Consultation in Corona Period-136

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"एक व्यक्ति ने जब भ्रमरमार के लिए आठ लाख रूपयों की मांग की तो मुझे उस पर शक हुआ। मैंने उसे कहा कि मुझे वह थोड़ा सा नमूना दे ताकि मैं रायपुर जा कर एक विशेषज्ञ से इसकी जांच करा सकूं। 

वह इस बात के लिए तैयार हो गया। मुझे जैसे ही नमूना मिला मैं अगली ट्रेन पकड़कर आपके पास आ गया।" तेलंगाना से आए एक युवा पारंपरिक चिकित्सक मुझे यह सब बातें बता रहे थे। 

उनकी बहुत अधिक रुचि भ्रमरमार में थी पर उन्हें किसी भी तरह से यह वनस्पति नहीं मिल रही थी। इस बीच एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और कहा कि यह असली भ्रमरमार है और इसकी कीमत आठ लाख है। 

पारंपरिक चिकित्सक परीक्षा करना नहीं जानते थे और उन्हें इस बात का भान था कि उनके साथ ठगी हो सकती है इसलिए उन्होंने मुझसे मदद मांगी। 

मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 मैंने उनके द्वारा दिखाए गए नमूने की जांच की और उन्हें बताया कि यह नकली भ्रमरमार है। यह काली सिरस की छाल है जिसे भ्रमरमार के नाम पर बेचा जा रहा है।

 अच्छा हुआ आपने मुझसे संपर्क कर लिया अन्यथा आप बड़ी ठगी के शिकार हो जाते। 

मैंने उन्हें बताया कि भ्रमरमार की परीक्षा करना ज्यादा कठिन नहीं है। 

मैंने उनसे पूछा कि क्या आपका कयादु कंद के बारे में जानते हैं तो उन्होंने कहा कि मैंने इस कंद का नाम सुना है पर कभी देखा नहीं है। 

मैंने उन्हें कयादु कंद दिखाया और बताया कि यदि भ्रमरमार और कयादु दोनों को एक एक रत्ती की मात्रा में लिया जाए और इनको मिलाकर जीभ पर रखा जाए तो बहुत जल्दी नींद आ जाती है।

 यह नींद मात्र 1 से 2 घंटे की रहती है पर इतनी आरामदायक रहती है कि जन्मों की थकान इससे ठीक हो जाती है। 

इस विधि से भ्रमरमार की भी परीक्षा हो जाती है और कयादु कंद की भी। 

मैंने उन्हें आगे बताया कि पहले राजा महाराजा के जमाने में इन दोनों वनस्पतियों का यह प्रयोग बड़ा लोकप्रिय था। दिन भर उनकी सेना जब युद्ध के मैदान में फंसी रहती थी तब रात को उन्हें इन दोनों वनस्पतियों का मिश्रण दिया जाता था जिससे सैनिक कुछ ही समय में फिर से तरोताजा हो जाते थे और लड़ने के लिए तैयार हो जाते थे।

 यह काम राज वैद्य का होता था जो कि युद्ध से पहले बड़ी मात्रा में इसे तैयार कर लेते थे।उस समय भ्रमरमार के पौधे जंगल में बहुत थे और कयादु कंद का भी अभाव नहीं था।

 बाद में रात भर ढोल का वादन करते हुए नाचने वाले आदिवासी अपनी थकान को मिटाने के लिए इसका प्रयोग करने लगे। 

यह उन युवा प्रेमियों के बीच भी बड़ा लोकप्रिय हुआ जो कि बहुत अधिक बार सेक्स करने के कारण निढाल हो जाते हैं। इसका प्रयोग करने के बाद वे कुछ ही समय में फिर से उसी ऊर्जा से भर जाते हैं। 

सबसे अच्छी बात यह है कि इसका प्रयोग लंबे समय तक किया जा सकता है बिना किसी नुकसान के। हाँ इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि मात्रा एक रत्ती ही हो। इससे अधिक होने पर इसके नुकसान होने लग जाते हैं और शरीर के स्नायु तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

 तेलंगाना के युवा पारंपरिक चिकित्सक बड़ी रुचि के साथ मेरी बात सुनते रहे। फिर उन्होंने पूछा कि क्या आप मुझे थोड़ी मात्रा में भ्रमरमार दिलवा सकते हैं? मैं इसकी कीमत देने को तैयार हूं। 

मैंने कहा कि आप पारंपरिक चिकित्सक है। आपसे कीमत लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। मुझे भी यह एक पारंपरिक चिकित्सक से प्राप्त हुआ है और मैं इसे आपको देने को तैयार हूं। 

उन्होंने कयादु कंद की भी मांग की। मैंने उनकी मांग स्वीकार कर ली और उन्हें दोनों वनस्पतियां दे दी। 

उनसे अनुरोध किया कि वे घर से खाना खाकर जाएं और जब भी उन्हें किसी भी तरह की मदद की जरूरत हो तो नि:संकोच मुझसे संपर्क कर ले।

 उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। कुछ महीनों बाद उनका फोन आया कि उन्होंने भ्रमरमार पर आधारित एक नुस्खा विकसित किया है जोकि बहुत अधिक शक्ति देने वाला है और कैंसर के रोगियों के लिए वरदान है पर उन्होंने समस्या बताई कि जब सबसे पहले उन्होंने अपने ऊपर इसका प्रयोग किया तो इसका उपयोग करते ही नाक से तेजी से खून निकलने लगा जो कि किसी भी तरह से नहीं रुका। 

इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त पर इसे आजमा कर देखा तो उसे भी इसी तरह की समस्या हुई। इसलिए कैंसर के रोगियों पर इसका प्रयोग करने से पहले उन्होंने मुझसे सलाह लेने का विचार किया ताकि उनके रोगियों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।

 मैंने उनके फार्मूले की जांच की और उन्हें बताया कि वे नुस्खे में सफेद मूसली का प्रयोग कर रहे हैं जबकि भ्रमरमार के साथ कभी भी सफेद मूसली का प्रयोग नहीं किया जाता है। 

उन्होंने बताया कि जब भ्रमरमार के नुस्खे में वे सफेद मूसली का प्रयोग करते हैं तो कैंसर के रोगियों को बहुत तेजी से लाभ होने लग जाता है और उनकी शरीर की ऊर्जा बहुत बढ़ जाती है जिससे शरीर खुद ही कैंसर से लड़ने लग जाता है। 

मैंने उनसे कहा कि यदि आपको सफेद मूसली का ही प्रयोग करना है तो आप सफेद मूसली के स्थान पर वज्र मूसली का प्रयोग करें। 

इससे सफेद मूसली के दोष खत्म हो जाएंगे और प्रयोग करने वाले की नाक से खून नहीं बहेगा।

 मैंने उनसे पूछा कि क्या आप वज्र मूसली को जानते हैं तो उन्होंने कहा कि वज्रमूली तो हमारे यहां बहुत अधिक मात्रा में मिलती है और किसानों के खेत में आसानी से इसे दिखा जा सकता है। 

मैंने उन्हें सुधारते हुए कहा कि मैं वज्र मूसली की बात कर रहा हूं न कि वज्रमूली की। इन दोनों वनस्पतियों में जमीन आसमान का अंतर है तब उन्होंने अपनी गलती सुधारते हुए कहा कि उन्हें वज्र मूसली के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। वह इसका नाम पहली बार सुन रहे हैं। 

मैंने उन्हें मध्य भारत के कुछ पारंपरिक चिकित्सकों के पते दिए जो कि वज्र मूसली का प्रयोग अपने नुस्खों में पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। 

मैंने उनसे कहा कि आप अपना परिचय उन्हें दे। मुझे विश्वास है कि ये पारंपरिक चिकित्सक आपकी मदद करेंगे और आपको वज्र मूसली के स्रोत के बारे में बताएंगे जिससे आपको किसी भी प्रकार की कमी न हो। 

मैंने उनसे यह भी कहा कि जब आप वज्र मूसली को एकत्र करने के लिए पहाड़ों पर जाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप पूर्वी ढलान में होने वाली वज्र मूसली का प्रयोग करें न कि पश्चिमी ढलान में उगने वाली वज्र मूसली का। 

पूर्वी ढलान में उगने वाली वज्र मूसली दिव्य औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है और यह फार्मूले को बहुत अधिक प्रभावी बना देती है। 

उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


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