनीकी विशेषज्ञ की आवश्यकता है तो मैं उनकी मदद करने को तैयार हूँ। 


मैंने उनसे यह भी कहा कि आप व्हाट्सएप के माध्यम से अपने ऊपर बीती इस घटना के बारे में विस्तार से लिखें ताकि पूरी दुनिया को पता चल सके कि जड़ी बूटियों के नाम पर किस तरह की लूट भारत में खुलेआम हो रही है और अज्ञानता की वजह से आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं।


 उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


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