Consultation in Corona Period-267 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-267





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"बीच रात में उसे लगता है जैसे कि वह अपनी पत्नी के साथ नहीं सोया हुआ है बल्कि एक खूंखार कुत्ते के साथ सोया हुआ है। वह हड़बड़ा कर उठ बैठता है और कमरे में चारों ओर देखने लगता है। जब वह देखता है कि उसकी पत्नी उसके बाजू में है फिर भी उसे घबराहट होती रहती है और वह चीखने चिल्लाने लग जाता है। यह लगभग रोज ही होता है। 

इसी तरह जब वह अपने ऑफिस से निकलता है तो हर चौराहे पर रुक जाता है यह देखने के लिए कि कहीं किसी कोने से कोई खूंखार कुत्ता तो उसकी तरफ नहीं आ रहा है। उसे तो इस बात का भी डर रहता है कि कहीं उसकी कार में कोई कुत्ता छुपा हुआ बैठा तो नहीं है जो कि उसके अंदर जाते ही उसे दबोच लेगा। वह किसी से ठीक से बात नहीं करता है। हमेशा घबराया हुआ सा रहता है। ऑफिस में मीटिंग के समय भी उसका ध्यान हमेशा नीचे की ओर लगा रहता है और वही डर उसके मन में सताता रहता है। ऐसा नहीं है कि उसे कई बार बचपन में कुत्ते ने काटा है बल्कि कुत्ता तो हमारे घर में एक परिवार के सदस्य की तरह रहा है और उसने कभी किसी को सताया नहीं है। उसके जीवन में कुत्ते को लेकर किसी भी तरह का गंभीर हादसा नहीं हुआ है और कुत्ते तो उसके पास आकर बहुत सहज हो जाते हैं। अपनी आक्रामकता को खत्म कर देते हैं फिर भी उसके मन में इस तरह का डर क्यों बैठ गया है? यह समझ से परे है। 

यह बचपन से नहीं है बल्कि हाल के तीन-चार वर्षों में हुआ है। यह उन वर्षों में हुआ है जब वह अपने व्यापार में बहुत तेजी से प्रगति कर रहा था और अपनी कंपनी में बहुत यश कमा रहा था अचानक ही ऐसे लक्षण आने शुरू हुए और सभी ने कहा कि यह मानसिक रोग हो सकता है। आम लोगों के लिए भले ही यह बीमारी पागलों की बीमारी हो पर मैं जानता हूँ कि यह हमारी वैज्ञानिक भाषा में सायनोफोबिया है और ऐसे मैंने सैकड़ों नहीं हजारों मामले देखे हैं और उनका उपचार किया है। एक तरह से कहे तो मेरी विशेषज्ञता इसी बीमारी में है इसलिए जब मुझे पता चला कि मेरे छोटे भाई को इस तरह की समस्या है तो मैंने वही सब रास्ते अपनाए जो कि मैं दूसरे मरीजों पर अपनाता हूँ और जिनसे मुझे सफलता मिलती है। मैंने लंबी काउंसलिंग की और उसे बहुत समझाने की कोशिश की। 

जब बात नहीं बनी तो मैंने दवाओं का सहारा लिया। जब उससे भी बात नहीं बनी तब मैंने अपने विदेशी मित्रों का सहारा लिया और अपने भाई को लेकर पूरी दुनिया में घूमा पर उसे सायनोफोबिया से छुटकारा ही नहीं मिल सका। मैं आपके लेख लगातार इंटरनेट पर पढ़ता रहता हूँ। आप ऐसे ही पेचीदे मामलों को सुलझाने में महारत रखते हैं यह लेखों को पढ़ने के बाद समझ में आता है इसलिए मैंने सोचा कि आपसे अपनी मित्रता का हवाला दिया जाए और मदद ली जाए।" उत्तर भारत के प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उन्हें पहचान लिया। कुछ वर्षों पहले वे मुझसे एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के सिलसिले में मिले थे और हम दोनों ने मिलकर उस प्रोजेक्ट में लंबे समय तक काम किया था। 

मैंने उनसे कहा कि वे एक छोटा सा वीडियो बनाकर भेजें ताकि मैं उनके भाई की मानसिक स्थिति की जांच कर सकूं। उनसे सारी रिपोर्ट भी मंगाई और फिर मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है। मैं अपनी ओर से उनकी मदद करूंगा और मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही इस समस्या का कोई समाधान मिल जाएगा।

 पहले पहल तो मैंने उसके द्वारा ली जा रही और ली गई दवाओं के बारे में अध्ययन किया। सारी दवाएं मानसिक रोग की थी। इससे उसके लक्षण उग्र हो रहे थे पर उसकी समस्या का कारण ये दवाईयाँ नहीं थी। जब मैंने उनके द्वारा भेजा गया वीडियो देखा तो मुझे लगा कि हालत गंभीर है। मैंने उनसे अनुरोध किया है कि जब भी आपको समय मिले तो आप मुझसे मिलने रायपुर आ जाए ताकि मैं छोटा सा परीक्षण कर सकूं। उन्होंने देर नहीं की और 2 दिनों के बाद ही मुझसे रायपुर में मुलाकात कर ली।

 मैंने एक छोटा सा परीक्षण किया जिसमें उनके भाई के पैरों के अंगूठे में एक विशेष तरह का लेप लगाया और फिर प्रतीक्षा करने लगा उसके शरीर में दिखने वाली प्रतिक्रियाओं का। इस परीक्षण के बाद मैंने एक और परीक्षण किया। इसमें 25 तरह की जड़ी बूटियों के चूर्ण को एक के बाद एक उनके भाई को चखने को कहा और फिर स्वाद बताने को कहा। इन जड़ी बूटियों के स्वाद बताने में उसे बहुत दिक्कत हुई। 

जब वह मेरे पास बैठा हुआ था तब भी उसके मन में कुत्ते का डर बैठा हुआ था और मुझसे बार-बार पूछ रहा था कि कहीं आपने कोई बड़ा सा कुत्ता पाल के तो नहीं रखा है। मैंने उससे पूछा कि क्या तुम्हें सिर्फ कुत्ते से डर लगता है या किसी अज्ञात जानवर का डर है तब उसने बताया कि उसे कुत्ते का डर नहीं लगता है बल्कि अज्ञात जानवर का डर लगता है पर बार-बार उसे कुत्ते का ही ख्याल आता है। जब उसने उस अज्ञात जानवर के बारे में बताना शुरू किया तब मुझे समझ में आने लगा कि उसके दिमाग के किस हिस्से में समस्या है। उसने जिस जानवर की कल्पना की थी वह तो संसार में होता ही नहीं है। उस वर्णन से तो कुत्ते का किसी भी तरह से कोई मिलान नहीं था। एक तरह से यह सायनोफोबिया नहीं था।

 इस परीक्षण के बाद मैंने एक और परीक्षण किया जिसमें उसके कानों में कुछ शब्द दोहराए और फिर उससे कहा कि वह इन शब्दों को मुंह से बोले। ऐसा 5 मिनट तक किया गया। उसके बाद वह बिल्कुल सामान्य हो गया और लगभग आधे घंटे तक उसने कुत्ते से संबंधित कोई भी प्रश्न नहीं पूछा। यह समाधान तो था पर स्थाई समाधान नहीं था। इससे यह पता चल रहा था कि गड़बड़ी कहां हो रही है। 

चिकित्सक मित्र बड़े ध्यान से इन सभी परीक्षणों को देखते रहे और आश्चर्य प्रकट करते रहे। उन्होंने भी अपने भाई के कान में मेरे द्वारा कहे गए शब्दों को दोहराया और भाई से कहा कि वह इन शब्दों को मुंह से बोले। उसके बाद फिर आधे घंटे तक उसने कुत्ते की किसी तरह की कोई बात नहीं की। इस बीच लगातार कहता रहा कि उसे गहरी नींद आ रही है और वह बहुत थका हुआ है। अब उसे सोना है पर हमने उसे सोने नहीं दिया।

 इतने सारे परीक्षणों का अध्ययन मैंने अपने डेटाबेस की सहायता से किया और फिर चिकित्सक मित्र से कहा कि वे शाम को फिर से मुझसे मिलने आए मैं कुछ विशेष प्रश्न पूछूंगा। हो सकता है कि उससे समस्या का समाधान निकल सके। 

शाम को जब वे आए तो उन्होंने बताया कि यहां से जाने के बाद उनका भाई लगातार सोता रहा और शाम से बहुत तरोताजा महसूस कर रहा है पर होटल से निकलने से पहले उसने होटल के रिसेप्शन में फोन कर पूछा कि होटल के बाहर कोई खतरनाक कुत्ता तो नहीं खड़ा है। मतलब समस्या अभी भी बरकरार थी। घर के अंदर आने से पहले मुझे उनके भाई ने बाहर बुलाया और फिर वही सवाल पूछे कुत्तों से संबंधित जो कि उसने सुबह भी पूछे थे।

 जब हम लोग बैठे तो मैंने चिकित्सक मित्र से पूछा कि आपका भाई लंबे समय से क्या सिनकोना का किसी तरह से प्रयोग कर रहा है तब उन्होंने कहा कि उसे मांसपेशियों में अकड़न की पुरानी समस्या है और उसके लिए वह पिछले कई सालों से सिनकोना का प्रयोग कर रहा है टॉनिक के रूप में। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी जिसके बारे में मुझे पहले नहीं बताया गया था। वह तो परीक्षणों से ही पता चला। मैंने पूछा कि क्या आपके भाई की अभी हाल में ही शादी हुई है और वह किसी तरह के सेक्स टॉनिक का उपयोग कर रहा है। इस पर उनके भाई ने ही जवाब दिया कि वह एक विशेष तरह के सेक्स टॉनिक का उपयोग कर रहा है जो कि बहुत महंगा है और उसे उसने मध्य प्रदेश के एक पारंपरिक चिकित्सक से प्राप्त किया है। जब उसने उन पारंपरिक चिकित्सक का नाम बताया तो मुझे उनके फार्मूले के बारे में जानकारी हो गई। फिर भी तसल्ली करने के लिए मैंने एक बार पारंपरिक चिकित्सक से बात की जिन्होंने पुष्टि की कि वे उस विशेष वनस्पति का प्रयोग इस फार्मूले में कर रहे हैं जिससे कि सेक्स क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया। अब सारा मामला स्पष्ट हो चुका था। यह एक गंभीर ड्रग इंटरेक्शन का मामला था जो कि पहले भी देखा गया था।

 मैंने खुलासा करते हुए अपने मित्र को बताया कि मध्यप्रदेश के पारंपरिक चिकित्सक जिस फार्मूले का प्रयोग कर रहे हैं उसमें श्री मूसली का प्रयोग किया गया है जो कि बेहद कारगर है सेक्स क्षमता को बढ़ाने के लिए। इस मूसली की न केवल आधुनिक दवाओं बल्कि पारंपरिक दवाओं के साथ भी विपरीत प्रतिक्रिया होती है और इस बारे में आधुनिक और पारंपरिक विज्ञान बहुत कम जानकारी रखते है।

जितनी भी जानकारी है वह अलिखित रूप में है। यही कारण है कि इस इंटरेक्शन के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। श्री मूसली और सिनकोना के बीच विपरीत प्रतिक्रिया होती है जिससे कि मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और इसका प्रयोग लगातार करने से प्रभावित व्यक्ति अनाप-शनाप बातें करने लग जाता है। उसके मन में तरह-तरह के डर भर जाते हैं और उसकी वैसी ही स्थिति हो जाती है जैसे कि आपके भाई की हो रही है। आप इनमें से एक दवा का प्रयोग 15 दिनों तक रोक करके देखें और फिर मुझे बताएं कि किसी तरह का सुधार हुआ है कि नहीं। 

10 दिनों के बाद ही उनका फोन आया कि अब समस्या सुलझने लगी है और उन्होंने न केवल सिनकोना बल्कि श्री मूसली दोनों का ही उपयोग बंद कर दिया है। इससे उनके भाई की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। 

जब वह अगली बार मुझसे मिलने आया तो मैंने उसे एक विशेष तरह के मेडिसनल राइस पर आधारित व्यंजन के बारे में बताया। इसका प्रयोग भोजन के साथ करने से न केवल मुंह में स्वाद बढ़ जाता है बल्कि इससे सेक्स क्षमता भी स्थाई रूप से बढ़ जाती है बिना किसी नुकसान के। मांसपेशियों में जकड़न के लिए मैंने उसे विशेष तरह की हस्त मुद्रा के बारे में बताया जिसे करने के लिए वह तत्परता से तैयार हो गया।

 एक महीने बाद मित्र का धन्यवाद भरा फोन आया और उन्होंने कहा कि हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप हमारे घर पर आए और हमारे साथ भोजन करें। आपने ही हमारे भाई को इस बीमारी से बाहर निकाला है।

 उस समय मुझे उनके शहर की यात्रा करनी ही थी इसलिए मैंने इस बात की मंजूरी दे दी और नियत समय पर उनके घर पर पहुंच गया पर उनके घर के अंदर नहीं गया। बाहर से ही मैंने उनके भाई को फोन लगाया और उससे पूछा कि घर में कहीं कोई खूंखार कुत्ता तो नहीं है? 

मेरी बात सुनकर वह जोर-जोर से हंसने लगा और सारा माहौल खुशियों से भर गया। 


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