Consultation in Corona Period-223

Consultation in Corona Period-223 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "आप तो जानते ही हैं कि टियर गैस के प्रभाव से दुनिया में असंख्य लोग हर साल प्रभावित होते हैं पर उनकी किसी भी तरह से देखभाल नहीं की जाती है। मुख्य रूप से उनका श्वसन तंत्र, आँखें और त्वचा इससे प्रभावित होती हैं और कालांतर में जहरीले रसायनों के कारण उन्हें नाना प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। जब वे इन बीमारियों की चिकित्सा के लिए चिकित्सकों के पास जाते हैं तो चिकित्सकों को इस बात की खबर नहीं होती है कि टियर गैस के रसायन के कारण ये समस्याएं हो रही है। वे नियमित रूप से उनकी चिकित्सा करते हैं जिससे उन्हें किसी भी तरह का लाभ नहीं होता है। टियर गैस कितना नुकसान करेगी यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसमें किस तरह का रसायन डाला गया है और कितनी देर तक इस रसायन के संपर्क में प्रभावित व्यक्ति आया है। टियर गैस के प्रभाव से न केवल वे लोग प्रभावित होते हैं जिन पर इनका प्रयोग किया जाता है बल्कि बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी विशेषकर ऐसे देशों में जहां सुरक्षाकर्मी इनका प्रयोग करते समय किसी सुरक्षा उपकरण का प्रयोग नहीं करते हैं विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। उनके लिए चिकित्सा की कोई विशेष व्यवस्था नहीं होती न ही इसके लिए अलग से उन्हें किसी तरह व्यय दिया जाता है। टियर गैस का प्रयोग पूरी दुनिया में किया जाता है प्रतिरोध को दबाने के लिए। बहुत से रसायन ऐसे हैं जिनका प्रयोग टियर गैस में करने से कालांतर में कैंसर जैसी बीमारियां हो जाती हैं जिनमें आंखों का कैंसर और फेफड़ों का कैंसर मुख्य है। मैंने 10000 से ऐसे मामलों से अधिक ऐसे मामलों की पड़ताल की है जिनमें टियर गैस का बुरा प्रभाव आम लोगों पर पड़ा और उनकी जान पर बन आई। आप चाहें तो इन मामलों की पूरी जानकारी मैं आपको दे सकता हूं। बहुत से मामले तो आपके अपने देश के हैं। अब ये सभी आंखों की बीमारियों से परेशान है और इनमें से ज्यादातर लोगों को आंखों का कैंसर हो चुका है। आपने जड़ी-बूटियों पर शोध किया है इसलिए मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या आप मेरी इस प्रोजेक्ट में मदद करेंगे? क्या टियर गैस के रसायनों के प्रभाव को खत्म करने के लिए आपके पास कोई ऐसा फार्मूला है जिसका प्रयोग इन मामलों में किया जा सके। यदि आप मंजूरी देंगे तो मैं आपके साथ एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर काम करना चाहता हूं।" 90 के दशक में कटक में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक से मुलाकात हुई जिन्होंने ये सब बातें कहीं। मैंने कहा कि मैं आपको तकनीकी जानकारी दे सकता हूं अपने ज्ञान के आधार पर अभी मैं इस प्रोजेक्ट में जुड़ नहीं सकता हूं। उन्होंने धन्यवाद दिया और मेरे द्वारा दी गई जानकारियों को लेकर चले गए। उस पर एक प्रोजेक्ट लिया और गहनता से काम करने लगे। कुछ समय के बाद उन्होंने फिर से संपर्क किया और बताया कि उन्होंने बहुत से ऐसे फार्मूले विकसित किए हैं जिनकी सहायता से टियर गैस के रसायनों के कारण होने वाले आंखों के कैंसर की चिकित्सा की जा सकती है। वे अब इस पर क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। उसके बाद उन्होंने जब अगली बार संपर्क किया तो बताया कि क्या ऐसे किसी फॉर्मूलेशन के बारे में मुझे जानकारी है जिसका प्रयोग करने से तुरंत ही लोगों को आराम पहुंच सके। उन लोगों को जिन पर टियर गैस का प्रयोग किया गया है। यदि वे लोग टियर गैस से प्रभावित होने के तुरंत बाद ही अपनी आंखों में किसी तरह के अर्क को डालें कुछ समय तक तो फिर उनको किसी भी तरह से कैंसर होने की संभावना नहीं रहे। मैंने अपने ज्ञान के आधार पर उन्हें 86 से अधिक प्रकार के अर्को के बारे में जानकारी दी जिनके बारे में पहले से ही जानकारी प्रकाशित थी पर इन अर्को का प्रयोग टियर गैस के रसायनों के विरुद्ध कभी नहीं किया गया था। यह रोचक प्रयोग होने वाला था। उन वैज्ञानिक महोदय ने एक बड़ी टीम तैयार की और फिर पूरे मन से इस कार्य में जुट गए हैं। कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा सुझाए गए अर्क प्रभावी तो है पर टियर गैस के रसायन के विरुद्ध इतने अधिक प्रभावी नहीं है। उन अर्को को और अधिक प्रभावी बनाना होगा ताकि सही मायने में वे असर कर सकें। कुछ सालों के बाद उन्होंने एक और नया प्रोजेक्ट लिया जिसमें उन्होंने टियर गैस के कारण होने वाले फेफड़े के कैंसर पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उनका कहना था कि उन्होंने अपने शोध से यह देखा है कि जब भी टियर गैस के रसायन फेफड़े में रह जाते हैं तो वे तरह-तरह के विकार पैदा करते हैं इसलिए जरूरी है कि पहले इस तरह के रसायनों को पूरी तरह से शरीर से अलग किया जाए। ऐसा करने से फिर शरीर अपने आप ही समस्याओं से जूझने के लिए तैयार हो जाता है। उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि कैसे टियर गैस के रसायनों को फेफड़े से पूरी तरह से हटाया जा सके। उन्होंने दुनिया भर की चिकित्सा पद्धतियों में अपनाए जाने वाले उपायों को अपने प्रोजेक्ट में शामिल किया और उसके बाद फिर मेरे द्वारा दिए गए तकनीकी ज्ञान को भी अपनाकर देखा। मैंने उन्हें बताया कि यदि वे चाहें तो इस कार्य के लिए विभिन्न हस्त मुद्राओं को भी आजमा कर देख सकते हैं विशेषकर प्राण मुद्रा को। मैंने उन्हें बताया कि प्राण मुद्रा को यदि विभिन्न तरह की वनस्पतियों के आसन पर बैठकर लगाया जाए तो शरीर कैंसर से लड़ने के लिए विशेष रूप से तैयार हो जाता है ऐसा मैंने अपने अनुभव से जाना है। भारत की पारंपरिक चिकित्सा में इस बारे में बहुत कम ही लिखा गया है। मैंने सम्भावना जताई कि हो सकता है कि टियर गैस के रसायनों को शरीर से पूरी तरह से बाहर निकालने में यह मुद्रा कारगर हो और अगर वे चाहे तो इस पर विस्तार से अनुसंधान कर सकते हैं। मैंने उन्हें 400 से अधिक प्रकार की वनस्पतियों से तैयार बिछावन के बारे में बताया जिस पर बैठकर प्राण मुद्रा लगाने से बहुत अधिक लाभ होता है। उन्होंने इस विधि को आजमाने के लिए अपनी मंजूरी दे दी। बाद में उन्होंने बताया कि उन्हें आरंभिक परिणाम अच्छे मिले हैं और इस आधार पर वे इस परीक्षण को आगे जारी रखना चाहते हैं। मैंने उन्हें सहमति प्रदान कर दी। उन्होंने एक बड़ी अच्छी बात यह बताई कि जिन व्यक्तियों पर टियर गैस का उपयोग किया गया है यदि वे व्यक्ति आंखों को पूरी तरह साफ करके एक विशेष तरह के अर्क का प्रयोग करके लंबे समय तक के प्राण मुद्रा का अभ्यास करते रहे बिना किसी विशेष वनस्पति के बिछावन में बैठे हुए तो भी आंखों को स्थाई नुकसान नहीं पहुंचता है और टियर गैस के प्रभाव से होने वाली मोतियाबिंद जैसी समस्याओं से पूरी तरह से बचत हो जाती है। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। इस आधार पर मैंने कई लेख लिखे हिंदी में विशेषकर उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों के लिए जो कि लगातार टियर गैस के संपर्क में आते हैं। दुनिया के लिए यह जानकारी बिल्कुल नई थी। इस कोरोना काल में उन वैज्ञानिक ने मुझसे फिर से संपर्क किया है और बताया है कि उनके शोध कार्यों को पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है और उनके संस्थान ने इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार के लिए उनका नामांकन किया है। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि इस परियोजना में आपका पूरा योगदान रहा और आपके बिना यह संभव नहीं था। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया कि उन्होंने मुझे याद रखा। आज उनके पास ऐसे बहुत से कारगर उपाय हैं जिनका प्रयोग टियर गैस से प्रभावित लोगों पर किया जाए तो वे इससे होने वाली स्वास्थ समस्याओं से पूरी तरह से बच सकते हैं पर मेरा अपना मानना यह है कि सबसे अच्छा तो तभी होगा जब इस जहरीली टियर गैस का प्रयोग होना ही इस दुनिया में पूरी तरह से बंद हो जाए। सर्वाधिकार सुरक्षित

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