Consultation in Corona Period-213

Consultation in Corona Period-213 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "मुझे हार्ट की गंभीर समस्या है और मैं आपसे मिलने रायपुर नहीं आ सकता क्योंकि डॉक्टर ने इतनी लंबी यात्रा करने के लिए मना किया है। मैं अपनी सारी रिपोर्ट आपके पास भेज रहा हूं और आपकी फीस भी जमा कर रहा हूं ताकि आप दार्जिलिंग आकर मुझसे मुलाकात कर सके। मैं एक चाय कंपनी का मालिक हूं। हमारा बागान दार्जिलिंग के रास्ते में है और हेड ऑफिस कोलकाता में है। मिस्टर मुखर्जी आपसे संपर्क में रहेंगे और आपके आने जाने का पूरा प्रबंध करेंगे।" दार्जिलिंग के पास से जब यह संदेश आया तो मुझे संदेश भेजने वाले का नाम जाना पहचाना लगा। फिर मुझे याद आया कि आज से 20 साल पहले उन्होंने मुझे अपने चाय बागान में बुलवाया था। वे उसमें जड़ी बूटियों की खेती करना चाहते थे और उनकी विशेष रूचि सफेद मूसली में थी। पहले दो बार वे छत्तीसगढ़ आये। उसके बाद उन्होंने मुझे आमंत्रित किया कि मैं उनके फॉर्म में जाकर एक बार देखूं कि किन-किन जड़ी बूटियों की खेती वहां की जा सकती है। मैं वहां जाने के लिए तैयार हो गया और उन्होंने अपने मैनेजर के माध्यम से सारा प्रबंध कर दिया। पर ये सभी प्रबंध अच्छे नहीं थे। ट्रेन से कोलकाता पहुंचने पर उन्होंने गरीहाट के एक छोटे से लॉज में ठहरा दिया जहां पर मुझे डॉरमेट्री में जगह मिली। फिर शाम को दार्जिलिंग मेल पकड़नी थी। उन्होंने मुझे टिकट थमाई और मैं ट्रेन में चढ़कर सो गया। सुबह जब टीटीई ने मुझे उठाया और बंगाली में बात करने की कोशिश की तो मुझे पता चला कि टिकट मेरे नाम की नहीं थी बल्कि किसी और नाम की थी। टीटीई को शक हो जाने के कारण वे मुझसे बंगाली में बात करने की कोशिश कर रहे थे। जैसे तैसे वह बात निपटी और मैं न्यू जलपाईगुड़ी में उतर गया। वहां उनकी कंपनी के बहुत से लोग मौजूद थे। उन्होंने क्षमा मांगी और कहा कि आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। उन्होंने फोन पर किसी को डांट भी लगाई। 2 दिनों तक मैं उनके बागान में घूमता रहा और उन्हें जड़ी-बूटियों की खेती की संभावनाओं के बारे में बताता रहा। वापसी मेरी दार्जिलिंग मेल से थी पर ऐन वक्त पर मुझे बताया गया कि मेरी टिकट ही नहीं बनी है और आनन-फानन में मुझे रॉकेट नामक एक बस में बिठा दिया गया। इसमें सबसे आखरी की सीट मिली थी। रात भर नींद हराम रही और सुबह कोलकाता पहुंचते ही फिर उसी लॉज में ठहरा दिया गया। फीस तो उन्होंने दी पर व्यवस्था में उन्होंने पैसे को बचाने की कोशिश की। उस घटना के बाद से मैंने सबक लिया कि अब जब भी मैं रायपुर से बाहर जाऊंगा तो जो फीस लूंगा उसमें ही सबकुछ शामिल होगा यानी मेरे आने-जाने का खर्च भी शामिल होगा और ठहरने का भी। जिन्होंने मुझे आमंत्रित किया है उन्हें इन सब व्यवस्थाओं को करने की जरूरत नहीं है। पिछले 20 सालों से मैंने इस सबक को ध्यान में रखा है और उसी आधार पर ही मैंने इन सज्जन को एक बार फिर से अपनी फीस के बारे में पूरी जानकारी दे दी। उन्होंने कहा कि फीस बहुत ज्यादा है तब मैंने कहा कि इसमें सभी तरह के खर्च शामिल है। आपको किसी भी तरह का कोई प्रबंध नहीं करना है। पिछली बार मैं आप की व्यवस्था देख चुका हूं और काफी कुछ सीख चुका हूं। वे इस बात के लिए तैयार हो गए मन मसोसकर ही सही। जब मैं उनसे मिलने उनके बागान पहुंचा तो उनकी हालत सचमुच बड़ी खराब थी। उनकी रिपोर्ट बता रही थी कि हृदय की उन्हें गंभीर समस्या है। ब्लड प्रेशर बहुत कम हो रहा था। वे बहुत कमजोर हो गए थे। उनकी नाना प्रकार की दवाइयाँ चल रही थी पर उससे उन्हें किसी भी तरह से लाभ नहीं हो रहा था इसीलिए इंटरनेट पर मेरे लेखों को पढ़कर उन्होंने मुझसे संपर्क किया और सोचा कि इतने लंबे समय तक जड़ी बूटियों में काम करने के कारण इन्हें काफी जानकारी हो गई होगी। मैंने दो-तीन घंटे तक उनसे लंबी चर्चा की फिर उन्हें दो प्रकार के ब्लैक राइस दिए। इन ब्लैक राइस को रात भर पानी में भिगोना था और सुबह उस पानी को पीना था। मैंने उनसे कहा कि यह किसी तरह का उपचार नहीं है बल्कि एक तरह का परीक्षण है जिससे मुझे पता चल सके कि आपकी समस्या का मूल क्या है। मैंने उनसे यह भी कहा कि आपको शरीर के विशेष हिस्से में सुबह 6:00 से 7:00 के बीच खुजली होगी तब मुझे आप फोन पर बता दीजिएगा कि आपको किस हिस्से में खुजली हो रही है। उस आधार पर मैं आपको बता पाऊंगा कि आपकी समस्या का कारण क्या है? यह खुजली ब्लैक राइस के प्रयोग के कारण ही होगी पर इसमें 1 दिन से लेकर कई दिनों का समय लग सकता है। आप खुजली के लिए कोई उपाय मत करिएगा। आप उसी समय ही इसका उपयोग पूरी तरह से रोक दीजिएगा। आपकी खुजली की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। वे इस अनोखे प्रयोग के लिए तैयार हो गए और मैं वापस लौट आया। 7 दिनों के बाद उनका फोन आया कि उन्हें पैरों के तलवों में सुबह से बहुत खुजली हो रही है पर यह खुजली असहनीय नहीं है और अगर मैं चाहूं तो वे इसका प्रयोग जारी रख सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि यह केवल परीक्षण था इसलिए आप इसका प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें। मैं आपको एक सूची भेज रहा हूं। आप अच्छे से सोच कर मुझे बताएं कि इन 10 वनस्पतियों में से कौन सी वनस्पतियों का प्रयोग आप कर रहे हैं। जब उन्होंने 10 वनस्पतियों की सूची को ध्यान से पढ़ा तो उन्होंने एक वनस्पति पर निशान लगाया और सूची मेरे पास वापस भेज दी। उन्होंने बताया कि वे यूरोप के एक डॉक्टर से मिलने गए थे जिन्होंने उन्हें सुपर फूड का प्रयोग करने को कहा ताकि वे कभी बीमार न पड़ें। सुपर फूड के रूप में वे मोरिंगा के पल्प का सब्जी के रूप में उपयोग कर रहे थे पिछले 1 साल से बिना किसी अंतराल के। 1 साल पहले उन्हें हृदय की समस्या नहीं थी। उन्होंने याद करके बताया कि इस प्रयोग के 3 महीने बाद ही उनको हृदय की समस्या होनी शुरू हुई और वह फिर किसी तरह से ठीक नहीं हुई। मैंने उनसे कहा कि आप मोरिंगा के पल्प से बनी सब्जी का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें। इससे आपकी कई तरह की समस्याएं ठीक हो जाएंगी। हृदय फिर से सामान्य गति से काम करने लग जाएगा। मोरिंगा की छाल और गूदे में एक विशेष तरह का रसायन होता है जो कि हृदय की गति को कम कर देता है और नाना प्रकार के हृदय रोग को उत्पन्न कर देता है। मोरिंगा का प्रयोग भारत में पीढीयों से होता आया है। विशेष समय मे इसका प्रयोग किया जाता है पर लंबे समय तक नहीं किया जाता है। आप अधिक मात्रा में लगातार इसका प्रयोग सब्जी के रूप में कर रहे थे इसलिए आपको यह समस्या हो रही थी। मैंने उनसे कहा कि मोरिंगा को बंद करने के बाद आप मुझे 1 सप्ताह बाद बताएं कि आपकी तबीयत कैसी है। एक हफ्ते बाद उनका फोन आया कि उनकी हालत में काफी सुधार हो रहा है। मोरिंगा की सब्जी का प्रयोग बंद कर देने के बाद से उन्हें कई तरह के लाभ हुए हैं। उनका पेट लगातार साफ हो रहा है। उन्हें अच्छी नींद आ रही है। ह्रदय की बहुत सारी दवाएं बंद हो गई है। ब्लड प्रेशर सामान्य स्तर पर आ गया है। उन्हें कमर के नीचे हिस्से में जकड़न महसूस होती थी। वह भी अपने आप ठीक हो गई है। मैंने उनसे कहा कि आप मोरिंगा से थोड़ी दूरी बना कर रखें और कभी कभार शौक से स्वाद के लिए ही इसका प्रयोग करें। लगातार इसका प्रयोग करने से बचें। आपको अब इस तरह की कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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