कैंसर के टयूमर में बारहसिंघे के या सींग भैस के, सार्थक उपायों पर मनन करें शांत मन से बैठ के


कैंसर के टयूमर में बारहसिंघे के या सींग भैस के, सार्थक उपायों पर मनन करें शांत मन से बैठ के

पंकज अवधिया    





इस बात का मुझे भान है कि बहुत से वैद्य बारहसिंघे के सिंग को पानी या घी में घिसकर कैंसर के टयूमर में लगाने को कहते हैं.  यह घाव की अच्छी दवा है पर टयूमर के लिए इसका प्रयोग लाभदायक नही है.



आप सभी वैद्य गुजरात से आये हैं. आपकी टीम में बीस से अधिक वैद्य हैं जो गुजरात के अलग-अलग भागों में अपनी सेवायें दे रहे हैं. आप सभी रोगों की चिकित्सा करते हैं जिनमे कैंसर की चिकित्सा भी शामिल है.



आपने इंटरनेट पर मेरे लेखों को पढ़ा और फिर रायपुर आकर चर्चा करने का मन बनाया. आप सबने मिलकर मुझसे पूरे दिन चर्चा करने का समय लिया  और फिर अपने ढेर सारे अनुभवों और प्रश्नों के साथ रायपुर आ गये.



आपकी टीम के एक सदस्य ने बारहसिंधा के सींग के बारे में पूछा था जिसका मैंने उत्तर दिया है. मैं आप लोगो को बताना चाहता हूँ  कि बहुत से वैद्य और पारम्परिक चिकित्सक भैंस के सींग का भी ऐसे ही प्रयोग करते हैं. सींग की भस्म को घी में मिलाकर लगाया जाता है. यह नासूर की एक अच्छी दवा है पर टयूमर की नही.



राजकोट से आये वैद्य ने पूछा था कि आक और थूहर के दूश के साथ दारुहल्दी का प्रयोग टयूमर में काम करेगा या नही. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह नुस्खा पुराने जख्मो के लिए कारगर है पर कैंसर के टयूमर में इसके प्रयोग के लिए इसमें दस तरह की दूसरी जड़ी-बूटियाँ मिलानी पडती है. इससे लाभ होने पर पारम्परिक चिकित्सक हर तीन दिन में एक नई जड़ी-बूटी मिलाते है और इस तरह वे फार्मूले में ५०० से अधिक जड़ी-बूटियाँ मिला देते हैं.



इस अनोखे पारम्परिक ज्ञान पर आधारित ११ घंटों से अधिक की एक फिल्म इंटरनेट पर उपलब्ध है. आप उसे देख सकते हैं और उसके बाद भी यदि मन में प्रश्न हो तो पूछ सकते हैं.



सूरत से आये वैद्य का प्रश्न था कि क्या कबूतर और चूहे का मल वज्रमूली की जड़ के साथ मिलाकर टयूमर में लगाने से लाभ होगा. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह फार्मूला फोड़ों को पकाने के लिए ग्रामीण और वनीय अंचलों में प्रयोग किया जाता है. कैंसर के टयूमर के लिए मैंने इसे उपयोगी नही पाया है.



बरोडा से आये वैद्य ने पूछा था कि वे टयूमर के लिए धतूरा और कलिहारी को मिलाकर प्रयोग करना चाहते हैं. वे इसके शोधन के बारे में जानते हैं पर कैंसर के टयूमर में बाहरी प्रयोग के लिए वे इसका शोधन नही करना चाहते.



मैं आपको बताना चाहता हूँ कि उनका यह प्रयोग कैंसर के रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. कैंसर को लाइलाज मानकर ऐसे गलत प्रयोग से आप सभी को बचना चाहिए.  



मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.

-=-=-

कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 




सर्वाधिकार सुरक्षित


-=-=-

  

Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)