Consultation in Corona Period-80

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मुझे 3 वर्षों से पलकों की समस्या है। पलकों की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं जिसके कारण हमेशा पलक अपने आप नीचे गिर जाती है और उंगली से पकड़ कर उसे उठाना पड़ता है। 


यह एक तरह का अंधापन है क्योंकि आंखों के सामने हमेशा पलक के रहने से मैं कुछ भी देख नहीं पाता हूँ। 


मैं दुनिया भर के 32 से अधिक विशेषज्ञों को अपनी इस तकलीफ के बारे में बता चुका हूँ पर उनका कहना है कि यह नर्वस सिस्टम की समस्या है और इसका संबंध दिमाग से है।


 सभी चिकित्सक मुझे विटामिन की कुछ गोलियां दे देते हैं और कहते हैं कि इनका प्रयोग करो पर समस्या का समाधान करने के लिए कोई दवा नहीं देता है।


 कनाडा के एक सर्जन ने ऑपरेशन की सलाह दी पर उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इस ऑपरेशन के बाद इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। 


मैंने Ptosis पर आपकी बहुत सारी फिल्में यूट्यूब पर देखी है। इससे मुझे उम्मीद जगी है कि मेरी समस्या का समाधान आपके पास है।"


 यूरोप में बसने वाले एक भारतीय का जब यह संदेश मेरे पास आया तो मैंने उससे कहा कि वह अपनी सारी रिपोर्ट मुझे भेजे। 


रिपोर्ट देखने के बाद मैंने उससे कहा कि उसे भारत आना होगा। यहां बहुत से पारंपरिक चिकित्सक है जो इसकी चिकित्सा के बारे में जानकारी रखते हैं।


 मेरी फिल्मों में उन्ही पारंपरिक चिकित्सकों का पारंपरिक ज्ञान है इसलिए बेहतर होगा कि वह मुझसे किसी तरह की मदद लेने के बजाय सीधे ही पारंपरिक चिकित्सक से मिले और अपनी समस्या का समाधान करे। 


कुछ महीनों बाद जब वह भारत आया तो मैंने उसे बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजा। उन्होंने उसे 3 महीने की दवाई दी और कहा कि अब आने की जरूरत नहीं है पर शायद पारंपरिक चिकित्सक रोग के कारण को पकड़ नहीं पाए इसलिए उनकी दवा प्रभावी नहीं रही और उसकी समस्या उसी तरह से बढ़ती रही। 


कुछ महीनों बाद उसने फिर से मुझे संदेश भेजा और कहा कि वह इस बार और किसी पारंपरिक चिकित्सक से मिलने के लिए भारत नहीं आ रहा है बल्कि मेरी सहायता लेने के लिए भारत आ रहा है।


 मैंने उससे कहा कि वह अपने उन चिकित्सकों से बात कराये जो कि 3 वर्षों से उसकी चिकित्सा कर रहे हैं। 


जब फोन पर मैंने उन चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह अनुवांशिक समस्या है और इसका कोई उपचार नहीं है।


 जब मैंने उनसे पूछा कि अगर यह अनुवांशिक समस्या है तो फिर 3 वर्ष पहले ही इस तरह की समस्या होनी क्यों शुरू हुई? यह बचपन से ही क्यों नहीं प्रगट हुई? मेरे इस प्रश्न का वे कोई जवाब नहीं दे पाए। 


जब युवक मुझसे मिलने भारत आया तो मैंने उसके खानपान और उसके द्वारा अन्य रोगों के लिए ली जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की।


 मैंने उसे परामर्श दिया कि उसकी समस्या की जड़ ड्रग इंटरेक्शन दिखाई पड़ती है और यह अनुवांशिक नहीं है।


 उस युवक ने यह बताया कि उसे वर्षों से डायबिटीज की समस्या है और वह इसके लिए किसी भी प्रकार की अंग्रेजी दवा का प्रयोग नहीं कर रहा है। 


वह उड़ीसा के एक वैद्य से लगातार एक फॉर्मूलेशन ले रहा है। जब मैंने उस फार्मूलेशन के बारे में अधिक जानकारी मांगी तो उसने कहा कि उसे कुछ जड़ी बूटियों की जानकारी है बाकी पूरी जानकारी वैद्य से मिल सकती है। 


जब मैंने वैद्य से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि वे 25 किस्म की जड़ी बूटियां इस फार्मूले में उपयोग करते हैं। 


इन जड़ी-बूटियों में अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसी लोकप्रिय जड़ी बूटियां सम्मिलित है। 


उन्होंने यह भी बताया कि यह उनका परंपरा से चला आ रहा नुस्खा है और डायबिटीज के लिए बहुत कारगर है। 


इस युवक की तरह दुनिया भर से लोग उनसे इस दवा को लेने के लिए हर साल विदेशों से आते हैं। उनकी इस दवा को दूध के साथ लेना होता है।


 युवक ने अपनी समस्या के बारे में जब खुलासा किया और बताया कि उसे और किस-किस तरह की समस्या है तो इससे स्थिति थोड़ी-थोड़ी साफ होने लगी।


 उसने बताया कि जब यह समस्या शुरू हुई उसके बाद से ही उसे लगातार उल्टी और पतले दस्त की समस्या होती रहती है। उसके मुंह से अधिकतर झाग निकलता रहता है। 


जब रात को सोता है तो उसकी साँस की आवाज इतनी तेज होती है कि आसपास कोई सो नहीं सकता है। वह साँस की बात कर रहा था न कि खर्राटों की।


 उसने कहा कि वह लो ब्लड प्रेशर का भी शिकार रहता है। 


बातों ही बातों में उसने बताया कि वह पिछले 3 सालों से बहुत बेचैनी महसूस करता है और इस कारण उसे रात को नींद भी नहीं आती है। 


जब थक हार कर वह देर रात सोता है तो उसे विचित्र किस्म के सपने आते हैं जिसमें वह अपने आप को हवा में उड़ते हुए देखता है और कभी जमीन में गहरे उतरते हुए देखता है। उसे मृत लोगों के सपने भी बहुत अधिक आते हैं। 


उसकी सारी बातों का अध्ययन करने के बाद मैंने उससे कहा कि वह कुछ समय के लिए वैद्य के फार्मूले के साथ दूध का प्रयोग करना बंद करे और वापस यूरोप जा कर यह पता करे कि जिस गाय का दूध वह प्रयोग कर रहा है उस गाय को मिर्गी (Epilepsy) की समस्या तो नहीं है। 


मैंने उसे किसी भी प्रकार का फंक्शनल फूड या फाइटोमेडिसिन नहीं दी। उसने बहुत जिद की कि मैं उसे कोई दवा बताऊं पर मैंने कहा कि वह मेरी इस छोटी सी सलाह को माने।


 मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि इससे उसकी समस्या का समाधान होगा। 


जब वापस लौटकर उसने अपनी गाय की जांच करवाई तो पता चला कि उसे मिर्गी की समस्या है और कई प्रकार की नर्वस सिस्टम की बीमारियां हैं।


 जब उसने फोन पर मुझे यह बताया तो मैंने उससे कहा कि वह स्वस्थ गाय का दूध इस फार्मूले के साथ ले सकता है। 


अगले महीने जब उसका फोन आया तो उसने कहा कि आंख की पलक की मांसपेशियां अब कुछ-कुछ सक्रिय हो गई है। लो ब्लड प्रेशर की समस्या अब दूर हो रही है पर सपनों का आना और मुंह से झाग का निकलना अभी भी जारी है।


 उल्टी दस्त भी बदस्तूर जारी है। उसकी इस बात को सुनकर अब मेरा पूरा ध्यान वैद्य के फार्मूले की ओर गया।


 मैंने वैद्य से फोन कर साफ शब्दों में पूछा कि आप अपना पूरा फार्मूला मुझे नहीं बता रहे हैं। आप इसमें कुछ गोपनीय सामग्रियां भी डालते हैं। इसका बुरा प्रभाव युवक के ऊपर दिख रहा है।


 वैद्य ने इन गोपनीय सामग्रियों के बारे में बताने से इंकार कर दिया। 


ये वैद्य जिस इलाके में अपनी सेवाएं दे रहे थे वहां के बहुत से पारंपरिक चिकित्सक और जड़ी-बूटियों को जंगल से एकत्र करने वाले लोग मेरे परिचय के थे।


 जब उनसे मैंने इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वैद्य अपने नुस्खे में एक विशेष तरह के जंगली मशरूम का प्रयोग करते हैं जिसे कि आमतौर पर बहुत अधिक जहरीला माना जाता है। 


जब मुझे पारंपरिक चिकित्सकों से उस मशरूम की तस्वीरें प्राप्त हुई तो सारा राज खुल गया।


 यह अमानिता प्रजाति का मशरूम था जिसे अगर सही ढंग से शोधन करके जहर निकालकर उपयोग नहीं किया जाता है तो वैसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि उस युवक को आ रहे थे।


 मैंने इस युवक को इस बारे में पूरी जानकारी दी तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ।


 मैंने उसे बताया कि यदि लंबे समय तक इस मशरूम का प्रयोग किसी फॉर्मूलेशन में किया जाता है तो यह कई प्रकार के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है। तुम तो पिछले कई वर्षों से इसका प्रयोग कर रहे हो। 


पता नहीं इसने तुम्हारे शरीर का क्या क्या बिगाड़ किया होगा?


 मैंने उसे परामर्श दिया कि वह कुछ समय के लिए वैद्य के फार्मूले का प्रयोग रोक दे और फिर मुझे बताये कि उसकी स्थिति में किस तरह का सुधार हो रहा है।


 जब उसने ऐसा किया तो दो महीने के अंदर उसकी सारी समस्याओं का समाधान हो गया।


 उसने मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया।


 तब मैंने उससे कहा कि वह डायबिटीज के लिए किसी और वैद्य के नुस्खे का प्रयोग करें।


 सबसे अच्छा तो यही है कि वह अपनी जीवन पद्धति में सुधार करें जिससे डायबिटीज के लिए किसी प्रकार की दवा लेने की जरूरत ही न पड़े।


 उसने मुझे आश्वस्त किया कि वह वैद्य की दवा बंद करके अपनी जीवन पद्धति को सुधारेगा और डायबिटीज से इस नए ढंग से लड़ेगा।


 मैंने उसे शुभकामनाएं दी। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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