Consultation in Corona Period-157

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

"मेनोपॉज का अर्थ जीवन का समाप्त हो जाना नहीं है बल्कि एक नए सुनहरे जीवन की शुरुआत है। हाँ, बस इस बात का ध्यान रखना होता है कि अभी तक आपने अपने परिवार और दुनिया की फिक्र की अब आपको अपनी फिक्र करनी है और अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखना है।

 इन दोनों में मानसिक रूप से फिट रहना ज्यादा जरूरी है। भले ही उपलब्ध साहित्य कहते हो कि इससे आपके शरीर में बहुत सारे परिवर्तन आएंगे पर शरीर में परिवर्तन तो बचपन से आ रहे हैं। मन वैसा ही का वैसा है इसलिए शरीर में जितने भी परिवर्तन हो कोई फर्क नहीं पड़ता है। मन मजबूत रहना चाहिए और यदि आपने इस अवस्था में अपने मन को मजबूत कर लिया तो मेनोपॉज की एक भी समस्या आपको छू तक नहीं सकती। अगर आप शरीर में आ रहे परिवर्तन से घबरा गए और आपने इंटरनेट का सहारा लिया तो इंटरनेट आपको डराने में किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उसका काम ही है पहले डर पैदा करना और उसके बाद फिर मार्केटिंग करना। आपको बताया जाएगा आप इस तरह का खाना खायें, इस तरह के हार्मोन का प्रयोग करें सब कुछ मार्केटिंग के आधार पर। उससे आपको ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। यह तो प्रकृति का नियम है पर हां यदि आप मन से मजबूत रहेंगे तो भारतीय पारंपरिक चिकित्सा कहती है कि मेनोपॉज का ज्यादा असर आपके ऊपर बिल्कुल भी नहीं होगा।"

मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मैं व्याख्यान दे रहा था जिसमें मुझे मेनोपॉज और भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान पर व्याख्यान देना था। 

सम्मेलन में ज्यादातर विशेषज्ञ सामान बेचने आए थे और लोगों को डराने में लगे हुए थे। मैंने अपने मन की बात कही और उन्हीं बातों को दोहराया जो कि भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने अपने ग्रंथों के माध्यम से मुझे सिखाया। 

व्याख्यान के बाद में वापस रायपुर लौटने की तैयारी करने लगा। उस समय लोगों ने मुझे घेर लिया और अपनी स्वास्थ समस्याएं बताने लगे। मैंने उनसे कहा कि यह उपयुक्त समय नहीं है। आप समय लेकर रायपुर आए या मुझे अपने शहर में बुलाएं। उसके बाद ही मैं विस्तार से विधिवत आपसे बात करके आपकी समस्या का समाधान कर सकता हूं। 

जिन्होंने मुझे आमंत्रित किया था वे मुझे एक अलग से कमरे में लेकर गए और उन्होंने कहा कि मेरी मदद तो आपको करनी ही होगी। मैंने उनसे कहा कि आप बताएं मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं तो उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी की उम्र 48 वर्ष है और वह मेनोपॉज की समस्याओं से जूझ रही है। उसे तीसरी स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर है।

 मैंने कहा कि मुझे आप होटल लौट जाने दीजिए। मैं अपनी नियमित दिनचर्या का पालन करते हुए आपके द्वारा भेजी गई सारी रिपोर्ट को पढ़ लूंगा और यदि आवश्यकता हुई तो आपको होटल में बुला लूंगा या फिर मैं खुद ही कार्यक्रम स्थल पर आपसे मिलने आ जाऊंगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए।

जब मैं होटल में पहुंचकर मेडिटेशन करने के बाद उन रिपोर्टों को पढ़ने लगा तो मुझे पता चला कि उनकी पत्नी बहुत सारी दवाओं का प्रयोग कर रही है ब्रेस्ट कैंसर के लिए। उनकी कीमोथेरेपी भी चल रही है आधुनिक दवाओं के साथ पारंपरिक दवाओं का प्रयोग वे कर रही है फिर भी उन्हें कैंसर में किसी तरह से लाभ नहीं हो रहा है। 

मैंने उन सज्जन को फोन किया और कहा कि उनकी पत्नी का इतना सारा इलाज चल रहा है। इस बीच आप मुझसे किस तरह की सहायता चाहते हैं?

मैंने उन्हें यह भी बताया कि मेरे पास जड़ी बूटियों का लेप नहीं है जिसकी सहायता से मैं यह पता कर पाता हूं कि शरीर की जीवनी शक्ति कितनी मजबूत है और शरीर के विभिन्न स्रोत कितने खुले हुए हैं। ऐसे में मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं।

 उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी जिन चिकित्सक और वैद्य से दवा ले रही है वे दोनों ही सम्मेलन में उपस्थित है और आप चाहे तो मैं आपसे उनकी बात करा सकता हूं। आप बस यह देखकर बताएं कि ब्रेस्ट कैंसर का कारण किसी तरह का ड्रग इंटरेक्शन तो नहीं है क्योंकि आप इस क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ है। आपसे मुझे किसी प्रकार की दवा की उम्मीद नहीं है। बस मैं ड्रग इंटरेक्शन की संभावनाओं को दूर करना चाहता हूं। 

मैंने उनसे कहा कि इस दिशा में मैं आपकी पूरी मदद कर सकता हूं। मैं 1 घंटे बाद कार्यक्रम स्थल पर आ रहा हूं जहां आप मेरी बात उन वैद्य से करा दें जो कि ब्रेस्ट कैंसर के लिए दवा दे रहे हैं। 

कार्यक्रम स्थल पर वैद्य से कुछ मैं पूछता इससे पहले उन्होंने कहा कि उन्हें अव्यक्त शुक्र की समस्या है और इसके कारण उनकी जीवनी शक्ति बहुत तेजी से कम होती जा रही है। वे उम्मीद कर रहे थे कि मैं उन्हें कुछ उपाय बताऊँ और उसके बाद फिर मैं उनसे प्रश्न करूँ। मैंने उन्हें बहुत सारे उपाय बताएं अव्यक्त शुक्र की समस्या के लिए जिन्हें कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक उपयोग करते हैं। जब वे संतुष्ट हो गए तो मैंने उनसे पूछा कि वे अपने नुस्खे में किन-किन जड़ी बूटियों का प्रयोग करते हैं?

 जब उन्होंने जड़ी बूटियों का नाम बताया तो मेरा ध्यान नारद मूसली पर गया जिसका प्रयोग बहुत कम ही वैद्य करते हैं। ऐसा नहीं है कि इस मूसली के बारे में वैद्यों को जानकारी नहीं है पर यह भी सत्य है कि इस मूसली को किसी भी नुस्खे में प्रयोग करने से लाभ के स्थान पर बहुत बार हानि हो जाती है इसलिए वे इसके प्रयोग से बचते हैं।

 मैंने उनसे पूछा कि आप नारद मूसली का प्रयोग कितनी मात्रा में करते हैं और क्या इसका प्रयोग करने से पहले उसका शोधन करते हैं। 

मैंने उनसे यह भी पूछा कि नारद मूसली को सुबह 4 बजे जंगल में जाकर एकत्र किया जाता है। क्या आप इस विधि का पालन करते हैं? 

उन्होंने बताया कि वे नारद मूसली जंगल में जाकर एकत्र नहीं करते हैं बल्कि एक जड़ी बूटी विक्रेता से खरीदते हैं इसलिए उन्हें यह नहीं मालूम कि जड़ी बूटी विक्रेता सुबह 4 बजे जंगल में जाकर से इसे एकत्र करता है कि नहीं। अब ब्रेस्ट कैंसर की समस्या का कुछ-कुछ कारण मिलने लगा था। 

वैद्य जी ने साफ-साफ कह दिया कि वे नारद मूसली के शोधन के बारे में नहीं जानते। उन्होंने एक पत्रिका में पढ़ा था कि ब्रेस्ट कैंसर के लिए नारद मूसली बड़ी कारगर है इसीलिए उन्होंने अपने पुराने फार्मूले में इसे डाल दिया था। 

उन्हें यह भी नहीं पता था कि इसे अपने फार्मूले में डालने से उसकी दूसरे घटकों के साथ कैसी प्रतिक्रिया होती है? क्या फार्मूला और मजबूत हो जाता है या उनका निर्दोष फार्मूला किसी तरह से दोषयुक्त हो जाता है। 

मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि आपको इस तरह के प्रयोग करने से बचना चाहिए। पहले उस वनस्पति के बारे में पूरी छानबीन करना चाहिए और उस वनस्पति का प्रयोग करने वाले वैद्यों से और दूसरे पारंपरिक चिकित्सकों से सावधानियों के बारे में जानना चाहिए। उसके बाद ही किसी नुस्खे में इसका प्रयोग करना चाहिये। 

वैद्य जी थोड़े नाराज हो गए और उन्होंने पूछा कि क्या इस नुस्खे के कारण ही ब्रेस्ट कैंसर होता है? 

मैंने कहा कि बिल्कुल नहीं। ब्रेस्ट कैंसर का कारण यह नुस्खा नहीं है पर इस नुस्खे में नारद मूसली का गलत प्रयोग करने से इसकी बहुत सी आधुनिक दवाओं के साथ विपरीत प्रतिक्रिया होती है जिससे ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा मिलता है। वे ध्यानपूर्वक मेरी बातों को सुनते रहे। 

मैंने उन्हें बताया कि जिस महिला को आप यह नुस्खा दे रहे हैं वह एक डिप्रेशन को दूर करने वाली आधुनिक दवा का नियमित प्रयोग कर रही है। मैंने अपने अनुभव से जाना है कि डिप्रेशन दूर करने वाली इस दवा से नारद मूसली की विपरीत प्रतिक्रिया होती है क्योंकि दोनों दवाओं का असर करने का तरीका एकदम विपरीत है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ावा मिलता है कि वे तेजी से फैले। 

मुझे ऐसा लगता है कि यदि आप इस फार्मूले से नारद मूसली को हटा दें या इस फार्मूले के स्थान पर दूसरे फार्मूले का प्रयोग करने लगे तो उनका ब्रेस्ट कैंसर तेजी से ठीक होने लगा लगेगा और उन्हें किसी तरह की सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी। 

वैद्यजी ने कहा कि मैं अपनी दवा क्यों बंद करूं? 

अगर डिप्रेशन की दवा बंद कर दी जाए तो भी इस तरह की विपरीत प्रतिक्रिया नहीं होगी और उनका कैंसर तेजी से नहीं फैलेगा। मैंने उनकी बातों पर सहमति जताई और कहा कि इन दोनों में से एक दवा बंद करनी होगी और इस पर फैसला उन महिला को करना होगा जिन्हें यह समस्या है। 

जब मैंने पूरी बात उन सज्जन को बताई तो उन्होंने निश्चय किया कि वे वैद्यजी से कहेंगे कि वे नारद मूसली का प्रयोग अपने नुस्खे में न करें। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि डिप्रेशन के लिए जिस आधुनिक दवा का प्रयोग उनकी पत्नी कर रही है उसका प्रयोग अब रोक दिया जाएगा। 

मैंने उन्हें कहा कि आप डिप्रेशन के लिए किसी तरह की दवा देने के बजाय उनके आत्मबल को जगाइए। इससे अच्छी और दुनिया में दूसरी कोई दवा नहीं है डिप्रेशन के लिए। 

उनकी पत्नी हमारी बातों को ध्यान से सुन रही थी। उनमें एक नए उत्साह का संचार हुआ और उन्होंने कहा कि मैंने अभी ही आपका व्याख्यान सुना है। मैंने इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करके मेनोपॉज को हौआ समझ लिया था पर अब मुझे समझ में आ गया है कि इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह तो एक प्रकार का नया सुनहरा जीवन है जो कि हमें मौका देता है कि हम अपने मन और शरीर की ओर ज्यादा ध्यान दें और जीवन के इस नए मोड़ को, इस नए आयाम को सहजता से अपना लें।

 उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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