Consultation in Corona Period-279 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-279 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "हमारे गुरुजी की किडनी की समस्या के लिए हमने आपसे संपर्क किया है। आप उनकी दोनों किडनिया काम नहीं कर रही है और वे डायलिसिस पर है। अब इतनी देर हो चुकी है कि अब तुरंत ही किडनी ट्रांसप्लांट की बात की जा रही है। किडनी का प्रबंधन हम लोगों ने कर लिया है। हमारी संस्था के एक सदस्य अपनी किडनी देने को तैयार है और गुरु जी इस बात के लिए तैयार नहीं है। वे चाहते हैं कि हर संभव प्रयास कर लिया जाए उसके बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट किया जाए क्योंकि उसके बाद की जिंदगी बहुत कठिन होती है और बहुत सारे कठिन काम नहीं किए जा सकते हैं। रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होता है और उम्र भी कम हो जाती है। लगातार इन्फेक्शन का डर बना हुआ रहता है और तेज दवाओं का सेवन करना पड़ता है। आपने इंटरनेट आर्काइव पर जो क्रॉनिक किडनी डिजीज की फिल्में डाली है। उन्हें देखने के बाद ही गुरु जी ने आपसे संपर्क करने को कहा है। इस महामारी के समय आप यदि लंबी यात्रा करके हिमालय आ सकते हैं तो यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात होगी। यदि यह संभव नहीं है तो हम गुरु जी को एअरलिफ्ट करके आपके पास लेकर आ सकते हैं। आप अपने पसंद के अस्पताल का पता दे दे रायपुर में जहां हम उन्हें भर्ती करा सके और जहां आप लगातार आकर उनकी चिकित्सा कर सकें। हमें मालूम है कि आप चिकित्सक नहीं है पर हमें लगता है कि आप के परामर्श से हो सकता है कि किडनी की हालत में सुधार हो जाए और ट्रांसप्लांट थोड़े दिनों के लिए टल जाए।" उत्तर भारत से एक अध्यात्मिक संस्थान के सदस्यों ने जम्मू से संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मैंने उन्हें रायपुर के एक बड़े अस्पताल का नंबर दिया और उन विशेषज्ञ से संपर्क करा दिया जो कि स्कूल में मेरे सीनियर थे और आज कल छत्तीसगढ़ के जाने-माने किडनी रोग विशेषज्ञ है। उन्होंने केस का अध्ययन किया और बताया कि अब किसी भी तरह से वापसी की राह बहुत कठिन है फिर भी उन्होंने कहा कि अगर स्वामी जी रायपुर आना चाहते हैं और उनके अस्पताल में भर्ती होना चाहते हैं तो उन्हें सभी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वे तैयार है। मैंने उन विशेषज्ञ महोदय को धन्यवाद दिया और उनसे पूछा कि क्या आप मेरे साथ हिमालय चलने को तैयार है तब उन्होंने मजबूरी दिखाई कि वे अपने दैनिक कार्य को छोड़कर लंबी यात्रा नहीं कर सकेंगे। मैं भी इस स्थिति में नहीं था कि इतनी लंबी यात्रा करूं इसलिए मैंने संस्थान के सदस्यों से कहा कि आप अपने स्वामी जी को लेकर रायपुर आ जाए और उस अस्पताल में उन्हें भर्ती कर दें ताकि मैं वहां आकर उनकी जांच कर सकूं। इस बीच मैंने उनकी रिपोर्ट का अध्ययन किया और उनके द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में जांच की। उनका रहन-सहन बहुत सादा था वे आध्यात्मिक व्यक्ति थे उन्हें केवल डायबिटीज की समस्या थी जिसके लिए वे एक दवा ले रहे थे। यह दवा हिमालय के ही एक वैद्य दे रहे थे जो कि डायबिटीज की चिकित्सा के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। उनके पूरे फार्मूले के बारे में तो मुझे जानकारी नहीं थी पर मुझे इस बात का आभास था कि यदि उनसे पूछा जाए तो वह भूलकर भी इस फार्मूले के बारे में नहीं बताएंगे। इसलिए मैंने प्रयास करना उचित नहीं समझा। स्वामी जी रायपुर में आकर भर्ती हो गए तब मैंने अस्पताल में जाकर वहां के चिकित्सकों से अनुमति लेकर एक छोटा सा परीक्षण किया जिससे मुझे समस्या के मूल का पता लगने लगा। उस आधार पर मैंने तीन और परीक्षण किए जिसमें कि तरह तरह की जड़ी बूटियों को चखने के लिए स्वामी जी को कहा। जब उन्होंने उन जड़ी बूटियों के स्वाद बताए तो स्थिति और स्पष्ट होने लगी। स्वामी जी पहली बार रायपुर आए थे और उन्होंने छत्तीसगढ़ के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। जब मैं उनसे मिलने गया तो वह लंबे समय तक मुझसे बात करते रहे और अपनी समस्याओं के बारे में बताते रहे। नियम से तो सभी प्रभावित लोगों से इतने लंबे समय तक बात की जानी चाहिए ताकि बहुत सी ऐसी बातों का पता चल सके जो कि 10 या 15 मिनट के अपॉइंटमेंट में संभव नहीं हो पाती है। बातों ही बातों में स्वामी जी ने बताया कि उन्हें नर्वस हेडेक की समस्या है जो कि बहुत पुरानी है। उन्होंने बताया कि उनके शरीर में बहुत अधिक पसीना आता है फिर कुछ समय बाद अचानक ही पसीना रुक जाता है और उसके बाद उन्हें तेज सिर दर्द होने लग जाता है। यह सिर दर्द भी बिना किसी दवा के अपने आप खत्म हो जाता है और उसके बाद उन्हें बहुत अधिक मात्रा में पेशाब होती है। उन्हें लगातार बाथरूम में बैठे रहना होता है और जब यह पेशाब रूकती है तो उन्हें बहुत अधिक कमजोरी होती है। ऐसा लगभग रोज ही होता है और अब तो सालों से इस समस्या को झेलने के कारण उनको इस बात की आदत हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये समस्याएं होती है और कुछ देर बाद अपने आप ठीक हो जाती है। उसके बाद नई समस्या शुरू हो जाती है और वह भी बिना किसी दवा के अपने आप ठीक हो जाती है। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने हिमालय के वैद्य से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार बताया पर वैद्य ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जब मैं उनसे बात कर रहा था तो मेरे ध्यान में कई प्रकार की वनस्पतियां थी और कई प्रकार के फॉर्मूलेशन थे जिनके प्रयोग से इस तरह के लक्षण आते हैं पर मैं स्पष्ट रूप से उन्हें पहचान नहीं पा रहा था इसलिए मैंने वापस लौटकर अपने डेटाबेस का सहारा लिया और फिर 15 प्रकार के फॉर्मूलेशन की सूची तैयार की। दूसरे दिन जब मैं स्वामी जी से मिलने पहुंचा तो मैंने उनसे पूछा कि क्या जब पसीना रुक जाता है तब आपको सिर दर्द होता है। यह सिर दर्द क्या दाहिनी ओर अधिक होता है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की। फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या सिर दर्द के खत्म होने के बाद जब बहुत मात्रा में पेशाब होती है तो उन्हें किसी तरह का दर्द होता है तब उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है और आराम से पेशाब हो जाती है। मैंने उनसे कहा कि पेशाब हो जाने के बाद जब आपको बहुत कमजोरी लगती है फिर उसके बाद क्या आपको शरीर के ऊपरी हिस्से में बहुत अधिक खुजली होती है तो उन्होंने कहा कि हां ऐसा होता है और कभी कभी तो खुजलाते खुजलाते शरीर में लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं और उसके लिए वे कोई दवा नहीं करते हैं क्योंकि ये चकत्ते अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मैंने उनसे पूछा कि जब कुछ समय बाद ये चकत्ते अपने आप ठीक हो जाते हैं तो क्या आपको हाथ पैर में बहुत जलन होती है तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की पर उन्होंने कहा कि हाथ पैर की जलन भी स्थाई नहीं होती वह भी कुछ देर बाद ठीक हो जाती है। मैंने उनसे पूछा जब यह जलन ठीक होती है तब क्या उसके बाद आंखों से बहुत अधिक पानी निकलता है तब उन्होंने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पहले वे गुलाब जल का प्रयोग करते थे पर अब तो आंखों से पानी निकलना कुछ मिनटों तक ही रहता है। उसके बाद यह समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाती है। मैंने कहा कि आंखों से पानी निकलने के बाद क्या आपको खाना खाने की इच्छा नहीं होती है क्योंकि आपके मुंह में कड़वापन रहता है। उन्होंने कहा कि हां आप तो सभी कुछ जानते हैं। मुँह में कड़वापन रहने के कारण मैं उस समय भोजन नहीं करता हूं और इंतजार करता हूं कि कड़वापन जाए। मैंने पूछा कि जब यह कड़वापन जाता है तब भी आप भोजन नहीं करते हैं क्योंकि आपके मुंह से बहुत अधिक मात्रा में लार निकलती है तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की और कहा कि जब लार का निकलना पूरी तरह से कम हो जाता है उसके बाद ही वे भोजन करते हैं। मैंने पूछा क्या भोजन के बाद आपको बहुत अधिक नींद आती है पर आप जानबूझकर सोते नहीं है तब उन्होंने कहा कि हां ऐसा होता है क्योंकि यदि वह सो जाएंगे तो उन्हें फिर से बहुत अधिक पसीना आने लगेगा और वही चक्र फिर से चालू हो जाएगा इसलिए वे सोते नहीं है। इतनी सारी चर्चा से यह बात एकदम स्पष्ट हो गई कि वे किसी रूप में एस्क्लेपियस नामक वनस्पति का प्रयोग कर रहे थे जिसकी विषाक्तता के कारण इस तरह के लक्षण आ रहे थे। इस बात की पूरी संभावना थी कि यह वनस्पति अधिक मात्रा में उनके डायबिटीज के नुस्खे में उपस्थित थी। इसकी पुष्टि करना परीक्षणों के माध्यम से तो संभव था पर वैद्य से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकती थी जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है। इस वनस्पति का प्रयोग डायबिटीज में लाभप्रद तो है पर इसके बहुत सारे नुकसान है इसलिए देश के पारंपरिक चिकित्सक इसका भूलकर भी उपयोग नहीं करते है। यदि इसे ठीक से शोधित नहीं किया गया या अधिक मात्रा में लंबे समय तक प्रयोग किया गया तो किडनी खराब हो जाती है और उसे बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। जब इस तरह से प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी किडनी की जांच की जाती है तो उसमें यह विष बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। मैंने उनके द्वारा लिए जा रहे डायबिटीज के फॉर्मूलेशन का नमूना लिया और छत्तीसगढ़ के एक पारंपरिक चिकित्सक के पास जांच के लिए भेजा जिन्होंने पारंपरिक विधि से जांच करने के बाद बताया कि इसमें बहुत अधिक मात्रा में तृतीय घटक के रूप में उसी वनस्पति का उपयोग किया जा रहा है। इस आधार पर मैंने स्वामी जी से कहा कि आप इस डायबिटीज की दवा का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें। मुझे लगता है कि कुछ ही दिनों में आपको फायदा होने लगेगा। मैंने उन्हें मेडिसिनल राइस पर आधारित एक फॉर्मूलेशन के बारे में बताया और कहा कि यदि आप इस फॉर्मूलेशन का प्रयोग दिन में दो बार करेंगे तो धीरे-धीरे किडनी से यह विष दूर हो जाएगा और किडनी फिर सामान्य रूप से काम कर सकेंगी। मुझे लगता है कि लंबे समय में आपको लाभ होगा और फिर किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं होगी। आपको धैर्य रखने की जरूरत है और नियमपूर्वक इस फॉर्मूलेशन को लेने की जरूरत है। मैंने उन्हें डायबिटीज के लिए कई तरह की हस्त मुद्राएं बताई और कहा कि यदि आप इनका प्रयोग करेंगे तो आपको दवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि मुझे पहले से ही हस्त मुद्राओं की जानकारी होती तो मैं डायबिटीज की दवा कभी नहीं लेता। स्वामी जी वापस लौट गए। उनमें बहुत ज्यादा उत्साह भर गया था और वे नियम पूर्वक मेरी बताई बातों का पालन करने लगे। उनकी जीवनी शक्ति अच्छी थी और साथ में आत्मिक शक्ति भी। आश्चर्यजनक रूप से 1 महीने में ही उन्हें लाभ होने लगा और उनकी एक किडनी ठीक से काम करने लगी। वे हस्त मुद्राओं का नियमित रूप से प्रयोग करते रहे। हाल ही में उनका फोन आया कि अब उनकी दूसरी किडनी भी सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है। सब ने राहत की सांस ली। स्वामी जी ने मुझे आश्वस्त किया कि वे लगातार मेरे संपर्क में रहेंगे और अपनी प्रगति के बारे में बताते रहेंगे। सर्वाधिकार सुरक्षित

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