Consultation in Corona Period-284 भाग1 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-284 भाग1
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"ऐसा शायद ही कोई हो जिसे कि कोरोनावायरस से डर ना लगता हो पर फिर भी लोग न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मास्क नहीं लगाते हैं। जो लोग मास्क लगाते हैं उन लोगों को इन लोगों से बहुत परेशानी होती है और उनको लगता है कि मास्क न लगाने के कारण ही यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है। विश्व स्वास्थ संगठन से लेकर दूसरे प्रभावी लोग लगातार अपील करते रहते हैं कि मास्क लगाइए विशेष कर सार्वजनिक स्थान पर और मास्क की सहायता से न केवल अपनी रक्षा करें बल्कि दूसरे लोगों की भी रक्षा करें लेकिन फिर भी बड़ी चुनावी रैली हो या शादी ब्याह, लोग मास्क का प्रयोग नहीं करते हैं और परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में लोग एक बार फिर से इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं।
यदि उन लोगों के बीच में सर्वे किया जाए और यह पता लगाया जाए कि वे मास्क क्यों नहीं लगाते हैं तो उनके द्वारा बताए गए कारणों में एक प्रमुख कारण यह भी रहता है कि मास्क लगाने के बाद उनको सांस लेने में तकलीफ होती है विशेषकर जब वे अधिक परिश्रम करते हैं तो फिर उन्हें बेचैनी होती है और वे मास्क को निकाल कर बाहर कर देते हैं। ऐसा तर्क देने वाले हमेशा गलत नहीं होते हैं।
बाजार में बहुत से ऐसे मास्क हैं जिन्हें पहनने से दम घुटने लग जाता है। लोग शिकायत करते हैं तो विशेषज्ञ कह देते हैं कि यह तो एक बहाना है और इस तरह लोगों को अपनी शिकायत का जवाब न मिलने पर विरोधवश वे मास्क नहीं लगाते हैं।
अभी जब कोरोनावायरस ने फैलना शुरू किया है तब इंटरनेट पर भी विपरीत खबरें आ रही है। बताया जा रहा है कि फलां मास्क अच्छा है और फलां मास्क बिल्कुल ही बेअसर है। ऐसी भी खबरें आ रही है कि मास्क का बिल्कुल भी असर नहीं होता है। फलां देश में मास्क नहीं लगाया गया तो वहां पर वायरस नहीं फैला।
पहले के युग में मीडिया में इतना खुलापन नहीं था। मीडिया अपनी जिम्मेदारी निभाता था और वैज्ञानिकों के अनुमोदन को ही आम जनता तक पहुंचाता था पर अब तो सभी विशेषज्ञ बन गए हैं। यही कारण है कि इस महामारी से निपटने में पूरी दुनिया भर के सूचना तंत्र को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैं आप लोगों को यही सलाह देना चाहता हूं कि आप एक विशेष तरह का मास्क बनाएं। इसमें अच्छे से हवा आती-जाती रहे और किसी भी हालत में कोरोनावायरस का प्रवेश न हो सके। यह एक बड़े चैलेंज के समान है पर यदि आप यह कर लेंगे तो यह इस महामारी के समय दुनिया की एक बड़ी सेवा होगी और आप इससे लाभ भी कमा सकते हैं। मैंने पांच प्रकार के मास्क डिजाइन किए हैं। यदि आप चाहें तो आप इस पर शोध कर सकते हैं और फिर सारी जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करके इन्हें बाजार में उत्पाद के रूप में लॉन्च कर सकते हैं।" मुंबई से आए नव उद्यमियों को मैं संबोधित कर रहा था पिछले साल जबकि कोरोनावायरस ने फैलना शुरू किया था और लॉकडाउन की तैयारी चल रही थी । इन उद्यमियों ने इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई और उन्होंने मास्क के निर्माण में जी जान लगा दिया। पांच में से एक मास्क को उन्होंने पूरी तरह से उपयोगी पाया और सैकड़ों लोगों पर आजमाने के बाद अभी अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए कतार में खड़े हुए हैं।
इस तरह बहुत से लोगों ने इस महामारी के समय मुझसे इस महामारी से संबंधित उत्पादों के लिए संपर्क किया। मैंने अपनी ओर से उनकी पूरी मदद की। इस तरह की आपदा पूरी दुनिया के लिए नई है पर फिर भी सभी ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपना कुछ न कुछ योगदान दिया।
जब इस महामारी ने तेजी से फैलना शुरू किया तब उन देशों के वैज्ञानिकों ने संपर्क किया जो कि वैक्सीन के निर्माण में लगे हुए थे।
आरंभिक ट्रायल में वैक्सीन लगाने वाले कार्यकर्ताओं को विशेष लक्षण आ रहे थे। इन वैज्ञानिकों ने इन लक्षणों की पूरी जानकारी मेरे पास भेजी और कहा कि क्या आपके पास ऐसे फंक्शनल फूड की जानकारी है जिनका प्रयोग करके इस तरह के लक्षणों को दूर किया जा सकता है तब मैंने उन्हें 750 से भी अधिक प्रकार के फंक्शनल फूड के बारे में जानकारी दी और उनकी प्रयोग विधि के बारे में बताया। उनकी योजना यह थी कि वैक्सीन लगाने से पहले ही आम लोगों को इन फंक्शनल फूड की जानकारी दे दी जाए और वैक्सीन के लगने के कुछ दिन बाद इसके प्रयोग की छूट दे दी जाए। इन फंक्शनल फूड का प्रयोग एक महीने बाद तक भी होता रहता ताकि वैक्सीन से होने वाली संभावित हानियों को कम किया जा सके या पूरी तरह से खत्म किया जा सके। यह उनका अभिनव प्रयोग था और अभिनव सोच भी क्योंकि इससे पहले जितनी भी वैक्सीन का प्रयोग किया गया उसके साथ किसी तरह के फंक्शनल फूड नहीं सुझाए जाते थे। वैज्ञानिकों ने इन फंक्शनल फूड पर गहन शोध किया और अपने अनुमोदन तैयार कर लिए पर जब वहां की सरकारों ने वैक्सीन के बारे में आम लोगों को जागृत करना शुरू किया तो यह सूचना सार्वजनिक नहीं की गई। योजनाकारों का कहना था कि यदि इतने सारे फंक्शनल फूड की जानकारी दे दी जाएगी तो आम जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि इस वैक्सीन से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं और हो सकता है कि वह वैक्सीन से बचने की कोशिश करे। हां उन्होंने अपने विशेषज्ञों को इन फंक्शनल फूड के बारे में जानकारी दी कि यदि कोई केस बिगड़ता है तो वे बिना किसी शोर-शराबे के इन फंक्शनल फूड के प्रयोग की सलाह दे दे ताकि प्रभावित व्यक्ति की जान बचाई जा सके। उस समय उन विशेषज्ञों ने मुझे बताया कि कोई भी वैक्सीन ने 100% सुरक्षित नहीं होती है और वैक्सीन से मृत्यु होना कोई नई बात नहीं है। (क्रमशः)
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Consultation in Corona Period-284 भाग2
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
भाग एक से जारी
पिछले साल जब महामारी फैली हुई थी तब यह भी कहा जा रहा था कि एयर कंडीशन का प्रयोग बिल्कुल रोक दिया जाए क्योंकि इससे वायरस तेजी से फैलता है और उसमें तापक्रम भी नियंत्रित रखा जाए। उत्तर भारत के एक उद्यमी ने उस समय मुझसे संपर्क किया और कहा कि क्या आप ऐसे हर्बल फॉर्मूलेशन के बारे में बता सकते हैं जिन्हें एसी में ऐसे स्थान पर इंस्टॉल कर दिया जाए जहां से जब हवा पूरे कमरे में फैले तो उस कमरे में उपस्थित वायरस फैलाने वाले कारकों को पूरी तरह से नष्ट कर दें। मैंने उन्हें कई तरह की एंटीवायरल वनस्पतियों के बारे में जानकारी दी और कहा कि इन वनस्पतियों को कोरोनावायरस पर नही आजमाया गया है। इसके लिए आपको एक रिसर्च लैब की स्थापना करनी पड़ेगी जिसमें आपको बड़ी संख्या में दक्ष वैज्ञानिकों को रखना होगा जो कि यदि सही ढंग से शोध करेंगे तो जल्दी ही इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे। यदि एक वनस्पति भी उपयोगी पाई जाती है तो मेरे पास ढेरों उपाय है उस वनस्पति के प्रभाव को और अधिक बढ़ाने के लिए। उन उद्यमी ने कहा कि उनके पास एक बड़ी योजना है और वह सरकार के साथ मिलकर इस पर काम करेंगे। इस तरह उन्होंने 45 प्रकार की वनस्पतियों पर शोध करना शुरू किया और हाल ही में उन्होंने जानकारी दी कि अब उन्हें सफलता मिल रही है और वह अपने उत्पाद को बाजार में लाने की तैयारी कर रहे हैं। (क्रमशः)
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Consultation in Corona Period-284 भाग3
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
भाग दो से जारी
जब पिछले वर्ष मार्च अप्रैल का महीना आया और भीषण गर्मी पड़ने लगी तब PPE सूट में काम करने वाले लोगों को घुटन की समस्या होने लगी। पहले तो PPE सूट उपलब्ध ही नहीं थे फिर सरकार ने विशेष प्रयास करके इन्हें उपलब्ध कराया और फिर बाद में इनकी उपलब्धता आसान हो गई पर इनमें से एक भी सूट ऐसे नहीं थे जिनके अंदर चैन से रहा जा सके। PPE सूट पहनकर लंबी यात्रा करना और लगातार इसे पहने रहना किसी तपस्या से कम नहीं था। समय की आवश्यकता थी इसलिए मजबूरी में इसे उपयोग किया जाता रहा।
पिछले वर्ष दिल्ली के एक बड़ी कंपनी ने मुझसे संपर्क किया और पूछा कि क्या आप ऐसा PPE सूट डिजाइन कर सकते हैं जिसे पहनने से पहनने वाले को किसी भी तरह की कोई समस्या ना हो और वह मजे से इसे पहन सके पर सुरक्षा से किसी भी तरह का कोई समझौता ना हो।
उन्होंने कहा कि उन्होंने 15 से अधिक विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है और उसमें में मुझे शामिल करना चाहते हैं ताकि मैं अपने विचार व्यक्त कर सकूं। मैंने अपनी सहमति दे दी और पाया कि वे विशेषज्ञ अपने क्षेत्र में दक्ष थे और उन्होंने बहुत अच्छे सूट की डिजाइनिंग की थी।
मैंने अपने विचार व्यक्त किए जिसे उन्होंने तुरंत ही स्वीकार कर लिया है। मैंने उन्हें 10 तरह के हर्बल एक्सट्रैक्ट के बारे में जानकारी दी जिनका प्रयोग आंतरिक स्तर पर पीपीई सूट में करने से सुरक्षा की परतों को बढ़ाया जा सकता था और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों से बचाया जा सकता था। मेरे इस विचार का सभी ने स्वागत किया और हाल ही में उस कंपनी ने मुझे संपर्क कर बताया कि वह अब इस तरह के पीपीई किट के निर्माण में सफलता के बेहद करीब हैं। इस महामारी के समय इससे अधिक सुकून भरा समाचार भला क्या हो सकता है क्योंकि अब कोरोना वायरस के हर साल आने को देखकर लगता है कि यह समस्या सालों तक चलेगी और हमें इसके साथ ही जीना होगा इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे उत्पादों का प्रयोग किया जाए जो सुरक्षा तो पूरी तरह से करें पर किसी तरह का कष्ट ना दें।
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