Consultation in Corona Period-286 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-286 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया Persistent genital arousal disorder (PGAD) दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत में भी यह समस्या आम है पर यह अलग बात है कि इससे प्रभावित लोग खुलकर सामने आ नहीं पाते हैं और अपनी समस्या को बताने में संकोच महसूस करते हैं। अधिकतर ऐसे लोगों की बातों का मजाक उड़ाया जाता है और उनके चरित्र पर लांछन लगाए जाते हैं इसलिए इससे प्रभावित महिलाएं अपनी समस्याओं को चुपचाप सहती रहती है और सामने नहीं आती हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे देश की पारंपरिक चिकित्सा में इस बीमारी को जाना नहीं गया है। भले ही आधुनिक विज्ञान ने हाल के वर्षों में इस पर अधिक ध्यान दिया है और इसे एक नई बीमारी के रूप में चिन्हित किया है पर भारत की पारंपरिक चिकित्सा में इस तरह के लक्षण वाले बहुत से रोग पीढ़ियों से जाने जाते रहे हैं और यही कारण है कि इन रोगों से संबंधित बहुत सारे फॉर्मूलेशंस पारंपरिक चिकित्सकों के पास है। भले ही उनका सही रूप से डॉक्यूमेंटेशन नहीं किया गया है। मैंने इन सभी फॉर्मूलेशन का डॉक्यूमेंटेशन उस समय से करना शुरू किया है जबकि इस बीमारी को आधुनिक विज्ञान ठीक से जानता भी नहीं था। ये फ़ार्मूलेशन्स मेरे किसी काम के नहीं थे पर इन्हें मूल रूप में लिखने में मैंने दूसरे फॉर्मूलेशन की तरह किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती और आज ये फ़ार्मूलेशन्स आपके काम आने वाले है।" मैं मध्य भारत के एक शोध संस्थान के डायरेक्टर से बात कर रहा था। उन्होंने मुझे बताया था कि उनका संस्थान इस बीमारी पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा है और एक महिला संगठन की सहायता से इस बीमारी से प्रभावित लोगों को खुलकर सामने आने के लिए कह रहा है। उनकी पहचान गोपनीय रखी जा रही है पर उन महिलाओं के सामने आने से चिकित्सकों को मौका मिल रहा है कि वे इस रोग के बारे में विस्तार से जान पाए। उन्होंने मुझे प्रस्ताव दिया कि वे 25 मामले मेरे पास भेजना चाहते हैं मेरे विचार जानने के लिए। उन्होंने बताया कि अभी वे सोडियम चैनल ब्लॉकर्स का उपयोग कर रहे हैं इस बीमारी से निपटने के लिए पर इससे उन्हें विशेष लाभ नहीं हो रहा है। इन ब्लॉकर्स का प्रयोग करने से शरीर में नाना प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही है जो कि उनकी मूल समस्याओं को और अधिक बढ़ा दे रही हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इसके अलावा उनके पास इस बीमारी की कोई चिकित्सा नहीं है। मेरे सहमति देने के बाद उन्होंने 25 महिलाओं की रिपोर्ट मेरे पास भेजी और जब मैंने उनका विस्तार से अध्ययन किया तब प्रत्येक महिला के लिए मैंने एक अलग से किट का निर्माण किया और उन्हें उन डायरेक्टर महोदय के पास भेजा। इन किट में कई प्रकार की जड़ी बूटियां थी जिन्हें जीभ के अगले सिरे पर रखकर प्रभावित महिलाओं को बताना था कि उनका कैसा स्वाद आ रहा है और कौन सी वनस्पति उन्हें अच्छी लग रही है और कौन सी वनस्पति का स्वाद उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है। यह एक साधारण सा परीक्षण था जिसके लिए सभी तैयार हो गए। इस बीच मैंने डायरेक्टर महोदय और उनकी टीम से कहा कि मेरे पास ऐसे बहुत से फॉर्मूलेशंस है जिनके कारण यह समस्या होती है। ये फॉर्मूलेशन अधिकतर ताकत के लिए दिए जाते हैं पर साइड इफेक्ट के रूप में पीजीएडी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मैंने उन्हें सब प्रकार के फ़ार्मूलेशन्स भेजे और कहा कि इन सभी फ़ार्मूलेशन्स में तरह-तरह की मूसलियों का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर मूसली का प्रयोग पुरुषों की समस्याओं के लिए किया जाता है पर बहुत से नए चिकित्सक मूसली का प्रयोग महिलाओं के ऊपर भी करते हैं जिससे इस तरह की समस्या आ जाती है। इससे उनका बल तो बढ़ जाता है पर यह एक लज्जाजनक समस्या पैदा हो जाती है। इसके बारे में वे खुलकर किसी से बात नहीं कर पाती है। मैंने उन्हें श्री मूसली पर आधारित 100 फॉर्मूलेशन भेजें और कहा कि आप जांच करें कि क्या ये महिलाएं किसी रूप में इनका उपयोग कर रही हैं? डायरेक्टर साहब और उनकी टीम ने धन्यवाद दिया और उन्होंने विस्तार से फ़ार्मूलेशन्स का अध्ययन किया। जल्दी ही मुझे बताया कि उनके 25 में से 2 केस में महिलाये एक स्थानीय वैद्य से इनमें से एक फॉर्मूलेशन का उपयोग कर रही है। वे फॉर्मूलेशन का प्रयोग कई सालों से कर रही हैं अपनी सामान्य शक्ति को बढ़ाने के लिए। उनके वैद्य ने कहा था कि इस formulation का उपयोग कुछ समय तक ही करना है। लंबे समय तक करने से इससे बुरे प्रभाव आ सकते हैं। उन्होंने इस बात को अनदेखा किया था इसलिए उन्हें इस तरह के लक्षण आ रहे थे। मैंने डायरेक्टर साहब को कहा कि यदि वे दोनों महिलाएं formulation का प्रयोग अभी से रोक दे तो उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। 25 में से 5 महिलाओं की समस्याओं को देखते हुए मैंने डायरेक्टर साहब को 1000 फ़ार्मूलेशन्स की ऐसी सूची भेजी जिन फ़ार्मूलेशन्स में विष्णु मूसली का प्रयोग मुख्य घटक के रूप में किया जाता है और उनसे अनुरोध किया कि वे पता करेंगे क्या इन 5 महिलाओं ने इनमें से किसी फॉर्मूलेशन का उपयोग पहले किया है या अभी कर रही हैं। मैंने उन्हें यह भी कहा कि यह फॉर्मूलेशन पश्चिमी भारत से एकत्र किए गए हैं। चूँकि आप महिलाओं की पहचान नहीं बता रहे हैं हैं इसलिए मैं स्पष्ट रूप से तो नहीं कह सकता पर मुझे लगता है कि ये पांचो महिलाएं उसी क्षेत्र से हैं और वे अपनी माइग्रेन की समस्या के लिए इन फॉर्मूलेशन का प्रयोग कर रही है और साइड इफेक्ट के रूप में उन्हें pgad जैसे लक्षण आ रहे हैं। उन्होंने कुछ समय लिया पर उसके बाद इस बात की पुष्टि की कि इन पांचों महिलाओं की समस्या का कारण इन्हीं 1000 फ़ार्मूलेशन्स में छुपा हुआ है। इसके बाद मैंने 8 महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन करने के बाद डायरेक्टर महोदय को 5000 ऐसे फॉर्मूलेशन की सूची भेजी जिसमें कि देव मूसली का प्रयोग किया जाता है। कोंकण क्षेत्र के पारंपरिक चिकित्सक इस मूसली का प्रयोग उन महिलाओं पर करते हैं जिन्हें कि पीरियड के समय बहुत दर्द होता है। वे इन formulations का प्रयोग लंबे समय तक करते हैं जबकि इतने लंबे समय तक इन फ़ार्मूलेशन्स का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। साइड इफेक्ट के रूप में महिलाओं को pgad जैसे लक्षण आने लग जाते हैं। जब महिलाएं पारंपरिक चिकित्सकों से इस बात की शिकायत करती हैं तो वे इसे अनदेखा करने को कहते हैं पर यह समस्या बहुत गंभीर हो जाती है और अनावश्यक ही महिलाओं को कष्ट झेलना पड़ता है। मैंने डायरेक्टर साहब से कहा कि आप उन पारंपरिक चिकित्सकों को यदि समझा सके तो यह समझाएं कि वे देव मूसली का प्रयोग द्वितीय घटक के रूप में कर रहे हैं यदि वे इस मूसली का प्रयोग पंचम घटक के रूप में करें तो इससे उनका फार्मूला पूरी तरह से दोषमुक्त हो जाएगा और महिलाओं को न केवल माहवारी की समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि इस तरह के साइड इफेक्ट भी नहीं होंगे। डायरेक्टर महोदय ने धन्यवाद दिया और जल्दी ही पुष्टि की कि इन्हीं फॉर्मूलेशन के कारण महिलाओं को इस तरह के लक्षण आ रहे हैं पर उन्होंने मजबूरी जताई कि पारंपरिक चिकित्सक उनकी बात नहीं मानेंगे फिर भी वे कोशिश करके देखेंगे। इसके बाद मैंने उन्हें ब्रह्म मूसली पर आधारित 10,000 से अधिक फ़ार्मूलेशन्स की सूची भेजी। इनका प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक ओवेरियन सिस्ट के लिए करते हैं और साइड इफेक्ट के रूप में महिलाओं में इस तरह के लक्षण आने लग जाते हैं। जल्दी ही डायरेक्टर साहब ने इस बात की पुष्टि की कि शेष महिलाएं दक्षिण भारत से संबंध रखती हैं और वे इस formulation का प्रयोग करती रही हैं। उन्होंने उन पारंपरिक चिकित्सक से भी बात करवाई जो कि इस फ़ार्मूलेशन्स का प्रयोग करते हैं। जब मैंने उन्हें उनके फ़ार्मूलेशन्स के दोषों के बारे में बताया तो आशा के विपरीत वे नाराज नहीं हुए और उन्होंने मुझसे पूछा कि कैसे इन फ़ार्मूलेशन्स में सुधार करके इनके दोषों को दूर किया जा सकता है? मैंने उन्हें कई तरह की जड़ी बूटियां बताई जिनका प्रयोग इस फॉर्मूलेशन में चतुर्थ घटक के रूप में करने से इनके दोष को पूरी तरह से हटाया जा सकता है। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस तरह सभी मामलों का हल निकल गया। डायरेक्टर साहब और उनकी टीम को नया जानने का अवसर मिला और उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि आगे से वे जब इसके कारणों की जांच करेंगे तो ड्रग इंटरेक्शन पर ध्यान देंगे और साथ ही पारंपरिक नुस्खों पर भी ध्यान देंगे जिनमें किसी भी रूप में विभिन्न तरह की मूसली का प्रयोग किया गया है। मैंने उन्हें बताया कि उड़ीसा के पारंपरिक चिकित्सक गंध मूसली पर आधारित एक फॉर्मूलेशन का प्रयोग करते हैं। इस फॉर्मूलेशन का प्रयोग ब्रेस्ट कैंसर की चिकित्सा में किया जाता है। यह formulation बेहद कारगर है पर जब इसका प्रयोग लंबे समय तक किया जाता है विशेषकर जब साथ में ब्राह्मी का भी प्रयोग किया जाता है तो पीजीएडी जैसे लक्षण आते हैं। मैंने उन्हें 15000 फॉर्मूलेशंस की सूची भेजी जिनमें कि थोड़ा बहुत फेरबदल करके देश के विभिन्न भागों के पारंपरिक चिकित्सक नया फॉर्मूलेशन बना लेते हैं और ब्रेस्ट कैंसर की चिकित्सा में इनका प्रयोग करते हैं। डायरेक्टर साहब ने धन्यवाद दिया और कहा कि भविष्य में यदि उड़ीसा से इस तरह के मामले आएंगे तो वे इस ओर विशेष रूप से ध्यान देंगे। मैंने उन्हें 5000 से अधिक ऐसे फ़ार्मूलेशन्स के बारे में भी जानकारी दी जिनका प्रयोग बंगाल के पारंपरिक चिकित्सक करते हैं महिलाओं की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए विशेषकर मेनोपॉज की समस्याओं के लिए। इन फ़ार्मूलेशन्स से भी इसी तरह की समस्या होती है। समाधान के रूप में मैंने उनको बताया कि यदि दुर्गा प्रसाद जैसे औषधीय धान का प्रयोग इन फ़ार्मूलेशन्स के साथ किया जाए तो इन फ़ार्मूलेशन्स के ये दोष पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं। बहुत से पारंपरिक चिकित्सक इस बात को जानते हैं और जब महिलाएं उनसे इस बात की शिकायत करती है तो वे उन्हें इस तरह के मेडिसिनल राइस को खाने की सलाह देते हैं। अब तक डायरेक्टर महोदय के पास जानकारियों का अम्बार लग चुका था और उन्होंने इन जानकारियों को एक जगह एकत्र करके हजारों पन्ने की पुस्तक बना ली थी। उन्होंने कहा कि यह जानकारियां बहुत महत्वपूर्ण है। वे इस पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और देश भर के डॉक्टरों को देंगे ताकि यदि उनके पास इस तरह के केस आते हैं तो वे इनका समाधान कर सकें। मैंने डायरेक्टर महोदय से कहा कि आपकी पहल उत्तम है। मेरे पास ऐसे लाखों फ़ार्मूलेशन्स की जानकारी है जिनके अनुचित प्रयोग से इस तरह के लक्षणों आ सकते हैं। अब मैं इन सभी जानकारियों को आपके पास धीरे-धीरे भेजता रहूंगा ताकि आप उसमें अपने अनुभव और विचार शामिल करके उन्हें पुस्तक के रूप में दुनिया के सामने ला सकें। उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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