Consultation in Corona Period-131

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"थोड़ा सा भी परिश्रम करने से उनके हृदय की गति असामान्य हो जाती है। जब बहुत अधिक बढ़ जाती है तब वे बेहोश होकर वहीं पर गिर जाते हैं इसलिए हम उन्हें बिस्तर से उठने नहीं देते हैं। 



उनकी सारी दिनचर्या बिस्तर से ही होती है। वे दिन भर मोबाइल पर लगे रहते हैं और दुनिया भर के लोगों को अच्छे स्वास्थ के बारे में बताते रहते हैं।



 वे आपको काफी पहले से जानते हैं जब आप बॉटेनिकल डाट काम पर नियमित स्तंभ लिखा करते थे। आपने उस वेबसाइट पर 10,000 से भी अधिक आलेख प्रकाशित किए थे।



इन आलेखों का प्रिंट निकाल कर वे इन आलेखों को गुजराती में ट्रांसलेट कर लेते थे और उसके बाद लोगों को बांटा करते थे।



 उन्होंने पहले आपसे बातें भी की हैं और पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान के बारे में आपसे परामर्श भी लिया है पर अब उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वे आपसे ज्यादा बात कर सके। इसलिए मैंने आपसे बात करने का निर्णय लिया है। 



उनकी उम्र 50 वर्ष है और वे पेशे से व्यवसायी हैं। हृदय की समस्या के लिए उनकी लगातार जांच होती रहती है और उस जांच के आधार पर उन्हें तरह-तरह की दवाइयां दी जाती है। 



हृदय रोग की चिकित्सा के लिए हम कनाडा से लेकर अमेरिका और यूरोप की यात्रा कर चुके हैं पर सभी चिकित्सकों ने यह बताया है कि यह अनुवांशिक रोग है और इसमें बहुत देखभाल की आवश्यकता है। 



किसी भी हालत में बहुत अधिक परिश्रम करने से उनकी जान भी जा सकती है। यह समस्या पिछले कुछ सालों से है।



 आधुनिक दवाओं के साथ उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा का भी सहारा लिया और देश भर के पारंपरिक चिकित्सकों से मिले। 



उन्होंने अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखा हुआ है। वे लगातार योगाभ्यास करते हैं पर योगाचार्यो ने उनसे कहा है कि वे बहुत आराम से किए जाने वाले आसनों को ही करें और बहुत मेहनत न करें। 



पिछले कुछ समय से तो उनको बोलने में दिक्कत होने लगी है। थोड़ा सा बोलने से ही वे थक जाते हैं और गहरी नींद में चले जाते हैं। 



हाल ही में पता चला है कि उन्हें डायबिटीज की समस्या है और उसके लिए उनकी दवाई चल रही है। उन्हें जो भी दवाएं दी जा रही है और अभी तक जो दवाएं दी गई है उसकी पूरी सूची मैं आपको भेज रही हूं।"



 गुजरात से एक सज्जन की पत्नी मुझसे फोन पर बात कर रही थी। 



मैंने उन्हें कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 



मैंने उन सज्जन की सारी रिपोर्ट पढ़ी और फिर फोन पर उनसे रुक-रुक कर बातचीत की। 



मैंने उन्हें बताया कि उन्हें रायपुर आना होगा ताकि मैं जड़ी बूटियों का लेप पैरों के तलवों में लगाकर समस्या का असली कारण जान सकूं। 



उनकी पत्नी ने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि वे घर से बाहर बिल्कुल भी नहीं निकलते हैं। जरा सी भी मेहनत करने पर उनकी हालत बिगड़ जाती है। 



उन्होंने यह भी कहा कि वे मेरी महंगी फीस देकर मुझे बुलवा सकती हैं पर इस कोरोना के समय में उनका मानना है कि सभी को अपने घर में ही सुरक्षित रहना चाहिए इसीलिए वे मुझे वहाँ नहीं बुला रही हैं।



 मैंने कहा कि बिना समस्या का मूल कारण जाने किसी तरह की भोजन सामग्री का प्रयोग करने की सलाह देना गलत होगा। 



इस अवस्था के लिए कई प्रकार के देसी चावल का उपयोग किया जाता है पर मेरा मानना है कि ऐसे ही देसी चावल देने की बजाय परीक्षण के बाद देसी चावल का प्रयोग करना ज्यादा हितकर है। 



उन्होंने मेरी बात मानी और साथ में अपनी मजबूरी भी बताई।



 मैंने उन्हें एक और रास्ता बताया। मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे अपने पति को सफेद रंग के कपड़े पहना दें और उन्हें सफेद चादर पर लेटा दें। 



24 घंटों के बाद चादर और उनके द्वारा पहने गए सभी तरह के वस्त्रों को एक पैकेट में सील बंद करके मेरे पास भेज दें। 



यह रोग को जानने का पारंपरिक तरीका है जो कि कई मामलों में असफल साबित होता है पर फिर भी इसकी सहायता से रोगी की स्थिति के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है। 



इस बात के लिए वे तैयार हो गई और उन्होंने उनके द्वारा 24 घंटों तक पहना गया हुआ कपड़ा और उनके द्वारा उपयोग की गई चादर पार्सल से मुझे भेज दी।



 जब मैंने उनके द्वारा पहने गए कपड़ों का पारंपरिक वैज्ञानिक परीक्षण किया तो स्थिति साफ होने लगी।



 जब उनका फोन आया तो मैंने उन्हें परामर्श दिया कि वे अपने पति को कहे कि जिस मात्रा में वे हल्दी का प्रयोग करते हैं उस मात्रा को वे चौथाई कर दें और फिर मुझे 15 दिनों के बाद बतायें कि अब उनकी समस्या कैसी है?



 उनकी पत्नी ने कहा कि यह संभव नहीं है। 



मैंने उनसे पूछा कि क्यों संभव नहीं है तो उन्होंने बताया कि वे अपने मित्रों के बीच में "हल्दी चंद" के नाम से जाने जाते हैं।



 पिछले 20 सालों से वे हल्दी के अच्छे गुणों पर लेख लिख रहे हैं। किताब लिख रहे हैं। व्याख्यान दे रहे हैं और सभी को प्रेरित कर रहे हैं कि वे अधिक से अधिक हल्दी का प्रयोग करें। 



उन्होंने हाल ही में हल्दी की खेती भी आरंभ की है ताकि खेत में ऑर्गेनिक हल्दी उगा कर उसे लोगों में मुफ्त बांटा जा सके। 



अगर मैं उनसे कहूंगी कि आप हल्दी का प्रयोग बंद कर दें तो वे इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होंगे। 



वे कभी भी इस बात को नहीं मानेंगे कि हल्दी के कारण उनको इस तरह की समस्या हो रही है।



 आपकी इस जानकारी पर मुझे भी शक है क्योंकि हल्दी का प्रयोग तो भारत में पीढ़ियों से हो रहा है। यह दिव्य गुणों से परिपूर्ण है। भला इससे इस तरह की समस्या कैसे हो सकती है? 



मैंने उनसे कहा कि मेरे पास बताने को बस यही जानकारी है। अब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप मेरे अनुमोदन को मानती हैं या नहीं। मैं किसी भी तरह का दबाव आपके ऊपर नहीं डालना चाहता हूं। 



यह कहकर मैंने फोन रख दिया।



 15 दिनों के बाद उनकी पत्नी का फोन आया। उन्होंने अपने व्यवहार के लिए मुझसे क्षमा मांगी और बताया कि अब उन्होंने हल्दी का प्रयोग एक चौथाई कर दिया है इससे उनके पति की हालत में बहुत अधिक सुधार हुआ है। 



हृदय की धड़कन सामान्य होने लगी है और अब केवल उसी समय बढ़ती है जबकि वे हल्दी का प्रयोग करते हैं। 



वे अपनी समस्या के ठीक हो जाने पर बहुत खुश भी हैं पर उनकी समस्या का मूल कारण हल्दी है ऐसा जानकर वे बहुत दुखी भी है। 



उन्होंने यह बात किसी को नहीं बताने को कही है। 



उन्होंने कई तरह के तर्क भी दिए हैं कि यदि हल्दी से इस प्रकार की कोई समस्या हो रही होती तो भारतीय शास्त्रों में इस बात का वर्णन होता। 



भारतीय शास्त्रों में इस तरह का कोई वर्णन नहीं है कि हल्दी से हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है। 



मैंने उनसे कहा कि उनका कहना सही है कि शास्त्रों में इस बारे में ज्यादा कुछ विशेष नहीं लिखा गया है पर यह बात सभी वनस्पतियों के लिए लागू होती है कि अनुमोदित मात्रा में ही उनका प्रयोग किया जाए। 



यदि अनुमोदित मात्रा से अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है तो नाना प्रकार के उपद्रव होने लग जाते हैं और शरीर में कई तरह के विकार पैदा हो जाते हैं।



 हल्दी से इस तरह की समस्या मैं पिछले 30 सालों से देख रहा हूं और अपने अनुभव के आधार पर ही उन्हें मैंने यह राय दी थी। 



अब जब आप बता रही हैं कि उनकी समस्या का समाधान होता जा रहा है तो एक बार फिर से यह बात सिद्ध हो गई कि हल्दी से इस तरह की समस्या होती है। 



30 दिनों के अंदर उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया। 



पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद उन सज्जन ने मुझसे फोन पर बात की और मुझसे अनुरोध किया कि मैं ऐसे मामले के बारे में उनका नाम लेकर किसी भी तरह का लेख नहीं लिखूँ क्योंकि इससे उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। 



मैंने उनसे कहा कि जब जागे तब सवेरा। 



यदि आपको अब जाकर पता चला है कि हल्दी का अधिक प्रयोग करने से हृदय की समस्या हो सकती है तो आप अपने पाठकों को इस बारे में जागरूक कर सकते हैं। 



इससे आपको पुण्य ही मिलेगा।



 इतनी महत्वपूर्ण जानकारी को छुपा कर रखना जनहित में नहीं होगा। जिस मात्रा में आप हल्दी का प्रयोग कर रहे हैं आपने बताया है कि उतनी ही मात्रा में आपके सैकड़ों साथी भी ऐसा ही प्रयोग कर रहे हैं।



 आप ही बताइए कि उन्हें अज्ञानतावश न जाने कितना अधिक नुकसान हो रहा हो और आपके प्रयोग ने न जाने कितनी जानें अब तक ले ली हो। 



किसी को भी इस बात का आभास नहीं होता होगा कि उनकी समस्या का मूल कारण उनके द्वारा प्रयोग की जा रही हल्दी है। 



काफी देर तक सोच विचार करने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे इस बारे में अपने लेखों में लिखेंगे और अपने उन साथियों से अनुरोध करेंगे कि वे हल्दी का अनुमोदित मात्रा से अधिक प्रयोग करने से बचें। 



अंत में उन्होंने और उनकी पत्नी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।



 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 



सर्वाधिकार सुरक्षित

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