Consultation in Corona Period-214

Consultation in Corona Period-214 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "हां मुझे याद है जब आप 10 साल पहले मुझसे मिलने लंबी यात्रा करके आए थे। आपको भगंदर की समस्या थी। साथ में बवासीर की भी समस्या थी। आपको भयंकर कब्जियत की शिकायत थी और आप तरह-तरह की चिकित्सा करवा रहे थे। बनारस के एक वैद्य से क्षार सूत्र विधि के द्वारा आप भगंदर की चिकित्सा करवा रहे थे। बवासीर के लिए आपने तीन बार ऑपरेशन करवाया था पर सभी विशेषज्ञ यह कह रहे थे कि आप अपनी कब्जियत से छुटकारा पाइए। उसके बाद ही इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सकेगा। आपने बताया था कि आपको कब्जियत की शिकायत कभी भी नहीं रही। यह हाल ही में शुरू हुई है। बचपन से आपका पेट दिन में दो बार बिना किसी समस्या के साफ होता रहा है। पेट की सफाई के लिए आप लगातार रेचकों का प्रयोग करते हैं पर जिस दिन भी रेचक का प्रयोग नहीं करते हैं उस दिन कब्जियत की शिकायत हो जाती है। आपने मुझे विस्तार से अपनी समस्या के बारे में बताया था और अपनी सारी रिपोर्ट दिखाई थी। साथ ही आपने अपने बनारस के वैद्य से भी बात कराई थी जिन्होंने बताया था कि उन्होंने ऐसा जटिल मामला कभी भी नहीं देखा है और वे कोशिश कर रहे हैं कि आपकी भगंदर की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाए। क्षार सूत्र का प्रयोग वे पहले भी कर चुके थे पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी। मैंने आपसे कहा था कि मैं आपकी मदद करूंगा और मैंने आपको कई तरह के फंक्शनल फूड सुझाये थे जिनसे आपकी कब्जियत की समस्या का समाधान हो सकता था। जब आपने इन फंक्शनल फूड का प्रयोग करना शुरू किया तब भी आपकी समस्या का समाधान नहीं हुआ और कब्जियत की शिकायत लगातार बनी रही। दूसरी बार जब आप आए थे तब मैंने आपके हाथों में बहुत सारी अंगूठियां देखी। शायद पिछली बार भी ये आपके हाथों में रही होंगी पर इस बार मेरा ध्यान गया। मैंने आपसे पूछा कि आप इतनी सारी अंगूठी क्यों पहनते हैं तो आपने बताया था कि आपको किसी बड़े ज्योतिषी ने कहा है कि शुक्र ग्रह की समस्या है। उसके लिए ये अंगूठियां समाधान है। आपने अपने गले में पहनी एक विशेष तरह की माला भी दिखाई थी जो कि एक बूटी की जड़ से बनाई गई थी। उस माला को देखने के बाद मुझे लगा कि एक बार आपसे पूछना चाहिए कि कहीं आप मंजीठ का अधिक मात्रा में उपयोग तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि मंजीठ का संबंध ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह से है और आपने जो माला पहनी थी वह भी मंजीठ की जड़ों से तैयार की गई थी। तब आपने बताया कि उन ज्योतिषी के कहने पर आप मंजीठ का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं ताकि शुक्र ग्रह का दोष पूरी तरह से दूर हो जाए। अब आपकी समस्या का समाधान मिल गया था। मैंने आपको बताया था कि आप मंजीठ का प्रयोग कम से कम करें। अधिक मात्रा में मंजीठ का प्रयोग करने से कब्ज जैसी शिकायतें होती है और इससे संबंधित विकार उत्पन्न हो जाते हैं तब आपने कहा था कि मंजीठ तो खून को साफ करता है और यह एक दिव्य औषधि है। इससे भला कैसे नुकसान हो सकता है? मैंने आपसे कहा था कि अनुमोदित मात्रा में इसका प्रयोग करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है पर यदि आप इसका बहुत अधिक प्रयोग करेंगे तो कई समस्याएं हो जाती हैं जिनमें से यह एक मुख्य समस्या है। आपने मेरी बात मानी थी और उसके बाद फिर आपका फोन आया था कि अब आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है। फिर कुछ सालों बाद आपका फोन आया और आपने बताया कि आपकी बवासीर और भगन्दर की समस्या भी धीरे-धीरे ठीक होती जा रही है। मैंने आपको पहचान लिया है। अब इस बार आप अपनी पत्नी के साथ आएं हैं। आपकी पत्नी को शायद किसी तरह की समस्या है। आप बताइए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं?" उत्तर भारत से आये एक सज्जन से मैंने उनकी पत्नी की समस्या के बारे में पूछा और उनसे यह सब बातें कहीं जब उन्होंने बताया कि वे बहुत पहले मुझसे मिल चुके हैं और उन्हें मेरे परामर्श से लाभ हुआ है। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि वह शुरुआत से अपनी समस्या के बारे में बताएं। उनकी पत्नी ने बताना शुरू किया कि खाना खाने के बाद उनके मुंह का स्वाद पूरी तरह से खत्म हो जाता है और उनकी तबीयत बिगड़ जाती है। उन्हें हल्का बुखार भी आ जाता है। जब उन्होंने इस बारे में अपने चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या है अर्थात रक्त में शक्कर की मात्रा बहुत कम हो जाती है जिससे उन्हें बहुत अधिक कमजोरी लगती है। इसके लिए चिकित्सकों ने उन्हें नाना प्रकार की दवाएं दी। इससे उनकी कमजोरी तो दूर हो गई पर मुंह का स्वाद चले जाने की समस्या का समाधान नहीं हुआ। उन्होंने आगे बताया कि एक बार मुंह का स्वाद चले जाने के बाद फिर घंटों तक के मुँह में किसी भी प्रकार का कोई स्वाद नहीं आता है। न ही मीठा स्वाद आता है न ही नमकीन और न ही खट्टा। शाम का भोजन करने के बाद भी यही स्थिति होती है। मैंने जड़ी बूटियों की सहायता से उनका परीक्षण किया और फिर उनसे पूछा कि क्या आपके मुंह में अभी भी किसी प्रकार का स्वाद नहीं आ रहा है तो उन्होंने बताया कि जब उन्होंने जड़ी बूटियों के लेप को अपने नंगे पैरों से रौंदा तो उनके मुंह में हल्का सा कड़वा स्वाद आ रहा है और किसी तरह का स्वाद नहीं आ रहा है। मैंने उन्हें थोड़ी सी मात्रा में अजवाइन खाने को दी और कहा कि इसे अच्छे से चबाकर खाएं और फिर मुझे बताएं कि आपके मुंह का स्वाद वापस आया कि नहीं आया। थोड़ी देर बाद उन्होंने बताया कि अब मुंह का स्वाद पूरी तरह से वापस आ गया है। मैंने कहा कि आप किसी और तरह की दवा ले रही है या किसी वनस्पति का प्रयोग कर रही है जिसके बारे में आपने मुझे जानकारी नहीं दी है तब उन्होंने बताया कि अपनी माहवारी की समस्या के लिए वे झाड़-फूंक करने वाले व्यक्ति से एक विशेष तरह का पाउडर ले रही है। इसका प्रयोग भोजन में चावल के साथ मिलाकर करना होता है। मैंने कहा कि उस व्यक्ति से क्या बात हो सकती है? जब मैंने उस व्यक्ति से बात की तो उसने बताया कि वह अपने सामान्य ज्ञान के आधार पर लोगों की चिकित्सा करता है। मैंने उससे पूछा कि क्या वह महावारी की समस्या के लिए जिस तरह की दवा देता है उसमें किसी भी रूप में गुड़मार का प्रयोग करता है तब उस व्यक्ति ने कहा कि वह गुड़मार का प्रयोग नहीं करता है बल्कि उसमें मुख्य घटक के रूप में मेषासिंगी का प्रयोग किया जाता है। मैंने उस व्यक्ति को धन्यवाद दिया। फिर उन सज्जन की पत्नी से कहा कि आप उस फार्मूले का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें। उसमें गुड़मार जिसे कि मेषासिंगी भी कहा जाता है, का प्रयोग किया जा रहा है। मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि महामारी की समस्या के लिए कभी गुड़मार का इस तरह से प्रयोग किया जाता है। मेरी सलाह यही है कि आप किसी चिकित्सक से मिलें और अपनी इस समस्या का समाधान करें। आपको जो कमजोरी और हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या हो रही है वह अति मात्रा में प्रयोग की जा रही इसी बूटी के कारण हैं। ऐसा कहकर मैंने उन्हें अपने एक परिचित के स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास भेजा जिन्होंने जांच कर बताया कि उन सज्जन की पत्नी की समस्या उतनी जटिल नहीं है जितना कि उसे समझा जा रहा है। उन्होंने कुछ दवाएं दी जिससे कि उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया। सज्जन की पत्नी ने गुड़मार वाला नुस्खा बंद कर दिया जिससे उनके मुंह का स्वाद ठीक हो गया और फिर कभी नहीं बिगड़ा। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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