Consultation in Corona Period-269 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-269





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मेरे 30 वर्षीय बेटे के पैर ठीक से नहीं पड़ रहे थे पिछले कुछ समय से। आखिरकार जब वह हमारे फार्म हाउस में काम करते वक्त गिर पड़ा और बेसुध हो गया तो हमने उसे आनन-फानन में पास के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया जहां उसकी तरह तरह की जांच होती रही पर उसकी समस्या का पता नहीं चला। हमने देरी करना उचित नहीं समझा और जल्दी ही उसे दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कर दिया। मामला न्यूरोलॉजिस्ट के पास जब पहुंचा तब उन्होंने बताया कि यह नर्वस सिस्टम की किसी समस्या के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तो देश में लॉकडाउन लगने वाला है इसलिए हम आपके बेटे को लंबे समय तक अस्पताल में नहीं रख सकते। रखना भी चाहे तो यह आपके लिए सुरक्षित नहीं होगा इसलिए उन्होंने कुछ दवाएं देकर बेटे को घर ले जाने को कहा। हम किसी तरह से कुछ समय तक अस्पताल में रुके रहे पर उसकी हालत में किसी भी तरह का सुधार नहीं हुआ। अब अस्पताल प्रशासन हमारे पीछे लगा हुआ है कि हम अपने बेटे को लेकर वापस चले जाएं। हम चाहते हैं कि उसकी हालत में थोड़ा सा भी सुधार हो तो हम उसे वापस अपने घर में ले जाएं। क्या इस दिशा में आप हमारी किसी तरह की मदद कर सकते हैं? हम आपकी बात अस्पताल के न्यूरोलॉजीस्ट से करवा सकते हैं ताकि आप उन्हें सुझाव दे सके।" पिछले वर्ष जब दिल्ली से एक सज्जन का फोन आया और उन्होंने यह सब बातें कहीं तो मैंने उनसे कहा कि न्यूरोलॉजिस्ट को किसी भी तरह की सलाह देना मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

 आप अपने बेटे की सभी रिपोर्ट भेजें। उन रिपोर्टों को पढ़ने के बाद ही मैं आपके न्यूरोलॉजिस्ट से बात कर पाऊंगा और अपने विचार उन्हें बता पाऊंगा।

 जब उनके बेटे की रिपोर्ट आई तो उसमें GABA से संबंधित न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में कहा गया था और यह भी लिखा गया था कि इसका कोई स्थाई समाधान नहीं है। केवल दवाओं के माध्यम से इस समस्या को मैनेज किया जा सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट ने उनके पास उपलब्ध बेहतरीन दवाएं दी थी पर जिस तेजी से सुधार की उम्मीद वे सज्जन कर रहे थे इतनी जल्दी सुधार होने वाला नहीं था। उस समय कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था और अस्पतालों को कोरोनावायरस प्रभावितों के लिए खाली कराया जा रहा था इसलिए उन सज्जन के ऊपर बहुत दबाव था कि वे अपने बेटे को वापस लेकर घर जाएं।

 उनके बेटे की रिपोर्ट के आधार पर मैंने 100 प्रश्नों की एक विस्तृत प्रश्नावली बनाई और उन्हें भेजा। उनसे कहा कि वे अपने बेटे की सहायता से इस प्रश्नावली को पूरा करें। भले ही इसमें लंबा समय लगे पर सभी जानकारी सही रूप में प्रस्तुत करें। इसके साथ ही मैंने उनके बेटे पर फिल्माया गया एक वीडियो भी मंगवा लिया। इससे मुझे उसकी स्थिति का पता चल गया। उस समय उनका यात्रा करना संभव नहीं था अन्यथा मैं वीडियो को देखने के बाद में उन्हें बिना किसी देरी के रायपुर बुलवाना चाहता था। बेटे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उसकी मां ने बेटे की सहायता से प्रश्नावली को पूरा किया और जल्दी ही मुझे भेज दिया। प्रश्नावली से मुझे बहुत सारी उपयोगी जानकारियां प्राप्त हुई। उनके बेटे की मां ने यानी उनकी पत्नी ने बार-बार यही लिखा था कि उनका बेटा जल्दी से ठीक होना चाहता है और फिर से अपने फार्म में लौटना चाहता है। एक बात उन्होंने विशेष तौर पर लिखी थी कि जब भी तूफान आता है तब उस समय घर के सारे लोग भयभीत रहते हैं पर उनका बेटा बिल्कुल भी भयभीत नहीं रहता है और यह साल का उसका सबसे बेहतरीन समय होता है। तूफान के पहले और तूफान के बाद उसकी तबीयत ताजी हो जाती है और उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाती है। इस बात का जिक्र उन्होंने बार-बार किया था। इसी विशेष लक्षण को आधार बनाकर मैंने उनके न्यूरोलॉजिस्ट से जब बात की तो उन्होंने कहा कि यह कोई विशेष लक्षण नहीं है और इसके आधार पर वे अपनी दवाओं में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं। इसके बाद मैंने उन सज्जन से कहा कि वे किसी जानकार होम्योपैथ से मिले क्योंकि होम्योपैथी में इस तरह के लक्षण आने पर कई तरह की दवाओं का प्रयोग होता है। यदि उनमें से एक उपयोग दवा का चुनाव कर लिया जाए तो इस लक्षण के आधार पर समस्या को कुछ समय तक टाला जा सकता है भले ही उसका पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है। तब उन सज्जन ने पूछा कि टाला क्यों जा सकता है? पूरी तरह से इलाज क्यों नहीं किया जा सकता तब मैंने उनसे कहा कि इस समस्या के मूल कारण को जानना जरूरी है। बचपन से आपके बेटे को इस तरह की समस्या नहीं है। हाल ही में हुई है। इसका मतलब यह है कि इसके लिए कोई कारक जिम्मेदार होगा। इतने कम समय में उस जिम्मेदार कारक को खोज पाना संभव नहीं है। इसके लक्षण के आधार पर इस समस्या को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। 

उन्होंने मेरी बात पर संतोष जाहिर किया और जल्दी ही उन्होंने अपने मित्र होम्योपैथिक चिकित्सक से मेरी बात करा दी। मैंने उन्हें विस्तार से सारी बातें समझाई और उन्हें सुझाव दिया कि आप इस लक्षण के आधार पर रोडोडेंड्रॉन नामक होम्योपैथिक दवा का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने भी सहमति जताई और जल्दी ही उन्होंने यह दवा उस युवक को दे दी। उसके बाद लंबे समय तक उन सज्जन का किसी भी तरह से कोई फोन नहीं आया।

 कुछ महीनों बाद जब उन्होंने फिर से संपर्क किया तब उस समय लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म हो गया था और सामान्य जनजीवन आरंभ हो गया था। सज्जन ने फोन पर बताया कि होम्योपैथिक दवा लेने के बाद बहुत लंबे समय तक बेटे को किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई। वह पूरी तरह से ठीक हो गया और फिर अपने काम में वापस लौट गया।

 कुछ समय बाद उसे उसी तरह के लक्षण आने लगे और फिर वह बिस्तर पर आ गया। उसका बड़ा भाई कनाडा में है। उसे जब इस बारे में पता चला तो उसने बिना किसी देरी के हम सबको कनाडा बुलवा लिया और अब हम कनाडा में है। यहां भी न्यूरोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में उसकी चिकित्सा चल रही है पर उस चिकित्सा से किसी भी तरह का लाभ नहीं हो रहा है। न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा है कि इसका कोई स्थाई समाधान नहीं है। अब उसे इसी समस्या के साथ जीना होगा और अब वह शायद ही अपने काम पर वापस लौट सकता है। मैंने उन सज्जन से कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। आप अपनी बेटे की पूरी रिपोर्ट मुझे भेजें ताकि मैं उसका अध्ययन कर सकूं। जब मैंने रिपोर्ट का अध्ययन किया तो मुझे वही बात लिखी हुई दिखाई दी कि GABA न्यूरोट्रांसमीटर की समस्या के कारण उस युवक को इस तरह के लक्षण आ रहे थे। वहां के चिकित्सक भी यह नहीं जान पा रहे थे कि ऐसा क्यों हो रहा है। उन्होंने तरह-तरह की जांच की थी पर नतीजा सिफर ही रहा था।

 जब उन सज्जन ने मेरे बारे में उन चिकित्सक को बताया तो वे मुझसे बात करने के लिए तैयार हो गए और जल्दी ही उन्होंने कहा कि उनकी पूरी टीम फोन के माध्यम से मुझसे बात करेगी और मेरे विचार जानेगी। मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि वे सभी तरह के सुझाव मानने को तत्पर दिखे और उनमें काफी विनम्रता थी। 

जब उनसे बात हुई तो मैंने कहा कि मैंने इस युवक पर किसी भी तरह का परीक्षण नहीं किया है पर उस युवक के लक्षणों को देखकर और ऐसे कई मामलों को पहले देखने के बाद मैं यह कह सकता हूँ कि यह Phenyl pyrazole परिवार के पेस्टीसाइड के कारण आने वाले लक्षण हो सकते हैं। इस पेस्टिसाइड का शरीर के नर्वस सिस्टम पर बहुत बुरा असर पड़ता है विशेषकर यदि बिना सुरक्षा के या कम सुरक्षा के इसका लंबे समय तक प्रयोग किया जाए। मैंने अपनी प्रश्नावली में इसके बारे में उस युवक से पूछा था तब मुझे जवाब मिला था कि उसके फार्म हाउस में इस पेस्टिसाइड का लंबे समय तक प्रयोग होता रहा है। यह जानकारी कनाडा के चिकित्सकों के लिए नई थी क्योंकि इतने खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग उनके देश में इतना लोकप्रिय नहीं था और उन्होंने ऐसे एक भी मामले नहीं देखे थे।

मैंने उन्हें सुझाव दिया कि यदि आपके पास इस पेस्टिसाइड का एंटीडोट हो तो उस युवक को इस समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकती है। हां, इस युवक को इस पेस्टीसाइड से हमेशा बचना होगा जोकि संभव है। चिकित्सकों की टीम ने इस संभावना पर गौर किया और जब उन्होंने विस्तार से लक्षणों का अध्ययन किया तब उन्हें पता चल गया कि यह इसी पेस्टिसाइड के कारण हो रहा है।

 मैंने उनसे बाद में संदेश के माध्यम से यह भी कहा कि इस पेस्टीसाइड के प्रयोग से किडनी और लीवर को भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है। आप इन दोनों अंगों की भी जांच करें। मुझे लगता है कि इन दोनों अंगों की कार्यक्षमता भी बहुत कम हो गई होगी जिसके कारण शरीर इस विष से प्रभावी तरीके से नहीं लड़ पा रहा है। अगली बार जब चिकित्सकों की टीम ने फोन पर मुझसे बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी इस बात की पुष्टि हो गई है कि ये लक्षण इसी पेस्टिसाइड के कारण आ रहे हैं पर उनके पास इसका कोई एंटीडोट नहीं है। उन्होंने मुझसे मदद की अपेक्षा की। 

मैंने उनसे कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में कई तरह के मेडिसिनल राइस का प्रयोग इस तरह के लक्षणों में किया जाता है। इस पेस्टिसाइड के विरुद्ध कोई विशेष मेडिसिनल राइस उपलब्ध नहीं है पर लक्षणों के आधार पर जैसा कि मैंने पहले कहा मैं आपको कई तरह के मेडिसनल राइस के प्रयोग की सलाह दे सकता हूँ। ऐसा कहकर मैंने उन्हें संबंधित मेडिसिनल राइस के बारे में जानकारी भेज दी और साथ में संदर्भ साहित्य भी भेज दिए। अगली बार उस अस्पताल के डायरेक्टर महोदय का फोन आया और उन्होंने कहा कि उनके पास GABA से संबंधित न्यूरोडिसऑर्डर के असंख्य मरीज है और यदि यह मेडिसिनल राइस सचमुच प्रभावी है तो वे इसका असर देखना चाहेंगे। उन्होंने मजबूरी बताई कि यह मेडिसनल राइस उनके देश में उपलब्ध नहीं है। उनकी बात सुनकर मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि इस मेडिसनल राइस की उपलब्धता मेरे पास में है और मैं इसे इन सज्जन के बेटे को उपलब्ध करा सकता हूँ।

 कुछ समय के अंतराल के बाद उन सज्जन का फिर से फोन आया और उन्होंने कहा कि जब इसकी चिकित्सा भारत में है तो कनाडा में रुकने की कोई जरूरत नहीं है इसलिए वे वापस आने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने अपने घर का पता दिया और कहा कि वे भारत लौटते ही उम्मीद करेंगे कि उन्हें कुरियर के माध्यम से मेरे द्वारा भेजा गया मेडिसिनल राइस मिल जाए ताकि जल्दी से जल्दी उसका प्रयोग शुरू किया जा सके।

 उसके बाद उस संस्थान के डायरेक्टर का फोन आया और उन्होंने कहा कि वे भारत के एक प्रसिद्ध शोध संस्थान से बात कर रहे हैं और उनके साथ मिलकर इस मेडिसिनल राइस पर प्रयोग करना चाहते हैं। मैंने उन्हें कहा कि मैं आपकी पूरी मदद करूंगा।

 मैंने कल ही मेडिसिनल राइस का दूसरा पार्सल उन सज्जन के बेटे के लिए उत्तर भारत भेजा है। इतनी जल्दी तो सुधार की उम्मीद नहीं है पर हम सब यही उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी कुछ महीनों में सुधार के लक्षण दिखेंगे और जल्दी ही उनके बेटे को इस पेस्टीसाइड जनित समस्या से छुटकारा मिलेगा। 


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