कैंसर में मनुष्य के बाल, सांप की केंचुली और आक की जड़, गलत प्रयोग से हो सकती है बड़ी गड़बड़


कैंसर में मनुष्य के बाल, सांप की केंचुली और आक की जड़, गलत प्रयोग से हो सकती है बड़ी गड़बड़

पंकज अवधिया



आपने बाहरी रूप से प्रयोग की जाने वाली दवा के घटकों के जो नाम बताये है उससे लगता है कि यह कैंसर की दवा न होकर किसी और रोग की दवा है.



आपको मुंह का कैंसर है और आपका उपचार लखनऊ के जाने-माने वैद्य के पास चल रहा है.वे आपको आन्तरिक तौर पर दस दवाएं दे रहे हैं और बाहरी तौर पर एक दवा.



आपका आधुनिक उपचार बंद हो चुका है और डाक्टरों ने जवाब दे दिया है. आपको वैद्य की दवा से लुछ लाभ तो हो रहा है पर अनेक तरह की स्वास्थ समस्याएं भी हो रही हैं.



सबसे अधिक तकलीफ बाहरी तौर पर प्रयोग की जा रही दवा के कारण हो रही है. मनुष्य के बाल, सांप की केंचुली, आक की जड़,  मेषासिंगी, थूहर की जड़, छिकुरा की पत्ती और हींग जैसे घटकों से तैयार चूर्ण वे आपको दे रहे हैं. इस चूर्ण को आपको आग में जलाना होता है फिर धुंए को मुंह के अंदर भरना होता है.



ऐसा आपको दिन में दो बार करना होता है. आपने बताया कि ऐसा करने से आपको मुंह में छाले हो जाते हैं. सांस लेने में तकलीफ होती है और आपको दिखना कम हो जाता है. आपको चक्कर भी आता है और आँखों के सामने अन्धेरा छा जाता है.



जब आपने वैद्य को ये बातें बताई तो उन्होंने कहा कि कैंसर की चिकित्सा के लिए इतनी तकलीफ तो सहनी ही पड़ेगी. पर आपको यह सब अब सहन नही हो रहा है. इसलिए मजबूर होकर आपने वैद्य को नमस्कार कह देने का मन बना लिया है. इसी समस्या के लिए आप मुझसे मिलने आये हैं. आप चाहते हैं कि मैं आपकी चिकित्सा करूं. मैं आपकी मदद करूंगा.



मैं आपको बताना चाहता हूँ कि  आपके वैद्य आपको जो चूर्ण दे रहे हैं उसका प्रयोग बवासिर की चिकित्सा में किया जाता है. चूर्ण को आग में जलाकर धुंए को गुदा में छोड़ा जाता है जिससे कुछ हद तक बवासिर से राहत मिल जाती है. इस जहरीले धुंए को मुंह में छोड़ना समझदारी भरा फैसला नही है.



आपके वैद्य को ऐसे नई प्रयोग कैंसर रोगियों पर नही करने चाहिए . कैंसर के रोगी वैसे ही  बहुत अधिक शारीरिक और मानसिक यंत्रणा झेलते रहते हैं. उस पर इस तरह के बेसिर-पैर के प्रयोग उनके जीवन को नर्क बना देते हैं.



जड़ी-बूटियों के चूर्ण का इस तरह प्रयोग पारम्परिक चिकित्सक भी करते हैं पर इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि रोगियों को किसी भी तरह की तकलीफ न हो. आपने वैद्य का उपचार बंद करने का निश्चय करके समझदारी दिखाई है.



आप तैयार हो जाइए आरम्भिक परीक्षणों के लिए. इन परीक्षणों के बाद ही मैं आपको बता सकूंगा कि आप कौन से पारम्परिक चिकित्सक के पास जाकर उनकी सेवायें लें.  



मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.

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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.  




सर्वाधिकार सुरक्षित


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