Consultation in Corona Period-273 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"शुरुआत फेफड़े से रक्त स्त्राव से होती है और जब तक हम इसके लिए कुछ प्रबंध करते हैं तब तक अचानक ही किडनी की समस्या शुरू हो जाती है। किडनी ठीक से काम नहीं करती है। इसके लिए तरह तरह के परीक्षण किए जाते हैं और जब तक परीक्षणों के परिणाम आते हैं तब तक पता चलता है कि किडनी ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है और अब किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। जब तक हम ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करते हैं तब तक प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और हम हाथ पर हाथ धरे रह जाते हैं। यह सब अचानक होता है। या तो केस हमारे पास बहुत देर से आता है या यह एक ऐसी बीमारी है जो कि बहुत तेजी से शरीर पर आक्रमण करती है और शरीर को समझने का मौका ही नहीं देती है। हम लक्षणों के आधार पर चिकित्सा करते रह जाते हैं पर रोग के मूल कारण को नहीं जान पाते हैं इसलिए सही मायने में चिकित्सा नहीं हो पाती है।

 हमारे संस्थान ने पिछले कुछ महीनों में 50 से अधिक ऐसे मामले देखे हैं जिनमें प्रभावित व्यक्ति की जान नहीं बची है। अभी हमारे पास 100 से अधिक प्रभावित व्यक्ति हैं जो कि लगातार संघर्ष कर रहे हैं और हमें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं है कि उनकी जान बच सकती है इसलिए हमने आपसे संपर्क किया है कि क्या आप इस मामले में अपने अनुभव बता सकते हैं और रोग के मूल कारण पर प्रकाश डाल सकते हैं।" भारत के एक प्रसिद्ध आयुर्वेद शोध संस्थान के निदेशक ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 

जब उन्होंने सारी जानकारियां भेजी और साथ में प्रभावित व्यक्तियों का वीडियो भी तो समस्या के मूल का अंदाज होने लगा। इस आधार पर मैंने एक छोटा किट डायरेक्टर महोदय के पास भेजा और उनसे कहा कि आप इस किट की सहायता से परीक्षण करें और मुझे परिणाम का वीडियो भेजें। इस किट में मैंने 50 से अधिक प्रकार की वनस्पतियों का चूर्ण भेजा था जिसे प्रभावित व्यक्ति को चखकर बताना था कि उन वनस्पतियों का स्वाद कैसा है और इनमें से कौनसी वनस्पतियां उसे अच्छी लग रही है स्वाद के अनुसार और कौन सी नहीं। निदेशक महोदय के कहे अनुसार मैंने उन्हें 10 किट भेजें और उन्होंने तत्परता से यह परीक्षण अपने मार्गदर्शन में करवा कर वीडियो मुझे वापस भेज दिए। 

वीडियो को देखने के बाद मैंने उनसे एक ही प्रश्न पूछा कि क्या प्रभावित व्यक्ति किसी औद्योगिक इकाई में काम करते हैं विशेषकर किसी स्टील के कारखाने में या कास्टिंग फाउंड्री में। उन्होंने जब प्रभावित व्यक्तियों के काम के बारे में जानकारी एकत्र की तो पता चला कि सभी व्यक्ति पास के एक बड़े स्टील कारखाने में काम करते हैं। इस जानकारी के बाद मैंने उन निदेशक महोदय से कहा कि आप  Goodpasture syndrome नामक बीमारी पर विशेष रूप से ध्यान दें। मुझे लगता है कि ये सभी व्यक्ति इसी सिंड्रोम से प्रभावित है जिसमें कि जान बचाना बहुत मुश्किल काम होता है। मैंने उनसे यह भी पता करने को कहा कि क्या इन सभी व्यक्तियों को लंबे समय तक सर्दी खांसी की समस्या रही है जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं हुई है और साथ ही क्या ये व्यक्ति रोज सुबह 3-4 बजे उठ जाते हैं और लगातार छींकते रहते हैं? 

निदेशक महोदय ने जानकारी एकत्र करने के बाद बताया कि अधिकतर लोगों को इस तरह की समस्या जीवन भर रही है और उन्होंने तरह-तरह के उपाय आजमाएं हैं पर किसी भी तरह से उनकी इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ।  कुछ समय के अंतराल के बाद निदेशक महोदय ने फिर से मुझसे संपर्क किया और बताया कि उनके विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि ये Good-pasture syndrome के ही लक्षण है पर मुश्किल इस बात की है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और जब फेफड़ों से रक्तस्राव होने लग जाता है तो उसके बाद प्रभावित व्यक्ति की हालत बिगड़ने में जरा भी समय लगता नहीं है। 

मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास ऐसे बहुत सारे केस आते रहते हैं और इस आधार पर मैं स्टील इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को अपने लेखों के माध्यम से लगातार बताता रहता हूँ कि वे विशेष तरह की जीवन पद्धति का इस्तेमाल करें जिससे कि उन्हें भविष्य में इस तरह की समस्या न हो। यह समस्या मूल रूप से कई कारणों के कारण होती है। उनमें से एक कारण धात्विक धूल भी है। दुनिया के जिन भी भागों में स्टील प्लांट है वहां यह समस्या आम तौर पर देखी जाती है पर बड़े आश्चर्य की बात है कि वहां के विशेषज्ञ इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। न तो वे अपने कर्मचारियों की रक्षा की ओर ध्यान देते हैं और न ही एक बार उनके प्रभावित हो जाने पर उनकी चिकित्सा की ओर। वे लक्षणों के आधार पर चिकित्सा करते हैं और किडनी की समस्या होने पर किडनी ट्रांसप्लांट के प्रयास में जुट जाते हैं। वे इस बात को जानने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं करते हैं कि ऐसा ज्यादातर लोगों को क्यों हो रहा है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

 मैंने उन्हें यह भी बताया कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में 3000 से भी अधिक ऐसे मेडिसिनल राइस हैं जिनका प्रयोग करके इस बीमारी से लंबे समय तक बचा जा सकता है और शरीर को इसके लिए मजबूत बनाया जा सकता है। यदि इन स्टील प्लांट के मालिक चाहें तो अपने कर्मचारियों को कैंटीन की सहायता से इन मेडिसिनल राइस की आपूर्ति कर सकते हैं ताकि वे लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें। इसमें अधिक खर्च भी नहीं होगा और बड़े स्तर पर जनहानि रुक सकेगी। निदेशक महोदय ने धन्यवाद दिया और उन्होंने कहा कि क्या अभी कोई उपाय हैं जिनका प्रयोग करके इस बीमारी को टाला जा सकता है या लंबे समय तक प्रभावित व्यक्ति को जीवित रखा जा सकता है तब मैंने उनसे कहा कि यहां रायपुर से इन सब विषय में जानकारी देना संभव नहीं है। यदि आप चाहे तो मैं आपके अस्पताल आ सकता हूँ और आपके विशेषज्ञों को अपने अनुमोदनों के बारे में बता सकता हूँ। बहुत सारे ऐसे भारतीय फंक्शनल फूड हैं जिनकी सहायता से इस स्थिति को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।

 उन्होंने आश्वस्त किया कि वे जल्दी ही मुझसे फिर से संपर्क करेंगे और मेरी यात्रा का प्रबंध करेंगे।

 उन्होंने एक और विषय में मेरी राय जाननी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल बलात्कार के बहुत सारे मामलों में जो आरोपी है उनकी मेडिकल रिपोर्ट में लिख दिया जाता है कि वे ऑर्गेनिक रूप से Impotent है अर्थात उनकी सेक्स करने की क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है इसलिए उन्होंने बलात्कार नहीं किया है। हमें इस बात की जानकारी है कि ऐसा वे भ्रष्ट चिकित्सकों की सहायता से करते हैं ताकि वे इस मामले से पूरी तरह से बच सकें। जब हम अपने अस्पताल में उनका परीक्षण करते हैं तो यह बात सही निकलती है और उनके सेक्सुअल ऑर्गन में किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। हमें लगता है कि यह किसी दवा के कारण होता है विशेषकर किसी जड़ी-बूटी के कारण। इसका प्रयोग वे कुछ समय के लिए कर लेते हैं और एक बार परीक्षण में हरी झंडी मिलने के बाद वे इस वनस्पति का एंटीडोट इस्तेमाल कर लेते हैं और फिर से वापस अपनी सामान्य जिंदगी में आ जाते हैं। इस तरह वे इस गंभीर अपराध की सजा से बच जाते हैं और अगली बार फिर निरंकुश होकर वही काम करने लग जाते हैं।

 उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमें आपकी मदद की जरूरत है। अगर आपको इस बारे में थोड़ी भी जानकारी हो तो भारत की न्याय व्यवस्था के लिए यह महत्वपूर्ण होगी और ऐसे अपराधियों को अपने मंसूबे में कामयाब होने से हम काफी हद तक रोक सकेंगे। मैंने उनसे कहा कि मेरे डेटाबेस में इस विषय में बहुत विस्तार से जानकारी है। वैसे तो डेढ़ हजार से भी अधिक प्रकार की ऐसी वनस्पतियां है जिनका इस तरह से दुरुपयोग किया जा सकता है अर्थात कुछ समय तक इन वनस्पतियों का प्रयोग करने से नपुंसकता आ जाती है फिर इनके एंटीडोट का प्रयोग करने से वह नपुसंकता पूरी तरह से खत्म हो जाती है पर आजकल भारत में तांत्रिकों के माध्यम से 50 विशेष तरह की वनस्पतियों का प्रयोग होता है और मैंने अधिकतर मामलों में इन्हीं वनस्पतियों के प्रयोग को देखा है। ऐसा कह कर मैंने उन्हें इन 50 वनस्पतियों की सूची भेज दी और उन्हें यह भी बता दिया कि कैसे सरल से परीक्षण से वे जान सकते हैं कि आरोपी ने किस वनस्पति का प्रयोग किया है फिर उस आधार पर वे उसका एंटीडोट जो कि एक वनस्पति ही है का प्रयोग करके उन्हें इस तथाकथित नपुंसकता से बाहर ला सकते हैं। 

निदेशक महोदय ने कहा कि वे जल्दी ही इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। कुछ हफ्तों के बाद उनका फोन आया कि उन्होंने इनमें से कई वनस्पतियों को आजमा कर देखा और उसके बाद फिर उनके एंटीडोट का प्रयोग किया। उन्हें शत-प्रतिशत सफलता मिली है। इस आधार पर उन्होंने एक प्रोजेक्ट सरकार को भेजा है जो कि कुछ महीनों का है। इस प्रोजेक्ट में इन वनस्पतियों के बारे में विस्तार से अध्ययन किया जाएगा और फिर रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय से अनुमति मांगी जाएगी कि वे इस तरह के परीक्षण की अनुमति आरोपी पर दें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह भी प्रस्ताव भेजा है कि इस प्रोजेक्ट में मुख्य मार्गदर्शक के रुप में मुझे शामिल किया जाए ताकि हम सही तरीके से इसे पूरा कर सकें।

 हम जब आपको Good-pasture syndrome के मरीजों के लिए आमंत्रित करेंगे। उसी समय इस विषय में भी विस्तार से आप से चर्चा हो जाएगी।

 मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि मैं आपको थाईलैंड और फिलीपींस के फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा मुझसे ली गई इस विषय में सहायता के बारे में तैयार की गई एक रिपोर्ट भी भेज रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि यह रिपोर्ट आपकी मदद करेगी। 

उन्होंने धन्यवाद दिया। 


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