Consultation in Corona Period-54

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"आँखों के सामने चिंगारियां दिखने की समस्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि अब चौबीसों घंटे यह दिखाई देती है। आंख खुली रखो या बंद। 


मैं तो तंग आकर अपना जॉब छोड़ने की तैयारी कर रही हूँ।"


55 वर्षीया प्रोफेसर साहिबा का फिर से फोन आया।


 मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी बात सुन रहा हूँ। मुझे सब कुछ विस्तार से बताइए। उन्होंने बताना शुरू किया।


 एक वर्ष पूर्व उनकी आंखों के सामने अचानक थोड़ी-थोड़ी चिंगारियां दिखने लगी। इससे उन्हें पढ़ाने में और पढ़ने में तकलीफ होने लगी।


 उन्होंने समझा कि यह कोई छोटा मोटा आँख का इंफेक्शन है इसलिए घरेलू इलाज का सहारा लिया पर जब यह समस्या विकराल रूप धारण करने लगी तो उन्होंने नेत्र चिकित्सक से सलाह ली।


 स्थानीय नेत्र चिकित्सक ने उन्हें कुछ दवाएं दी आंखों में डालने के लिए और कहा कि यह समस्या बहुत अधिक गंभीर नहीं है और जल्दी ही ठीक हो जाएगी।


 जब उनकी दवाओं से लाभ नहीं हुआ तो अपने दोस्तों की सलाह पर वे मुंबई गई और वहाँ नेत्र रोगों के एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जांच करवाई। 


चिकित्सकों ने बताया कि यह गंभीर समस्या है और इसके लिए हर एक महीने के अंतराल में एक इंजेक्शन आंखों में लगाना होगा जिसकी कीमत ₹20000 प्रति इंजेक्शन होगी। इसके बाद समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। 


प्रोफेसर साहिबा ने 3 महीनों तक इन इंजेक्शनो को लगवाया पर उनकी स्थिति जस की तस रही।


 इसके बाद  एक महीने तक वे दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में भर्ती रही जहाँ उन्हें फिर से इसी प्रकार के इंजेक्शन लगाए गए पर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। 


आखिरी विकल्प के रूप में वे दक्षिण भारत के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सालय में पहुंची तो वहाँ के चिकित्सकों ने कहा कि स्थिति बहुत बिगड़ गई है और वे कुछ ही महीनों में अपनी आँखें खो सकती हैं। 


उन्होंने भी उपचार किया पर उससे लाभ नहीं हुआ।


 उसके बाद उन्होंने मुझसे संपर्क किया था। 


मैंने उन्हें कहा था कि यह नेत्र चिकित्सक के क्षेत्र के बाहर है।


 आपको किसी न्यूरोलॉजीस्ट से मिलना चाहिए और मैंने अपने एक परिचित न्यूरोलॉजिस्ट के पास उनको भेजा था।


 न्यूरोलॉजिस्ट ने पूरी जांच के बाद बताया कि यह Ocular Migraine है और इसकी कोई चिकित्सा नहीं है। 


इस माइग्रेन के साथ जिया जा सकता है और आँखों को ऐसा खतरा नहीं है जैसा कि उन्हें बताया जा रहा था। 


हाँ पर जो चिंगारियों की समस्या है उसका पूरी तरह से समाधान नहीं होगा- ऐसा कहकर न्यूरोलॉजिस्ट ने बहुत सारी दवाएं उनके लिए लिख दी।


 प्रोफेसर साहिबा ने बताया कि ये दवाएं उन्हें दिन भर सुस्त रखती है जिसके कारण उनकी दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित हो रही है और आंखों की समस्या में भी किसी भी तरह का कोई सुधार नहीं हो रहा है इसलिए थक हार कर वे मेरे पास फिर से आई है ताकि मैं कुछ स्थाई समाधान बता सकूं।


 मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।


 मैंने उन्हें समझाया कि पारंपरिक चिकित्सा में बहुत सारी औषधियां है जो Ocular Migraine के लिए प्रयोग की जाती है और उनके अच्छे परिणाम भी आते हैं। 


इनमें से बहुत से नुस्खे आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर भी कसे जा चुके हैं पर मेरा मानना है कि किसी भी तरह की दवा शुरू करने से पहले यह जानना जरूरी है कि इस रोग का कारण क्या है और अचानक से उसने आपको क्यों प्रभावित किया?


 पूरी छानबीन में थोड़ा समय लगेगा। अगर आप मेरी फीस देने और थोड़ा समय देने के लिए तैयार हैं तो मैं रोग की जड़ तक पहुंच सकता हूँ और एक बार रोग की जड़ तक पहुंच गए तो फिर उसका समाधान बिना किसी दवा के आसानी से हो जाएगा।


 उन्होंने कहा कि इसीलिए तो वे मुझसे परामर्श लेने के लिए आई है।


 मैंने उनसे कहा कि पिछले एक साल से आप लगातार जिस भी सामग्री का प्रयोग कर रही है उसके बारे में फुर्सत से सोचें और एक लंबी सूची बनाकर मुझे भेजें। 


इनमें खाद्य सामग्रियां भी शामिल होंगी, रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां भी और साथ में परफ्यूम और साबुन भी। 


उन्होंने 120 प्रकार की सामग्रियों की सूची भेजी और कहा कि वे लगातार इन सामग्रियों को एक साल से उपयोग कर रही है जब से यह समस्या शुरू हुई है।


 इसके बाद मैंने उनसे एक के बाद एक बहुत सारे प्रश्न पूछे। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या हाल के दिनों में आपकी नाक से बहुत खून निकलता है?


उन्होंने कहा कि हाँ ऐसा होता है और जिंदगी में पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ।


इस उत्तर से उनकी 120 सामग्रियों की सूची 100 सामग्रियों की रह गई।


इसके बाद मैंने पूछा कि क्या आपको आजकल सिर में बहुत अधिक पसीना आता है तो उन्होंने कहा कि हाँ आजकल बहुत अधिक पसीना आता है। 


मैंने चिकित्सक से भी परामर्श किया पर उन्होंने कहा कि मेनोपॉज के कारण यह समस्या आ रही है। 


इस उत्तर के बाद उनकी 120 सामग्रियों की सूची 80 सामग्रियों की रह गई। 


उसके बाद मैंने पूछा कि क्या आपको अचानक ही बवासीर की समस्या हो गई है? ऐसा बवासीर जिसमें से बहुत अधिक खून निकलता है।


 उन्होंने कहा कि नहीं मुझे बवासीर की किसी भी तरह की समस्या नहीं है।


 अब उनकी 120 सामग्रियों की सूची महज 50 सामग्रियों की सूची रह गई थी।


 मैंने अगला प्रश्न किया कि क्या हाल के दिनों में आपको मुंह में छालों की समस्या होती है और ये छाले लंबे समय तक ठीक नहीं होते हैं?


 उन्होंने कहा कि हाँ मुझे छाले की समस्या हो रही है और चिकित्सक की सलाह पर मैं विटामिन बी की गोलियां ले रही हूँ। 


इस प्रश्न के उत्तर के बाद 120 सामग्रियों की सूची मात्र 20 सामग्रियों की रह गई।


 क्या हाल के दिनों में आपको चटपटा खाने की बहुत इच्छा होती है? 


उन्होंने कहा कि हाँ ऐसा ही होता है और मैं लगभग रोज ही घर में कुछ न कुछ चटपटा बनाकर खाती हूँ।


अब पांच सामग्रियों की ही जांच शेष थी। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या चटपटी सामग्री खाने के बाद आपको उल्टी करने की इच्छा होती है तो उन्होंने कहा कि नहीं ऐसी कोई इच्छा नहीं होती है।


 प्रश्नों का सिलसिला पूरी तरह से समाप्त हो गया और मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे रोजाना जिस कंपनी के बेसन का प्रयोग कर रहीं हैं उसका प्रयोग कुछ दिन बंद करके देखें और फिर मुझसे समय लेकर परामर्श लें।


 अगली बार जब उनका फोन आया तो उन्होंने बताया कि उनकी समस्या लगभग समाप्त हो गई है।


 उन्होंने आश्चर्य से पूछा कि क्या बेसन के कारण इतनी सारी समस्या हो रही थी?


 मैंने कहा कि बेसन के कारण ही नहीं बल्कि जिस ब्रांड का बेसन आप इस्तेमाल कर रही थी उसके कारण यह समस्या हो रही थी।


 फिर मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि आज कल जब चने की रासायनिक खेती की जाती है तो बहुत अधिक संख्या में कीटों का प्रकोप होता है। 


चने की इल्ली के बारे में तो आप जानती ही होंगी।


 चने की इल्ली को मारना बहुत कठिन होता है और इसके लिए बहुत तेज कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है।


 इन रसायनों के प्रयोग से इल्लियां दिन-ब-दिन और ज्यादा मजबूत होती जा रही है। फलस्वरुप किसानों को कई तरह के कृषि रसायनों को मिलाकर उपयोग करना पड़ता है तब जाकर इनका नियंत्रण होता है।


 बहुत अधिक मात्रा में कृषि रसायनों का प्रयोग करने से वे चने में अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं।


जब यह चना किसानों के खेतों से कंपनियों तक पहुंचता है और कंपनियां उससे बेसन तैयार करती हैं तो उनमें इन रसायनों की मात्रा में किसी भी प्रकार से कमी नहीं होती है। 


इस तरह ये रसायन हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाते हैं और नाना प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं।


 बाजार में बिकने वाले बेसन या चने में कितने कृषि रसायन है और उनसे किस तरह का नुकसान होता है इसकी पड़ताल कोई नहीं करता है।


 इसका परिणाम यह होता है ऐसे बेसन का अधिक मात्रा में प्रयोग करने वाले इसके शिकार हो जाते हैं।


 यही आपके रोग की जड़ है। 


मैं इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि दूसरे ब्रांड के बेसन में यह दोष नहीं होगा पर आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि जब भी बेसन से आपकी समस्या बढ़ती है तो आपको तुरंत ही इसका ब्रांड बदलना होगा।


यही एक उपाय है जिससे आप इस तरह की समस्या से पूरी तरह से बच सकती हैं।


इस तरह उनकी समस्या का समाधान हो गया और उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


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