Consultation in Corona Period-212

Consultation in Corona Period-212 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "मुझे चौबीसों घंटे ऐसा लगता है जैसे कि मेरा शरीर बुरी तरह से तप रहा है। जैसे मेरे शरीर के अंदर किसी तरह की भट्टी जल रही है। यह जलती हुई आग की तपन किसी भी तरह से कम नहीं होती है। मैं जब इसके लिए ठंडे पानी का उपयोग करती हूं तो थोड़ी देर तक राहत मिलती है उसके बाद मुझे सर्दी हो जाती है। मैं दिन में कई बार नहाती हूं ठंडे पानी से फिर भी यह तपिश खत्म नहीं होती है। शरीर में ऐसा लगता है कि पानी का पूरी तरह से अभाव हो गया है। इस गर्मी की वजह से मेरी पलकें सूख जाती हैं और मुँह भी पूरी तरह से सूख जाता है। मुझे बहुत बेचैनी का अनुभव होता है। बहुत भूख लगती है पर खाना खाते ही अपच की समस्या हो जाती है और खट्टी डकार आने लग जाती हैं। अपनी समस्या के लिए जब मैं उत्तरी छत्तीसगढ़ के एक पारंपरिक चिकित्सक से मिली तो उन्होंने मेरी पूरी तरह से जांच की और बताया कि मेरे शरीर के स्रोत बंद है इसलिए शरीर में बहुत अधिक विजातीय तत्व जमा हो गए हैं जिनकी सफाई करना बहुत जरूरी है। उन्होंने अच्छी जीवन पद्धति अपनाने की सलाह दी और कई तरह के फंक्शनल फूड सुझाये पर उनसे किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं हुआ। मैं जब अपने डॉक्टर से मिली तो उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और इसके लिए उन्होंने बहुत सारी दवाएं दी। जब उनसे किसी तरह का लाभ नहीं हुआ तो मैंने आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क किया। उन्होंने पारंपरिक चिकित्सक की तरह ही कहा कि शरीर के स्रोत पूरी तरह से खुले हुए नहीं है। शरीर में विजातीय तत्वों की बहुत अधिक मात्रा में उपस्थिति है। इसके कारण शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि मुझे डायबिटीज की समस्या हो सकती है और उस आधार पर उन्होंने बहुत सारी दवाएं दी पर शरीर के गर्म होने की समस्या का समाधान नहीं निकला। आयुर्वेद के चिकित्सक ने यह भी कहा कि मैं ठंडी और मीठी चीज का प्रयोग करूं जिससे शरीर की गर्मी शांत हो पर जैसा कि मैंने आपको पहले बताया कि ठंडी चीज का प्रयोग करने से मुझे तुरंत सर्दी हो जाती है और मीठी चीज का प्रयोग डायबिटीज के पता लगने के बाद अधिक मात्रा में नहीं कर पाती हूं। मैं बनारस के एक वैद्य से मिली तो उन्होंने कहा कि मैं यदि सुबह-सुबह रबड़ी और जलेबी खाऊँ तो 1 महीने के अंदर मेरी इस समस्या का समाधान हो सकता है। उन्होंने इसके साथ कुछ दवाएं दी जिससे कि रबड़ी और जलेबी का किसी भी प्रकार से बुरा प्रभाव न पड़े पर यह प्रयोग भी पूरी तरह से असफल रहा। मैंने इंटरनेट पर आपके द्वारा लिखे गए लेख पढ़े और यह जाना कि आप मेडिसिनल राइस पर शोध कर रहे हैं इसलिए मैं आपसे मिलने आई हूं ताकि आप मुझे कुछ मेडिसिनल राइस बता सके जिनका प्रयोग करने से मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सके।" उत्तर भारत से आई एक महिला ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। उनके साथ उनके पति महोदय भी आए थे। जब मैंने जड़ी बूटियों की सहायता से उनका परीक्षण किया तो वही बात पता चली जो कि पारंपरिक चिकित्सक और आयुर्वेद के चिकित्सक कह रहे थे। उनके शरीर के कई स्त्रोत पूरी तरह से बंद थे। इसके कारण ही शरीर में विकार उत्पन्न हो रहे थे। मैंने उन्हें सलाह दी कि आप किसी अच्छे चिकित्सक से मिलकर पंचकर्म करवाएं। इससे आपको काफी राहत मिलेगी। आपको अभी किसी भी प्रकार के मेडिसिनल राइस की जरूरत नहीं है। वे वापस चली गई और 1 महीने बाद उन्होंने बताया कि 15 दिनों तक केरल में रहकर उन्होंने पंचकर्म करवाया। इससे उन्हें सचमुच बहुत राहत मिली। ऐसा लगा कि जैसे बरसों बाद उनकी समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि विरेचन और स्वेदन के बाद से उन्हें बहुत हल्का महसूस हो रहा है और शरीर में जलन की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 15-20 दिनों बाद फिर उनका फोन आया। उन्होंने बताया कि वही समस्या फिर से शुरू हो गई है। जब उनसे फोन पर बात हो रही थी तब उनके पति ने भी बात करने की इच्छा जताई पर उनकी पत्नी ने उन्हें डांट कर चुप कर दिया। उन महिला ने मुझे बताया कि वे फिर से केरल जा रही है तथा जहां पर वह एक बार फिर से पंचकर्म चिकित्सा करवाएंगी। डेढ़ महीने के बाद फिर से उन्होंने परामर्श के लिए समय लिया और कहा कि जब भी वे पंचकर्म करवाती हैं तब कुछ समय तक उनकी समस्या ठीक रहती है लेकिन उसके बाद फिर से वैसी ही हो जाती है। अब बार-बार केरल जाकर पंचकर्म कराना तो संभव नहीं है इसलिए उन्हें स्थाई समाधान की तलाश है और इस बार उन्होंने इसलिए परामर्श के लिए समय लिया है ताकि मैं उन्हें उनकी समस्या के लिए मेडिसिनल राइस बता सकूं। मैंने उनसे कहा कि आप एक बार रायपुर आ जाइए ताकि मैं एक बार आपका फिर से परीक्षण कर सकूं और यह बता सकूं कि आपके लिए कौन सा मेडिसिनल राइस उपयुक्त रहेगा। परामर्श का समय लेने के बावजूद वे अगली बार रायपुर नहीं आई । फिर उन्होंने 1 महीने के बाद संपर्क किया और बताया कि दिल्ली के एक कैंसर विशेषज्ञ ने कहा है कि यह किसी ट्यूमर के कारण भी हो सकता है इसलिए उन्होंने पूरी जांच की पर उन्हें अपनी जांच में किसी भी तरह का ट्यूमर नहीं मिला। उन्होंने क्षमा मांगी और कहा कि इसी प्रक्रिया के कारण उन्होंने अपॉइंटमेंट लेने के बाद भी संपर्क नहीं किया पर अब वे चाहती हैं कि रायपुर आएं और मुझसे मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी प्राप्त करें। जब वे अपने पति के साथ रायपुर आई तो मैंने फिर से परीक्षण किया और मुझे फिर से उनके बहुत से स्त्रोत बंद नजर आए। मैंने उनसे पूछा कि आपका पेट ठीक से साफ होता है तो उन्होंने बताया कि उनका पेट दिन में दो बार साफ होता है और उन्हें कब्जियत की कभी भी शिकायत नहीं रही है। मैंने उनसे पूछा कि आपको क्या दिन भर उल्टी लगने की शिकायत होती है तो उन्होंने कहा कि कभी-कभी होती है पर हमेशा नहीं होती है। मैंने उनसे पूछा कि आपको किसी तरह के खून के विकार हो रहे हैं तो उन्होंने कहा कि ब्लड प्यूरीफीकेशन के लिए अर्थात खून की सफाई के लिए वे कई तरह के टॉनिक का प्रयोग कर रही हैं जिससे उनका रक्त शुद्ध रहे। मैंने जब उनसे उनके पसीने के बारे में पूछा तो उन्होंने कोई विशेष जवाब नहीं दिया। इस बीच उनके पति कुछ कहने के लिए आतुर हुए पर एक बार फिर से उनकी पत्नी ने उनको डांट कर चुप करा दिया। मैंने उनके पति से कहा कि आप खुलकर बताइए। आप क्या कहना चाहते हैं और उनकी पत्नी से अनुरोध किया कि इन्हें बोलने दीजिए। उनके पति ने बताया कि उनकी पत्नी को बूढ़े होने से डर लगता है इसलिए ये वह सब उपाय करती है जिससे कि बूढ़ा होने से बचा जा सकता है। इसमें त्वचा की विशेष देखभाल मुख्य है। इंटरनेट पर पढ़कर और विभिन्न आयुर्वेद की पुस्तकों को देखकर उनकी पत्नी ने एक विशेष तरह की क्रीम तैयार की है जिसे वह सुबह से अपने पूरे शरीर में लगा लेती है और फिर दूसरे दिन नहाने पर यह क्रीम शरीर से निकलती है। उन्हें लगता है कि इस क्रीम का प्रयोग करने से त्वचा में एजिंग का असर नहीं दिखेगा और त्वचा कभी बूढ़ी नहीं होगी। एक बार उनके पति बोलने लगे तो फिर उन्होंने रुकने का नाम नहीं लिया और उन्होंने सारा राज खोल दिया। उन्होंने नाराजगी भी प्रकट की कि उनकी पत्नी ने बिना किसी चिकित्सक की सलाह के अपने मन से यह क्रीम बनाई है और उसका इतने लंबे समय तक पूरे शरीर में प्रयोग कर रही है। जब मैंने उनकी पत्नी से इस क्रीम के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इस क्रीम में मुख्यता एलोवेरा का प्रयोग किया गया है और साथ में बहुत सारे ऐसे घटक हैं जिनके बारे में इंटरनेट पर काफी कुछ लिखा गया है। अब उनकी समस्या का समाधान साफ दिखने लगा था। मैंने उनसे कहा कि एलोवेरा को त्वचा में लगाने से आपको किस तरह का लाभ होता है और एलोवेरा को तो पूरे दिन शरीर में लगा कर रखना ठीक नहीं माना जाता है। उन्होंने बताया कि एलोवेरा को तो मैं एक ही बार लगाती हूं और फिर वह अपने आप शरीर में अवशोषित हो जाता है। मैंने उन्हें वैज्ञानिक तथ्य और वैज्ञानिक शोध पत्र दिखाते हुए यह कहा कि यह आपकी गलतफहमी है कि एलोवेरा शरीर में अवशोषित हो जाता है। एलोवेरा का जितना भाग शरीर में लगाया जाता है उतना ही भाग शरीर से निकल जाता है। उसकी थोड़ी भी मात्र शरीर के अंदर अवशोषित नहीं होती है। मैंने उन्हें एक दिलचस्प बात बताई और कहा कि जब आदिवासी जंगल में जाते हैं तो वे अपने पूरे शरीर में एलोवेरा का लेप लगा लेते हैं। इससे उनके शरीर से आने वाली किसी भी प्रकार की दुर्गंध पूरी तरह से समाप्त हो जाती है और घात लगाकर बैठे जंगली जानवर उन पर आक्रमण नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वहां से कोई प्राणी गुजर रहा है। इस उदाहरण के माध्यम से मैंने उन्हें यह समझाना चाहा कि एलोवेरा का प्रयोग करने से त्वचा के सभी छिद्र बंद हो जाते हैं और उनसे पसीना नहीं निकल पाता है। यही कारण है कि आदिवासी जब जंगल में जाते हैं तो उनके पसीने की बदबू जंगल में नहीं फैलती और दूसरे जानवरों को आकर्षित नहीं करती है। जंगल से निकलने के बाद वे तुरंत ही अपने शरीर को पूरी तरह से साफ कर लेते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि इससे पसीना पूरी तरह से रुक जाता है। आपने अपनी क्रीम में जिन घटकों को डाला है उनमें एलोवेरा जैसे त्वचा के छिद्रों को बंद करने वाले बहुत से घटक हैं जो कि आपके लिए अभिशाप साबित हो रहे हैं। आपका शरीर पसीने के माध्यम से शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। पसीना आपके शरीर के विजातीय तत्वों को बाहर निकालता है। इस तरह शरीर स्वस्थ रहता है। यदि आप छिद्र को बंद कर देंगे तो भला शरीर की गंदगी कैसे बाहर निकलेगी। शरीर की त्वचा के छिद्र जितने अधिक खुले रहेंगे और साफ रहेंगे त्वचा उतनी ही अधिक जवान दिखेगी। लाभदाई छिद्रों को बंद करके पसीने को रोककर आप तो अपने लिए समस्या पैदा कर रही हैं और इससे आपको समय से पहले बुढ़ापे की समस्या हो सकती है। उनके द्वारा बनाई गई क्रीम में कुछ पीलापन दिखाई दिया तो मैंने पूछा कि क्या आप किसी तरह के रंग का उपयोग इस क्रीम में कर रही है या यह पीला रंग किसी वनस्पति के कारण आ रहा है तब उन्होंने बताया कि यह रंग तो एलोवेरा के कारण आ रहा है। मैंने कहा एलोवेरा के कारण तो पीला रंग नहीं आता है। एलोवेरा की जैल तो रंगहीन होती है। जब मैंने उनसे एलोवेरा का जैल बनाने की विधि पूछी तो उस पीले रंग का राज पता चल गया। मैंने उन्हें बताया कि पत्तियों के अंतिम सिरे में पीले रंग का एक तरल निकलता है जिसे कि जैल बनाते समय अलग कर देना होता है। इस पीले रंग के तरल का लंबे समय तक प्रयोग करने से स्किन का कैंसर हो सकता है। इसे वैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं। आपने इस ओर ध्यान नहीं दिया इसीलिए आप पीले तरल को अलग किए बिना ही एलोवेरा का उपयोग कर रही है। इससे आपकी समस्या और बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया और कहा कि उन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि आपको किसी सौंदर्य प्रसाधन विशेषज्ञ से मिलना चाहिए था। उनकी सलाह लेनी चाहिए थी या अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए थी। उसके बाद ही ऐसा प्रयोग करना चाहिए था न कि पूरे दिन इस क्रीम को अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों में लगा कर रखना था। आपकी इस गलती के कारण आपको बेकार ही इतना भटकना पड़ा और इतनी शारीरिक तकलीफों से गुजरना पड़ा। आपको किसी तरह के मेडिसिनल राइस की जरूरत नहीं है। आप इस क्रीम का उपयोग तुरंत रोक दें तो आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। आपके पति पहले ही मुझसे यह कहना चाहते थे पर आपने उन्हें डांट कर चुप कर दिया। अगर आप उन्हें कहने देती तो आपको पूरी तरह से ठीक होने में इतना समय नहीं लगता। उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गई। फिर 2 महीने के बाद उनका फोन आया कि धीरे-धीरे उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है और अब उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ नहीं हो रही है। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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