Consultation in Corona Period-296 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-296 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "जब आप बता रहे हैं कि जब आपने इस वनस्पति को एकत्र किया था तो आपके हाथों में छाले पड़ गए थे तो आपको सैंपल भेजते समय यह बात स्पष्ट तौर पर लिखनी चाहिए थी और उस पर एक चेतावनी भी लिखनी चाहिए थी कि यह जहरीली वनस्पति हो सकती है इसीलिए इसकी पहचान करते समय विशेष रूप से सावधानी बरती जाए। आपने ऐसा कुछ नहीं लिखा। मैंने अपनी ओर से सावधानी बरती पर फिर भी उस वनस्पति के कारण मेरी बाई आंख 5 दिनों तक प्रभावित रही और मुझे कम दिखने की समस्या होती रही। आज जब समस्या का कारण पता चला तब मैंने इस वनस्पति का एंटीडोट लिया। उससे मेरी आंख फिर से सामान्य स्थिति में वापस आ पाई। अगली बार से आप इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखिएगा और किसी भी विशेषज्ञ के पास ऐसी वनस्पति भेजने से पहले विशेष सावधानी रखियेगा। यह बेहतर होगा कि आप उन विशेषज्ञ से पूछ लें कि क्या आप जहरीली वनस्पति की पहचान करते हैं या नहीं?" मैं कोलकाता के एक शोध छात्र को चेतावनी भरे स्वर में यह बातें कह रहा था जिसने मुझे एक वनस्पति का नमूना भेजा था और जिसके कारण मुझे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस वनस्पति की पहचान तो हो गई पर यदि उस छात्र ने यह बात साफ साफ लिखी होती कि यह जहरीली वनस्पति है तो इसकी पहचान करते वक्त मैं विशेष रूप से सावधान हो जाता। इसी तरह कुछ महीने पहले दक्षिण भारत से आए एक सैंपल ने मेरी जीभ को इतना मोटा कर दिया कि मुझे कई दिनों तक खाने में समस्या होती रही। दरअसल दक्षिण भारत के जिस वैज्ञानिक ने यह वनस्पति पहचान के लिए भेजी थी उन्होंने कहा था कि इस वनस्पति का स्वाद चरपरा है जबकि नियमानुसार इस वनस्पति का स्वाद कड़वा होना चाहिए था। जब मैंने उनसे इस बात का स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने बार-बार यह कहा कि यह स्वाद में चरपरी है न कि कड़वी। आखिर मैंने फैसला किया कि मैं इस वनस्पति को चखूँगा और फिर सत्य का पता लगा लूंगा। वनस्पति की पत्तियों को मुंह में रखते ही यह स्पष्ट हो गया कि इनका स्वाद कड़वा है पर इन पत्तियों को मुंह में रखने से जीभ में मोटापन आने लगा और जीभ सुन्न होने लगी। मोटी जीभ कई दिनों तक ठीक नहीं हुई जिससे मुझे खाने पीने में विशेष रूप से परेशानी होती रही। मैंने उन वैज्ञानिक महोदय को इस वनस्पति की पहचान तो बता दी। फिर पूछा कि क्या आपने स्वयं इस वनस्पति को चखा था तब उन्होंने कहा कि उन्होंने सुना था कि इसका स्वाद चरपरा है। उन्होंने खुद इसकी परीक्षा नहीं की थी। इसके बाद भी वे मेरी बात मानने को तैयार नहीं थे। तिस पर बार-बार कह रहे थे कि इसका स्वाद चरपरा है। इस असत्य भाषण के लिए मैंने उनसे दोगुनी फीस ली और उन्हें आगे के लिए विशेष रूप से हिदायत भी दी। मुझे बार-बार लगता है कि मुझे वनस्पतियों की इस तरह की पहचान नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जान को बड़ा खतरा रहता है और मेरे पास ज्यादातर ऐसी वनस्पति ही भेजी जाती है जो कि जहरीली होती है और जिनके बारे में आम लोगों को जानकारी नहीं होती है। ऐसी जहरीली वनस्पतियों की पहचान करने वाले बहुत कम विशेषज्ञ अपने देश में हैं और विद्यार्थियों को विशेष कर शोध छात्रों को निराश करने का मन मेरा नहीं होता है। आज फिर से मुझे तीन प्रकार की वनस्पतियों के नमूने मिले हैं और उसमें विशेष रूप से लिखा गया है कि यह जहरीली वनस्पतियां हैं और यदि त्वचा के संपर्क में आती है तो मृत्यु तक हो सकती है। मैंने पार्सल को खुले मैदान में रख दिया है और अब कुछ समय बाद हिम्मत जुटाकर वनस्पतियों की पहचान करने के लिए उस ओर जाने की कोशिश करूंगा। सर्वाधिकार सुरक्षित

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