कैंसर में आधुनिक उपचार के बाद स्थायी गंजापन, हल है आसान छोटा न करें मन


कैंसर में आधुनिक उपचार के बाद स्थायी गंजापन, हल है आसान छोटा न करें मन

पंकज अवधिया





आपको परेशान होने की जरूरत नही है. कैंसर के आधुनिक उपचार के बाद अक्सर बाल फिर से उग जाते हैं. पर बहुत से मामलों में बाल स्थायी रूप से झड़ जाते हैं. इसका पारम्परिक चिकित्सा में कारगर उपचार है.



आपको लीवर का कैंसर है और आपकी आयु चालीस वर्ष है. आपने योगी की तरह सारा जीवन बिताया पर फिर भी आपको कैंसर हो गया-इस बात का आपको बहुत दुःख है.



आपने जीवन भर बहुत कम दवाएं ली और दवाओं से ज्यादा भोजन से उपचार पर बल दिया. अब कैंसर के लिए जब आपका आधुनिक उपचार चल रहा है तो आपको बहुत सारी दवाएं लेनी पड़ रही हैं. इससे  आपको बहुत तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं. बालों का झड़ना उनमे से एक है.



आपके डाक्टरों ने कहा था कि आधुनिक उपचार से बाल झड़ सकते हैं पर कुछ समय में वापस आ जाते हैं पर आपके साथ ऐसा नही हुआ.



आप स्थायी तौर पर गंजे हो गये हैं. आपने बालों के लिए बहुत से घरेलू उपाय किये और फिर नाना प्रकार के डाक्टरों और वैद्यों से दवाएं ली पर आपके बाल दोबारा नही जमे. आप इंटरनेट में लगातार मेरे लेख पढ़ते रहते हैं इसलिए आपने मुझसे परामर्श लेने का समय लिया है. मैं आपकी मदद करूंगा.



आपने अपनी सारी रिपोर्ट पहले ही मुझे भेज दी थी. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि पारम्परिक चिकित्सा में ढेरों उपाय हैं बालों को दोबारा उगाने के लिए पर कैंसर के मामले में यदि यह पता लग जाए कि बाल किस दवा के कारण झड़े हैं तो उपचार में बहुत आसानी हो जाती है.



 आमतौर पर बालों के झड़ने की समस्या के लिए बाहरी दवाओं का प्रयोग होता है पर पारम्परिक चिकित्सा में आंतरिक दवाएं भी अहम भूमिका निभाती हैं. लीवर के कैंसर के रोगियों को बालों की समस्या होने पर मुख्य तौर पर मैं जंगली परवल, कुटकी, फरहर और फरहद पर आधारित पारम्परिक नुस्खे अनुमोदित करता हूँ.



इन  चारों बूटियों का प्रयोग एक साथ नही होता है. जंगली परवल के नुस्खे में ग्यारह और घटक डाले जाते हैं. इसी तरह कुटकी के नुस्खे में पांच घटक डाले जाते हैं. फरहर और फरहद के नुस्खों में बीस-बीस घटक मिलाये जाते हैं.



इन सब का बाहरी प्रयोग होता है और आमतौर पर एक महीने के अंदर बाल फिर से उगने लगते हैं. इन नये बालों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नही होती है और ये स्थायी होते हैं.



आंतरिक तौर पर पारम्परिक चिकित्सक बहुत सारी जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं पर मैंने अपने निजी अनुभव से जाना है कि जड़ी-बूटियों के स्थान पर स्वास्थवर्धक भोजन अधिक कारगर है  बाहरी तौर पर इस्तमाल की जाने वाली दवाओं के साथ.  



स्वास्थवर्धक भोजन के अपने फायदे हैं. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है जिससे रोगी को बालों की समस्या से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही शरीर कारगर ढंग  से कैंसर से लड़ पाता है.



इससे पहले कि ये दवाएं मैं आपको दूं मैं आपका आरम्भिक परीक्षण करना चाहूंगा ताकि मुझे  सही दवा चुनने में मदद मिल जाए. आप आराम से बैठिये. जल्दी ही मेरे मित्र पारम्परिक चिकित्सक आपकी पारम्परिक विधि से जांच करेंगे.



मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.

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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 




सर्वाधिकार सुरक्षित


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