Consultation in Corona Period-133

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"पेशाब किसी भी तरह से रुक नहीं रही है। बार-बार हो रही है और अधिक मात्रा में हो रही है। 

उनकी यह समस्या नयी नहीं है पर अभी बहुत अधिक उग्र हो गई है।

 इस कोरोना के समय हम उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं करना चाहते हैं इसलिए घर पर ही छोटा सा अस्पताल बनाया हुआ है। जहां पर उनकी देखभाल की जा रही है। 

हम चाहते हैं कि आप इस केस को देखें। 

हमने व्यवस्था कर दी है कि हमारे चिकित्सक आपसे बात कर सके। आप जब भी कहेंगे हम आपकी बात उनसे करा देंगे।

 ये वही चिकित्सक है जो पिछले 3 वर्षों से इनकी चिकित्सा कर रहे हैं जबसे इनको इस तरह की समस्या है। 

शुरू में इनकी जांच करने के बाद बताया गया कि ओवर एक्टिव ब्लैडर के कारण यह समस्या हो रही है। उन्हें तरह-तरह की दवाईयाँ दी गई जिससे कि यह स्थिति नियंत्रण में आ गई पर लंबे समय में ब्लैडर की हालत बिगड़ती गई और अब किसी भी तरह से पेशाब नहीं रुक रही है।"

एक 45 वर्षीय सज्जन की पत्नी ने मुझसे फोन पर जब परामर्श के लिए समय मांगा तो उन्होंने पहले ही सारी रिपोर्ट भेज दी और यह अच्छी बात रही कि उन्होंने अपने पति की चिकित्सा कर रहे चिकित्सक से सीधी बात करवा दी।

 चिकित्सक अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ थे पर वे बहुत परेशान लग रहे थे क्योंकि उनकी दवाओं से स्थिति सुधरने के स्थान पर बिगड़ती जा रही थी। 

उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आप चाहे तो हम दोनों मिलकर इस केस को संभालने की कोशिश कर सकते हैं।

 मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं आपकी मदद करूंगा। 

सारे काम आपके मार्गदर्शन में होंगे। मैं केवल तकनीकी परामर्श ही दे पाऊंगा।

मुझे बताया गया है कि उन सज्जन को किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं है। 45 वर्ष की उम्र के बाद भी उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। खानपान बिल्कुल सीधा सादा है। 

 वे किसी तरह के व्यसनों से पूरी तरह से मुक्त है और लगातार योगाभ्यास करते हैं। वे बहुत कम दवाओं का सेवन करते हैं। 

उनकी पत्नी ने अपनी मजबूरी बताई कि उनको इस स्थिति में रायपुर लाना संभव नहीं है इसलिए आप चाहे तो उनके शहर में आकर जड़ी बूटियों का अपना परीक्षण कर सकते हैं। 

मैंने उनसे कहा कि आप उनके द्वारा उपयोग किए गए कपड़ों को सील बंद करके मेरे पास भेजें। हो सकता है कि इसकी जांच के बाद समस्या का मूल कारण पता चल जाए और मुझे आपके शहर में आने की जरूरत न हो।

 इस कोरोनावायरस काल में मैं भी देश भर में घूमने से पूरी तरह से बच रहा हूँ। केवल इमरजेंसी केसों के लिए ही यात्रा कर रहा हूँ। 

जब उनके द्वारा भेजे गए कपड़े मेरे पास आये और मैंने उनका आरंभिक परीक्षण किया तो मुझे एक विशेष प्रकार की वनस्पति की याद आई। 

मैंने उनकी पत्नी से पूछा कि क्या आप किसी दवा का प्रयोग मुझसे छुपा रही हैं तो उन्होंने कहा कि नहीं हम जितनी भी दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं उनकी पूरी जानकारी हम आपको दे चुके हैं। 

इसके अलावा हम किसी भी देशी या विदेशी दवा का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। 

मैंने उन्हें बताया कि परीक्षण से कुछ जानकारी तो मिली है पर पूरी जानकारी के लिए मुझे आपके शहर आना होगा और मैं अगले हफ्ते आपके शहर आने की कोशिश करूंगा। 

उन्होंने कहा कि इतनी देर करने की आवश्यकता नहीं है। आप जल्दी से जल्दी यहां आए और इन्हें इस समस्या से मुक्ति दिलाएं।

 2 दिनों के बाद ही मैं उनके शहर पहुंच गया और उन सज्जन से मुलाकात की। उनकी स्थिति काफी नाजुक थी।

 मैंने उन्हें गौर से देखा। 

जब मेरी नजर उनकी नाक पर पड़ी तो मुझे इस बात का एहसास हुआ कि वे बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते रहे हैं। यह बात उनकी पत्नी ने मुझे नहीं बताई थी।

 बातों ही बातों में मैंने उन सज्जन से पूछा कि क्या आप शराब का सेवन पहले करते रहे हैं और अभी कर रहे हैं क्या तो वे नाराज हो गए और फिर चिड़चिड़ाने लगे। उनके परिवार जन मुझे कमरे से बाहर लेकर आ गए और कहा कि आप किसी भी हालत में शराब की बात उनके सामने नहीं करेंगे। वे शराब का नाम सुनते ही चिढ़ जाते हैं और बड़बड़ाने लगते हैं। 

मैंने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया कि मैं उनके सामने शराब का नाम नहीं लूंगा। 

फिर उसके बाद मैंने उनका आरंभिक परीक्षण किया। जब जड़ी-बूटी के लेप ने प्रतिक्रिया दिखानी शुरू की तो एक बार फिर से मुझे इस बात का एहसास हुआ कि वे लंबे समय से शराब का सेवन करते रहे हैं। 

परीक्षण यह बता रहे थे कि वे अभी शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं।

 बाद में उनकी पत्नी ने बताया कि उनके पति को बहुत अधिक शराब पीने की आदत थी और यह आदत किसी भी तरह से छूट नहीं रही थी। इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा था। 

परिवार की स्थिति भी बहुत बिगड़ गई थी। हम दोनों तलाक लेने की स्थिति में थे। इसी बीच हमारे एक पारिवारिक मित्र ने एक वैद्य का पता दिया जो कि छत्तीसगढ़ से ही थे। 

हमें बताया गया कि यदि दूसरी बीमारी के बहाने पतिदेव को उस वैद्य के पास ले जाया जाए तो वे एक ऐसी तरह की दवा देते हैं जिसे लेने से शराब के प्रति पूरी तरह से घृणा पैदा हो जाती है। 

जब हम उन वैद्य के पास पहुंचे तो उनके घर के सामने लंबी लाइन लगी हुई थी। सभी लोग शराब छुड़ाने की आस से आए हुए थे।

 इनके बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद वैद्य ने कहा कि लंबे समय तक उनकी दवा को लेना होगा। उसके बाद ही इस समस्या का समाधान होगा और उन्हें शराब से पूरी तरह से घृणा हो जाएगी। 

वे शराब पीना पूरी तरह से छोड़ देंगे और जबरदस्ती अगर उन्हें पिलाई गई तो उनके शरीर में खुजली होने लग जाएगी।

 यदि एक बार भी ऐसा हुआ तो फिर वे जिंदगी में शराब का नाम सुनते ही चिढ़ने लग जाएंगे। 

उन्होंने रोज प्रयोग की जाने वाली एक दवा दी और उन सज्जन को यह बताया गया कि यह दवा पेट साफ करने की है। वे नियमित रूप से इसे लेने लगे और 1 हफ्ते के अंदर ही उन्हें शराब से नफरत होने लगी। 

उन्हें इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं हुआ कि उन्हें शराब से नफरत किसी दवा के कारण हो रही है। वे अपनी पेट साफ करने वाली दवा को नियमित लेते रहे। 

इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए मैंने उनकी पत्नी को धन्यवाद दिया और उनसे अनुरोध किया कि वे उस वैद्य का पता बताएं ताकि मैं उनसे बात कर यह पता कर सकूं कि वे किस दवा का प्रयोग करते हैं। 

उनकी पत्नी ने कहा कि यह वैद्य जी का सीक्रेट फार्मूला है और वे इस फार्मूले के बारे में किसी को भी नहीं बताते हैं। वे आप को भी इस बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं देंगे पर आप कहते हैं तो मैं उनका मोबाइल नंबर आपको दे देती हूँ। 

जब मैंने उन वैद्य महोदय से बात की तो यह जानकर अच्छा लगा कि ये वही वैद्य महोदय थे जिनसे मैं 20 वर्षों पहले मिला था और उनके साथ रहकर जड़ी बूटियों के बारे में ज्ञान अर्जित किया था। 

हमारी लंबे समय तक बातचीत होती रही। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप अभी वही फार्मूला इस्तेमाल कर रहे हैं जो 20 साल पहले किया करते थे तो उन्होंने कहा कि हां, अभी मैं वही फार्मूला इस्तेमाल कर रहा हूँ। 

मुझे समस्या का समाधान दिखने लग गया था। 

मुझे याद आया कि 20 वर्ष पहले जब मैं उन वैद्य के साथ रहकर जंगल में पारंपरिक चिकित्सा के बारे में सबक सीख रहा था उस समय वे एक साधारण से वैद्य हुआ करते थे। उसके बाद एक मुख्यमंत्री के संपर्क में आने से अचानक ही उनका कद बढ़ गया और साथ में उनकी फीस भी बहुत अधिक बढ़ गई। 

बाद में मुझे बताया गया कि वे देश विदेश की यात्रा करने लगे हैं और अब पूरी तरह से प्रोफेशनल हो गए हैं। शराब की आदत छुड़ाने के लिए वे वर्षों से जगमंडल कांदा नामक एक कंद का उपयोग कर रहे हैं।

 इस कंद के साथ 10-12 तरह की जड़ी बूटियों को मिलाकर वे एक फार्मूला तैयार करते हैं जो कि शराब के प्रति घृणा पैदा करने के लिए बहुत कारगर होता है। उन्हें इस फार्मूले के बारे में जानकारी उनके अपने पिता से मिली अर्थात यह उनका पारंपरिक ज्ञान था। 

इस अकेले फार्मूले के बल पर उन्होंने इतनी लोकप्रियता हासिल की थी। उन्होंने बाकी दूसरे रोगों की चिकित्सा करना बंद कर दिया और आजीवन इसी काम में लगे रहे। 

जब मैं उनके साथ समय गुजार रहा था तब हमें बताया गया था कि इस फार्मूले को ज्यादा से ज्यादा 1 महीने तक उपयोग करना है। 

जब सज्जन की पत्नी ने मुझे बताया कि वैद्य ने इस फार्मूले को कई वर्षों तक लगातार उपयोग करने की सलाह दी है तो मुझे बड़ा ही आश्चर्य हुआ। 

फिर मुझे याद आया कि उनके प्रोफेशनल हो जाने के कारण शायद अधिक धन अर्जन के लिए उन्होंने ऐसा करना शुरू कर दिया हो पर मैंने अपने अनुभव से जाना कि इस फार्मूले का उपयोग 1 महीने से अधिक करने पर शरीर के बहुत से अंगों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है और ब्लेडर विशेष रूप से प्रभावित होता है।

 लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से वैसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि इन सज्जन को आ रहे थे। इस फार्मूले का प्रयोग 1 महीने के बाद बंद करने से फिर आजीवन प्रयोग करने वाले व्यक्ति को शराब पीने की इच्छा नहीं होती है। ऐसा नहीं है कि इस फार्मूले को जब तक लेंगे तब तक ही इसका असर होगा।

 इसका असर स्थाई होता है और बेहद प्रभावी होता है। मैंने उन सज्जन की पत्नी को पूरी बात बताई और बताया कि उनके पति की समस्या का कारण शराब दूर करने की दवा है। यदि वे इसका प्रयोग पूरी तरह से रोक देंगे तो 10 से 15 दिन में इनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। 

मैंने उन्हें यह भी बताया कि हो सकता है कि इस समस्या को पूरी तरह से ठीक होने में और अधिक समय लग जाए। मैंने उन्हें एक बुजुर्ग पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया और कहा कि वे उनके पास जाएं। वे विष्णु असगंध नामक एक बूटी उन्हें देंगे। जिसका प्रयोग करने से इस फार्मूले का असर बहुत हद तक कम हो जाएगा।

 उनके बेटे ने कहा कि यदि विष्णु असगंध हमें ऑनलाइन मिल जाएगा तो हम वैद्य से लेने के बजाय इसे सीधे ही खरीद सकते हैं।

 मैंने उसे बताया कि विष्णु असगंध के बारे में इंटरनेट पर किसी भी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं है और बहुत कम विशेषज्ञ ही इसके बारे में जानते हैं। दरअसल यह असगंध ही है। इसे बहुत अधिक सूक्ष्म तरीके से शोधित करके विशेष गुणों से परिपूर्ण किया जाता है। फिर उसे विष्णु असगंध का नाम दिया जाता है। 

मैंने आपको जिस पारम्परिक चिकित्सक का नाम दिया है वे इस प्रक्रिया को अच्छे से जानते हैं और यह उनका पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है। 

उनकी पत्नी ने धन्यवाद दिया और मैं वापस रायपुर आ गया।

 एक महीने बाद उनका फोन आया कि अब उन सज्जन की हालत पूरी तरह से ठीक है और वे सामान्य जीवन जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि विष्णु असगंध वाले वैद्य ने केवल एक ही खुराक दी और कहा कि यह पूरे जीवन के लिए पर्याप्त है। 

इसे दोबारा लेने की जरूरत नहीं है। उनकी पत्नी ने पूछा कि थोड़ी सी दवा बच गई है। क्या मैं उसे अपने पति को एक खुराक के रूप में फिर से दे दूं तब मैंने कहा कि आपको पारंपरिक चिकित्सक की बात माननी चाहिए और बची हुई दवा को बेहतर होगा कि आप किसी नदी में विसर्जित कर दें। 

इसका उपयोग बिल्कुल भी न करें। वे इस बात के लिए तैयार हो गई। 


उनके परिवार जनों ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


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