लीवर के कैंसर में कनेर के कीड़ों का जहर, रोग से अधिक ढाए कहर


लीवर के कैंसर में कनेर के कीड़ों का जहर, रोग से अधिक ढाए कहर

पंकज अवधिया 





किसी दवा की मात्रा के लिए केवल यह कह देना कि चाय के चम्मच में दवा सुबह शाम ले लेना आज के समय में सही नही जान पड़ता है विशेषकर जब आपको ऐसी दवा दी जा रही हो जिससे आपकी जान बच सकती है या फिर मात्रा में थोड़ी भी चूक होने पर जा भी सकती है.

 

आप लम्बी यात्रा तय कर अरुणाचल से आये हैं. आपको लीवर का कैंसर है और डाक्टरों के अनुसार यह रोग की अंतिम अवस्था है. आपकी हालत को देखते हुए एयर एम्बुलेंस से आपको लाया गया है. मुझसे आपने ऐसी हालत के बारे में विस्तार से बताया होता तो मैं स्वयं अरुणाचल पहुंच जाता.



आपने बताया कि आधुनिक उपचार बंद हो जाने के बाद आपने अरुणाचल के एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की पर आपकी हालत में सुधार होने की बजाय स्थिति दिन ब दिन बिगडती गयी.  आपके परिजनों ने मेरे बारे में इंटरनेट से जाना और फिर समय लेकर आप सब मुझसे मिलने आ गये.



आपने बताया कि आपका मल और मूत्र विसर्जन में नियंत्रण नही रह गया है. आपके मसूड़े ढीले हो गये हैं और दांत हिलने लगे हैं. कुछ भी खाने-पीने पर आपको उल्टियां होने लगती हैं. आपको अक्सर दस्त भी हो जाते हैं. आपको बहुत अधिक कमजोरी लगती है और बिना सहारे के आप एक कदम भी नही चल पाते हैं. आपके शरीर में लगातार खुजली होती रहती है.



आपने मुझे वैद्य के द्वारा दी जा रही दवा के बारे में विस्तार से बताया है. मैं आपके वैद्य को जानता हूँ. कुछ वर्षों जब पहले उन्होंने अरुणाचल में सफेद मूसली की खेती की सम्भावनाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए रायपुर यात्रा की थी तब उन्होंने अपने फार्मूले के बारे में विस्तार से बताया था.



उन्होंने बहुत से ऐसे घटकों के बारे में बताया था जिनका जिक्र आपके द्वारा बताये गये फार्मूले में नही है.  वे फार्मूले में जड़ी-बूटियों के अलावा कीटों का भी पयोग करते हैं पर इस बारे में जानकारी गुप्त रखते हैं.



वे कनेर पर लगने वाले बहुत से कीटों का प्रयोग दवा के रूप में करते हैं. इससे उनका फार्मूला विषयुक्त हो जाता है. इसलिए वे इसे अल्प मात्रा में लेने को कहते हैं. वे इसके साथ अधिक मात्रा में गुड के सेवन की बात कहते हैं ताकि फार्मूले की विषाक्तता खत्म हो जाए.



आपने उनकी बातों पर ध्यान नही दिया. मधुमेह के रोगी होने के कारण आप गुड के उपयोग से बचते रहे और फिर जिस फार्मूले को एक बार में एक चुटकी से अधिक नही लेना था उसे आप चाय की चम्मच के बराबर मात्रा में लेते रहे. आपकी चाय की चम्मच असली चाय की चम्मच से बहुत ज्यादा बड़ी थी. यहीं आपसे चूक हो गयी.



मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपकी ज्यादातर समस्याओं का कारण कैंसर नही है बल्कि वैद्य की दवा है. यदि आपको गुड के सेवन से परेशानी है तो आप उसके स्थान पर खजूर का प्रयोग कर सकते हैं.



खजूर मघुमेह के रोगियों के लिए वरदान है. यह मधुमेह के रोगियों  को बार-बार पेशाब लगने की समस्या से निजात दिलाता है. आप चाहें तो वैद्य की दवा जारी रख सकते हैं. यदि आप आगे की चिकित्सा के लिए मेरी सेवायें लेना चाहते हैं तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूँ.



मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं .

-=-=-

कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 




सर्वाधिकार सुरक्षित


-=-=- 

Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)