Consultation in Corona Period-4

Consultation in Corona Period-4

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया 


"हम पिछले हफ्ते चीन के उसी चर्चित बाजार में थे जहां से इस वायरस के फैलने की बात कही जा रही है. हमने वहां पर सीफूड खाया और साथ ही पैंगोलिन का मांस भी। कुछ दिनों से हमारी तबीयत बिगड़ने लगी है और हमें सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है। क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं?"


 यह संदेश उस समय आया जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को कोविड-19 का नाम नहीं दिया था. दुनिया को इस वायरस के बारे में बहुत कम जानकारी थी और चीन बड़े-बड़े ट्रकों के माध्यम से पूरे वुहान को सैनिटाइज कर रहा था।


उस समय चीन में सभी जानते थे कि यह वायरस हवा से फैलता है इसीलिए इतने बड़े स्तर पर सैनिटाइजेशन हो रहा था पर यह वह समय था जबकि विश्व स्वास्थ संगठन कह रहा था कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता है।


 सारी दुनिया की सरकारें विश्व स्वास्थ संगठन पर आंखें मूंदकर विश्वास कर रही थी और उस संगठन पर चीन से मिलीभगत का आरोप भी लग रहा था।


बहरहाल जिन लोगों ने मुझसे संपर्क किया था वे स्पेन के निवासी थे जो कि चीन में रह रहे थे।


 उस समय चीन में महामारी से हाहाकार मचा हुआ था और ये लोग अपने घरों में बंद थे। मैंने उनसे लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और अपने डेटाबेस को चेक किया।


विभिन्न जंगली और पालतू जानवरों के मांस को खाने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं और उनके समाधान पर पिछले 25 वर्षों से मैं भारत के पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूं।


उनके 60 पर्सेंट लक्षण ही पैंगोलिन के मांस के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षण से मिलते थे।


 मैंने जानकार पारंपरिक चिकित्सकों की सलाह ली।


उन्होंने बताया कि यह लक्षण पैंगोलिन के मांस के खाने के कारण नहीं हो रहे हैं। इनमें से 80 पर्सेंट लक्षण चमगादड़ का मांस खाने से होने वाले लक्षणों से मिलते जुलते हैं।


 मैंने स्पेनिश लोगों से फिर से संपर्क किया तो उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने चमगादड़ का मांस खाया है। हां, उन्होंने यह बात अवश्य स्वीकारी कि हो सकता है कि रेस्टोरेंट में मिलावट की गई हो।


 उस समय मैं देश के 10000 से भी अधिक पारंपरिक चिकित्सकों को चीन के वीडियो दिखाकर उनसे यह राय ले रहा था कि यदि यह घातक बीमारी भारत में फैली तो हमें कौन-कौन से उपाय अपनाने चाहिए।


स्पेनिश लोगों के लक्षण मैंने इन पारंपरिक चिकित्सकों के साथ भी शेयर किए। उनके अलग-अलग विचार थे। वे एकमत नहीं थे।


 आखिर मैंने फैसला किया कि रोग का कारण जाने बिना लक्षणों के आधार पर औषधियां सुझाकर चीन में बसे इन लोगों की मदद की जाए।


 मैंने 12 औषधियों की एक सूची उन्हें भेजी और साथ ही औषधि निर्माण की विधि भी।


 उन्होंने बताया कि इसमें से चार औषधियां वहां नहीं मिल रही है और क्या वे इनके बिना ही फार्मूले का प्रयोग कर सकते हैं?


 मैंने कहा कि इन 4 औषधियों के बिना फॉर्मूला पूरी तरह से अधूरा है और इंटरनेट के आधार पर उन्हें सलाह दी कि आप वुहान के बॉटनिकल गार्डन में जाकर इन औषधियों को एकत्र कर सकते हैं। यदि यह आपके लिए संभव हो तो।


यह उनका सौभाग्य था कि ये औषधियां उनको बॉटनिकल गार्डन में मिल गई और धीरे-धीरे वे रोग मुक्त हो गए।


 उस समय मैंने उनसे यह भी कहा कि वे संक्रमित हवा से बचने का प्रयास करें और कंक्रीट जंगल से निकलकर यदि संभव हो तो ऐसी जगह पर जाएं जहां पर स्वच्छ हवा हो पर उस समय वहां से उनका निकलना असंभव था क्योंकि वुहान की पूरी तरह से घेराबंदी कर दी गई थी।


 उस समय ट्विटर पर मैंने लिखा था कि वायरस के हवा में फैलने की संभावनाओं को देखते हुए घातक रसायनों की जगह पौधों से तैयार हवा शुद्ध करने वाले नुस्खों का प्रयोग दुनिया को करना चाहिए पर उस समय कोई इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि यह वायरस हवा से भी फैलता है।


 आज जब दुनिया भर के 400 वैज्ञानिक विश्व स्वास्थ संगठन को चीख चीख कर कह रहे हैं कि यह वायरस हवा से फैलता है तो यह सत्य सामने आ रहा है। अगर हम इस सत्य को पहले ही उजागर कर देते तो आज इस स्तर पर पूरी दुनिया इस महामारी से त्रस्त नहीं होती।


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