Consultation in Corona Period-79

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"अवधिया जी, हमने आपसे लीवर के कैंसर की चिकित्सा के लिए संपर्क नहीं किया है बल्कि हम यह जानना चाहते हैं कि मेरे बेटे को लीवर का कैंसर क्यों हुआ और इसका कारण क्या था?"


मुंबई से जब यह फोन आया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 


आप मुझे अपनी सारी रिपोर्ट भेजें।


 उन्होंने बताया कि वे लोग लंदन के रहने वाले हैं और उनका बेटा जिसकी उम्र 30 वर्ष है लीवर के कैंसर से प्रभावित है। 


कैंसर इतना अधिक फैल चुका है कि अब उसकी कीमोथेरेपी की सारी दवायें बंद हो चुकी है।


उन्होंने आगे बताया कि जब लंदन के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो हम अब उसे लेकर मुंबई आ गए हैं। 


हमें उम्मीद है कि भारत के डॉक्टर लंदन के डॉक्टरों की तुलना में अधिक कुशलता से कैंसर की अंतिम अवस्था में पहुंच चुके रोगियों की सेवा कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो हम बेटे को लेकर रायपुर भी आ सकते हैं। 


मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरे बड़े भाई कैंसर के एक्सपर्ट है और यूरोप के जाने-माने कैंसर विशेषज्ञ हैं। वे ही बेटे की चिकित्सा कर रहे हैं।


 वे भी हमारे साथ मुंबई आए हैं और अगर आप चाहें तो आप उनसे बात कर सकते हैं और उन्हें समझा सकते हैं कि किस तरह से इस स्थिति से उबरा जा सकता है। 


जब उन्होंने सारी रिपोर्ट भेजी तो उन्हें पढ़ कर मुझे लगा कि मामला बहुत गंभीर है। मैंने उनसे फोन पर विस्तार से बात की और पूछा कि अभी उसकी कौन-कौन सी दवा चल रही है और अभी उसे किस प्रकार के लक्षण आ रहे हैं? 


यह भी पूछा कि वह किस तरह की भोजन सामग्री का प्रयोग अभी कर रहा है। उन्होंने इन सब का सीधा जवाब देने की बजाय अपने बड़े भाई से मेरी बात करा दी। 


बड़े भाई ने कहा कि अब उनके भतीजे की बचने की कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि यह मेटास्टैटिक कैंसर हो चुका है और शरीर के दूसरे अंगों तक फैल चुका है। 


उन्होंने बताया कि यह युवक वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ था पर व्यापार में घाटा होने के कारण मेंटल डिप्रेशन में चला गया।


 लंबे समय तक मेंटल डिप्रेशन के लिए उसकी दवाएं चलती रही और फिर कुछ समय बाद जब लीवर में तकलीफ हुई तब उसकी जांच कराई गई। 


 पता चला कि उसे लीवर का कैंसर है।


 जब इस बात का हमें पता चला तो कैंसर बहुत एडवांस हो चुका था और हमारे पास बहुत कम विकल्प थे। 


फिर भी हमने अपने ज्ञान के आधार पर और अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरी दुनिया के चिकित्सकों से संपर्क किया और उनसे राय ली।


 पर सबने यही कहा कि अब बहुत अधिक देर हो चुकी है।


 उन्होंने यह भी बताया कि मेंटल डिप्रेशन की दवा अभी भी चल रही है।


 जब उन्होंने इन दवाओं का नाम बताया तो मैंने उनसे कहा कि हो सकता है कि इन दवाओं के कारण बेटे का शरीर कैंसर से लड़ने में सक्षम नहीं हो पा रहा हो। 


इसलिए बेहतर यह होगा कि इन दवाओं का प्रयोग कुछ समय तक रोक कर देखा जाए।


 मेरे विचार सुनकर वे थोड़े नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि मैं कैंसर विशेषज्ञ हूं और जानता हूं कि मेंटल डिप्रेशन की दवा से कैंसर का कोई लेना देना नहीं है। 


फिर ऐसे में मैं पहले से परेशान अपने भतीजे को और परेशान करने के लिए उसके मेंटल डिप्रेशन की दवाई क्यों बंद करूँ?


मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि जिस न्यूरोट्रांसमीटर को मेंटल डिप्रेशन की दवा दबा कर रखे हुए है वही न्यूरोट्रांसमीटर लीवर के कैंसर में अहम भूमिका निभाता है।


 यदि यह ठीक से काम करें तो लीवर का कैंसर तेजी से फैलता नहीं है और बहुत से मामले में यह शरीर को मदद करता है कि वह कैंसर से प्रभावी तरीके से लड़ सके। 


उन्होंने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे और उसके बाद बताएंगे। 


दूसरे दिन उन्होंने फिर से परामर्श का समय लिया और कहा कि उन्होंने इंटरनेट में सभी चिकित्सकों से जानकारी ली है पर किसी ने भी यह नहीं कहा है कि मेंटल डिप्रेशन की दवा का लीवर के कैंसर से किसी तरह से संबंध है और इस दवा को बंद करने से लीवर के कैंसर का तेजी से फैलना रुक जाएगा। 


जब तक मेरे पास कोई प्रमाणिक रेफरेंस नहीं होगा तब तक मैं यह नहीं कर सकता।


 मैंने उनसे कहा कि आपकी बात सही है। आप को प्रमाण की आवश्यकता है और मेरे पास प्रमाण नहीं बल्कि अनुभव है। 


यह आपके ऊपर है कि आप उस दवा को बंद करते हैं कि नहीं। मैंने तो बस आपको एक सलाह दी है। 


इसके बाद कई दिनों तक उनसे बात नहीं हुई।


 कुछ दिनों बाद जब उनका फोन आया तो उन्होंने मुझसे कहा कि कनाडा के एक कैंसर एक्सपर्ट हैं जो कह रहे हैं कि अवधिया जी की बात मानने में बुरा क्या है इसलिए हम तैयार हैं मेंटल डिप्रेशन की दवा को बंद करने के लिए पर अगर भतीजे को कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कनाडा के एक्सपर्ट और आपकी होगी।


 हम यहां इस दवा को केवल 48 घंटों के लिए बंद करके देखेंगे।


 मैंने उनसे कहा कि 48 घंटों में किसी भी प्रकार का फर्क नहीं दिखेगा। आपको कम से कम 15 दिनों तक इस दवा को बंद करके देखना होगा। 


यह जानने के लिए कि क्या लीवर कैंसर की उग्रता में किसी प्रकार की कमी आई है। बड़ी मुश्किल से वे इस बात के लिए तैयार हुए। 


15 दिनों बाद जब उन्होंने संपर्क किया तो बताया कि भतीजे की स्थिति में काफी सुधार हुआ है पर अभी परीक्षणों से यह नहीं पता चल पा रहा है कि शरीर में किस तरह का सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। 


उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि उन्हें यह बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि मेंटल डिप्रेशन की किसी दवा से लीवर के कैंसर का किसी तरह से संबंध है।


 अपने पर विश्वास होता देखकर मैंने उनसे अनुरोध किया है कि आप ऐसी दवा के बारे में पता करें जो कि इस न्यूरोट्रांसमीटर को फिर से सक्रिय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। 


उन्होंने अपने चिकित्सक मित्रों से इस बारे में विस्तार से चर्चा की और फिर बताया कि अभी ऐसी दवाओं पर शोध चल रहा है पर बाजार में ऐसी कोई दवा नहीं है जो इस न्यूरोट्रांसमीटर की क्रिया को बढ़ाने में अहम योगदान दे सके वह भी इतनी जल्दी। 


मैंने उन्हें बताया कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में बहुत तरह के मेडिसिनल राइस का प्रयोग किया जाता है जो कि इस न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। 


हमारे देश में इस पर गहन शोध हुए हैं और अगर आप चाहें तो मैं आपको प्रमाण उपलब्ध करा सकता हूं।


 जब मैंने उन्हें प्रमाण उपलब्ध कराये तो वे इन मेडिसिनल राईस के प्रयोग के लिए तैयार हो गए। मैंने इनकी व्यवस्था की और फिर इन्हें मुंबई भिजवा दिया।


 एक महीने तक इसके प्रयोग के बाद उनके भतीजे की हालत में तेजी से सुधार होने लगा और जिन चिकित्सकों ने निराश होकर इस कैंसर की चिकित्सा छोड़ दी थी उन्होंने कहा कि वे अब फिर से अपनी चिकित्सा शुरू कर सकते हैं। उन्हें उम्मीद है कि वापसी की राह संभव है। 


लंदन के चिकित्सकों की ऐसी बात सुनकर उन्होंने वापस लंदन जाने का मन बनाया।


 मैंने उनसे कहा कि आप लंबे समय के लिए इन मेडिसनल राइस को अपने साथ ले जाएं और इनका प्रयोग विधि अनुसार करते रहे। 


जब लड़के की कीमोथेरेपी फिर से शुरू हो तो मुझे जरूर बता दें ताकि मैं यह सुनिश्चित कर सकूँ कि कीमोथेरेपी दवाओं की मेडिसनल राइस के साथ कोई विपरीत प्रतिक्रिया तो नहीं होगी। 


अगर ऐसा होगा तो मैं आपको दूसरा मेडिसनल राइस भिजवा सकूंगा जिससे इस तरह के नुकसान होने की कोई संभावना न रहे।


 उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


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