Consultation in Corona Period-135

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"Sjogren’s syndrome का एक केस हमारे पास आया है। यह केस एक 25 वर्षीय युवती का है। 

उसे इस प्रकार के लक्षण कुछ वर्षों से आ रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि इस समस्या में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने विरुद्ध काम करने लग जाती है और इससे आंसू की ग्रंथि और लार ग्रंथि विशेष रूप से प्रभावित होती है। 

रोगी की आंख पूरी तरह से सूख जाती है और साथ ही मुंह हमेशा सूखा हुआ रहता है। इस समस्या का कोई भी उपलब्ध समाधान नहीं है।

 धीरे-धीरे प्रभावित का जीवन नरक तुल्य हो जाता है। उसे लगातार पानी पीना पड़ता है और आंखों को नम रखना होता है। 

आधुनिक चिकित्सा पद्धति में जिन दवाओं का प्रयोग इसके लिए होता है वे दवाएं नुकसानों से भरपूर है और मरीज को तरह-तरह की नई समस्याएं हो जाती हैं। 

इस युवती के केस के बारे में अलग-अलग चिकित्सकों की अलग-अलग राय है पर वे इस बात पर एकमत हैं कि यह Sjogren’s syndrome है। 

जब यह केस हमारे शोध संस्थान में आया तो मुझे आपका नाम सूझा और मैंने अपने वैज्ञानिक दल से कहा कि हमें रायपुर के इन वैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए जो कि मेडिसिनल राइस पर विशेष रूप से काम कर रहे हैं। 

हो सकता है कि ऐसी अवस्था के लिए कोई विशेष मेडिसिनल राइस हो जिसका प्रयोग करने से इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सके। इसलिए हमने आपसे संपर्क किया है। 

इस युवती की पूरी केस रिपोर्ट हम आपको भेज रहे हैं। यदि आप चाहें तो युवती से भी सीधे बात कर सकते हैं।"

 उत्तर भारत के प्रसिद्ध शोध संस्थान के निदेशक ने मुझसे संपर्क किया और यह संदेश दिया। मैंने कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 

जब मैंने उस युवती की सारी रिपोर्ट पढ़ी तो मुझे पता चला कि समस्या की शुरुआत माइग्रेन से हुई थी। माइग्रेन की समस्या के लिए उसने सबसे पहले घरेलू औषधीयों का प्रयोग किया। फिर योग की शरण ली। 

जब स्थिति बेकाबू होती गई तो उसने आधुनिक दवाओं का सेवन शुरू किया और साथ में एक वैद्य से भी दवा लेनी शुरू की। मुझे बताया गया कि वह युवती शुरू से बहुत अधिक कमजोर है और जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाती है। 

एक बार बीमार पड़ने पर उसे पूरी तरह से ठीक होने में बहुत समय लगता है। मीठे से अधिक उसे नमकीन खाने में अधिक रुचि है। खट्टा उसे पसंद है पर अधिक मात्रा में वह खट्टे का उपयोग नहीं कर पाती है। 

उसे दूध से पूरी तरह से एलर्जी है। जरा सा भी दूध का सेवन करने से उसका हाजमा बिगड़ जाता है और लंबे समय तक दस्त की समस्या हो जाती है।

 वह सोया मिल्क की फैन है और इसका प्रयोग करने से उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। उसे बहुत अधिक तला भूंजा खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है। साल में उसे गर्मी का मौसम ही सबसे अच्छा लगता है और बाकी मौसम में उसकी तबीयत बिगड़ती रहती है। 

बस में सफर करने पर अक्सर उसे उल्टियां हो जाती हैं। साल भर वह ठंडे पानी के स्थान पर गर्म पानी पीना पसंद करती है। उसे बहुत अधिक पसीना आता है और पसीने में खट्टी बदबू होती है। 

उसे त्वचा के कई प्रकार के विकार हैं। जब वह मीठे का प्रयोग कम करती है तो उसे शीत पित्ती की समस्या हो जाती है। इसके लिए बीच-बीच में वह एंटी एलर्जी दवाओं का प्रयोग करती है। इससे उसकी समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाती है। उसे दिन में सोना और रात में जागना पसंद है। 

ठंड के मौसम में अक्सर उसे बहुत अधिक श्वास की समस्या हो जाती है जिसके लिए वह कई तरह के इनहेलर का प्रयोग करती है।

 मेरे अनुरोध पर शोध संस्थान के डायरेक्टर ने उसके द्वारा ली जा रही आधुनिक और पारंपरिक दवाओं की लंबी सूची मुझे भेजी। मैंने उसके द्वारा प्रयोग की जा रही खाद्य सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। 

फिर शोध संस्थान के निर्देशक से कहा कि यदि संभव हो तो मैं युवती के पैरों के तलवों में कुछ जड़ी बूटियों का लेप लगाकर छोटा सा परीक्षण करना चाहूंगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और अपने सहायक के साथ में उस युवती को रायपुर भेज दिया।

 जब मैंने परीक्षण किया तो उस युवती ने जड़ी बूटियों के प्रति विशेष प्रतिक्रिया व्यक्त की जिससे मामला कुछ स्पष्ट होता दिखाई दिया।

 मैंने युवती से उस वैद्य के बारे में पूछा जो कि उसे माइग्रेन की दवा दे रहे थे। उसने बताया कि वह सिरस की छाल पर आधारित एक नुस्खा देते हैं जिसमें केवल सिरस की छाल का ही प्रयोग किया जाता है। 

इस नुस्खे को लेने से सिर दर्द में काफी कमी आ जाती है और जो माइग्रेन की समस्या हर कुछ दिनों में होती है वह लंबे समय के अंतराल में होने लग जाती है। 

वैद्य 1 महीने की दवा देते हैं और कुरियर के माध्यम से हर महीने की दवा भेज देते हैं। 

जब वह पहली बार उन वैद्य से मिलने गई थी तो वैद्य ने उसकी नाड़ी परीक्षा की थी और उसके बाद यह फार्मूला सुझाया था।

 मैंने उस युवती से उस वैद्य का नाम पूछा। फिर जब अपने डेटाबेस को खंगाला तो मुझे उनका नाम अपने डेटाबेस में मिल गया और उस फार्मूले की भी जानकारी मिल गई जिसका प्रयोग वे माइग्रेन की चिकित्सा में करते आ रहे हैं।

 यह उनका पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है और उनकी कई पीढ़ी इस फार्मूले का उपयोग करती रही है बिना किसी परिवर्तन के। 

इसमें सिरस के अलावा एक महत्वपूर्ण घटक का प्रयोग किया जाता है जिसके बारे में उनका परिवार किसी को भी जानकारी नहीं देता है।

 उस घटक के प्रयोग की विधि मेरे डेटाबेस में सुरक्षित है। उस युवती के वापस जाने के बाद मैंने डायरेक्टर साहब से अनुरोध किया है कि आप उस युवती से कहें कि वह टमाटर का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दे। डायरेक्टर साहब ने टमाटर का प्रयोग बंद करने के पीछे के उद्देश्य के बारे में जानना चाहा तो मैंने उनसे कहा कि आप पहले मेरी बात माने। 

अगर मेरा अनुमान सही है तो एक बार समस्या के समाधान होने के बाद मैं इसकी व्याख्या आपके सामने कर दूंगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए। 

युवती ने जब टमाटर का प्रयोग पूरी तरह से रोक दिया तो 15 दिनों के अंदर ही Sjogren’s syndrome के सारे लक्षण पूरी तरह से समाप्त होने लगे। 

फिर मैंने युवती से कहा कि वह हाइब्रिड टमाटर का उपयोग करना बंद कर दें और चाहे तो देसी टमाटर का उपयोग कर सकती है। 

उसने ऐसा ही किया और जब अगले 15 दिनों तक उसने देसी टमाटर का उपयोग किया तो टमाटर के उपयोग के बावजूद उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई।

डायरेक्टर साहब की टीम बड़े गौर से इस तरह के प्रयोग को देख रही थी और उनके मन में अनगिनत प्रश्न उठ रहे थे। 

मैंने युवती से पूछा कि आपके घर में सब्जी लेने के लिए कौन जाता है तो उसने बताया कि सब्जी लेने का काम घर के नौकर का है जो कि एक बार बाजार जाकर पूरे हफ्ते की सब्जी ले आता है। 

मैंने उससे कहा कि इस बार वह जाए टमाटर लेने के लिए और ऐसे टमाटर का चयन करें कि जिस में किसी भी प्रकार का नुकसान न हुआ हो किसी प्रकार के कीड़े के द्वारा। 

युवती ने मेरी बात मानी और बाजार से जाकर स्वस्थ हाइब्रिड टमाटर लेकर आ गई। 

मैंने उसे कहा कि वह अब इस टमाटर का उपयोग कर सकती है। जब उसने इस टमाटर का उपयोग सब्जी के रूप में किया तो उसे फिर से वैसे ही लक्षण आने लगे पर लक्षण बहुत ज्यादा उग्र नहीं थे और बहुत जल्दी ही ये लक्षण पूरी तरह से खत्म भी हो गए। 

अब सारी स्थिति स्पष्ट हो चुकी थी।  

मैंने निदेशक साहब को विस्तार से बताया कि असम के वैद्य जिस नुस्खे का प्रयोग करते हैं उसमें एक विशेष प्रकार के कीट का प्रयोग किया जाता है जिस का वैज्ञानिक नाम चामुंडा चामुंडा है। इस कीट के उपयोग से यह फार्मूला विशेष हो जाता है। 

वह माइग्रेन के लिए रामबाण की तरह काम करता है पर यदि इस कीट को नुस्खे में डालते वक्त इसका सही ढंग से शोधन नहीं किया गया तो इसकी कई दवाओं के साथ विपरीत प्रतिक्रिया होती है। 

इस नुस्खे की दूसरे कीट पर आधारित नुस्खे से भी विपरीत प्रतिक्रिया होती है। युवती को टमाटर से किसी प्रकार की समस्या नहीं है पर ऐसा टमाटर जिसमें फ्रूट बोरर नामक कीट का आक्रमण होता है जब उसका प्रयोग इस फार्मूले के साथ किया जाता है जिसमें पहले ही एक प्रकार के कीट की उपस्थिति होती है तो वैसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि इस युवती को आ रहे थे।

 मैंने युवती द्वारा प्रयोग की जा रही भोजन सामग्रियों का विस्तार से अध्ययन किया है और अभी उसके भोजन में ऐसी और कोई सामग्री शामिल नहीं है जिसकी इस फार्मूले के साथ विपरीत प्रतिक्रिया होती है इसलिए वह बिना किसी परेशानी के इस फार्मूले का उपयोग कर सकती है। 

बस उसे इस बात का ध्यान रखना है कि वह जब भी टमाटर का प्रयोग करें तो उसमें फ्रूट बोरर का आक्रमण किसी भी तरह से न हुआ हो। 

डायरेक्टर साहब ने कहा कि यह तो हमारे लिए नई जानकारी है। मैंने उनसे कहा कि इस बारे में भारत का पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान बहुत अधिक समृद्ध है और इस तरह की प्रतिक्रियाओं के बारे में उसे बहुत जानकारी है। 

आवश्यकता इस बात की है कि इस जानकारी को सरल शब्दों में विशेषज्ञों तक पहुंचाया जाए ताकि ऐसी समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सके। 

मैंने उनसे यह भी कहा कि इस युवती को किसी भी प्रकार की दवा देने की आवश्यकता नहीं है। इस छोटी सी बात का ध्यान रखने से ही उसकी सारी समस्या का समाधान हो जाएगा और भविष्य में उसे किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होगी। 

डायरेक्टर साहब और उनकी पूरी टीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 मैंने उस युवती को शुभकामनाएं दी। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


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