Consultation in Corona Period-210

Consultation in Corona Period-210 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "मल के साथ खून आने का पता जैसे ही मुझे चला तो मैं बहुत घबरा गया। मैंने तुरंत ही चिकित्सक से मिलने की योजना बनाई और जब चिकित्सक के पास पहुंचा तो उन्होंने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई तरह के परीक्षण कराने का निर्देश दिया। जल्दी ही परीक्षण हो गए और उनके परिणाम भी आ गए। उनसे कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ। न भगंदर की समस्या थी न बवासीर की न ही किसी प्रकार का कैंसर था। मैं बहुत कमजोर होता जा रहा था और इस बात का पता चलने के बाद कि मल के साथ खून जा रहा है मैं और भी मानसिक रूप से कमजोर होता गया। अब मैंने हर बार मल त्याग के समय मल को देखना शुरू किया ताकि उसके साथ निकलने वाले खून का पता लगा सकूं। मैंने देखा है कि यह तो रोज की समस्या है। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। उसके बाद मैंने ध्यान दिया कि अब खून नहीं निकल रहा है। मैंने एक वैद्य से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि शरीर में बहुत अधिक गर्मी होने पर भी ऐसा होता है। यह रक्तपित्त की समस्या भी हो सकती है। इस आधार पर उन्होंने बहुत सारी दवाएं दी। इनका मैं लगातार प्रयोग करता रहा। काफी दिनों तक यह समस्या नहीं हुई फिर अचानक ही एक दिन फिर से मल में खून की मात्रा दिखाई पड़ी। मैंने आधुनिक चिकित्सक से मिलकर उन्हें सारी रिपोर्ट दिखाई और फिर उनसे राय मांगी। उन्होंने कहा कि एक बार कैंसर विशेषज्ञ से मिलना जरूरी है ताकि वे पूरी तरह से जांच कर यह सुनिश्चित कर सके कि यह सचमुच कैंसर से जुड़ी हुई समस्या नहीं है। इसके लिए मैंने पहले मुंबई का रुख किया फिर दिल्ली का। उसके बाद लंदन गया और जब अंत में न्यूयार्क के डॉक्टर ने भी कह दिया कि मुझे किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं है तो मैंने बहुत राहत महसूस की। मल के साथ खून का जाना जब जारी रहा तो मैंने वैद्य जी से बात की। उन्होंने दवा है बदली पर समस्या जस की तस रही। यह समस्या मुझे पिछले 6 सालों से हो रही है। मैंने लंबे समय तक जब इस समस्या पर ध्यान दिया था। मुझे पता चला कि साल के कुछ महीनों में ही यह समस्या होती है और उन महीनों के गुजर जाने के बाद यह समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है पर जिन दिनों में मल के साथ खून अधिक मात्रा में निकलता है उन दिनों में मेरी तबीयत बहुत खराब हो जाती है। मैं जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लग जाता हूं और मुझे कई तरह के टॉनिक की आवश्यकता होती है। डायबिटीज के कारण मैं बहुत तरह के टॉनिक का लगातार उपयोग नहीं कर पाता हूं। उन दिनों में मेरा बिजनेस बुरी तरह से प्रभावित होता है और मैं घर से निकल ही नहीं पाता हूं। मैंने गोमूत्र का प्रयोग करके भी देखा और तिब्बती दवाओं का भी पर जब तक रोग के कारण का पता नहीं चलता तब तक कोई भी चिकित्सक इसका सही समाधान नहीं बता पाता है। मुंबई के जिन चिकित्सक ने मेरी कैंसर की जांच की थी उन्होंने मुझे सलाह दी थी कि एक बार मैं आपसे मिलूं। हो सकता है कि यह किसी ड्रग इंटरेक्शन के कारण हो रहा हो। उन्होंने यह भी कहा था कि भले ही आपको इसकी दवा न मिले पर आपको इस रोग के कारण का अवश्य पता चल जाएगा। मैंने आपके बारे में इंटरनेट पर पढ़ा और जाना कि आप चिकित्सक नहीं है बल्कि भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं और इस आधार पर आप लोगों की मदद करते हैं पर साफ शब्दों में उन्हें बता देते हैं कि बतौर चिकित्सक आप उनसे नहीं मिलेंगे बल्कि एक शोधकर्ता के रूप में मिलेंगे और कोशिश करेंगे कि यह जाने कि रोग का कारण क्या है? आपके बारे में यह भी पढ़ने को मिला कि आप बहुत तरह के फंक्शनल फूड का उपयोग करने की सलाह देते हैं और बहुत सारे लोग फंक्शनल फूड का प्रयोग करने से ठीक हो जाते हैं। इनके लिए किसी भी तरह की दवा की जरूरत नहीं होती है। मैंने आपके मेडिसिनल राइस पर किए गए अनुसंधान पर भी काफी कुछ पढ़ा। मैं बड़ी उम्मीद से आपके पास आया हूं। आप मेरा अगर जड़ी-बूटियों की सहायता से किसी तरह का परीक्षण करना चाहते हैं तो मैं इसके लिए तैयार हूं।" पश्चिम भारत से आए इन सज्जन का मैंने स्वागत किया और कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और यह भी पूछा कि वे अभी कौन-कौन सी दवा ले रहे हैं। उन्होंने दवाओं की पूरी सूची मुझे सौंप दी। उन्होंने बताया कि उन्हें डायबिटीज की समस्या है और थायराइड की भी और इसके लिए वे लगातार एक विशेष तरह की दवा का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने वैद्य जी के फार्मूले के बारे में भी बताया। साथ में उनकी कमजोरी को दूर करने के लिए उन्हें दी जा रही दवाओं के बारे में भी। मैंने इन दवाओं का अध्ययन किया पर मुझे इनमें किसी भी प्रकार का कोई दोष नजर नहीं आया। इन दवाओं की आपस में कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी जिसके कारण उन्हें ऐसे लक्षण आ रहे थे। जब वे मुझसे मिलने आए तब उस समय मल के साथ खून नहीं निकल रहा था यानि उनकी स्थिति सामान्य थी। मेरे द्वारा जड़ी बूटियों के माध्यम से किए गए आरंभिक परीक्षणों से कुछ विशेष जानकारी नहीं मिली। मैंने उनसे कहा कि जब आपको यह समस्या हो तब आकर आप मुझसे मिले। हो सकता है कि उस समय इसका सही कारण मिल सके। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और वापस लौट गए। 2 महीनों के बाद उन्होंने फिर से संपर्क किया और बताया कि उन्हें यह समस्या फिर से हो रही है। उन्होंने एक छोटा सा वीडियो भी बनाया था जिसे देखकर लगता था कि बहुत अधिक मात्रा में खून उनके शरीर से निकल रहा है और इसकी चिकित्सा करना बहुत आवश्यक है। मैंने जड़ी -बूटियों की सहायता से फिर से परीक्षण किया तो मुझे एक विशेष प्रकार की वनस्पति की अधिकता के लक्षण दिखे पर उन्होंने जिन दवाओं की सूची मुझे प्रदान की थी उसमें इस वनस्पति के बारे में किसी भी प्रकार का जिक्र नहीं था इसलिए मैंने गहनता से उनसे पूछताछ की पर फिर भी कुछ भी पता नहीं चला। बातों ही बातों में उन्होंने कहा कि वे जड़ी-बूटियों का व्यापार करते हैं। किसानों और जंगल में रहने वाले लोगों से जड़ी बूटियां खरीदते हैं फिर उन्हें देश विदेश में भेजते हैं। उन्होंने कहा कि आप भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं इसलिए मैं आपको अपने पास उपलब्ध जड़ी बूटियों की सूची देता हूं। यदि आपको इनमें से किसी भी जड़ी बूटी की आवश्यकता हो तो मैं आपको निशुल्क रूप से देने को तैयार हूं। यदि आपके पास ऐसी कोई डिमांड आती है देश-विदेश से तो मैं आपके माध्यम से इनकी आपूर्ति करने को भी तैयार हूं। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके द्वारा बेची जाने वाली जड़ी बूटियों की सूची को पढ़ना शुरू किया तो मुझे वह वनस्पति मिल गई जिसके बारे में परीक्षण के दौरान सूचना मिल रही थी। मैंने उनसे पूछा कि इस वनस्पति को आप कहां से एकत्र करते हैं तो उन्होंने बताया कि यह वनस्पति तो खेती से तैयार होती है और किसानों से ही मैं इसे एकत्र करता हूं। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप इस वनस्पति का प्रयोग अभी करते हैं तो उन्होंने कहा कि यह तो पेट साफ करने की उत्तम औषधि है और मैं साल के कुछ महीनों में इसका प्रयोग करता हूं। अब उनकी समस्या का समाधान दिखने लगा था। मैंने उनसे कहा कि जरा दिमाग पर जोर लगाकर यह बताइए कि जिस समय आप इस वनस्पति का प्रयोग करते हैं क्या उसी समय आपको मल के साथ खून निकलने की समस्या होती है या अन्य दिनों में भी होती है। काफी देर तक वे सोचते रहे फिर उन्होंने कहा कि आप सही कह रहे हैं कि जब मैं इस वनस्पति का प्रयोग करता हूं उसी समय यह समस्या होती है। मैंने उन्हें विस्तार से बताया है कि इस वनस्पति में मूलभूत रूप से कोई दोष नहीं है पर जब वनस्पति की खेती ऐसी मिट्टी में की जाती है जहां कि आयरन की अधिकता होती है या इस फसल की खेती के दौरान आयरन को बहुत अधिक मात्रा में डाला जाता है तो इस वनस्पति में विकार उत्पन्न हो जाते हैं। जब ऐसी वनस्पति का उपयोग किया जाता है तो मल के साथ खून निकलने लग जाता है क्योंकि शरीर के अंदरूनी हिस्सों में इस वनस्पति से जख्म हो जाते हैं। जब इस वनस्पति का प्रयोग करने वाला व्यक्ति डायबिटीज का रोगी होता है और मेटफॉर्मिन जैसी आधुनिक दवाओं का प्रयोग करता है तो ये लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। यह एक जटिल प्रतिक्रिया है जिसके बारे में आम लोगों को जानकारी नहीं होती है। विशेषज्ञ भी इस बारे में कम जानते हैं। यह आपके लिए संभव नहीं है कि आप ट्रकों माल में से ऐसे किसान की पहचान करें जिसकी फसल में आयरन की मात्रा अधिक है। इसलिए बेहतर होगा कि आपको जब भी इस तरह की समस्या हो तो आप इस वनस्पति का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें । उन्हें इस बात का आश्चर्य हुआ और उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी कहीं भी इस बारे में नहीं पढ़ा है। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि अब वे साल भर इसका प्रयोग नहीं करेंगे और देखेंगे कि इससे उनकी समस्या का समाधान हुआ कि नहीं। 3 महीनों के बाद उनका फोन आया है कि अब उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है। उन्होंने इस वनस्पति का उपयोग पूरी तरह से रोक दिया है और इसके विकल्प के रूप में दूसरी वनस्पति का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि उनके माध्यम से यह विकारयुक्त वनस्पति पूरी दुनिया में पहुंचती है। इससे न जाने कितने लोगों को अब तक नुकसान हो चुका होगा और आने वाले समय में नुकसान होगा। क्या ऐसा कोई उपाय है जिससे कि इस नुकसान को रोका जा सके तब मैंने उनसे कहा कि यह एक कठिन कार्य है। अगर आपको यह पता लगाना ही है तो आपको हर किसान की मिट्टी की जांच करनी होगी और उनसे पूछना पड़ेगा कि कौन इस फसल में अधिक मात्रा में आयरन का प्रयोग करता है। यदि आपने यह पता लगा लिया तो आप उसको उचित सलाह दे सकते हैं और फिर यह वनस्पति विकार से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगी। मैंने उन्हें यह भी बताया कि ऐसे दर्जनों मामले मेरे पास आते रहे हैं क्योंकि इस वनस्पति का प्रयोग बहुत से लोकप्रिय उत्पादों में होता है जो कि बाजार में बहुत अधिक मात्रा में बिकते हैं और लोग लगातार उसका प्रयोग करते हैं। इस वनस्पति का प्रयोग रोक देने के बाद उनकी समस्या का समाधान हो जाता है। इस बारे में जन जागरण की आवश्यकता है ताकि इस वनस्पति का अनुमोदन करने वाले चिकित्सक इस बात की जानकारी अपने मरीजों को दे सकें और किसी भी तरह के विपरीत लक्षण दिखने पर वे इसका प्रयोग रोकने की सलाह दे सकें। इस तरह एक जटिल समस्या का सरल समाधान हो गया। इस पूरे आलेख में जिस वनस्पति का जिक्र किया जा रहा है उस वनस्पति का नाम है सनाय और अपने जीवन में हम कभी न कभी इसका उपयोग जरूर करते हैं। सर्वाधिकार सुरक्षित

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