Consultation in Corona Period-168
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मेनोपॉज के बाद ही मेरी पत्नी की तबीयत खराब रहने लगी और वह गहरे डिप्रेशन में चली गयी। मैंने ऐसे सैकड़ों केस देखे हैं और उनकी चिकित्सा की है। जब मेरे घर में ऐसी समस्या हुई तो मैंने पहले काउंसलिंग पर ध्यान दिया। अपनी पत्नी को खूब समझाया और फिर उसके बाद अपनी दवाओं का सहारा लिया पर उसका डिप्रेशन बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ।
फिर मैंने अपने मित्रों से सलाह ली और उनके द्वारा सुझाई गई दवाओं का प्रयोग किया। मैं उसे अपने साथ लेकर अमेरिका गया। फिर यूरोप की यात्रा की और दुनिया भर के चिकित्सकों से मिलवाता रहा पर उसका डिप्रेशन जारी रहा।
अब उसने कह दिया है कि वह अब किसी भी चिकित्सक से नहीं मिलेगी। वह पूरी तरह से ठीक है और उसे परेशान नहीं किया जाए।
तुम तो जानते ही हो कि हमारी एक बिटिया है जो कि अभी कनाडा में रह कर पढ़ रही है।
हम दोनों ही घर में रहते हैं। मैं दिन भर क्लीनिक में चला जाता हूं और मेरी पत्नी अकेली रह जाती है। वह दिन भर हमारे बगीचे में रहती है और पौधों से बात करती रहती है। उसे वही अच्छा लगता है और जब कभी भी उसे बागीचे से वापस बुलाया जाता है तो वह चिढ़ जाती है और आने से इंकार कर देती है।
रात को भी जब उसे नींद नहीं आती है तो वह बागीचे को ही याद करती रहती है। मैंने तुम्हारे लेख पढ़ें हैं। तुमने भारत की पारंपरिक चिकित्सा के बारे में विस्तार से लिखा है। मैं तुमसे दवाओं की उम्मीद नहीं करता हूं बल्कि उन अनोखे उपायों की उम्मीद करता हूं जिनका प्रयोग मनोरोगियों के लिए देश के पारंपरिक चिकित्सक करते आ रहे हैं।
जैसे कि तुमने लिखा था कि विशेष लकड़ी के पाटों में पैर रखने से मानसिक स्थिति में सुधार होता है या फिर विशेष तरह की झोपड़ियों में रहने से ऐसे रोगियों को राहत मिलती है। बस ऐसे ही उपायों की उम्मीद मुझे तुमसे है। मैं इस संदेश के साथ अपनी पत्नी की एक तस्वीर भेज रहा हूं जो कि हमारे बगीचे में काम कर रही है।" स्कूल के एक मित्र का यह संदेश आया तो मैंने झट से उसे पहचान लिया। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि वह अब दुनिया का जाना माना मनोचिकित्सक बन गया था।
उसकी पत्नी की समस्या चिंता में डालने वाली थी। मैंने तस्वीर को ध्यान से देखा और उस आधार पर समस्या को सुलझाने का प्रयास करने लगा। उनका बागीचा बहुत सुंदर था।
मैंने मित्र से पूछा कि यह बागीचा किसने डिजाइन किया है तो उन्होंने बताया कि लंदन से एक विशेष आर्किटेक्ट को बुलाया गया था जिन्होंने एक वनस्पति विशेषज्ञ के साथ मिलकर इस बगीचे को बनाया है और यह बगीचा हमारे पास कई सालों से है। हर वर्ष एक विशेष टीम आकर इसमें आवश्यक सुधार कर देती है।
मैंने मित्र से कहा कि वह क्या उन वनस्पतियों की पूरी सूची मुझे दे सकता है जो कि उसके बगीचे में उपस्थित है। मित्र ने कहा कि इसमें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है। मेरी पत्नी को मैंने तुम्हारे बारे में बताया है और पहले वह तुम्हारे लेखों को लगातार पढ़ा करती थी। वह अभी ही वनस्पतियों की सूची बनाकर तुम्हें भेज देगी।
जब मुझे वनस्पतियों की सूची मिली तो उसमें मुझे बहुत सारी ऐसी वनस्पतियां मिली जो कि मानसिक अवसाद या डिप्रेशन के लिए वैज्ञानिक तौर पर जिम्मेदार मानी जाती हैं। इसकी पुष्टि के लिए मैंने अपने डेटाबेस का सहारा लिया तो मुझे बहुत सारे वैज्ञानिक अनुमोदन और संदर्भ मिलने लगे। मैंने उनकी पत्नी द्वारा भेजी गई सूची में से10 वनस्पतियों की पहचान की जिन्हें बागीचे से हटा देने से उनकी डिप्रेशन की समस्या काफी हद तक सुधर सकती थी।
जब मैंने यह सूची अपने मित्र को भेजी और उनसे अनुरोध किया है कि आप बागीचे से इन 10 हानिकारक वनस्पतियों को हटा दें तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि उनकी पत्नी बागीचे में किसी भी फेरबदल के लिए तैयार नहीं होती है और इसके लिए वह लड़ने को भी तैयार हो जाती है।
मैंने मजाकिया लहजे में मित्र से कहा कि फिर तो चोर का सहारा लेना होगा। चोर से कहो कि रात को आए और इन 10 वनस्पतियों को पहचान कर चुरा कर ले जाए।
मित्र ने हंसते हुए कहा कि यह संभव नहीं है। बाद में कभी भी उसे पता चला कि यह सब मेरे सहयोग से हुआ है तो वह मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगी।
मैंने दूसरा रास्ता निकाला।
मैंने मित्र को एक विशेष प्रकार की हर्बल टी की सामग्री भेजी और उनसे कहा कि वह सुबह -सुबह इस हर्बल टी को बनाए और अपनी पत्नी को बागीचे में जाने से पहले पिलाए। इससे इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि सचमुच इन 10 प्रकार की वनस्पतियों से उनका शरीर विपरीत प्रतिक्रिया कर रहा है या नहीं।
मैंने यह भी कहा कि यह चाय बहुत स्वादिष्ट होगी और यदि वनस्पतियों की सचमुच विपरीत प्रतिक्रिया हुई तो बगीचे में जाते ही उनकी पत्नी को बेचैनी होने लगेगी और वे चीखने-चिल्लाने लगेंगी। इसके लिए मित्र को तैयार रहना होगा और फिर समाधान के तौर पर उसे एक या दो इलायची खिला देनी पड़ेगी। इससे बेचैनी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
मित्र इस प्रयोग के लिए तैयार हो गए और दूसरे दिन लगभग हंसते हुए मुझसे बोले कि यह प्रयोग सफल रहा और हालात भी इलायची से संभल गए।
इस सफलता के बाद मैंने अपने मित्र से कहा कि मैं 10 तरह के जड़ी बूटियों के पौधे जो कि सुंदर भी दिखते हैं और दिव्य औषधि गुणों से परिपूर्ण है आपकी पत्नी को भेंट में देना चाहता हूं। क्या वह इसे स्वीकार करेगी और अपने बगीचे में इन वनस्पतियों को स्थान देगी?
मैंने आगे कहा कि इन जड़ी बूटियों के औषधि गुणों पर हजारों पन्नों का एक लेख भी मैं भेजूंगा ताकि वनस्पतियों का महत्व उसके मन में स्थापित हो सके। मित्र ने कहा कि केवल वनस्पतियों को भेज देना ही पर्याप्त होगा। उसे बहुत खुशी होगी इस तरह की भेंट से क्योंकि उसने बगीचे में एक अलग कोना छोड़ा हुआ है जिसमें वह भेंट स्वरूप प्राप्त की गई वनस्पतियों को लगाती है। अब बात बनती दिख रही थी।
मैंने अपने मित्र को खुलासा किया कि ये वनस्पतियां Ornamental Lantana जैसी 10 ऐसी वनस्पतियां जो कि उनकी पत्नी की दिमागी समस्या के लिए उत्तरदाई हैं, का असर पूरी तरह से कम करने में सक्षम होंगी। इनके अपने विशेष फायदे भी होंगे पर हानिकारक वनस्पतियों के प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे। उन्हें बागीचे से उखाड़ना भी नहीं पड़ेगा। मित्र इस प्रयोग के लिए तैयार हो गए और फिर उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरह का लाभ दिखने पर फिर से संपर्क करेंगे।
मित्र ने पूछा कि कितनी फीस भेज दूं? मैंने मजाक में उनसे कहा कि अभी मैं कैंसर ड्रग इंटरेक्शन पर विस्तार से लिख रहा हूं। 30,000 से अधिक मोटी मोटी किताबें ऑनलाइन हो चुकी है। 50,000 किताबों का लक्ष्य है। उस समय तक मेरी मानसिक दशा पता नहीं कैसी रहे इसलिए अभी फीस मत भेजो। उस समय जब मैं तुम्हारी शरण में आऊंगा तब मेरा सही तरीके से इलाज कर देना।
कुछ महीनों बाद मित्र का फोन आया कि अब स्थिति में काफी सुधार होने लगा है। उन्होंने यह भी बताया कि जब सुधार के लक्षण दिखने लगे और पत्नी का व्यवहार पहले की तरह होने लगा तो मित्र ने मेरे द्वारा कही गई बातों को पत्नी को बताया और यह भी समझाया कि उसकी समस्या का मूल कारण ये हानिकारक वनस्पतियां थी।
इसका उस पर धीरे-धीरे असर हुआ और अब 10 में से केवल दो हानिकारक वनस्पतियां ही हमारे बगीचे में है और उन्हें भी पत्नी ने बहुत काट छांट कर रखा हुआ है। तुम्हारे द्वारा भेजे गए पौधे फल फूल रहे हैं और मैं भी अब क्लीनिक से वापस आकर उन्हीं के पास कुर्सी लगाकर घंटों बैठा रहता हूं।
इस खुशखबरी की प्रतीक्षा बड़े दिनों से थी। इस तरह एक जटिल समस्या का बिना किसी दवा के समाधान हुआ।
सब ने राहत की सांस ली।
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