Consultation in Corona Period-228

Consultation in Corona Period-228 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "जैसे ही मैं पैर जमीन पर रखता हूं मेरे पैरों में झुनझुनी होने लग जाती है और फिर उसके बाद पैर काँपने लग जाते हैं। मैं एक कदम भी नहीं चल पाता हूं। मेरे भाई साहब ने आपका पता दिया है और कहा है कि आपने उनके एक प्रोजेक्ट में बतौर सहायक के रूप में काम किया था आज से कई साल पहले।" मध्य भारत से आए एक सज्जन ने जब इस तरह से अपना परिचय दिया तब मैंने उनके भाई साहब को पहचान लिया। भला उन्हें मैं कैसे भूल सकता हूं। उनके ही प्रोजेक्ट में मैं 2 सालों तक अनुसंधानकर्ता रहा। यह प्रोजेक्ट हाइब्रिड राइस पर था और इसमें बहुत सारी हाइब्रिड राइस की किस्मों का परीक्षण करना था और फिर उनका किसानों के लिए अनुमोदन करना था। पहले ही साल में पूरी फसल में कीड़ों ने आक्रमण कर दिया और सभी किस्में कम या ज्यादा प्रभावित हुई। यह एक तरह की असफलता थी पर दूसरे मायनों से देखा जाए तो यह एक बहुत बड़ी सफलता भी थी क्योंकि हमें यह पता चल गया था कि कौन सी किस्म कीड़ों के प्रति कैसा व्यवहार करती है पर हमारे प्रोजेक्ट के प्रमुख का कुछ और ही मन था। उन्होंने आनन-फानन में एक रिपोर्ट बनाई जिसमें उन्होंने लिख दिया कि फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है और इसका रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। उन्होंने अपने मन से डाटा बनाए और पूरी तरह से खराब फसल को रिपोर्ट में अच्छी फसल दिखा दिया। इससे उन्हें बहुत वाहवाही मिली और प्रोजेक्ट कुछ सालों के लिए बढ़ गया। मैंने दूसरा रास्ता चुना और एक कीट वैज्ञानिक की सहायता से सभी किस्मों में हुए कीटों के आक्रमण पर शोध पत्र तैयार किए और उन्हें प्रकाशित कर दिया। परिणाम यह रहा कि प्रोजेक्ट के प्रमुख ने मुझसे नाराजगी मोल ले ली और फिर 2 सालों तक मुझे अपने कमरे में बैठने की इजाजत नहीं दी। मैंने उन्हें लाख समझाने की कोशिश की कि सरकार हमें इतने अधिक पैसे देती है अपने जीवन यापन के लिए तो हमें सही जानकारी किसानों तक पहुंचानी चाहिए। यदि फसल में कीटों का आक्रमण हुआ है तो हमें किसानों को बताना चाहिए कि इस किस्म का प्रयोग आप न करें और अगर करते हैं तो बहुत अधिक मात्रा में सुरक्षा रसायनों का प्रयोग करें जिससे कि फसल को नुकसान न हो। जो फसल कीटों से पूरी तरह से नष्ट हो गई है उसके उत्पादन को दुगुना बताना यह तो सरासर अन्याय है। किसानों के साथ धोखा है। देश की सरकार के साथ धोखा है। इससे केवल आपको ही धन लाभ होगा पर ऐसे धन का क्या मतलब पर वे इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुए और कुछ सालों बाद जब उनके अनुमोदन पर डायरेक्टरेट ने किसानों को कहा कि इन किस्मों को लगाने से आपको अतिरिक्त आय होगी तब किसानों ने वैज्ञानिकों की बात मानी और बड़े क्षेत्र में इन हाइब्रिड राइस को लगाया। नतीजा वही हुआ। इसमें जबरदस्त कीड़ों का आक्रमण हुआ और किसानों को एक पैसा भी नहीं मिला। उनका विश्वास वैज्ञानिकों के ऊपर से उठ गया। बाद में जब इस पर एक जांच कमेटी बैठी और उन्होंने मेरे द्वारा प्रकाशित शोध पत्रों को देखा तो उन्होंने कहा कि यही सही दिशा है। उस आधार पर उन्होंने अपना अनुमोदन बदला और फिर किसानों को कभी इन किस्मों को लगाने के लिए नहीं कहा। वे दो कठिन साल मैंने दूसरों की कुर्सी में बैठकर गुजारे और फिर उसके बाद उनकी ओर जीवन भर रुख नहीं किया। उनकी एक बात और याद आती है। जब भी हम फसल से संबंधित डाटा लाने जाते थे तो हमें स्पष्ट शब्दों में कहा गया था कि हम पेन के जगह पर पेंसिल का इस्तेमाल करें। यह जानकर मुझे बड़ा आश्चर्य होता था पर बाद में पता चला कि हम जो भी डाटा लिख कर ले जाते थे महोदय उसे मिटा देते थे और कमरे में बैठे-बैठे ही पूरे डाटा बना लेते थे अपने मन मुताबिक इसलिए हम लोगों ने उनका नाम MAMA रख दिया था। मामा यानि MAster MAnipulator। उनका नाम सुनकर मुझे लगा कि पहले मैं उन सज्जन को वापस लौटा दूँ पर फिर मुझे लगा कि मुझे अपने कर्तव्य पथ पर लगा रहना चाहिए और उनकी मदद करना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि एक विशेष तरह का परीक्षण करना होगा उसके बाद ही पता चल पाएगा कि आपकी समस्या का मूल क्या है और उसका समाधान क्या है? अगर आप चाहे तो मैं यह परीक्षण कर सकता हूं। जब उन्होंने सहमति प्रदान कर दी तो मैंने उनके सामने 12 प्रकार की जड़ी बूटियों और खाद्य सामग्रियों के पात्र रख दिए और उनसे कहा कि वे 5 मिनट के अंतराल में इन सभी सामग्रियों को एक-एक करके चुटकी भर लेकर अपनी जीभ पर रखते जाएं और मुझे आने वाले स्वाद के बारे में बताते जाएं। जब उन्होंने ऐसा करना शुरू किया और अपने अनुभव को बताते गए तो बड़े ही रोचक परिणाम मिले। 12 में से केवल 5 सामग्रियों के सही स्वाद के बारे में उन्होंने जानकारी दी और बहुत सारी सामग्रियों को उन्होंने स्वादहीन बताया। उस आधार पर मैंने 12 किस्म के मेडिसिनल राइस अलग किए और फिर उन्हें देते हुए कहा कि आप इनका विधि अनुसार प्रयोग करेंगे तो आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने व्यग्र होकर पूछा कि क्या इन 12 किस्मों के मेडिसिनल राइस को उन्हें खाना पड़ेगा? उन्होंने यह भी कहा कि चावल का अधिक मात्रा में सेवन करने से उन्हें एसिडिटी की समस्या हो जाती है इसलिए वे चावल का प्रयोग बहुत कम करते हैं। मैंने उनकी व्यग्रता को शांत करते हुए कहा कि इन चावल का उपयोग आपको आंतरिक तौर पर नहीं करना है बल्कि बाहरी तौर पर करना है। इन चावलों का लेप आपको अपने पैरों के तलवों पर लगाना है और फिर सूखने पर उन लेपों को धो देना है। ऐसा आपको दिन में एक बार ही करना है और 12 दिनों में 12 किस्म के मेडिसिनल राइस का प्रयोग करना है। 13 वे दिन से फिर से पहले से इसका प्रयोग करना है। यह साधारण सा प्रयोग है और मुझे उम्मीद है कि आपको 20 से 25 दिनों में लाभ दिखने लगेगा और उसके बाद आपकी समस्या का निराकरण हो जाएगा। उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि वे इस विधि के अनुसार इन चावल का प्रयोग करेंगे और परिणाम के बारे में हर हफ्ते जानकारी देते रहेंगे। उन्हें उम्मीद थी कि मैं उन्हें किसी तरह की दवा भी दूँगा या फंक्शनल फूड के बारे में बताऊंगा पर मैंने कहा कि अभी इसकी आवश्यकता नहीं है और उनसे यह भी कहा कि आप चाहे तो इस रोग के लिए ली जा रही दवाओं को बंद कर सकते हैं क्योंकि जैसा कि आपने बताया कि इन दवाओं से किसी भी तरह का लाभ आपको नहीं हो रहा है। इस बारे में आप अपने चिकित्सकों से भी राय ले सकते हैं पर उन्हें चावल के इस तरह के प्रयोग के बारे में शायद ही जानकारी हो इसलिए वे आपसे कह सकते हैं कि आप उनकी दवा जारी रखें। निर्णय आपको लेना है। एक हफ्ते बाद जब उनका फोन आया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सभी तरह की आंतरिक दवाओं को बंद कर दिया है और जिन तेलों का उपयोग वे पैरों में कर रहे थे वे भी अब पूरी तरह से बंद है। वे केवल मेडिसिनल राइस के लेप का प्रयोग कर रहे हैं जिससे उन्हें अब लाभ हो रहा है। उन्हें पूरी तरह से इस समस्या से मुक्त होने में कई महीनों का लंबा समय लगा पर उन्होंने बड़े धैर्य का परिचय दिया। फिर इस रोग से पूरी तरह से मुक्त होने के बाद उन्होंने मुझसे फीस के बारे में पूछा तब मैंने उनसे कहा कि मैंने आपके भाई साहब से बहुत कुछ सीखा है इसलिए मैं आपसे फीस नहीं लूंगा। उनके भाई साहब द्वारा मेरे ऊपर किए गए अत्याचारों के बारे में शायद उन्होंने सुन रखा था इसलिए उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ जब मैंने कहा कि मैंने उनके भाई साहब से बहुत कुछ सीखा है इसलिए उन्होंने मुझसे फिर से पूछा कि आपने उनके भाई साहब से क्या सीखा है? मैंने उन्हें बताया कि मैंने उन किसानों को रोते हुए देखा है जो कि भाई साहब पर आंख मूंद कर विश्वास कर हाइब्रिड राइस की खेती कर चुके थे और उनकी फसल पूरी तरह से कीड़ों के कारण बर्बाद हो चुकी थी। भ्रष्टाचार से आकंठ डूबे आपके भाई साहब की इस करतूत ने मुझे सीख दी कि मैं आजीवन किसानों के साथ ऐसा कभी नहीं करूंगा। सर्वाधिकार सुरक्षित

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