Consultation in Corona Period-217

Consultation in Corona Period-217 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "ये सारी रिपोर्ट है हमारे पिताजी की जिनको कि फेफड़े का कैंसर है। वे अभी भारत से बाहर है। जब अमेरिका से वापस लौटेंगे तब वे आपसे मुलाकात करेंगे और आपसे परीक्षण करवाएंगे। तब तक क्या आप उन्हें ऐसे किसी फार्मूले के बारे में जानकारी दे सकते हैं जिसका प्रयोग करने से उनके शरीर में कैंसर के कारण होने वाली कमजोरी पूरी तरह से ठीक हो जाए? उनके चिकित्सक कहते हैं कि शरीर की कमजोरी ठीक होते ही उनका फिर से परीक्षण किया जाएगा और उसके बाद ही कीमोथेरेपी का उपचार शुरू किया जाएगा। अभी उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि कीमोथेरेपी की जा सके। वे लगातार काम करते रहते हैं। उन्हें अपने काम से बेहद प्यार है। चिकित्सकों ने उन्हें आराम करने को कहा है और किसी भी तरह से व्यस्त रहने से मना किया है पर फिर भी वे कहां मानते हैं। हमारे लाख मना करने के बावजूद वे अपने काम के लिए अमेरिका चले गए और अब 2 महीने के बाद ही वापस लौटेंगे।" उत्तर भारत से आए एक सज्जन ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मैंने उनके पिताजी की सारी रिपोर्ट देखी और उस आधार पर उन्हें 8 तरह के मेडिसनल राइस पर आधारित फॉर्मूलेशन दिए। इनका प्रयोग उन्हें नियमित रूप से करना था। इससे उनकी कमजोरी दूर होती और वे फिर से कीमोथेरेपी के लिए तैयार हो जाते हैं। उन्हें कीमोथेरेपी भारत में ही करानी थी और उनके पास 2 महीनों का समय था। वे सज्जन सारी सामग्री लेकर वापस लौट गए और बीच-बीच में फोन कर बताते रहे कि ये सभी सामग्री अमेरिका भिजवा दी गई है जहां उनके पिता जी इनका नियमित प्रयोग कर रहे हैं। 2 महीने बाद उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ पर इतना अधिक सुधार नहीं हुआ कि कीमोथेरेपी के चिकित्सक अपनी चिकित्सा फिर से शुरू कर सके। वे जब भारत आए तो उन्होंने मुझसे मिलने का मन बनाया और समय लेकर रायपुर आ गए। मैंने जब उन्हें अपनी बैठक में देखा तो मुझे लगा कि वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। उनकी वेशभूषा से भी ऐसा लग रहा था और जब उन्होंने बात करना शुरू किया तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि इनकी पृष्ठभूमि अध्यात्मिक है। उनकी अनुमति से मैंने जड़ी बूटियों के माध्यम से उनका परीक्षण किया और फिर उनसे पूछा कि आपको मेडिसिनल राइस से किस तरह का लाभ हुआ और क्या आप इसका प्रयोग अभी भी जारी रखना चाहेंगे तब उन्होंने कहा कि वे मेडिसिनल राइस का उपयोग जारी रखना चाहेंगे पर वे साथ में यह भी चाहते हैं कि मैं उनके कैंसर की चिकित्सा करूं फंक्शनल फूड के आधार पर और जल्दी ही उन्हें कमजोरी से मुक्त करवाऊँ। जब वे मुझसे बात कर रहे थे तो उनकी बाईं आंख में विशेष तरह की हलचल हो रही थी जो एक विशेष तरह की वनस्पति की विषाक्तता के बारे में बता रही थी। इसी पर केंद्रित होकर मैंने उनसे खानपान और उनके द्वारा ली जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली। इनमें उस वनस्पति की उपस्थिति की संभावना न के बराबर थी। जब मैंने इस वनस्पति के बारे में उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि वे इस वनस्पति के बारे में पहली बार सुन रहे हैं। वे किसी भी रूप में इसका प्रयोग नहीं करते हैं। मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि जड़ी बूटियों के परीक्षण से यह प्रतीत हो रहा है कि आप इस वनस्पति का प्रयोग लंबे समय से कर रहे हैं जिसके कारण आपका फेफड़े का कैंसर तेजी से फैल रहा है। बातों ही बातों में मैंने उनसे पूछा कि आप क्या काम करते हैं तो उन्होंने बताया कि उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ कराने में महारत हासिल है और अपने जीवन में उन्होंने हजारों यज्ञ करवाए हैं। उन्होंने आगे बताया कि यह यज्ञ संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है और दुनिया भर के लोग उन्हें लगातार आमंत्रित करते रहते हैं। वे इसी कारण से 2 महीने के लिए अमेरिका गए थे और वहां कई यज्ञ कराने के बाद फिर वापस लौटे हैं। उन्होंने बताया कि अब अगले महीने फिर से यूरोप की यात्रा करने की योजना है। इस यात्रा में भी इसी तरह के यज्ञ किए जाएंगे। उनके द्वारा यज्ञ के बारे में दी गई जानकारी बड़ी महत्वपूर्ण थी। मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप यज्ञ में जिन सामग्रियों का प्रयोग करते हैं क्या आप उसकी सूची मुझे अभी दे सकते हैं? वे इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने कहा कि यह सूची तो मेरी जबान पर है और मैं अभी ही सारी सामग्रियों की सूची बना सकता हूं और यदि आपको पुत्र प्राप्ति के लिए यह यज्ञ कराना है तो मैं आपके लिए बिना शुल्क के यह करने को तैयार हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं अविवाहित हूं और मुझे इस तरह के यज्ञ की इस जीवन में आवश्यकता नहीं है। मैंने सहृदयता के लिए उनका धन्यवाद किया। जब मैंने उनके द्वारा तैयार की गई सूची पर सरसरी निगाह डाली तो मुझे वह वनस्पति दिख गई जिसके बारे में परीक्षण साफ-साफ बता रहे थे। मैंने उन्हें बताया कि मैं इसी वनस्पति की बात कर रहा था। आपने यहां उसका दूसरा नाम लिखा है जबकि मैं आपको इसके अन्य नाम के बारे में बता रहा था। उन्होंने कहा कि यह तो इस यज्ञ में मुख्य भूमिका निभाती है और इसका प्रयोग वे लंबे समय से कर रहे हैं। मैंने उनसे पूछा कि जब आप यज्ञ करके उठते हैं तो क्या आपकी बायीं पिंडली में तेज दर्द उठता है तो उन्होंने सोच कर बताया कि हां, हर बार ऐसा होता है पर उम्र के कारण ऐसा हो रहा है यह सोचकर उन्होंने कभी इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया। यह भी एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। मैंने उनसे पूछा कि आप क्या मुझे इस वनस्पति का नमूना दे सकते हैं तब उन्होंने कहा कि वे यज्ञ में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों को उत्तर भारत के एक जड़ी-बूटी विक्रेता से थोक के भाव में खरीदते हैं और साल भर उसका उपयोग करते हैं। जब मैंने उन जड़ी बूटी विक्रेता से बात की और इस वनस्पति के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि वे सीधे ही जंगल में जाकर इस वनस्पति को एकत्र नहीं करते हैं बल्कि उनके बहुत सारे संपर्क सूत्र हैं जो कि लंबे समय से इसकी आपूर्ति करते रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि इस सूची में जो रतनजोत नाम की वनस्पति का जिक्र आया है उस वनस्पति के बारे में क्या आप बता सकते हैं कि आप उसे कहां से एकत्र करते हैं और वह किस प्रकार की दिखती है तब उन्होंने कहा कि रतनजोत के नाम से बहुत सारी जड़ी बूटियां आती है। रतनजोत यानी भारतीय भोजन को लाल रंग से रंगने वाली वनस्पति का ही वे प्रयोग करते हैं। इसे ही असली रतनजोत माना जाता है। मैंने कहा कि आप की जानकारी सही है पर क्या आप मुझे उस वनस्पति का सैंपल दिखा सकते हैं। जब उन्होंने सैंपल दिखाया तो वह सैंपल अलग निकला। मैंने कहा कि यह तो लाल रंग वाली रतनजोत नहीं है। उन्होंने भी उस सैंपल को ध्यान से देखा और कहा कि हां, यह दूसरी वनस्पति लगती है। अभी मैं फोन कर उस व्यक्ति से पूछता हूं कि ऐसी गलती क्यों हुई? जब उनकी बात खत्म हुई तो उन्होंने बताया कि लाल रंग वाली रतनजोत का प्रयोग इस व्यक्ति के पिताजी जानते हैं इसीलिए वे लंबे समय से इसकी आपूर्ति करते रहे और उनसे किसी भी प्रकार की गलती नहीं हुई। हाल के कुछ वर्षों में उनकी तबीयत खराब रहने के कारण उनका बेटा इस बूटी को एकत्र करने के लिए जाता है। उसे किसी ने बताया कि रतनजोत के लिए जंगल में जाने की जरूरत नहीं है बल्कि यह तो खेतों की मेड़ों और बंजर जमीन में आसानी से मिल जाता है। इससे डीजल बनाया जाता है और सरकार इसकी खेती को बढ़ावा दे रही है। उसके बाद से उस व्यक्ति ने मूल रतनजोत को भूलकर इसी रतनजोत की आपूर्ति शुरू कर दी और यहीं से पूरी गड़बड़ शुरू हो गई। जड़ी बूटी विक्रेता से पूरी जानकारी लेने के बाद मैंने उन सज्जन के पिता जी से बात की और उन्हें पूरी जानकारी दी। मैंने खुलासा किया कि बायोडीजल के लिए जिस वनस्पति का प्रयोग किया जाता है उसे भी रतनजोत कहा जाता है। इसका तेल बहुत अधिक विषाक्त होता है। यदि यह त्वचा के संपर्क में आए तो कैंसर होने की संभावना रहती है ऐसा वैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं। इसके तेल का या इसके वानस्पतिक भाग का धुआं यदि लगातार कई वर्षों तक सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचता है तो फेफड़े के कैंसर को तेजी से फैलने में मदद मिलती है। आप पिछले कई वर्षों से असली रतनजोत के स्थान पर बायोडीजल वाले रतनजोत का प्रयोग कर रहे हैं यज्ञ सामग्री के रूप में जिससे आपको इस कैंसर की समस्या हो रही है। उन्होंने जड़ी-बूटी विक्रेता से बात की फोन पर। खूब डांटा और यह भी कहा कि उस विक्रेता ने विश्वास का गलत फायदा उठाया और उन्हें सही सामग्री नहीं दी। फोन पर बात खत्म करने के बाद उन्होंने कहा कि अब गलती तो हो गई है और यह गलती आगे से नहीं होगी। अब हर बार मैं सभी तरह की यज्ञ सामग्री का परीक्षण करूंगा और उसके बाद ही फिर यज्ञ में उसका प्रयोग करूंगा। पता नहीं कितने लोगों ने इस यज्ञ सामग्री से निकलने वाले धुएँ को अपनी सांसों में लिया होगा और उन्हें कितना ज्यादा नुकसान हुआ होगा। अब मुझे यह बताइए कि जब कैंसर का कारण पता चल गया है तो क्या इसका कोई समाधान भी है तब मैंने उन्हें भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के आधार पर 7 महीनों का एक schedule बना कर दिया जिसका उन्हें लगातार प्रयोग करना था। इससे शरीर में रतनजोत की विषाक्तता कम हो जाती है और धीरे-धीरे पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। उन्होंने निश्चय किया कि वे लगातार इस schedule का नियमित नियमपूर्वक प्रयोग करेंगे और उसके बाद अपने कैंसर की फिर से जांच कराएँगे। 7 महीने तक वे लगातार इस schedule का प्रयोग करते रहे। धीरे-धीरे उनकी तकलीफें दूर होने लगी। 7 महीने के प्रयोग के बाद मैंने उन्हें सलाह दी कि वे 3 महीने का अंतराल करें और उसके बाद फिर 7 महीने के लिए इस शेड्यूल को अपनाएं। इस बीच उन्होंने जब अपने कैंसर का परीक्षण कराया तो उनके चिकित्सक ने कहा कि अब उनकी स्थिति में काफी सुधार है और उनका शरीर कैंसर से बहुत मजबूती से लड़ रहा है। अब उन्हें कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं है। यह उनके लिए राहत भरी खबर थी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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