Consultation in Corona Period-281 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-281
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"शुरुआत तो फेफड़े से हुई थी पर अब यह कैंसर पूरे शरीर में फैल गया है। मैंने अपनी तरफ से अपने पिताजी को बचाने की पूरी कोशिश की। न केवल अपने ज्ञान का उपयोग किया बल्कि अपने जीवन भर की पूंजी का भी। उन्हें दुनिया भर के अस्पताल में लेकर गया पर सभी जगह एक ही तरह की चिकित्सा पद्धति को अपनाया गया और धीरे-धीरे उनका कैंसर फैलता गया, उनकी जीवनी शक्ति घटने लगी। अब हम लोगों को बहुत कम उम्मीद है फिर भी हम प्रयासों में किसी भी तरह की कमी नहीं करना चाहते हैं। मैं आपको बहुत पहले से जानता हूं। मुझे लगा कि आपका कैंसर से लड़ने का तरीका सबसे बेहतर है क्योंकि आप पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि इस रोग का कारण क्या है फिर उस कारण को कैसे दूर किया जा सकता है इसके उपाय करते हैं और एक बार कारण के दूर होने के बाद कैंसर अपने आप ठीक होने लग जाता है। यह एक कठिन काम है और अपार ज्ञान की आवश्यकता है पर यह अच्छी बात है कि आप को सफलता मिल रही है।
मैंने भी यह गलती की और लक्षणों के आधार पर अपने पिता की चिकित्सा करता रहा। नियम से तो मुझे उन कारणों को जानना चाहिए था जिनके कारण पिताजी फेफड़े के कैंसर से प्रभावित हुए और फिर आज इस हालत में पहुंच गए हैं। मुझे मालूम है कि कैंसर की अंतिम अवस्था में ज्यादा प्रयास नहीं किए जा सकते हैं। फिर भी मैंने सोचा कि एक बार आपसे संपर्क किया जाए ताकि आप बता सके कि इस कैंसर का कारण क्या है और मेरे स्वस्थ पिताजी कैसे इस जंजाल में फंस गए। उनकी हालत ऐसी नहीं है कि आपके पास ले जाया जा सके और मुझे यह नहीं लगता कि आप 3 दिन की यात्रा करके हमारे शहर पहुंच सकते हैं। यदि आप आने की सहमति दें तो मैं आपके लिए व्यवस्था कर सकता हूं।" उत्तर भारत के सुदूर क्षेत्र से जब यह संदेश आया तो मैंने उन सज्जन से कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा और आपके पिताजी की समस्या का समाधान करने की कोशिश करूंगा।
उन सज्जन ने बताया कि वे दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में कैंसर सर्जन है और लगातार अपने पिताजी से मिलने जाते रहते हैं और उनकी देखभाल करते रहते हैं। मैंने उन्हें सुझाव दिया कि मैं एक तरह का टेस्ट किट भेजना चाहता हूं। क्या यह समय रहते पिताजी के गांव पहुंच सकेगा तब उन्होंने कहा कि पिताजी के गांव तक तो कोई भी कोरियर सर्विस नहीं जाती है और दिल्ली से पार्सल भेजने में 15 दिनों का समय लग जाता है। रायपुर से तो यह और भी अधिक लंबा समय लगेगा इसलिए उन्होंने वैकल्पिक उपाय की मांग की। मैंने कहा कि आप उन वस्त्रों को मेरे पास भेज दें जिन्हें आपके पिताजी ने 24 घंटों तक पहन कर रखा है। उन्होंने कहा कि यह संभव है और वह जल्दी ही अपने किसी कर्मचारी को भेजकर कपड़े मंगवा लेंगे और मेरे पास भेज देंगे।
जब उनका पार्सल मेरे पास आया और मैंने उसे खोला तो कपड़ों से इतनी विचित्र तरह की गंध आ रही थी कि आसपास के लोग भी नाक सिकोड़ने लगे। मैंने पार्सल में वापस उन कपड़ों को डाला तब आसपास के लोगों ने राहत की सांस ली। इस आधार पर मैंने उन सज्जन से अनुरोध किया कि आप अपने पिताजी के नाखूनों की तस्वीर मेरे पास भेजें। जब वह तस्वीर मेरे पास आई तो उनके नाखून बहुत कुछ कह रहे थे। मैंने उनसे कहा कि मैं आपके पिताजी से लंबी चर्चा करना चाहता हूं क्या यह फोन से संभव है तब उन्होंने कहा कि वह जल्दी ही पिताजी के गांव पहुंचेंगे फिर मेरी बात सीधे ही करवा देंगे।
मैंने उनके पिता जी से पूछा कि क्या आप रात में तांबे के पात्र में पानी रखकर सुबह उसका पानी पीते हैं और ऐसा क्या आप पूरे जीवन करते रहे हैं तब उन्होंने कहा कि इसके बारे में उन्होंने सुना तो बहुत है पर कभी इस तरह के प्रयोग नहीं किए हैं।
मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको प्रकाश के किसी स्रोत की ओर देखने से स्रोत के चारों ओर हरा रंग दिखाई देता है तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की और कहा कि मोमबत्ती की लौ देखने पर उन्हें इस तरह के विशेष लक्षण साफ तौर पर दिखाई देते हैं। उनके चिकित्सक पुत्र ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि पिताजी ने तो मुझे इस बारे में कभी नहीं बताया। उनके पिताजी ने कहा कि किसी ने मुझसे इस तरह का प्रश्न पूछा ही नहीं इसलिए मैंने अपने आप किसी को बताया नहीं। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें हरा रंग दिखने की समस्या हमेशा से नहीं रही है बल्कि हाल के कुछ वर्षों में शुरू हुई है।
मैंने उनसे पूछा कि जब आप सांस लेते हैं तो क्या आपको सांस नली में भयानक पीड़ा का अनुभव होता है? उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की।
मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको हमेशा ऐसा लगता है कि आपके सिर के चारों ओर किसी ने बहुत कड़ाई से कोई कपड़ा बांधकर रखा है। उन्होंने कहा कि हां ऐसा उन्हें अक्सर लगता है विशेषकर शाम के समय। मैंने उनसे यह भी पूछा कि क्या आपको शाम को और रात के समय देखने में तकलीफ होती है और आंखों में असहनीय पीड़ा होती है तब उन्होंने कहा कि हां उन्हें इस तरह की तकलीफ होती है।
बीच में टोकते हुए चिकित्सक महोदय ने कहा कि पिताजी ने इस बारे में मुझे बताया था पर मैंने सोचा कि कैंसर के फैलाव के कारण ऐसा हो रहा है।
मेरा अगला प्रश्न था कि क्या आप को भोजन में सही तरह का स्वाद नहीं आता है तब उन्होंने इस बात की पुष्टि की। मैंने उनके चिकित्सक बेटे से कहा कि वे अपने किचन से सात विशेष तरह की सामग्रियां लेकर उनकी पहचान छुपाते हुए अपने पिताजी को चखने को कहें। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और जल्दी ही उन्होंने बताया कि इनमें से केवल एक सामग्री का सही स्वाद उनके पिताजी पता पाए। शेष सामग्रियों का स्वाद उन्होंने सही नहीं बताया। मैंने जिन सामग्रियों के प्रयोग के लिए उन्हें कहा था उनमें छह प्रकार के रस थे जो कि सामान्य भोजन में उपलब्ध होते हैं। उनके पिताजी को केवल नमकीन स्वाद ही अच्छे से पता चल रहा था और किसी तरह का स्वाद नहीं आ रहा था।
अंतिम प्रश्न के रूप में मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको किसी विशेष तरह का सपना बार-बार दिखता है और आप हड़बड़ाकर रात में उठ बैठते हैं तो उन्होंने उस विशेष सपने के बारे में बताया और कहा कि जब वे सपना टूटने के बाद हड़बड़ा कर उठ बैठते हैं तो उनके मुंह का स्वाद विशेष तरह का हो जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण जानकारियां थी। इस आधार पर मैंने अपने डेटाबेस को खंगाला तो समस्या का हल दिखाई देता दिखा लगा।
मैंने उनके चिकित्सक मित्र से कहा कि आप आसपास के पहाड़ों में जाएं और उन पत्थरों की तस्वीरें खींचकर भेजें जिससे कि पता लग सके कि वहाँ किस प्रकार के पत्थर हैं। जब यह चित्र मेरे पास आए और मैंने अपने जियोलॉजिस्ट मित्र को उन पत्थरों को दिखाया तो उन्होंने कहा कि ये पत्थर नुकसानदायक नहीं है और इनसे किसी भी तरह की विषाक्तता होने की संभावना कम है। फिर मैंने उन चिकित्सक महोदय से पूछा कि क्या आपके पिताजी को ही यह कैंसर है कि आसपास और लोगों को भी इसी तरह का कैंसर है। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी का केस इस इलाके में दुर्लभ केस है। यहां के लोग बड़े मजबूत है। उन्हें इस तरह की समस्या नहीं होती है।
काफी अध्ययन के बाद मैंने उनके चिकित्सक बेटे से फिर से संपर्क किया और उन्हें बताया कि मुझे यह ओसमियम टाक्सीसिटी के लक्षण लगते हैं। क्या आपके पिताजी लंबे समय तक कॉपर माइंस में काम करते रहे हैं या उनका किसी प्रकार से कॉपर की खदानों से सम्बन्ध रहा है। मैंने उनसे यह भी कहा कि आप चाहे तो ओसमियम टाक्सीसिटी के लिए रक्त परीक्षण करा सकते हैं पर पहले यह जानना जरूरी है कि क्या वह लंबे समय तक कॉपर खदान में काम कर चुके हैं या नहीं?
जब उनके बेटे ने इस बात की पुष्टि की कि उनके पिताजी आजीवन एक कॉपर माइंस में काम करते रहे हैं और उनका ज्यादातर जीवन माइंस के अंदर ही बीता है तब सारी स्थिति स्पष्ट होने लगी। उन्होंने यह भी बताया कि वे सेवानिवृत्त होने के बाद भी लगातार कॉपर माइंस जाते रहे हैं और अपनी तकनीकी सेवाएं देते रहे हैं। सारी जानकारी सुनिश्चित होने के बाद मैंने उनके चिकित्सक बेटे से कहा कि आप अपने पिताजी को दिल्ली लेकर जाएं और उनके शरीर में ओसमियम की उपस्थिति का पता लगाएं। यह भी पता लगाये कि उनके विशेष अंगों में यह कितनी मात्रा में उपस्थित है और यदि उनके पास ऐसे उपाय हैं कि इस मात्रा को दूर किया जा सकता है तो यह बहुत अच्छी बात हो सकती है और इससे उनके पिताजी मौत के मुंह से बाहर निकल सकते हैं। भले ही यह कैंसर की तथाकथित अंतिम अवस्था क्यों न हो।
वे बहुत उत्साहित हुए और एअरलिफ्ट करके अपने पिताजी को दिल्ली ले आए। वहां उन्होंने अपने परीक्षण से इस बात की पुष्टि की कि उनके शरीर में बहुत अधिक मात्रा में ओसमियम की उपस्थिति है पर उन्होंने मजबूरी बताएं कि उनकी चिकित्सा पद्धति में इस औषधियों को शरीर से कम समय में बाहर निकालने का कोई उपाय नहीं है। उनके साहित्य में इस बारे में ज्यादा नहीं लिखा गया है।
उन्होंने मुझसे उम्मीद की कि मैं उन्हें विशेष तरह के मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी दूं या फंक्शनल फूड के बारे में बताऊँ जिनकी सहायता से इस विषाक्तता को दूर किया जा सके। मैंने उन्हें बताया कि इस बारे में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया है और न ही ऐसे मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी है जो कि विशेष तौर पर ओसमियम की विषाक्तता को शरीर से दूर कर सकें। मैंने उन्हें यह भी बताया है कि बहुत से प्राइवेट कंपनी के विशेषज्ञ जो कि माइनिंग से जुड़े होते हैं वे मुझसे एक विशेष तरह का मेडिसिनल राइस लेकर जाते हैं। इस मेडिसिनल राइस का प्रयोग वे तब करते हैं जबकि उन्हें माइंस के अंदर जाना होता है। वे बताते हैं कि इससे उन्हें माइंस में जाने से होने वाली समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और किसी भी तरह की नई समस्या नहीं होती है।
उन चिकित्सक महोदय ने कहा कि मुझे वह मेडिसिनल राइस चाहिए तब मैंने कहा कि ओसमियम टाक्सीसिटी के कारण होने वाले कैंसर के लिए यह राइस कितना इफेक्टिव है इस बारे में किसी भी तरह का ज्ञान उपलब्ध नहीं है। यह एक तरह का प्रयोग होगा। यदि आप करना चाहते हैं तो मैं आपके लिए इस राइस की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकता हूं। उनके हां कहने पर मैंने बड़ी मात्रा में उस मेडिसिनल राइस की व्यवस्था कर दी और उसकी प्रयोग विधि के बारे में भी उन्हें बता दिया।
पिछले 8 सालों से उनके पिताजी जीवित हैं जबकि उनकी अवस्था को देखते हुए विशेषज्ञों ने कहा था कि वे कुछ महीनों के ही मेहमान है और ये महीने बहुत कष्टप्रद रहने वाले हैं।
उनका कैंसर अभी भी तीसरी अवस्था में है और धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है। उन्हें कड़ी हिदायत दी गई है कि वे कॉपर माइंस से पूरी तरह से दूर रहें और उन वस्तुओं से भी दूर रहे जिसमें ओसमियम का प्रयोग किया जाता है। उन्हें यह भी बताया है कि जो वह पुरानी फाउंटेन पेन यूज़ करते हैं उसकी नींब भी ओसमियम की सहायता से बनती है। वे इस तरह की पेन का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें। मेडिसिनल राइस का प्रयोग अभी भी जारी है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आगे आने वाले सालों में उन्हें इस कैंसर से पूरी तरह से मुक्ति मिल सकेगी। यह मेडिसिनल राइस के प्रभाव से ही होगा।
उसके बाद मैं इस मेडिसिनल राइस को पूरे विश्वास से दूसरे मामलों में भी अनुमोदित कर सकूंगा।
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