Consultation in Corona Period-285 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-285
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"कितना अच्छा हो कि इस दुनिया में किसी को भी कभी Lennox–Gastaut syndrome (LGS) की समस्या न हो और वह पूरी तरह से सुरक्षित रहें। विशेषकर हमारे बच्चे। आप तो जानते ही हैं कि इसमें सीजर के कितने खतरनाक लक्षण आते हैं और बच्चों का बचना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही एक केस मैं आपके पास भेज रहा हूं। यह बच्चा हमारे अस्पताल में है और उसकी नियमित चिकित्सा हो रही है। हमने हाल ही में आपका एक लेख पढ़ा जिसमें आपने बताया है कि देश के अलग-अलग भागों में पाए जाने वाले विशेष तरह के मेडिसिनल राइस का प्रयोग करके काफी हद तक के इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों को राहत पहुंचाई जा सकती है। आपने यह भी लिखा है कि यह भारत का पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है पर दुर्भाग्य से ऐसे कम पारंपरिक चिकित्सक हमारे बीच मौजूद हैं जो कि इसके बारे में जानकारी रखते हैं। जिन पारंपरिक चिकित्सकों को इन मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी थी वे अब दुनिया में नहीं है पर यह अच्छी बात है कि उनका बहुत सा ज्ञान डॉक्यूमेंट के रूप में आपके डेटाबेस में है। आप केस का पूरी तरह से अध्ययन करिए और यदि आपको लगता है कि इस बच्चे को किसी तरह से मेडिसिनल राइस की सहायता से मदद की जा सकती है तो हमें बताइए। हम उस राइस को खरीदने का पूरा प्रबंध करेंगे और आपकी जो फीस होगी वह भी अस्पताल की ओर से अदा करेंगे।" उत्तर भारत के प्रसिद्ध विशेषज्ञ मित्र का जब यह संदेश आया तब मैंने कहा कि आप रिपोर्ट भेजें और साथ ही उस बच्चे का एक छोटा सा वीडियो बनाकर भेजें ताकि मैं उसकी स्थिति को जान सकूं।
जब मेरे पास वीडियो आया तो मैंने देखा कि उसकी आंखों में विचित्र तरह से लक्षण आ रहे हैं जो कि अधिकतर एलजीएस में नहीं आते हैं। इस वीडियो के आधार पर मैंने विशेषज्ञ मित्र से कहा कि आप उस बच्चे के नाखूनों की तस्वीर खींचकर मुझे भेजें और जब यह तस्वीर खींचे तो किसी भी तरह की फिल्टर का उपयोग ना करें। जल्दी ही वह तस्वीर भी मेरे पास आ गई और इससे इस बात की पुष्टि हुई कि भले ही बच्चे को एलजीएस के जैसे लक्षण आ रहे थे पर उसकी मूल समस्या का कारण कुछ और था जिसके बारे में जानना जरूरी था। मुझे बताया गया कि आधुनिक दवा के रूप में 1,5-benzodiazepine क्लास की दवा का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में इस दवा का प्रयोग एलजीएस के लिए किया जाता है और उसमें बहुत अधिक सफलता मिलती है।
उन्होंने आगे बताया है कि बच्चे के माता-पिता जानते हैं कि यह लाइलाज रोग है और अगर जान बच भी गई तो पूरा जीवन संघर्षमय होने वाला है इसीलिए वे चिकित्सा करने में किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हमने भी उन्हें छूट प्रदान की है कि वे किसी भी चिकित्सा पद्धति का सहारा ले सकते हैं बस एक बार वह बता दें कि वह किस दवा का प्रयोग कर रहे हैं ताकि हम उन्हें बता बता सके कि उस दवा का हमारी दवा से किसी भी प्रकार से विपरित रिएक्शन तो नहीं होता है ऐसा कहकर उन विशेषज्ञ महोदय ने उन दवाओं की पूरी सूची मेरे पास भेज दी जिनका प्रयोग बच्चे के माता-पिता विशेषज्ञ की दवा के अलावा कर रहे थे।
उसमें एक विशेष प्रकार का फॉर्मूलेशन था जिसने मेरा ध्यान खींचा। यह फॉर्मूलेशन एक वैद्य द्वारा दिया जा रहा था। जब मैंने उस फॉर्मूलेशन का अध्ययन किया तो मुझे वह एक बेहतरीन फॉर्मूलेशन लगा। जब मैंने डेटाबेस से इसे परखा तो मेरी बात की पुष्टि हो गई। मैंने उन विशेषज्ञ मित्र को बताया कि यह फार्मूला बेहद कारगर है और मुझे लगता है कि इसके प्रयोग से जल्दी ही इस बालक को लाभ होगा और वह आश्चर्यजनक रूप से इस समस्या से बाहर आ जाएगा।
जब मैंने विस्तार से अपने डेटाबेस का अध्ययन करना शुरू किया जिसमें इस फार्मूले के बारे में देश के विभिन्न भागों के पारंपरिक चिकित्सकों ने अपनी राय रखी थी तो मुझे विशेष तरह के लक्षणों की जानकारी हुई जो कि दोषपूर्ण फार्मूले के प्रयोग के कारण हो सकता था। मैंने इन लक्षणों में नाखूनों में आने वाले लक्षणों और आंखों में आने वाले विशेष लक्षणों के बारे में जानकारी जब देखी तो मुझे लगा कि एक बार मुझे उस फॉर्मूलेशन की जांच कर लेनी चाहिए जिसका प्रयोग बच्चे के माता-पिता कर रहे हैं।
मैंने बिना देरी के अपने विशेषज्ञ मित्र की सहायता से उस फॉर्मूलेशन के नमूने को मंगा लिया और फिर अपने शहर के चिकित्सक मित्रों से कहा कि मुझे एक छोटा सा परीक्षण करना है जिसमें आपकी मदद की जरूरत है। इस तरह के परीक्षण के बारे में मेरे मित्र चिकित्सक जानते हैं इसलिए उन्होंने मुझे सारी व्यवस्था करने के बाद अपने अस्पताल में आमंत्रित कर लिया। मैंने उन्हें बताया कि मेरे सामने 15 तरह की जड़ी बूटियां रखी हुई है। इनका प्रयोग आपातकाल में करना है। जब मुझे ऐसे लक्षण आने लगे जिससे कि मैं अपने होश हवास खो बैठूँ और विचार करने की स्थिति में ना रहूं तब इन जड़ी बूटियों का प्रयोग करके आप मेरी जान बचा सकते हैं।
मैंने उन्हें बताया कि मैं एक वैद्य के फार्मूले को मुंह से चखना चाहता हूं और उसके बाद यह जानना चाहता हूं कि यह फार्मूला दोषपूर्ण है कि नहीं। सब बिल्कुल तैयार हो गए फिर मैंने उस फार्मूले को अपने मुंह में रखा और काफी देर तक उसे मुंह में घुमाता रहा। उसके बाद मुझे सामने खड़े अपने चिकित्सक मित्र धुंधले से दिखाई देने लगे और उसके बाद मुझे किसी भी तरह का होश नहीं रहा। बाद में जब होश आया तो चिकित्सक मित्रों ने बताया कि उन्होंने पांच नंबर की जड़ी बूटी का प्रयोग किया उससे ही मेरी जान बची और मुझे फिर से वापस होश आया। उन्होंने बताया कि दवा को मुंह में रखने के बाद में बहुत जोर से चीखने चिल्लाने लगा था और लोगों को अपशब्द कहने लगा था। मैं किसी गहरी परेशानी में था जिसे मैं व्यक्त नहीं कर पा रहा था। उनके द्वारा दी गई जानकारी बहुत अहम थी। उन्होंने इस बात की तस्दीक की कि दवा का असर सीधा दिमाग पर हो रहा था। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी।
इस परीक्षण के बाद मुझे संभलने में कुछ घंटों का समय लगा। उसके बाद मैंने उस वैद्य से बात की तो मुझे इस बात की पुष्टि हो गई कि वह दोषपूर्ण फार्मूले का निर्माण कर रहे थे। इसके बाद मैंने विशेषज्ञ मित्र से बात की और उन्हें बताया कि आप की आधुनिक दवा से इस फार्मूलेशन की विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है क्योंकि इस फॉर्मूलेशन में दोषपूर्ण वनस्पतियों का प्रयोग किया गया है।
मैंने उन्हें खुलासा करते हुए बताया कि इस फार्मूले में वैसे कोई दोष नहीं है और यह एक कारगर फार्मूला है और उसकी आधुनिक दवा से किसी भी तरह से विपरीत प्रतिक्रिया नहीं होती है पर इसमें एक मुख्य घटक के रूप में Cannabis का प्रयोग किया जाता है। Cannabis का प्रयोग करने से यह फार्मूला विशेष रूप से उपयोगी हो जाता है पर ऐसे ही साधारण रूप से बाजार में मिलने वाली Cannabis का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि इस फॉर्मूलेशन का निर्माण करने वाले पारंपरिक चिकित्सक Cannabis को अपने खेतों में उगाते हैं और लंबे समय तक उसे विभिन्न तरह के वनस्पति के तत्वों से सिंचित करते हैं जिससे इस Cannabis में विशेष गुण आ जाते हैं। उसके दोष पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं। उसके बाद ही इस Cannabis का प्रयोग फार्मूले में किया जाता है।
जब मैंने उन वैद्य से बात की तो उन वैद्य ने बताया कि वह इस विधि के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं रखते हैं। उन्हें फार्मूले के बारे में जानकारी है और उसके सभी आवश्यक घटकों को भी बाजार से खरीदते हैं। यही उनसे बड़ी चूक हो रही थी। मैंने विशेषज्ञ महोदय से कहा कि आप इस फार्मूलेशन का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें। इसे बच्चे की हालत में जल्दी ही सुधार होगा और मुझे उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में उसे ऐसे LGS जैसे लक्षणों से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी।
विशेषज्ञ महोदय को एकाएक इस पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उन्हें मालूम था कि LGS की कोई चिकित्सा नहीं है पर जब उन्हें पता चला कि यह सब ड्रग इंटरेक्शन के कारण हो रहा है तो उन्होंने तुरंत मेरी बात मानी और उस फॉर्मूलेशन का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया।
7 दिनों के अंदर ही एलजीएस जैसे पूरे लक्षण गायब हो गए जिसे देखकर उन विशेषज्ञ महोदय ने अपनी आधुनिक दवा का प्रयोग भी बिल्कुल कम कर दिया। बालक के स्वास्थ में आश्चर्यजनक तरीके से सुधार हुआ था और सभी अचरज में थे।
विशेषज्ञ महोदय ने जब मुझसे पूछा कि आगे की क्या राह है तब मैंने उनसे कहा कि आप यदि चाहे तो मैं एक पारंपरिक चिकित्सक को जानता हूं जो कि विधि पूर्वक कैनाबिस को इस फॉर्मूलेशन में प्रयोग करना जानते हैं। आप चाहे तो उनसे फॉर्मूलेशन लेकर फिर से इसका उपयोग जारी रख सकते हैं। इससे बालक को पूरी तरह से इस समस्या से उबरने में मदद मिलेगी। आपसे यह भी अनुरोध है कि एक बार आप फिर से जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि यह LGS ही है न कि LGS जैसे लक्षण वाली कोई बीमारी।
मैंने उन्हें यह भी कहा कि फार्मूलेशन का प्रयोग वे कुछ दिनों तक ही करें क्योंकि लंबे समय तक इसके प्रयोग की मनाही है। उन्होंने जल्दी ही उन पारंपरिक चिकित्सक से संपर्क किया। पारंपरिक चिकित्सक ने इस दवा को बनाने के लिए 6 महीनों का समय मांगा और फिर उन्होंने दवा का निर्माण करना शुरू कर दिया।विशेषज्ञ महोदय ने बताया कि आधुनिक साहित्य में drug interactions के कारण होने वाले एलजीएस के बारे में बहुत कम जानकारी है और इस जानकारी को समृद्ध करना आवश्यक है विशेषकर आधुनिक और पारंपरिक दवाओं के बीच होने वाले ड्रग इंटरेक्शन के बारे में। इस विशेष बीमारी के संदर्भ में गंभीर अध्ययन की सख्त आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वह भारत सरकार को इस बारे में जल्दी ही लिखेंगे और युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करेंगे कि वे इस नए क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाएं।
उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।
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