कैंसर के टयूमर के लिए मासूम कौव्वे का प्रयोग, ऐसी असफल चिकित्सा क्यों करते हैं लोग

कैंसर के टयूमर के लिए मासूम कौव्वे का प्रयोग, ऐसी असफल चिकित्सा क्यों करते हैं लोग
पंकज अवधिया



मैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूँ. आप अपनी चिकित्सा के लिए किसी निरीह पक्षी की जान नही लेना चाहते हैं.

आपको जब मुंह के कैंसर का पता चला तो वह बहुत अधिक फैल चुका था. आपका आधुनिक उपचार शुरू तो हुआ पर जल्दी ही बंद हो गया. आपके डाक्टरों ने काहा कि आपके पास कुछ समय ही शेष है.

आपने पारम्परिक उपचार का सहारा लिया. आप बहुत हडबडी में थे इसलिए लगातार उपचार बदलते रहे. वैद्यों ने आपसे कहा कि आप धीरज रखें और कम से कम तीन महीनों तक उनकी दवा लेने के बाद ही उपचार बदलने का फैसला लें पर आप हर दस दिन में वैद्य बदलते रहे.

इसी क्रम में आप बंगाल के एक वैद्य के पास पहुंचे जो टयूमर के लिए कौव्वे  का प्रयोग करते हैं.  जब भी आप उनके पास जाते हैं वे कौव्वे को मारकर उसका  ताजा मांस आपके टयूमर पर लगा देते हैं. उनका दावा है कि इससे टयूमर में लाभ होता है.

आप शाकाहारी हैं और अपनी जान बचाने के लिए बेकसूर पक्षी की जान नही लेना चाहते हैं. आप वैद्य के पास एक सप्ताह तक रहे और प्रतिदिन कौओ को मारने का यह क्रम जारी रहा. आप से यह सब सहन नही हुआ और आप उनका उपचार बीच में ही छोड़कर वापस आ गये.

आपको मुझसे मिलने की सलाह मुम्बई के एक कैंसर विशेषज्ञ ने दी. आपने मुझसे मिलने का समय लिया और फिर मुझसे मिलने आ गये.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि कौव्वे का इस तरह का प्रयोग बहुत से वैद्य करते हैं. कुछ तो इसके साथ बीरबहूटी का प्रयोग करते हैं और जबकि कुछ कुटकी आदि जंगली वृक्षों की छाल के साथ इसका प्रयोग करते हैं. पर मैंने अपने अनुभव से जाना है कि कैंसर के टयूमर के लिए ये उपाय बेकार हैं. 

हमारे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में बद की चिकित्सा के लिए ऐसे प्रयोगों का वर्णन है पर यह साफ बता दिया गया है कि इनका असर कम होता है. टयूमर के लिए तो इनकी कोई उपयोगिता नही है. बेवजह ही इस असफल उपचार के लिए प्रतिवर्ष अनगिनत कौव्वे मारे जाते हैं.

मैंने आपके द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट देखी हैं. मैंने अपने एक मित्र पारम्परिक चिकित्सक को आमंत्रित किया है. वे दो दिन का लम्बा सफर तय कर घने जंगलों से होते हुए आ रहे हैं.

मुझे विश्वास है कि नील पर आधारित मेरे नुस्खे से वे सहमत होंगे और वे ही आपकी चिकित्सा करेंगे. उनके आने तक आप अपने होटल में विश्राम कीजिये. उनके आते ही आपको सूचना दे दी जायेगी. आप चिंता त्याग दें.    
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित
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