Consultation in Corona Period-274 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-274




Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"कोलोन कैंसर की इस अंतिम अवस्था में मैं तीन प्रकार की दवाओं का प्रयोग कर रहा हूँ। मेरी कीमोथेरेपी चल रही है। इसके अलावा मैं उत्तर भारत के एक वैद्य से दवा ले रहा हूँ और साथ ही तिब्बती दवाओं के विशेषज्ञ से भी एक दवा ले रहा हूँ। इन तीनों दवाओं ने मिलकर मेरे कैंसर पर पूरी तरह से नियंत्रण रखा है और मुझे थोड़े और लंबे समय तक जीने का अवसर प्रदान किया है। मेरे कीमोथेरेपी वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि उनकी दवा के साथ में इन दोनों दवाओं को लिया जा सकता है बिना किसी मुश्किल के। इसी तरह मेरे उत्तर भारत के वैद्य और तिब्बती वैद्य भी यही कहते हैं।

 कैंसर तो नियंत्रण में है पर साथ में बहुत सारी समस्याएं हो रही है जिसके बारे में मुझे लगता है कि ये समस्याएं इन तीनों दवाओं के आपसी इंटरेक्शन के कारण हो रही है। आपने ड्रग इंटरेक्शन पर बहुत अधिक शोध किया है इसलिए मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या इस तरह के इंटरेक्शन को रोका जा सकता है। मैं तीनों ही दवाओं का प्रयोग करना चाहता हूँ और यदि इन से किसी तरह का इंटरेक्शन हो रहा हो तो मैं फंक्शनल फूड की सहायता से इस इंटरेक्शन को दूर करना चाहता हूँ इसलिए मैंने आपसे परामर्श का समय लिया है। मैंने आपकी फीस जमा कर दी है और साथ ही सारी रिपोर्ट भी भेज दी है। आप जब भी समय देंगे मैं आपसे फोन पर बात कर लूंगा।" राजस्थान से जब एक सज्जन का ऐसा संदेश आया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 मैंने उनकी तीनों दवाओं का विस्तार से अध्ययन किया और उनके विशेषज्ञों द्वारा कही गई बातों को सही पाया। उन तीनों दवाओं में ऐसा कोई भी घटक नहीं था जो कि आपस में विपरीत प्रतिक्रिया करता अर्थात उनकी तीनों दवाओं में आपस में किसी भी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी और वे बिना किसी चिंता के इन तीनों दवाओं को ले सकते थे। मैंने उन सज्जन से यह बात कही तब उन्होंने कहा कि उन्हें जो विशेष तरह के लक्षण आ रहे हैं वे क्यों आ रहे हैं? 

मैंने उनसे कहा कि आप एक-एक करके इन लक्षणों के बारे में बताते जाएं। मैं अपने ज्ञान के आधार पर आपकी समस्या का समाधान करने की कोशिश करूंगा। सबसे पहली समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि जब वे सुबह उठते हैं तो उन्हें बहुत कमजोरी महसूस होती है और आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। उन्होंने यह भी महसूस किया है कि सुबह के समय उनकी आंखों की रोशनी कम हो जाती है और उन्हें पढ़ने लिखने में दिक्कत होती है। मैंने उनसे कहा कि आपको यह समस्या तिब्बती वैद्य की दवा के कारण हो रही है जिसे कि आप सुबह लेते हैं। यदि आप इस दवा का प्रयोग शाम को करने लगे तो आपकी इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। आप चाहें तो एक बार अपने तिब्बती वैद्य को यह बात बता सकते हैं। मुझे विश्वास है कि वे भी ऐसा ही अनुमोदन करेंगे। उन सज्जन ने धन्यवाद दिया और बाद में मुझे बताया कि उनके तिब्बती वैद्य ने उन्हें इस बात की छूट दे दी है कि वे शाम को इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं। इस छूट के बाद से उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है।

दूसरी समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि उनका शरीर बहुत अधिक संवेदनशील हो गया है। शरीर के ऊपर चादर ढकने पर भी असहनीय तकलीफ होती है। कोई अगर ढाढस बनाते हुए मुझे छू बस दे तो मुझे बड़ी बेचैनी होती है और मैं झटक कर उसके हाथ को अलग कर देता हूँ। ऐसा अभी-अभी होना शुरू हुआ है। यह पुरानी समस्या नहीं है। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप बहुत अधिक मात्रा में मसालों का प्रयोग करते हैं। अधिक मात्रा से मेरा मतलब है कि क्या आपको मसाले बहुत पसंद है और बिना मसालों के आप भोजन करना पसंद नहीं करते हैं तब उन्होंने इस बात की पुष्टि की। मैंने उनसे कहा कि यह समस्या भी आपको तिब्बती वैद्य की दवा के कारण हो रही है। इस दवा के साथ बहुत अधिक मात्रा में मसालों का सेवन करने से इसी तरह की समस्या होती है। आप यदि मसालों का प्रयोग धीरे-धीरे करके कम कर देंगे तो आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। इसके लिए आपको किसी तरह की दूसरी दवा की जरूरत नहीं है। उन्होंने जब अपने तिब्बती वैद्य से बात की तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनके नुस्खे का प्रयोग करने के बाद इस तरह की समस्या आ जाती है और मसालों का प्रयोग बंद करने से उसका पूरी तरह से समाधान हो जाता है।

 अगली समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि उनकी नाक और आंखों के चारों ओर काला घेरा होता जा रहा है अर्थात त्वचा का रंग काला होता जा रहा है। इसके लिए वे कई तरह के उबटन का प्रयोग करते हैं पर फिर भी समस्या पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। उनकी समस्या सुनकर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप उत्तेजक पदार्थों का प्रयोग कर रहे हैं? उत्तेजक पेय पदार्थ में चाय कॉफी भी आते हैं और वे सभी पेय पदार्थ आते हैं जिसमें कि कैफीन का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि वे चाय के बहुत शौकीन है और अक्सर कॉफी भी पी लेते हैं। मैंने उन्हें बताया कि आपको जो वैद्य दवा दे रहे हैं उसके कारण ऐसा हो रहा है। उस दवा के प्रयोग के साथ में किसी भी मात्रा में उत्तेजक पेय पदार्थ का प्रयोग नहीं करना है। यदि आप इनका उपयोग धीरे-धीरे करके कम कर देंगे तो आपकी त्वचा का कालापन अपने आप ठीक हो जाएगा। किसी तरह के उबटन की जरूरत नहीं है।

 जब उन्होंने अपने उत्तर भारत के वैद्य से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही कहा था कि उनकी दवा के साथ चाय कॉफी का प्रयोग नहीं करना है न ही मसालेदार भोजन का पर उन सज्जन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था इसलिए उनको इस तरह की समस्या हो रही थी।

अगली समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि उनके मुंह में बड़े-बड़े छाले हो रहे हैं जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं हो रहे हैं। पहले उन्होंने घरेलू उपाय अपनाएं उसके बाद उन्होंने आधुनिक दवाओं का सहारा लिया पर छाले किसी भी तरह से खत्म नहीं हो रहे हैं। उनकी इस समस्या को सुनकर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप किसी भी रूप में होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं तब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और बताया कि वे अपनी कब्ज की समस्या के लिए एक दवा का प्रयोग कर रहे हैं और डिप्रेशन की समस्या के लिए दूसरी दवा का प्रयोग कर रहे हैं।

 मैंने उन्हें कहा कि आपकी कब्ज की दवा से तो कोई फर्क नहीं पड़ रहा होगा पर आपके डिप्रेशन की दवा की तिब्बती दवा से विपरीत प्रतिक्रिया हो सकती है। ऐसा कहकर मैंने उन्हें 10 प्रकार की होम्योपैथिक दवा का नाम दिया और कहा कि अगर वे इनमें से किसी दवा का उपयोग कर रहे हैं तो उसका प्रयोग रोक दें। इससे उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा और मुंह के छाले सप्ताह भर के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। उन्होंने अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से बात की और बताया कि वे इग्नेशिया नामक एक दवा का प्रयोग कर रहे हैं। इस दवा का नाम मेरे द्वारा भेजी गई सूची में था। उन सज्जन ने फैसला किया कि वे अब इस दवा का प्रयोग नहीं करेंगे। 3 से 4 दिनों के अंदर ही उन्हें जटिल छालों की समस्या से छुटकारा मिल गया।

 अगली समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि उन्हें पिंडली की मांसपेशियों में बहुत अधिक दर्द होता है और यह दर्द 24 घंटे रहता है। उन्होंने कई तरह के तेलों को अजमाया पर दर्द पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हुआ। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप को आधुनिक चिकित्सक कोई विशेष तरह का सप्लीमेंट दे रहे हैं जिसमें कि कॉपर बहुत अधिक मात्रा में है तब उन्होंने अपने द्वारा प्रयोग किये जा रहे हैं सप्लीमेंट की तस्वीर खींचकर भेजी। जब मैंने उसके घटकों का अध्ययन किया तो मैंने पाया कि उसमें कॉपर की अधिक मात्रा है।

 मैंने उन्हें बताया कि तिब्बती दवा के साथ अधिक मात्रा में कॉपर का प्रयोग करने से इसी तरह के लक्षण आते हैं। यदि आप इस सप्लीमेंट का प्रयोग रोक देंगे या अपने चिकित्सक से कहकर ऐसे सप्लीमेंट का प्रयोग करेंगे जिसमें कॉपर की अधिक मात्रा न हो तो आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

 उन्होंने अगली समस्या के रूप में मुझे बताया है कि उन्हें शरीर में बहुत अधिक खुजली होती है और खुजलाते खुजलाते खून निकल आता है। उसके बाद भी खुजली का अंत नहीं होता है। उन्होंने साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया और कई तरह की क्रीम का उपयोग किया पर फिर भी खुजली लगातार होती रहती है।

 मैंने उन्हें बताया कि आप राजस्थान के ऐसे इलाके में रहते हैं जहां कि साल भर मौसम सूखा रहता है और नमी का अभाव रहता है। यदि आप साधन संपन्न है और ऐसे स्थान पर जाकर रह सकते हैं जहां कि नमी की अधिकता हो तो इससे आपकी खुजली वाली समस्या का पूरी तरह से अंत हो जाएगा। उन सज्जन ने धन्यवाद दिया और कहा कि इसमें किसी भी तरह की समस्या नहीं है। वे अपने जगन्नाथ पुरी वाले घर में जाकर रह सकते हैं। वहां नमी की कोई कमी नहीं है। कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि जब से उन्होंने पुरी वाले घर में शिफ्ट किया है तब से अब उनकी खुजली की समस्या धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। मैंने उन्हें बताया कि उत्तर भारत के वैद्य उन्हें जो दवा दे रहे हैं उस दवा का प्रयोग करते समय यदि नमी वाले स्थान में रहा जाए तो वह दवा अच्छे से काम करती है और उसके कारण होने वाले विकार पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं।

 अगली समस्या के रूप में उन्होंने बताया कि उन्हें दिन में कई बार बहुत जोर से गर्मी लगती है। इतनी जोर से गर्मी लगती है कि पूरे कपड़े उतार देने के बाद भी गर्मी पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। वे ठंडे पानी के फौव्वारे के नीचे खड़े हो जाते हैं फिर भी पूरी तरह से शरीर की आंतरिक गर्मी खत्म नहीं होती है। ऐसा दिन में कई बार होता है पर लगातार नहीं होता है। उनकी समस्या को सुनकर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप जब बहुत अधिक पढ़ते लिखते हैं या कोई मानसिक कार्य करते हैं तो आपको चक्कर आते हैं और सिर में दर्द होने लग जाता है तब उन्होंने इस बात की पुष्टि की। उनकी पुष्टि के बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या आप इसके लिए कोई दवा ले रहे हैं विशेषकर आयुर्वेद दवा जिसमें किसी वनस्पति की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है तब उन्होंने खुलासा किया कि वे मध्य भारत के एक पारंपरिक चिकित्सक से जलजमनी नामक वनस्पति ले रहे हैं अपनी इस समस्या के लिए और इसके प्रयोग से उन्हें अधिक मानसिक श्रम करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। मैंने उन्हें बताया कि इस दवा की तिब्बती दवा से विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है। इसी कारण इस तरह के लक्षण आ रहे हैं। यदि आप इस वनस्पति का प्रयोग करना बंद कर दें और उसके स्थान पर दूसरी वनस्पति का प्रयोग करें तो आपकी बहुत अधिक गर्मी लगने वाली समस्या का समाधान हो जाएगा बिना किसी दवा के।

 अगली बार उनका फोन आया कि अब उनकी समस्या का समाधान हो गया है और उन्होंने कहा कि अब उन्हें किसी भी तरह की समस्या नहीं है। उनकी मुख्य समस्याओं का समाधान हो गया है और वे बहुत राहत महसूस कर रहे हैं। मैंने उन्हें बताया कि आपके उत्तरी भारत के वैद्य जिस दवा का प्रयोग कर रहे हैं उसमें अष्टम घटक के रूप में भ्रमरमार का प्रयोग किया गया है जबकि तिब्बती दवा में पंचम घटक के रूप में कुचला का प्रयोग किया गया है जिसे बहुत सही तरीके से शोधन किया गया है। आपकी सारी समस्याएं इन दोनों वनस्पतियों के कारण हो रही है। ये वनस्पतियां कैंसर में बड़ी कारगर है पर इनके साथ कई तरह की सावधानियां रखनी होती है। अब आपने अपनी जीवन पद्धति में सुधार कर लिया है और बाधाओं को दूर कर लिया है इसलिए मुझे लगता है कि अब आपको किसी तरह की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी और आपका शरीर मजबूती से कैंसर से लड़ सकेगा।

ऐसा कहकर मैंने उनके सुखद भविष्य की कामना की। 


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